विषयसूची:
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04 July 2024 Hindi PIB
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1. नीति आयोग ने ‘सम्पूर्णता अभियान’ शुरू किया:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन ,इन अति संवेदन शील वर्गों की रक्षा एवं बहतरी के लिए गठित तंत्र,विधि,संस्थान एवं निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: आकांक्षी जिला कार्यक्रम,आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम।
मुख्य परीक्षा: ‘संपूर्णता अभियान’ का समाज पर प्रभाव।
प्रसंग:
- नीति आयोग ने 04 जुलाई 2024 को ‘सम्पूर्णता अभियान’ शुरू किया।
उद्देश्य:
- इसमें देश भर के नागरिकों की महत्वपूर्ण भागीदारी देखी गई। सभी 112 आकांक्षी जिलों और 500 आकांक्षी ब्लॉकों में कार्यक्रम आयोजित किए गए।
- 4 जुलाई से 30 सितंबर 2024 तक चलने वाले तीन महीने के इस व्यापक अभियान का लक्ष्य सभी आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों में 12 प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में संकेतकों की शत-प्रतिशत संतृप्ति प्राप्त करना है।
विवरण:
- अभियान के पहले दिन, जम्मू-कश्मीर से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक लाखों अधिकारियों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, सामुदायिक हस्तियों, स्थानीय कलाकारों, छात्रों, और स्थानीय प्रतिनिधियों की उत्साही भागीदारी देखी गई।
- आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों ने ‘सम्पूर्णता संकल्प’ के माध्यम से अभियान के लक्ष्यों को पूरा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- मध्य प्रदेश के रतलाम और सिंगरौली में शिविरों का आयोजन हुआ और उत्तराखंड के उधम सिंह नगर और हरियाणा के नूंह में कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
- उत्तर-पूर्वी राज्यों ने भी पूरे जोश के साथ भाग लिया। अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री चौना मीन ने अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले के चौखाम ब्लॉक में सम्पूर्णता अभियान का शुभारंभ किया।
- तीन महीने के ‘सम्पूर्णता अभियान’ में जिला और ब्लॉक अधिकारी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ ग्राम सभा, नुक्कड़ नाटक, स्वास्थ्य शिविर, आईसीडीएस शिविर, जागरूकता मार्च, प्रदर्शनी, पोस्टर मेकिंग, और कविता प्रतियोगिता जैसी गतिविधियां आयोजित करेंगे।
- नीति आयोग के अधिकारी 300 जिलों में स्थानीय शासन को मार्गदर्शन देंगे। संबंधित मंत्रालयों, विभागों, राज्य और केंद्र-शासित प्रदेशों के सहयोग से अभियान के उद्देश्यों को प्राप्त करने और दूरदराज के इलाकों में सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
‘सम्पूर्णता अभियान’ के फोकस क्षेत्र:
- आकांक्षी ब्लॉक केपीआई:
1. पहली तिमाही के भीतर प्रसवपूर्व देखभाल (एएनसी) के लिए पंजीकृत गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत;
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- 2. ब्लॉक में लक्षित आबादी की तुलना में मधुमेह की जांच करने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत;
- 3. ब्लॉक में लक्षित आबादी की तुलना में उच्च रक्तचाप की जांच करने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत;
- 4. आईसीडीएस कार्यक्रम के तहत नियमित रूप से पूरक पोषण लेने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत;
- 5. मृदा नमूना संग्रह लक्ष्य के मुकाबले सृजित मृदा स्वास्थ्य कार्ड का प्रतिशत; और
- 6. ब्लॉक में कुल स्वयं सहायता समूह के मुकाबले रिवॉल्विंग फंड प्राप्त करने वाले स्वयं सहायता समूह का प्रतिशत
- आकांक्षी जिला केपीआई:
- 1. पहली तिमाही के भीतर प्रसवपूर्व देखभाल (एएनसी) के लिए पंजीकृत गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत;
- 2. आईसीडीएस कार्यक्रम के तहत नियमित रूप से पूरक पोषण लेने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत;
- 3. पूर्ण टीकाकरण वाले बच्चों का प्रतिशत (9-11 महीने) (बीसीजी+डीपीटी3+ओपीवी3+खसरा 1);
- 4. वितरित किए गए मृदा स्वास्थ्य कार्डों की संख्या;
- 5. माध्यमिक स्तर पर बिजली की सुविधा से लैस स्कूलों का प्रतिशत; और
- 6. शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 1 महीने के भीतर बच्चों को पाठ्यपुस्तकें प्रदान करने वाले स्कूलों का प्रतिशत।
2. ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष।
मुख्य परीक्षा: भारत – ऑस्ट्रेलिया सम्बन्ध।
प्रसंग:
- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष (ए.आई.एस. आर.एफ.) के 15वें दौर के परिणामों की जानकारी (घोषणा की) दी।
उद्देश्य:
- ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष (ए.आई.एस.आर.एफ.) एक द्विपक्षीय कार्यक्रम है जो ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं का समर्थन करता है।
- इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक संबंधों को सुदृढ़ करना और संयुक्त अनुसंधान प्रयासों के माध्यम से चुनौतियों से निपटना है।
विवरण:
- वर्तमान वर्ष में ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) और मशीन लर्निंग, जैव प्रौद्योगिकी, शहरी खनन और इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट पुनर्चक्रण, न्यूनतम लागत वाली सौर और स्वच्छ हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में पांच परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है।
- इन परियोजनाओं का चयन एक कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया के माध्यम से किया गया था। ये परियोजनाएं वैज्ञानिक उत्कृष्टता के उच्चतम मानकों पर खरी उतरती हैं।
- चयनित परियोजनाएं ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे विविध और अत्याधुनिक अनुसंधान को दर्शाती हैं।
- इस क्षेत्र में की जा रही इन पहलों से मूल्यवान अंतर्दृष्टि और समाधान की आशा है जिससे दोनों देश और व्यापक वैश्विक समुदाय लाभान्वित होंगे।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने अनुसंधान और नवाचार में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष की सराहना की।
- ऑस्ट्रेलिया के उद्योग और विज्ञान मंत्री एड हुसिक ने द्विपक्षीय अनुसंधान साझेदारी की सफलता पर जोर देते हुए कहा कि इसने विगत 18 वर्षों में 360 से अधिक सहयोगी परियोजनाओं पर काम किया है, जो वैश्विक चुनौतियों के लिए बेहतर समाधान प्रदान करती हैं।
इस वर्ष के लिए वित्तपोषण निम्नलिखित परियोजनाओं पर केन्द्रित है:
- मृदा कार्बन पृथक्करण की निगरानी के लिए एआई-संचालित प्लेटफॉर्म का निर्माण करना।
- अप्रचलित मोबाइल उपकरणों से आवश्यक धातुओं की पर्यावरण-अनुकूल पुनर्प्राप्ति।
- नैनोमटेरियल के साथ सिस्टम डिजाइन द्वारा लागत प्रभावी सौर तापीय विलवणीकरण।
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (antimicrobial resistance) से निपटने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति का उपयोग करना।
- सूक्ष्मजीव संक्रमण का पता लगाने और उससे निपटने के लिए उन्नत निदान और नवीन चिकित्सा।
- भारत की ओर से वित्त पोषित परियोजनाओं के प्राप्तकर्ता पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर, लुधियाना; आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे, आईआईएससी बैंगलोर और एबजेनिक्स लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, पुणे हैं।
3. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत केंद्र ने परीक्षण सुविधाओं और संस्थागत सहायता के लिए योजना दिशानिर्देश जारी किए:
सामान्य अध्ययन: 3
बुनियादी ढांचा:
विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन।
मुख्य परीक्षा: भारत में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन और उपयोग, जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बदलाव।
प्रसंग:
- केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत मानकों और विनियामक फ्रेमवर्क के विकास के लिए परीक्षण सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और संस्थागत सहायता के वित्तपोषण के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
उद्देश्य:
- ये योजना हरित हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्नों की मूल्य श्रृंखला में घटकों, प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के लिए मौजूदा परीक्षण सुविधाओं में कमी की पहचान करने में मदद करेगी।
- ये योजना विश्वसनीय और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए नई परीक्षण सुविधाओं को स्थापित करने और मौजूदा परीक्षण सुविधाओं के उन्नयन का समर्थन करेगी।
विवरण:
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा 4 जुलाई, 2024 को इस योजना के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
- इस योजना को कार्यान्वित करने में वित्तीय वर्ष 2025-26 तक कुल 200 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
- राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) इस योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए) होगी।
- इस योजना में जीएच2 उत्पादन और व्यापार में गुणवत्ता, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत गुणवत्ता और प्रदर्शन परीक्षण सुविधाओं का विकास शामिल है।
पृष्ठ्भूमि:
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) का शुभारंभ 4 जनवरी 2023 किया गया था, जिसकी लागत वित्त वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये है।
- यह स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य में योगदान देगा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिए प्रेरणा का काम करेगा।
- यह मिशन अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण डीकार्बोनाइजेशन, जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने और भारत को हरित हाइड्रोजन में प्रौद्योगिकी और बाजार की अगुवाई करने में सक्षम बनाएगा।
4. 102वां अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस 6 जुलाई को:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA), अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस।
मुख्य परीक्षा: सहकारी आंदोलन।
प्रसंग:
- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह 102वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर 6 जुलाई को गुजरात के गांधीनगर में “सहकार से समृद्धि” सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
उद्देश्य:
- सहकारिता मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस – 2024 के उपलक्ष्य में गांधीनगर में ‘सहकार से समृद्धि’ सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
विवरण:
- अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस दुनिया भर में सहकारी आंदोलन का वार्षिक उत्सव है। यह 1923 से अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) द्वारा जुलाई महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है।
- संयोगवश, अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस इस बार 6 जुलाई (पहले शनिवार) को मनाया जाएगा, जो केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय का तीसरा स्थापना दिवस भी है।
- 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस की थीम है- “सहकारिता सभी के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करती है।
- गांधीनगर में आयोजित ‘सहकार से समृद्धि’ सम्मेलन के दौरान केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार की एजीआर-2 योजना के तहत किसानों द्वारा नैनो-उर्वरक की खरीद पर 50% सहायता योजना का शुभारंभ करेंगे।
- इसके साथ ही वे कार्यक्रम में ही तीन किसानों को इसके लिए भुगतान कर योजना का शुभारम्भ करेंगे।
- श्री शाह नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) द्वारा उत्पादित ‘भारत ऑर्गेनिक आटा’ भी लॉन्च करेंगे।
- श्री अमित शाह 6 जुलाई को बनासकांठा में चांगड़ा मिल्क प्रोड्यूसर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड का दौरा करेंगे, जहां वे दूध उत्पादकों के लेन-देन की समीक्षा करेंगे और महिला दूध उत्पादकों के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज योजना के तहत केसीसी-पशुपालन कार्ड जारी करेंगे।
- सहकारिता मंत्रालय ने बहुत ही कम समय में सहकारी क्षेत्र में 54 से अधिक पहल की हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस 2024 के अवसर पर सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित सम्मेलन देश के साथ-साथ दुनियभार में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम होगा।
- यह अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस 2024 की थीम को और मजबूत करने में भी मदद करेगा, जिसमें श्री अमित शाह “सभी के लिए बेहतर भविष्य बनाने” के लिए सहकारी समितियों के साथ संवाद शुरू करेंगे।
- यह सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) द्वारा वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC2025) घोषित किया गया है।
- यह ‘सहकार से समृद्धि’ के मंत्र को साकार करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
5. प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और स्थिरता पर वैश्विक सम्मेलन (जीसीपीआरएस):
सामान्य अध्ययन: 3
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:
विषय: संरक्षण पर्यावरण प्रदुषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
प्रारंभिक परीक्षा: प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और स्थिरता पर वैश्विक सम्मेलन (GCPRS)।
मुख्य परीक्षा: प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और प्लास्टिक प्रदूषण।
प्रसंग:
- प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और स्थिरता (जीसीपीआरएस) पर 04 जुलाई 2024 को प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में चार दिवसीय वैश्विक सम्मेलन की शानदार शुरुआत हुई।
उद्देश्य:
- यह सम्मेलन प्लास्टिक रीसाइक्लिंग उद्योग, मशीनरी निर्माताओं, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन व्यवसायों, बायोपॉलीमर और कम्पोस्टेबल उत्पाद निर्माताओं, कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं, स्टार्टअप उद्यमियों और परीक्षण और मानक विशेषज्ञों से जुड़े व्यवसायों व कंपनियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
विवरण:
- प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और स्थिरता (जीसीपीआरएस) पर 04 जुलाई 2024 को प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में चार दिवसीय वैश्विक सम्मेलन की शानदार शुरुआत हुई।
- केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की सचिव श्रीमती निवेदिता शुक्ला वर्मा ने एआईपीएमए और सीपीएमए के सम्मेलन का उद्घाटन किया, प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण पर चिंता जताई और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 की सराहना की।
- एमएसएमई मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती मर्सी एपाओ ने प्लास्टिक उद्योग के समर्थन की पुष्टि करते हुए हैदराबाद में एक निर्यात केन्द्र स्थापित करने की योजना बताई।
- अखिल भारतीय प्लास्टिक निर्माता संघ (एआईपीएमए) और रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स निर्माता संघ (सीपीएमए) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग, पर्यावरण पर इसके प्रभाव और समाधान के लिए आवश्यक कदमों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश भर के विभिन्न व्यवसाय और विशेषज्ञ भाग लेंगे।
- भारत के शून्य कचरा लक्ष्य के अनुरूप, जीसीपीआरएस अभिनव रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों, बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल प्लास्टिक जैसे स्थायी विकल्पों और कुशल कचरा प्रबंधन समाधानों को प्रदर्शित करता है।
- यह कार्यक्रम उद्योग के नेताओं, स्टार्टअप और पर्यावरण विशेषज्ञों के लिए अपनी नवीनतम प्रगति का प्रदर्शन करने और प्लास्टिक उद्योग में स्थिरता प्राप्त करने के बारे में जानकारी साझा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- भारत का प्लास्टिक रीसाइक्लिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, और इसके 2033 तक 6.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
- सरकारी पहल और लगभग 60 प्रतिशत की मजबूत मौजूदा रीसाइक्लिंग दर प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करेगा।
- प्लास्टिक कचरा प्रबंधन एक वैश्विक मुद्दा है जिसके लिए सभी मूल्य श्रृंखला प्रतिभागियों और सरकार के बीच सहयोग की आवश्यकता है।
- जीसीपीआरएस का उद्देश्य समाधान विकसित करने के लिए संवाद और चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करना है और भारतीय उद्योग सरकार के साथ सहयोग के माध्यम से प्लास्टिक सर्कुलेरेटी में सुधार और नियामक आवश्यकताओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कुछ नहीं हैं।
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