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04 मार्च 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. प्रधानमंत्री ने कलपक्कम में भारत के पहले स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (500 मेगावाट) में ऐतिहासिक “कोर लोडिंग” की शुरुआत का अवलोकन किया:
  2. साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) लॉन्च:
  3. रक्षा मंत्री ने अदिति योजना का शुभारम्‍भ किया:
  4. रक्षा मंत्रालय ने बीईएमएल लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और मिश्रा धातु निगम लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
  5. वर्ष 2024 में नौसेना के कमांडरों के सम्मेलन के पहले संस्करण का पूर्वावलोकन:
  6. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने 174वां स्थापना दिवस मनाया:
  7. स्टेनलेस स्टील क्षेत्र में भारत के पहले हरित हाइड्रोजन संयंत्र का उद्घाटन:

04 March 2024 Hindi PIB
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1. प्रधानमंत्री ने कलपक्कम में भारत के पहले स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (500 मेगावाट) में ऐतिहासिक “कोर लोडिंग” की शुरुआत का अवलोकन किया:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारत कि उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: “कोर लोडिंग”,फास्ट ब्रीडर रिएक्टर से सम्बन्धित जानकारी।

प्रसंग:

  • भारत के तीन चरणों वाले परमाणु कार्यक्रम के महत्वपूर्ण दूसरे चरण में प्रवेश की एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, प्रधानमंत्री ने 04 मार्च 2024 को कलपक्कम, तमिलनाडु में भारत के पहले स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (500 मेगावाट) में “कोर लोडिंग” की शुरुआत का अवलोकन किया।

उद्देश्य:

  • कोर लोडिंग के पूरा होने पर, अति-महत्वपूर्ण चरण (क्रिटिकलिटी) का पहला भाग हासिल कर लिया जाएगा, जिससे बाद में बिजली का उत्पादन होगा।
  • आत्मनिर्भर भारत की भावना के तहत, पीएफबीआर को एमएसएमई सहित 200 से अधिक भारतीय उद्योगों के योगदान से भाविनी द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है।
  • भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के दोहरे लक्ष्य को हासिल करना है।

विवरण:

रिएक्टर की मुख्य विशेषताएँ:

  • भारत ने परमाणु ईंधन चक्र के पूरे स्पेक्ट्रम में व्यापक क्षमताएं विकसित की हैं।
    • भारत के सबसे उन्नत परमाणु रिएक्टर-प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) के निर्माण और परिचालन के लिए, सरकार ने 2003 में भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (भाविनी) के निर्माण की मंजूरी दी थी।
  • आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप, पीएफबीआर को एमएसएमई सहित 200 से अधिक भारतीय उद्योगों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ भाविनी द्वारा पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है।
  • एक बार चालू होने के बाद,भारत रूस के बाद वाणिज्यिक रूप से फास्ट ब्रीडर रिएक्टर परिचालित करने वाला वाला दूसरा देश बन जाएगा।
  • फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (एफबीआर) शुरू में यूरेनियम-प्लूटोनियम मिश्रित ऑक्साइड (एमओएक्स) ईंधन का उपयोग करेगा।
    • ईंधन कोर के आसपास का यूरेनियम-238 “ब्लैंकेट” अधिक ईंधन का उत्पादन करने के लिए परमाणु रूपांतरण से गुजरेगा, जिससे इसे ‘ब्रीडर’ नाम मिलेगा।
    • इस चरण में ब्लैंकेट के रूप में थोरियम-232, जो अपने आप में एक विखंडनीय पदार्थ नहीं है, का उपयोग भी प्रस्तावित है।
    • रूपांतरण द्वारा, थोरियम विखंडनीय यूरेनियम-233 बनाएगा, जिसका उपयोग तीसरे चरण में ईंधन के रूप में किया जाएगा।
    • इस प्रकार एफबीआर; कार्यक्रम के तीसरे चरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंततः भारत के प्रचुर थोरियम भंडार के पूर्ण उपयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • सुरक्षा के संदर्भ में, पीएफबीआर एक उन्नत तीसरी पीढ़ी का रिएक्टर है, जिसमें अंतर्निहित निष्क्रिय सुरक्षा विशेषताएं हैं जो आपात स्थिति में संयंत्र को तुरंत और सुरक्षित रूप से बंद करना सुनिश्चित करती हैं।
    • चूंकि यह पहले चरण से खर्च किए गए ईंधन का उपयोग करता है, एफबीआर उत्पन्न परमाणु कचरे में महत्वपूर्ण कमी के मामले में भी बड़ा लाभ प्रदान करता है। इस कारण, बड़ी भूवैज्ञानिक निपटान सुविधाओं की आवश्यकता से भी बचा जा सकता है।
  • कोर लोडिंग के पूरा होने पर, अति-महत्वपूर्ण चरण (क्रिटिकलिटी) का पहला भाग हासिल कर लिया जाएगा, जिससे बाद में बिजली का उत्पादन होगा।
  • विशेष रूप से, उन्नत तकनीक के उपयोग के बावजूद, पूंजीगत लागत और प्रति यूनिट बिजली लागत, दोनों ही अन्य परमाणु और पारंपरिक बिजली संयंत्रों की लागत की तुलना में बराबर हैं।
  • ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के दोहरे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का विकास अनिवार्य है।
    • उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में, भारत परमाणु और रेडियोलॉजिकल सामग्री की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, बिजली और गैर-ऊर्जा, दोनों क्षेत्रों में परमाणु प्रौद्योगिकी के शांतिपूर्ण अनुप्रयोगों का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

2.साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) लॉन्च:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,आंतरिक सुरक्षा:

विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारत कि उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्वों की भूमिका।

प्रारंभिक परीक्षा: डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म, चक्षु पोर्टल।

मुख्य परीक्षा: साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए हाल ही में लांच किये गए डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म और चक्षु पोर्टल पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साइबर धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए नई दिल्ली में संचार साथी पोर्टल पर डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म और चक्षु पोर्टल की शुरुआत की।

उद्देश्य:

  • DoT नागरिकों को साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करने के लिए संचार साथी पर संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सक्रिय रूप से रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

विवरण:

  • केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए हितधारकों के बीच समन्वय के लिए DoT का डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) लॉन्च किया।
  • संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की रिपोर्ट करने के लिए संचार साथी पोर्टल पर ‘चक्षु’ सुविधा, एक अग्रणी पहल है जो नागरिकों को संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सक्रिय रूप से रिपोर्ट करने के लिए सशक्त बनाती है।
  • ये उपकरण नागरिकों को संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की सक्रिय रूप से रिपोर्ट करने के लिए सशक्त बनाने वाली अग्रणी पहल हैं।
  • सरकार सुरक्षित भारत परियोजना के तहत राष्ट्रीय, संगठनात्मक और व्यक्तिगत तीन स्तरों पर साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
  • दूरसंचार विभाग ने जागरूकता फैलाने के लिए कई पहल की हैं ताकि नागरिक अपनी शिकायतों के समाधान के लिए ऐसे उपकरणों का उपयोग कर सकें और साथ ही साइबर धोखाधड़ी से खुद को बचा सकें।
  • “संचार साथी” पोर्टल से ऐसे हमलों से सफलतापूर्वक निपटने में मदद मिली है।
  • दो पोर्टलों- डीआईपी और चक्षु के साथ मिलकर, ये उपकरण किसी भी प्रकार के साइबर सुरक्षा खतरे की जांच करने की क्षमता और योग्यता को और बढ़ाएंगे। ये दो नए पोर्टल प्रत्येक नागरिक की डिजिटल संपत्ति पर साइबर सुरक्षा खतरे से निपटने के लिए एक और कदम हैं।
  • ये उपकरण किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी वाले साधनों और संचार प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेंगे।

डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी):

  • दूरसंचार विभाग द्वारा विकसित डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) हितधारकों यानी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी), कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए), बैंकों और वित्तीय संस्थान (एफआई),सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, पहचान दस्तावेज़ जारी करने वाले प्राधिकरण, आदि के बीच वास्तविक समय में खुफिया जानकारी साझा करने, सूचना के आदान-प्रदान और समन्वय के लिए एक सुरक्षित और एकीकृत मंच है।
  • पोर्टल में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग के रूप में पाए गए मामलों की जानकारी भी शामिल है। साझा की गई जानकारी हितधारकों के लिए उनके संबंधित डोमेन में उपयोगी हो सकती है।
  • यह हितधारकों द्वारा कार्रवाई के लिए संचार साथी पोर्टल पर नागरिकों द्वारा शुरू किए गए अनुरोधों के लिए बैकएंड रिपॉजिटरी के रूप में भी काम करता है।
  • डीआईपी सुरक्षित कनेक्टिविटी पर हितधारकों के लिए सुलभ है और प्रासंगिक जानकारी उनकी संबंधित भूमिकाओं के आधार पर साझा की जाती है। उक्त मंच नागरिकों के लिए सुलभ नहीं है।

संचार साथी पोर्टल पर चक्षु (Chakshu) सुविधा:

  • चक्षु (Chakshu) दूरसंचार विभाग के संचार साथी पोर्टल पर पहले से उपलब्ध नागरिक केंद्रित सुविधाओं में नवीनतम अतिरिक्त सुविधा है।
  • कोई भी व्‍यक्ति धोखाधड़ी के लिए कॉल, एसएमएस या व्हाट्सएप पर प्राप्त संदिग्ध सन्‍देशों की रिपोर्ट चक्षु पोर्टल पर कर सकता है।
  • यह धोखाधडी सरकारी अधिकारी बनकर केवाईसी की समाप्ति या बैंक खाते को अपडेट करने और मोबाईल नम्‍बर को बंद करने के नाम पर की जाती है
  • डीआईपी और ‘चक्षु (चक्षु)’ सुविधा का शुभारंभ नागरिकों को सशक्त बनाने और एक सुरक्षित डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए दूरसंचार विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
  • सतर्क रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करके और संदिग्ध धोखाधड़ी संचार के खिलाफ सक्रिय कदम उठाकर, DoT प्रत्येक नागरिक के हितों और कल्याण की सुरक्षा के लिए समर्पित है।

3. रक्षा मंत्री ने अदिति योजना का शुभारम्‍भ किया:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने प्रगति,विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: अदिति योजना से सम्बन्धित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: महत्वपूर्ण और रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को प्रोत्‍साहन देने में अदिति योजना की भूमिका की समीक्षा कीजिए।

प्रसंग:

  • रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 04 मार्च, 2024 को नई दिल्ली में डेफकनेक्ट 2024 के दौरान महत्वपूर्ण और रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को प्रोत्‍साहन देने के लिए रक्षा उत्‍कृष्‍टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) योजना के साथ एसिंग डेवलपमेंट ऑफ इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज (एडीआईटीआई-अदिति) योजना का शुभारम्‍भ किया।

उद्देश्य:

  • इस योजना के अंतर्गत, रक्षा प्रौद्योगिकी में स्टार्ट-अप, अनुसंधान, विकास और नवाचार प्रयासों के लिए 25 करोड़ रुपये तक की अनुदान सहायता राशि प्राप्‍त करने के पात्र हैं।
  • यह योजना युवाओं के नवाचार को पोषित करेगी और भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने में सहयोग करेगी।

विवरण:

  • वर्ष 2023-24 से वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए 750 करोड़ रुपये की अदिति योजना रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) के रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्‍स) प्रारूप के अंतर्गत आती है।
  • इसका लक्ष्य प्रस्तावित समय सीमा में लगभग 30 डीप-टेक महत्वपूर्ण नीतिक प्रौद्योगिकियों का विकास करना है।
  • इसमें आधुनिक सशस्त्र बलों की अपेक्षाओं और आवश्यकताओं एवं रक्षा नवाचार इकोसिस्‍टम की क्षमताओं के बीच के अंतर को दूर के लिए एक ‘टेक्नोलॉजी वॉच टूल’ बनाने की भी परिकल्पना की गई है।
  • अदिति के पहले संस्करण में, 17 चुनौतियाँ – भारतीय सेना (3), भारतीय नौसेना (5), भारतीय वायु सेना (5) और रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (4) लॉन्च की गई हैं।
  • सरकार की युवाओं के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करने के तहत युवा इनोवेटर्स को प्रेरित करने के लिए, आईडीईएक्‍स को आईडीईएक्‍स प्राइम तक विस्तारित किया गया, जिसमें सहायता 1.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दी गई है।
  • सेवाओं और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (डीपीएसयू) द्वारा दी गई चुनौतियों का समाधान प्रदान करने में उत्साहजनक भागीदारी के बाद, अब अदिति योजना का शुभारंभ किया गया।
  • अदिति, आईडीईएक्‍स, आईडीईएक्‍स प्राइम जैसी योजनाओं/पहलों के विचार के पूर्वाद्ध में भारत को एक ज्ञानपूर्ण समाज के रूप में परिवर्तित करना है।
  • इस आयोजित कार्यक्रम में डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (डीआईएससी) के 11वें संस्करण का भी शुभारंभ किया गया, जिससे रक्षा प्रतिष्ठान और स्टार्ट-अप इकोसिस्‍टम के बीच सहयोग में एक नए अध्याय की शुरुआत की।
  • डीआईएससी-11वें संस्‍करण में 22 समस्या विवरण प्रस्तुत किए गए हैं – भारतीय सेना (4), भारतीय नौसेना (5), भारतीय वायु सेना (5), बख्तरबंद वाहन निगम लिमिटेड (7) और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (1)।
  • इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण रक्षा चुनौतियों का समाधान, नवप्रवर्तकों को नवोन्वेषी समाधान प्रस्तावित करने के लिए आमंत्रित करना है, जो देश की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान कर सकें।

पृष्ठ्भूमि:

  • डेफकनेक्ट 2024 के हिस्से के रूप में, आईडीईएक्स-डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन (डीआईओ) द्वारा रक्षा क्षेत्र में नवाचार में सर्वप्रमुख विभिन्न प्रकार के प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप के साथ एक प्रौद्योगिकी शो-केस का आयोजन भी किया गया था।
  • ये स्टार्ट-अप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स, अंडरसी डिटेक्शन एंड कम्युनिकेशन, मानव रहित हवाई वाहन, पहनने योग्य प्रौद्योगिकी, ब्लास्ट और बैलिस्टिक प्रूफ संरचनाएं और उपकरण, स्मार्ट टेक्सटाइल्स और साइबर सुरक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में क्रांति ला रहे हैं।
  • ये स्टार्ट-अप अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और नवाचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो रक्षा क्षमताओं को प्रोत्‍साहन देने, राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए समाधान प्रस्‍तुत करते हैं।
  • इसके अलावा, डेफकनेक्ट 2024 में एक रोलिंग आईडीईएक्‍स इंटर्नशिप कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, जिसका उद्देश्य युवा प्रतिभाओं को प्रौद्योगिकी पोषित करना और उन्हें रक्षा नवाचार में व्यावहारिक अनुभव और मार्गदर्शन प्रदान करना है।
  • यह पहल नवप्रवर्तकों की अगली पीढ़ी को तैयार करने और उन्हें रक्षा नवाचार इकोसिस्‍टम में प्रभावी रूप से योगदान करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञानपूर्ण करने का प्रयास करती है।
  • इसके अलावा, रक्षा स्टार्ट-अप में निवेश को प्रोत्‍साहन देने के प्रयासों के तहत, आईडीईएक्‍स ने आईडीईएक्‍स इन्वेस्टर्स हब (आईआईएच) के तहत नए निवेशकों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) की घोषणा की।
  • ये साझेदारियाँ रक्षा स्टार्ट-अप में निवेश वृद्धि की सुविधा प्रदान करेंगी, उन्हें अपने उद्यमों को बढ़ाने और क्षेत्र में नवाचार को चलाने के लिए आवश्यक पूंजी और सहायता प्रदान करेंगी। इन रणनीतिक साझेदारियों ने अब 200 करोड़ रुपये से लेकर 500 करोड़ रुपये से अधिक के फंड का संकल्प लिया है।
  • डेफकनेक्ट 2024 के दौरान अदिति योजना, डीआईएससी 11 और अन्य पहलों का शुभारंभ रक्षा उत्पादन में नवाचार, उद्यमिता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। ये पहल आने वाले वर्षों में देश की सुरक्षा और संप्रभुता सुनिश्चित करते हुए रक्षा प्रौद्योगिकी और नवाचार में वैश्विक नेता बनने की दिशा में भारत की यात्रा को तेज करने के लिए तैयार हैं।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. रक्षा मंत्रालय ने बीईएमएल लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और मिश्रा धातु निगम लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

  • रक्षा मंत्रालय ने 04 मार्च, 2024 को नई दिल्ली में भारी आकार वाले उपकरणों एवं वाहनों के इंजनों के लिए उन्नत ईंधन और नियंत्रण प्रणाली के स्वदेशी विकास के उद्देश्य से बीईएमएल लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानी) के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • यह सहयोगी पहल ईंधन के परिप्रेक्ष्य में एक उन्नत और विशिष्ट नियंत्रण प्रणाली के डिजाइन, परीक्षण व निर्माण के लिए स्वदेशी क्षमताओं का अधिकतम लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो बढ़ी हुई दक्षता, कार्य प्रदर्शन तथा विश्वसनीयता प्रदान करती है।
  • इन कंपनियों का लक्ष्य इंजन की प्रौद्योगिकी और नियंत्रण प्रणालियों में नवीनतम प्रगति का उपयोग करके इंजन प्रणालियों के विकास के लिए अपनी डोमेन विशेषज्ञता का विस्तार करना है, जो लड़ाकू वाहनों के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करेगा।
  • यह समझौता ज्ञापन ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अंतर्गत देश के भीतर ही जटिल प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के सरकार के संकल्प की पुष्टि भी करता है।

2. वर्ष 2024 में नौसेना के कमांडरों के सम्मेलन के पहले संस्करण का पूर्वावलोकन:

  • वर्ष 2024 में नौसेना के कमांडरों के सम्मेलन का पहला संस्करण 05 मार्च 2024 से प्रारंभ होने वाला है।
    • इस बार यह सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है, जिसका पहला चरण समुद्र में आयोजित किया जाएगा।
    • रक्षा मंत्री इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उन दोनों विमानवाहक पोतों को देखने के लिए समुद्र में उतरेंगे, जो भारतीय नौसेना की ‘ट्विन कैरियर ऑपरेशंस’ संचालित करने की क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।
    • यह सम्मेलन वार्षिक रूप से आयोजित होने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जो नौसेना के कमांडरों के लिए समुद्री सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक गतिविधियों, परिचालन एवं प्रशासनिक मामलों पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से एक मंच के रूप में कार्य करता है।
    • यह सम्मेलन उभरती हुई भू-राजनीतिक परिस्थितियों, आंचलिक चुनौतियों और इस क्षेत्र में मौजूदा अस्थिर समुद्री सुरक्षा स्थिति की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है।
    • यह आयोजन भारतीय नौसेना द्वारा भविष्य की कार्यप्रणाली को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पिछले छह महीनों में इजरायल-हमास के बीच चल रहे संघर्ष के कारण हिंद प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं।
    • अन्य देशों के रणनीतिक संरेखण के परिणामस्वरूप स्थलीय रूप से होने वाली गतिविधियां समुद्री क्षेत्र में भी फैल चुकी हैं।
    • व्यापारिक जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों के साथ-साथ समुद्री डकैती की घटनाओं में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।
    • भारतीय नौसेना ने इन उभरते खतरों का अपने सामर्थ्य एवं संकल्प के साथ करारा जवाब दिया है और प्राथमिक प्रत्युत्तरकर्ता के रूप में अपनी क्षमता व ‘क्षेत्र में पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ के रूप में अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।
  • नौसेना कमांडरों का सम्मेलन भारतीय नौसेना का एक अभूतपूर्व कार्यक्रम है, जो तेजी से परिवर्तित हो रहे समुद्री माहौल के बीच नौसेना के भविष्य की दिशा तय करने के लिए एक निर्णायक भूमिका निभाता है।
    • यह सम्मेलन रणनीतिक स्पष्टता, परिचालन उत्कृष्टता, तकनीकी नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने तथा क्षेत्र में एक जिम्मेदार समुद्री ताकत के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

3. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने 174वां स्थापना दिवस मनाया:

  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने 4 मार्च, 2024 को देश भर में अपने सभी कार्यालयों में भव्य रूप से अपना 174वां स्थापना दिवस मनाया।
    • कोलकाता में केंद्रीय मुख्यालय में, इस समारोह का उद्घाटन भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के महानिदेशक श्री जनार्दन प्रसाद ने किया।
  • समारोह की शुरुआत भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के संस्थापक डॉ. थॉमस ओल्डम और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के पहले भारतीय प्रमुख डॉ. एम.एस. कृष्णन के योगदान के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि के रूप में उनके चित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुई।
  • इसके बाद चट्टानों, खनिजों और जीवाश्मों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया।
  • इस अवसर पर, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के महानिदेशक, श्री जनार्दन प्रसाद ने संगठन के शानदार 174 वर्ष के इतिहास, देश के खनिज संसाधनों की खोज में इसके अपरिहार्य योगदान और अग्रिम उपयोग के साथ देश को खनिज संसाधनों में आत्मनिर्भर बनाने की इसकी सतत प्रतिबद्धता पर बल दिया।
    • इसके साथ ही देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खनिज अन्वेषण में जांच तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग और वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग बल दिया।
    • उन्होंने भू-खतरा प्रबंधन और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के क्षेत्र में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा किए जा रहे अभूतपूर्व कार्यों पर प्रकाश डाला।

4. स्टेनलेस स्टील क्षेत्र में भारत के पहले हरित हाइड्रोजन संयंत्र का उद्घाटन:

  • केंद्रीय इस्पात एवं नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने 4 मार्च, 2024 को जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड, हिसार में स्थित स्टेनलेस स्टील सेक्टर में भारत के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का वर्चुअल उद्घाटन किया।
  • यह स्टेनलेस स्टील उद्योग के लिए दुनिया का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और रूफ-टॉप और फ्लोटिंग सोलर वाला दुनिया का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट होगा।
    • यह परियोजना एक अत्याधुनिक हरित हाइड्रोजन सुविधा भी है, जिसका लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन को लगभग 2,700 मीट्रिक टन प्रति वर्ष और अगले दो दशकों में 54,000 टन सीओ2 उत्सर्जन को कम करना है।
  • यह परियोजना न केवल सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है, बल्कि जिम्मेदार औद्योगिक प्रथाओं की क्षमता को प्रदर्शित करते हुए मूल्यवान रोजगार के अवसर भी पैदा करती है।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत के इस्पात उद्योग को बदल रहा है:

  • मंत्री ने इस्पात क्षेत्र में भारत की प्रगति, एक शुद्ध आयातक से एक शुद्ध निर्यातक के रूप में विकसित होने और कच्चे इस्पात का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बनने के लक्ष्य पर भी प्रकाश डाला।
  • इस यात्रा में एक प्रमुख पहल नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) है, जिसे पिछले साल लगभग 20,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
  • इसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके यौगिक तत्वों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना था।
  • यह मिशन वित्त वर्ष 2029-30 तक लगभग 500 करोड़ रुपए के बजट के साथ इस्पात क्षेत्र में पायलट परियोजनाओं का भी समर्थन कर रहा है।
  • इस साल के अंतरिम केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 11 प्रतिशत अतिरिक्त परिव्यय का आवंटन भी सरकार द्वारा विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाता है, जिसमें अवसंरचना पर खर्च भी शामिल है।

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