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05 जनवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक संयुक्त लघु उपग्रह के विकास में सहयोग से संबंधित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और मॉरीशस रिसर्च एंड इनोवेशन काउंसिल (एमआरआईसी) के बीच हुए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी
  2. कैबिनेट ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की व्यापक योजना “पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)” को मंजूरी दी
  3. जल जीवन मिशन ने 14 करोड़ (72.71 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान करने की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है

1. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक संयुक्त लघु उपग्रह के विकास में सहयोग से संबंधित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और मॉरीशस रिसर्च एंड इनोवेशन काउंसिल (एमआरआईसी) के बीच हुए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

सामान्य अध्ययन: 2, 3

अंतर्राष्ट्रीय संबंध, प्रौद्योगिकी

विषय: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संबंधित तथ्य

मुख्य परीक्षा: अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत एवं इसके सहयोगी देशों के बीच के समझौते का महत्त्व

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और मॉरीशस गणराज्य के सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और नवाचार मंत्रालय के तत्वावधान में मॉरीशस रिसर्च एंड इनोवेशन काउंसिल (एमआरआईसी) के बीच हाल ही में मॉरीशस के पोर्ट लुई में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया। यह समझौता ज्ञापन एक संयुक्त लघु उपग्रह के विकास में सहयोग से संबंधित है।

विवरण:

  • यह समझौता ज्ञापन एक संयुक्त उपग्रह के विकास के साथ-साथ एमआरआईसी के ग्राउंड स्टेशन के उपयोग के संबंध में सहयोग हेतु इसरो और एमआरआईसी के बीच सहयोग की एक रूपरेखा को स्थापित करने में मदद करेगा।
  • इस संयुक्त उपग्रह की कुछ उपप्रणालियों को भारतीय उद्योगों की भागीदारी के माध्यम से अपनाया जायेगा और इससे उद्योग जगत को लाभ होगा।
  • उपग्रह के इस संयुक्त विकास के माध्यम से होने वाले सहयोग से मॉरीशस में भारतीय ग्राउंड स्टेशन के लिए मॉरीशस सरकार से निरंतर समर्थन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, जो इसरो/भारत के प्रक्षेपण वाहन और उपग्रह मिशनों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
  • इसके अलावा, यह संयुक्त उपग्रह निर्माण भविष्य में इसरो के छोटे उपग्रह मिशन के लिए एमआरआईसी द्वारा अपने ग्राउंड स्टेशन से सहयोग सुनिश्चित करने में भी मददगार साबित होगा।
  • इस संयुक्त उपग्रह की कुछ उपप्रणालियों को भारतीय उद्योगों की भागीदारी के माध्यम से अपनाया जाएगा और इस प्रकार रोजगार सृजन हो सकेगा।
  • इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने से इसरो और एमआरआईसी के बीच छोटे उपग्रह का संयुक्त कार्यान्वयन संभव हो सकेगा। इस उपग्रह कार्यान्वयन को 15 महीने की समय सीमा में पूरा करने का प्रस्ताव है।
  • इस संयुक्त उपग्रह के पूरी तरह से तैयार होने की अनुमानित लागत 20 करोड़ रुपये है, जिसे भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इस समझौता ज्ञापन में दोनों पक्षों के बीच धन का कोई अन्य आदान-प्रदान शामिल नहीं है।

पृष्ठभूमि:

  • भारत और मॉरीशस के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध में उस समय शुरू हुआ था जब इसरो ने इस उद्देश्य के लिए 1986 में हस्ताक्षरित देश-स्तरीय समझौते के तहत इसरो के प्रक्षेपण वाहन और उपग्रह मिशनों के लिए ट्रैकिंग एवं टेलीमेट्री के क्षेत्र में सहायता हेतु मॉरीशस में एक ग्राउंड स्टेशन की स्थापना की थी।
  • वर्तमान अंतरिक्ष सहयोग 29.7.2009 को हस्ताक्षरित उस देश-स्तरीय समझौते द्वारा प्रशासित हो रहा है, जिसने ऊपर उल्लिखित 1986 समझौते का स्थान लिया है।
  • मॉरीशस के लिए संयुक्त रूप से एक लघु उपग्रह बनाने के बारे में एमआरआईसी द्वारा व्यक्त की गई रुचि के आधार पर, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इसरो से भारत-मॉरीशस संयुक्त उपग्रह को साकार करने हेतु एमआरआईसी के साथ ऐसी चर्चा शुरू करने का आग्रह किया, जिसमें संयुक्त उपग्रह को साकार करने, उसका प्रक्षेपण व संचालन करने के लिए एमईए धन प्रदान करे।
  • इस समझौता ज्ञापन पर 1 नवंबर, 2023 को मॉरीशस के पोर्ट लुई में ‘आप्रवासी दिवस’ कार्यक्रम के लिए राज्यमंत्री (एमईए) की मॉरीशस यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. कैबिनेट ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की व्यापक योजना “पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)” को मंजूरी दी

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की व्यापक योजना “पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)” को 2021-26 की अवधि के दौरान कार्यान्वित किये जाने की मंजूरी दे दी है।
  • इस योजना की कुल लागत 4,797 करोड़ रुपये है। इस योजना में वर्त्तमान में चल रही पांच उप-योजनाएँ शामिल हैं –
    • “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-प्रारूप निरीक्षण प्रणाली और सेवाएँ (अक्रॉस)”, “महासागर सेवाएँ, प्रारूप अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट)”, “ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर अनुसंधान (पेसर, पीएसीईआर )”, “भूकंप विज्ञान और भूविज्ञान (सेज,एसएजीई)” और “अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और आउटरीच (रीचआउट)”।
  • व्यापक पृथ्वी योजना के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
  • पृथ्वी प्रणाली और परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए वायुमंडल, महासागर, भूमंडल, क्रायोस्फीयर और ठोस पृथ्वी के दीर्घकालिक निरीक्षणों का संवर्द्धन और रखरखाव
  • मौसम, महासागर और जलवायु खतरों को समझने और भविष्यवाणी करने तथा जलवायु परिवर्तन के विज्ञान को समझने के लिए प्रारूप प्रणालियों का विकास
  • नई घटनाओं और संसाधनों की खोज करने की दिशा में पृथ्वी के ध्रुवीय और उच्च समुद्री क्षेत्रों की खोज
  • सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्री संसाधनों की खोज हेतु प्रौद्योगिकी का विकास और संसाधनों का सतत उपयोग
  • पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से प्राप्त ज्ञान और अंतर्दृष्टि को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ के लिए सेवाओं के रूप में परिणत करना।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) को समाज के लिए मौसम, जलवायु, महासागर और तटीय राज्य, जल विज्ञान, भूकंप विज्ञान और प्राकृतिक खतरों के सन्दर्भ में विज्ञान-से-सेवा प्रदान करने; देश के लिए सतत तरीके से समुद्री जीवित और निर्जीव संसाधनों की खोज करने और उनका दोहन करने तथा पृथ्वी के तीन ध्रुवों (आर्कटिक, अंटार्कटिक और हिमालय) का अन्वेषण करने का कार्यादेश दिया गया है।
  • इन सेवाओं में मौसम का पूर्वानुमान (भूमि और महासागर दोनों के लिए) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात, तूफान, बाढ़, गर्मी, आंधी और बिजली जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए चेतावनियां; सुनामी के लिए अलर्ट और भूकंप की निगरानी आदि शामिल हैं।
  • विभिन्न एजेंसियों और राज्य सरकारों द्वारा मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का उपयोग, प्राकृतिक आपदाओं से लोगों को बचाने और संपत्तियों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रभावी ढंग से किया जा रहा है।
  • एमओईएस के दस संस्थानों द्वारा एमओईएस की अनुसंधान एवं विकास और परिचालन (सेवाएँ) गतिविधियाँ की जाती हैं।
  • ये संस्थान हैं – भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), समुद्री जीवन संसाधन और पारिस्थितिकी केंद्र (सीएमएलआरई), राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर), राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद, राष्ट्रीय ध्रुव और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर), गोवा, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे और राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (एनसीईएसएस)।
  • मंत्रालय के समुद्र विज्ञान और तटीय अनुसंधान जहाजों का एक बेड़ा योजना के लिए आवश्यक अनुसंधान सहायता प्रदान करता है।
  • पृथ्वी प्रणाली विज्ञान, पृथ्वी प्रणाली के सभी पांच घटकों से संबंधित है: वायुमंडल, जलमंडल, भूमंडल, क्रायोस्फीयर, और जीवमंडल तथा उनके बीच का जटिल अंतर्संबंध।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से संबंधित सभी पहलुओं पर समग्र रूप से कार्य करता है।
  • व्यापक योजना-पृथ्वी, पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की समझ में सुधार लाने और देश के लिए विश्वसनीय सेवाएं प्रदान करने हेतु पृथ्वी प्रणाली के सभी पांच घटकों को समग्र रूप से शामिल करेगी।
  • पृथ्वी योजना के विभिन्न घटक एक-दूसरे पर निर्भर हैं और इन्हें एमओईएस के अंतर्गत संबंधित संस्थानों द्वारा संयुक्त प्रयासों के माध्यम से एकीकृत रूप में चलाया जाता है।
  • पृथ्वी विज्ञान की व्यापक योजना विभिन्न एमओईएस संस्थानों में एकीकृत बहु-विषयक पृथ्वी विज्ञान अनुसंधान और नवीन कार्यक्रमों के विकास को सक्षम बनाएगी।

2. जल जीवन मिशन ने 14 करोड़ (72.71 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान करने की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है

  • जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने 14 करोड़ (72.71%) ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान करने की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है।
  • 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई, भारत सरकार की इस प्रमुख पहल ने बेमिसाल गति और पैमाने का प्रदर्शन करते हुए केवल चार वर्षों में ग्रामीण नल कनेक्शन कवरेज को आश्चर्यजनक रूप से तीन करोड़ से बढ़ाकर 14 करोड़ कर दिया है।
  • यह महत्वपूर्ण उपलब्धि ग्रामीण विकास में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है, जो पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, समुदायों को सशक्त बनाने और सतत प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए मिशन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और विभिन्न विकास भागीदारों के सहयोग से कार्य करते हुए, जन जीवन मिशन ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
  • अभी तक, छह राज्यों-गोवा, तेलंगाना, हरियाणा, गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश तथा तीन केंद्र शासित प्रदेशों पुदुचेरी, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेलीतथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने शत-प्रतिशत कवरेज हासिल कर ली है।
  • मिजोरम 98.68 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश 98.48 प्रतिशत और बिहार 96.42 प्रतिशत कवरेज के साथ निकट भविष्य में शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के मार्ग पर हैं।
  • इस बदलाव का मुख्य कारण, केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों के साथ-साथ विकास भागीदारों की सक्रिय भागीदारी में समाहित हैं।
  • प्रत्येक क्षण नल जल कनेक्शन की स्थापना का गवाह बन रहा है, जिससे ग्रामीण परिदृश्य में आमूल-चूल बदलाव आ रहा है। 2 लाख से अधिक गांव और 161 जिलों में अब ‘हर घर जल’ है।

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