विषयसूची:
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05 July 2024 Hindi PIB
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1. डीपीआईआईटी ने भारत में लॉजिस्टिक्स लागत के मूल्यांकन एवं रूपरेखा के विकास के लिए एनसीएईआर के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 3
उद्योग:
विषय: वाणिज्य एवं उद्योग।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति ।
मुख्य परीक्षा: भारत में लॉजिस्टिक्स लागत के मूल्यांकन एवं रूपरेखा।
प्रसंग: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तथा राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने 05 जुलाई को नई दिल्ली में भारत में लॉजिस्टिक्स लागत के मूल्यांकन एवं रूपरेखा के विकास के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
- इस समझौता ज्ञापन पर एनसीएईआर के सचिव एवं परिचालन निदेशक डॉ. अनिल शर्मा तथा डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव डॉ. एस के अहिरवार ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर डीपीआईआईटी के सचिव श्री राजेश कुमार सिंह भी उपस्थित थे।
उद्देश्य
- एमओयू के प्रमुख उद्देश्य हैं: i) देश में लॉजिस्टिक्स लागत के आकलन के लिए एक विस्तृत रूपरेखा विकसित करना ii) वर्ष 2023-24 के दौरान लॉजिस्टिक्स लागत के आकलन के लिए एक व्यापक अध्ययन करना। iii) मार्ग, माध्यम, उत्पाद, कार्गो का प्रकार और सेवा संचालन आदि में लॉजिस्टिक्स लागत में अंतर का आकलन करना। iv) विभिन्न क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स पर प्रभाव के साथ-साथ प्रमुख निर्धारकों की पहचान करना आदि।
विवरण
- इस समझौता ज्ञापन में एनसीएईआर द्वारा उपरोक्त विस्तृत अध्ययन करने और एक वर्ष के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की परिकल्पना की गई है। इस अध्ययन के परिणामस्वरूप भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- भारत सरकार ने 17 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) का शुभारंभ किया था। एनएलपी का एक प्राथमिक उद्देश्य जीडीपी में लॉजिस्टिक्स लागत के प्रतिशत को कम करना था। इसके अनुरूप, डीपीआईआईटी के लॉजिस्टिक्स प्रभाग ने पहले दिसंबर 2023 में भारत में लॉजिस्टिक्स लागत: मूल्यांकन और दीर्घकालिक रूपरेखा शीर्षक से एक रिपोर्ट लांच की थी। यह रिपोर्ट एनसीएईआर द्वारा तैयार की गई थी, जिसमें एक आधारभूत समेकित लॉजिस्टिक्स लागत अनुमान और दीर्घकालिक लॉजिस्टिक्स लागत गणना के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई थी।
- देश की लॉजिस्टिक्स लागत का नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए और निगरानी की जानी चाहिए, ताकि लागत भिन्नता के आंकड़ों से उद्योग और नीति निर्माताओं दोनों को लाभ हो। इस प्रक्रिया में व्यापार प्रवाह, उत्पाद प्रकार, उद्योग के रुझान और मूल डेटा युग्मों के डेटा का उपयोग करना शामिल है। विस्तृत द्वितीयक सर्वेक्षण करने के अलावा, इसके लिए व्यवस्थित और आवधिक तरीके से डेटा संग्रह की प्रक्रिया हेतु एक संस्थागत व्यवस्था की आवश्यकता होती है।
2. स्टेनलेस स्टील और एल्युमीनियम बर्तनों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के दिशा-निर्देशों का अनुपालन अनिवार्य:
सामान्य अध्ययन: 3
उद्योग:
विषय: वाणिज्य एवं उद्योग।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय मानक ब्यूरो ।
प्रसंग-भारत सरकार ने रसोई की सुरक्षा, गुणवत्ता और दक्षता को बढ़ाने की दिशा एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए स्टेनलेस स्टील और एल्युमीनियम के बर्तनों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के दिशा-निर्देशों को अनिवार्य बना दिया है।
- वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा 14 मार्च, 2024 को जारी गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के अनुसार ऐसे बर्तनों के लिए आईएसआई चिह्न अनिवार्य होगा। इसका गैर-अनुपालन दंडनीय है, यह उपभोक्ताओं की सुरक्षा और उत्पाद शुद्धता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
विवरण
- हाल ही में, बीआईएस ने आवश्यक रसोई वस्तुओं को शामिल करने वाले मानकों की एक श्रृंखला तैयार की है। ये मानक बीआईएस की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए यह सुनिश्चित भी करते हैं कि रसोई के सभी बर्तन कड़े मानदंडों को पूरा करते हैं और गुणवत्ता एवं सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हैं। इन मानकों को प्रस्तुत करके बीआईएस का उद्देश्य बेहतर उत्पाद प्रदर्शन और उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ावा देते हुए व्यंजनों की सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखना है।
- स्टेनलेस स्टील बर्तन लंबे समय से दुनिया भर के रसोई घरों में अपनी मजबूती, विविध उपयोगों और आकर्षक दिखने के कारण पसंद किए जाते हैं। क्रोमियम और निकेल, मोलिब्डेनम और मैंगनीज जैसी अन्य धातुओं के साथ स्टील के मिश्र धातु से बना स्टेनलेस स्टील अपने बेहतर संक्षारण प्रतिरोध और मजबूत यांत्रिक गुणों के लिए जाना जाता है। बीआईएस ने इन विशेषताओं को भारतीय मानक आईएस 14756:2022 में सूचीबद्ध किया है, इसमें खाना पकाने, परोसने, भोजन करने और भंडारण में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के बर्तनों की आवश्यकताओं को निर्दिष्ट किया गया है।
- आईएस 14756:2022 मानक में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सामग्री आवश्यकताएँ: विनिर्माण में प्रयुक्त सामग्री की सुरक्षित संरचना सुनिश्चित करना।
- आकार और आयाम: बर्तन डिजाइन में एकरूपता और व्यावहारिकता प्रदान करना।
- कारीगरी और अंतिम रूप: उच्च गुणवत्ता वाले शिल्प कौशल और आकर्षक अपील को अनिवार्य करना।
- प्रदर्शन पैरामीटर: परीक्षण सहित
- जैसे कि स्टेमिंग परीक्षण, मैकेनिकल शॉक परीक्षण, थर्मल शॉक, ड्राई हीट परीक्षण, कोटिंग थिक्नेस परीक्षण, नॉमिनल क्षमता परीक्षण, फ्लेम स्टेबिलिटी परीक्षण, तथा टेम्पर्ड ग्लास ढक्कन वाले बर्तनों के लिए विशिष्ट परीक्षण।
परिणाम
- स्टेनलेस स्टील और एल्युमीनियम के बर्तनों के लिए बीआईएस के कड़े मानक यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि पूरे देश में घरों और व्यावसायिक इकाइयों में इस्तेमाल किए जाने वाले रसोई के बर्तन उच्चतम सुरक्षा और गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हैं। कठोर परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रियाओं को लागू करके, बीआईएस उपभोक्ताओं को घटिया उत्पादों से बचाने में सहायता प्रदान करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करता है कि बर्तन उपयोग करने के लिए सुरक्षित हों और लंबे समय तक चलें।
- ये उपाय उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाते हैं और निर्माताओं को उत्पादन में सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे उद्योग में समग्र सुधार होता है। बीआईएस मानक चिह्न गुणवत्ता के एक विश्वसनीय संकेतक के रूप में कार्य करता है, उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प बनाने में मार्गदर्शन करता है और रसोई के बर्तनों में उत्कृष्टता और सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा देता है।
3. भारत और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के रक्षा मंत्रालयों के बीच पहली सचिव स्तरीय बैठक का नई दिल्ली में आयोजन:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: भारत और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य सम्बन्ध।
प्रसंग: भारत और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) के रक्षा मंत्रालयों के बीच पहली सचिव स्तरीय बैठक 05 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाणे ने किया और इसमें रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
- कांगो के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डीआरसी के रक्षा मंत्रालय के स्थायी सचिव मेजर जनरल लुकुइकिला मेटिकविजा मार्सेल ने किया और इसमें मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और भारत में डीआरसी के दूतावास के प्रतिनिधि शामिल थे।
उद्देश्य
- इस बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की संभावनाओं को पूरा करने के लिए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करना था। प्रशिक्षण और रक्षा उद्योग में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत चर्चा की गई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने रक्षा विनिर्माण क्षमता में भारत द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति रेखांकित की।
विवरण
- डीआरसी पक्ष ने अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की आवश्यकता को साझा किया। उन्होंने भारत के रक्षा उद्योग की क्षमता में विश्वास व्यक्त किया और सह-उत्पादन तथा सह-विकास के क्षेत्रों का सुझाव दिया।
- इससे पूर्व, डीआरसी प्रतिनिधिमंडल ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से मुलाकात की।
- भारत के डीआरसी के साथ सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। भारत 1962 में किंशासा में राजनयिक मिशन स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के नए मार्ग खुलने की उम्मीद है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.अटल इनोवेशन मिशन ने ‘स्टोरीज ऑफ चेंज एडिशन 2’ के लॉन्च के साथ-साथ कम्युनिटी इनोवेटर फेलो ग्रेजुएशन का जश्न मनाया:
- नीति आयोग में अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) ने 5 जुलाई, 2024 को एक महत्वपूर्ण अवसर का जश्न मनाया। इसमें कम्युनिटी इनोवेटर फेलो (सीआईएफ) के अपने दूसरे बैच के ग्रेजुएट होने का जश्न मनाया गया।
- इस कार्यक्रम में ‘स्टोरीज ऑफ चेंज एडिशन 2’ का भी शुभारंभ किया गया। यह उन लोगों पर केंद्रित है, जो दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए आवश्यक बदलाव लाने के लिए अपने जुनून को जीने का साहस करते हैं। पूरे भारत में जमीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देने और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने के लिए एआईएम की अटूट प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, प्रतिभागियों ने एक परिवर्तनकारी यात्रा की परिणति देखी।
- एआईएम ने अपने अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र (एसीआईसी) कार्यक्रम के माध्यम से देश के वंचित/अल्प सुविधाओं वाले क्षेत्रों की सेवा करने और हर जमीनी स्तर के इनोवेटर को सहायता प्रदान करने और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2030 तक पहुंचने की गति तेज करने की दिशा में काम करने की परिकल्पना की है।
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