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06 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. नैरोबी में भारत-अफ्रीका अंतर्राष्‍ट्रीय मोटा अनाज सम्‍मेलन आयोजित:
  2. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा जुलाई 2018 से जुलाई 2023 तक उठाए गए निम्न अभिनव कदम:
  3. DGCA/AERA/AAI में संस्थागत आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया गया:
  4. फ्रांस की बैस्टिल दिवस परेड में भाग लेने के लिए भारत की तीनों सेनाओं का एक दल फ्रांस के लिए रवाना:
  5. ज़ंज़ीबार- तंजानिया में आईआईटी मद्रास कैंपस की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:
  6. भारत और सिंगापुर ने कार्मिक प्रबंधन और लोक प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को 2028 तक बढ़ाया:
  7. आईएन-यूएसएन बचाव और विस्फोटक आयुध निपटान अभ्यास- साल्वेक्स:
  8. भारतीय नौसेना का जुलै लद्दाख (हैलो लद्दाख) कार्यक्रम लद्दाख पहुंचा:

1. नैरोबी में भारत-अफ्रीका अंतर्राष्‍ट्रीय मोटा अनाज सम्‍मेलन आयोजित:

सामान्य अध्ययन: 2,3

अंतर्राष्ट्रीय संबंध, कृषि:

विषय: गरीबी और भूख से संबंधित विषय, मुख्य फसलें – देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न।

प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्‍ट्रीय मोटा अनाज (श्रीअन्‍न) वर्ष।

मुख्य परीक्षा: श्रीअन्‍न के सन्दर्भ में भारत-अफ्रीका अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज सम्मेलन’ का महत्व।

प्रसंग:

  • अंतर्राष्‍ट्रीय मोटा अनाज (श्रीअन्‍न) वर्ष मनाने के लिए कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय तथा केन्‍या के कृषि तथा पशुधन विकास मंत्रालय केन्‍या में ‘भारत-अफ्रीका अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज सम्मेलन’ की सह-मेजबानी करेंगे।

उद्देश्य:

  • भारत और केन्‍या की सरकार का उद्देश्‍य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से मोटा अनाज की सार्वजनिक जागरूकता ‘विश्‍व के उभरते स्मार्ट फूड’ के रूप में बढ़ाना है।
  • इसके अतिरिक्त यह वैश्विक आयोजन मोटे अनाज वाले क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण विनिमय और सहयोग के अवसरों को उजागर करने में भी मदद करेगा।

विवरण:

  • यह सम्‍मेलन अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) के समर्थन से आयोजित किया जाएगा।
    • 30-31 अगस्त 2023 तक चलने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विश्‍व के सरकारी नेतृत्‍वकर्ताओं, शोधकर्ताओं, किसानों, उद्यमियों और उद्योग संघ आदि भाग लेंगे।
  • आयरन, कैल्शियम, जिंक और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों जैसे उच्‍चस्‍तरीय खनिजों के साथ श्रीअन्‍न यानी मोटा अनाज स्वास्थ्य लाभ का खजाना है।
    • इसके अतिरिक्त ये सूखा प्रतिरोधी, कीट-लचीला, जलवायु के अनुकूल फसलें भी हैं जो विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका और एशिया में छोटे किसानों की आय के अवसरों और आजीविका को प्रोत्‍साहित कर सकती हैं।
  • सम्मेलन प्रमुख हितधारकों के बीच संयुक्त उद्यम, सहयोग और तकनीकी हस्तांतरण के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करते हुए नेतृत्‍वकर्ताओं, निवेशकों, संस्थानों और व्यक्तियों द्वारा कार्रवाई योग्य रणनीतियों को उजागर करने में किस तरह सहायता करेगा।
  • भारत सरकार भारतीय मोटा अनाज अनुसंधान संस्थान के सहयोग से 2018 से मोटे अनाज की खेती से संबंधित चिंताओं का हल निकाल रही है, जब भारत ने अपना राष्ट्रीय श्रीअन्‍न वर्ष मनाया था।
    • भारत के प्रस्ताव पर कार्रवाई करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इन प्राचीन अनाजों को वैश्विक मंच प्रदान करते हुए वर्ष 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया।
    • भारत का फोकस टिकाऊ कृषि प्रथाओं को सुनिश्चित करने तथा मोटे अनाजों की खेती की वाणिज्यिक व्यावहारिकता को बढ़ाने पर रहा है।

2. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा जुलाई 2018 से जुलाई 2023 तक उठाए गए निम्न अभिनव कदम:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)।

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा पिछले कुछ समय में की गए अभिनव पहलों के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • पिछले पांच वर्षों, जुलाई 2018 से जुलाई 2023 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा प्रक्रियाओं को सरल बनाने और मामलों का निपटारा तेजी से करने के लिए कई अभिनव कदम उठाए गए हैं।

उद्देश्य:

  • अपनी स्थापना के समय से ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण पर्यावरण संबंधित मामलों जैसे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, अपशिष्ट निपटान आदि की सुनवाई करता है।

विवरण:

इन पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कोविड-19 महामारी आने से पहले ही NGT में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग, जिससे मामलों का त्वरित निपटारा किया जा सका और पूरे देश के वादियों व अधिवक्ताओं को अदालती कार्यवाही तक आसानी से पहुंच प्राप्त हो सकी।
  • NGT की क्षेत्रीय पीठों में सदस्यों की कमी को ध्यान में रखते हुए एक विशेष पीठ द्वारा पांच वर्ष पुराने और जटिल मामलों का निपटारा करने के लिए विशेष पहल की गई, जिससे 5 वर्ष पुराने लंबित मामलों को कम करने में मदद मिली।
  • अदालत प्रबंधन और केस प्रबंधन से संबंधित विभिन्न पहलों की शुरुआत की गई जैसे कि पहले आदेश में मुद्दे और कार्यवाही के कार्य-क्षेत्र की पहचान करना।
    • शून्य-स्थगन से मामलों का निपटारा तेजी से हुआ जिससे राष्ट्रीय महत्व से संबंधित कई मामलों का निपटारा हुआ।
    • संयुक्त समितियों का गठन किया गया, जिनकी अध्यक्षता प्रायः सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और सांविधिक नियामकों द्वारा की जाती है, जिससे तथ्यात्मक स्थिति का स्वतंत्र रूप से पता लगाया जाता है और मामले का निपटारा तेजी से करना संभव होता है।
    • दक्षता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया जैसे ई-मेल के माध्यम से नोटिस भेजना, सॉफ्ट कॉपी में सभी फाइलिंग, वेबसाइट पर रिपोर्ट डालना आदि।
  • वैधानिक नियामकों द्वारा ऑनलाइन डाले गए आंकड़ों से नजर के सामने आने वाले पर्यावरणीय क्षरण को समाप्त करने के लिए स्वत: संज्ञान लेना।
  • पर्यावरण सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करने से संबंधित घातक दुर्घटनाओं के मामलों में मुआवजे और पर्यावरण सुरक्षा के लिए स्वत: संज्ञान लेना, जिससे आम नागरिकों को क्षतिपूर्ति के सिद्धांत के आधार पर शीघ्र राहत प्राप्त करने में आसानी हुई।
  • जनसामान्य के लिए पत्र याचिकाओं के माध्यम से NGT के दरवाजे खोले गए, भले ही उसकी वित्तीय स्थिति या उसका कानूनी और तकनीकी ज्ञान कुछ भी हो, जिससे सामान्य याचिका के किसी भी तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता के बिना ई-मेल, पोस्ट या पत्र के माध्यम से दायर किया जा सकता है।
  • NGT सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अंतर्गत निगरानी के अनुपालन में यमुना और गंगा के कायाकल्प जैसे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों की निगरानी भी कर रहा है।
  • अधिकरण द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन में अंतराल को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए, जिसमें सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के साथ तीन दौर की बातचीत और गीला व सूखा कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटारा करने के संबंध में निर्देश पारित किए गए।
    • NGT ने 79,234.36 रुपये की कुल पर्यावरण क्षतिपूर्ति भी लगाई, जिसे पर्यावरण को पुनर्स्थापित करने के लिए रिंग फेंस अकाउंट में रखा गया।
  • NGT ने पिछले उल्लंघनों के लिए ‘प्रदूषक भुगतान’ सिद्धांत के आधार पर क्षतिपूर्ति भी लगाई, जिससे इस प्रकार के उल्लंघन लाभदायक नहीं रहें और पर्यावरण की पुनर्स्थापना के लिए वसूल की गई क्षतिपूर्ति का उपयोग किया गया। इस प्रकार कीक्षतिपूर्ति की गणना सामान्य रूप से पुनर्स्थापन के सिद्धांत पर की जाती है।

पृष्ठ्भूमि:

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के अंतर्गत किया गया है।
    • राष्ट्रीय हरित अधिकरण का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, वन संरक्षण, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण, प्रदूषण संबंधी क्षतिपूर्ति और पर्यावरणीय पुनर्स्थापना से संबंधित मामलों को प्रभावी और त्वरित रूप से निपटारा करना है।

3. DGCA/AERA/AAI में संस्थागत आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया गया:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा: उड्ड्यन।

प्रारंभिक परीक्षा: नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA),भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (AERA),भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI)।

प्रसंग:

  • भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे यह दुनिया भर में तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है।

उद्देश्य:

  • ग्रीनफील्ड नीति के तहत नए हवाई अड्डों के अस्तित्व में आने, क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना-उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान/UDAN) के तहत अधिक से अधिक ऐसे हवाई अड्डों के संचालन, जहां सेवा उपलब्ध नहीं है या सेवा की आवश्यकता से कम उपलब्धता है और एयरलाइन ऑपरेटरों द्वारा बड़ी संख्या में विमानों को शामिल करने के साथ; इस क्षेत्र का पिछले 9 वर्षों के दौरान तेजी से विस्तार हुआ है।

विवरण:

  • इससे उद्योग की बढ़ती मांगों को प्रभावी ढंग से पूरा करने और संस्थागत आधारभूत संरचना के विस्तार के लिए मानव संसाधनों की तत्काल आवश्यकता भी पैदा हुई है।
  • इस अनिवार्यता को स्वीकार करते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उल्लेखनीय पहल की है और कार्यबल का विस्तार करने के लिए पर्याप्त संसाधन समर्पित किए हैं।

नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA):

  • DGCA विमानन सुरक्षा नियामक के रूप में कार्य करता है, जिस पर भारत से विदेश जाने वाले, विदेश से भारत आने वाले और भारत के घरेलू हवाई परिवहन सेवाओं को विनियमित करने की जिम्मेदारी है।
    • DGCA को नागरिक हवाई नियमों को लागू करने, हवाई सुरक्षा और उड़ान योग्यता मानकों को बनाए रखने के साथ-साथ विमानन कर्मियों के लाइसेंस और प्रशिक्षण की देखरेख करने का काम सौंपा गया है।
    • DGCA अपने नियामक और निरीक्षण कार्यों को पूरा करने के लिए योग्य और अनुभवी विमान/वैमानिकी इंजीनियरों, पायलटों और हवाई यातायात नियंत्रकों की एक टीम को नियुक्त करता है।
    • इन प्रयासों के प्रमाण के रूप में DGCA में कुल 416 नए पद सृजित किए गए हैं, जो विमानन निगरानी संस्था को क्षेत्र के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में मदद करेंगे।

भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (AERA):

  • AERA एक स्वतंत्र नियामक संस्था है, जिसे भारत में हवाई अड्डों के आर्थिक विनियमन की देखरेख का काम सौंपा गया है।
    • इसके मुख्य उद्देश्यों में समान अवसर तैयार करना, प्रमुख हवाई अड्डों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, हवाई अड्डे की सुविधाओं में निवेश को प्रोत्साहन प्रदान करना और वैमानिकी सेवाओं के लिए शुल्कों को विनियमित करना शामिल हैं।
    • AERA द्वारा कार्यों के शीघ्र निर्वहन के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय की सक्रियता से कुल 10 नए पद सृजित किए गए हैं।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI):

  • AAI एक वैधानिक प्राधिकरण है, जो पूरे देश में हवाई अड्डों के प्रबंधन, विकास और संचालन के लिए उत्तरदायी है।
    • यह पूरे भारत में हवाई अड्डों के अवसंरचना-विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हवाई परिवहन (एयर नेविगेशन) सेवाओं का एकमात्र प्रदाता है, जो AAI को सौंपा गया एक संप्रभु कार्य है।
    • नागरिक उड्डयन क्षेत्र की अभूतपूर्व वृद्धि के दौरान, हवाई यातायात नियंत्रण अधिकारियों (ATCO) की पर्याप्त संख्या, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के लिए प्राथमिकता बन गई।
    • ATCO की पर्याप्त संख्या में कमी होने पर अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) द्वारा प्रतिकूल टिप्पणी की जा सकती थी और इसका भारत की वैश्विक रैंकिंग और यात्री सुरक्षा पर असर पड़ सकता था।
    • देश में नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए पर्याप्त संख्या में ATCO की उपलब्धता के महत्व को ध्यान में रखते हुए, जुलाई 2021 से AAI में ATCO के 796 पद सृजित किए गए हैं, जिससे देश में सुरक्षित नेविगेशन सेवाएं सुनिश्चित होंगी।

पृष्ठ्भूमि:

  • विमानन इकोसिस्टम में जनशक्ति को बढ़ाकर, मंत्रालय का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उद्योग की आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से हल किया जाए।
    • कर्मियों के सन्दर्भ में यह रणनीतिक वृद्धि, विभिन्न उद्योग हितधारकों द्वारा सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने और भारत में हवाई यात्रा की सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

4. फ्रांस की बैस्टिल दिवस परेड में भाग लेने के लिए भारत की तीनों सेनाओं का एक दल फ्रांस के लिए रवाना:

सामान्य अध्ययन: 1

आधुनिक भारत का इतिहास:

विषय: 18वीं सदी के बाद की घटनाएं- विश्व युद्ध।

प्रारंभिक परीक्षा: फ्रांसीसी क्रांति,विश्व युद्ध।

मुख्य परीक्षा: फ्रांसीसी क्रांति के महत्वपर्ण प्रभावों पर चर्चा कीजिए। साथ ही यह भी बताये की भारत पर इस क्रांति का क्या प्रभाव पड़ा था ?

प्रसंग:

  • चौदह जुलाई को फ्रांस में ‘फेटे नेशनले फ्रांसेइस’ या राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

उद्देश्य:

  • इस दिन को बैस्टिल दिवस के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि 1789 में हुई फ्रांसीसी क्रांति के दौरान इस दिन बैस्टिल पर हमला हुआ था।
    • इस दिवस को उस हमले की वर्षगांठ मनाई जाती है।
    • प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी को इस वर्ष फ्रांस में आयोजित होने वाली ‘बैस्टिल डे परेड’ में सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
    • इस वर्ष की परेड में भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों अंगों की 269 सदस्यीय टुकड़ी फ्रांस की तीनों सेनाओं की टुकड़ी के साथ मार्च करते हुए दिखाई देगी।

विवरण:

  • भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच यह परस्‍पर संबंध प्रथम विश्व युद्ध से ही जारी है।
    • इस युद्ध में 13 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने भाग लिया था, इनमें से लगभग 74,000 सैनिकों ने कीचड़ भरी खाइयों में लड़ाई लड़ी थी और वे फिर कभी वापस नहीं लौटे,जबकि अन्य 67,000 सैनिक घायल हो गए थे।
    • भारत के सैनिक फ्रांस की धरती पर भी बहुत बहादुरी से लड़े थे।
      • उनके साहस, वीरता और सर्वोच्च बलिदान से न केवल दुश्मन को विफल कर दिया था,बल्कि उन्‍होंने युद्ध जीतने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
      • इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध में 25 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
      • उनके योगदान में फ्रांस के युद्धक्षेत्र भी शामिल रहे थे।
      • भारतीय सैनिकों ने इन युद्धों में अपनी वीरता के मानदंड स्थापित किए, जिसकेकारण भारतीय सैनिकों को अनेक वीरता पुरस्कारों के रूप में अच्छी पहचान मिली।
  • इस वर्ष दोनों देश रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने का समारोह मना रहे हैं।
    • दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यासों में हिस्सा ले रही हैं और अपने-अपने अनुभवों को भी साझा कर रही हैं।
    • पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत और फ्रांस विश्वसनीय रक्षा भागीदार बन गए हैं।
    • भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमान भी परेड के दौरान फ्लाई पास्ट में भाग लेंगे।
  • सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व पंजाब रेजिमेंट द्वारा किया जा रहा है जो भारतीय सेना की एक सबसे पुरानी रेजिमेंट है।
    • इस रेजिमेंट के सैनिकों ने दोनों विश्व युद्धों के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आयोजित अनेक ऑपरेशनों में भी भाग लिया है।
    • प्रथम विश्व युद्ध में इन्‍हें 18 युद्धकतथा थियेटर सम्मान प्रदान किए गए थे।
    • इस रेजिमेंट के वीर सैनिकों ने मेसोपोटामिया, गैलीपोली, फिलिस्तीन, मिस्र, चीन, हांगकांग, दमिश्क और फ्रांस में कई लड़ाई लड़ी हैं।
    • फ़्रांस में, इसके सैनिकों ने सितंबर 1915 में न्यूवे चैपल के पास एक आक्रामक हमले में भाग लेकर युद्धक सम्‍मान ‘लूज़’ और ‘फ़्रांस एंड फ़्लैंडर्स’ प्राप्‍त किये थे।
    • द्वितीय विश्व युद्ध में इन्‍होंने 16 युद्धक सम्मान और 14 थिएटर सम्मान अर्जित किये थे।
  • इस सैन्‍य टुकड़ी में राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट बैंड भी शामिल है। यह रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ राइफल रेजिमेंट है।
    • इसकी अधिकांश बटालियनों का एक लंबा और गौरवशाली इतिहास रहा है।
    • इसके सैनिकों ने दुनिया के कई क्षेत्रों में सबसे खूनी लड़ाइयों में भाग लिया है।
    • इस रेजिमेंट के सैनिकों ने दोनों विश्व युद्धों में अनुकरणीय साहस का प्रदर्शन किया है।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस रेजिमेंट की बटालियनों ने हर उस क्षेत्र की लड़ाइयों में भाग लिया, जिनमें भारतीय सेना शामिल रही थी।
    • इस रेजिमेंट नेस्वतंत्रता पूर्व छह विक्टोरिया क्रॉस के हासिल किए थे।
    • इस रेजिमेंट के बैंड की नसीराबाद (राजस्थान) में 1920 में स्थापना हुई थी।

5. ज़ंज़ीबार- तंजानिया में आईआईटी मद्रास कैंपस की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:

सामान्य अध्ययन: 2

शिक्षा:

विषय: शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से सम्बंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020

मुख्य परीक्षा:आईआईटी मद्रास-जंजीबार परिसर की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक शुरुआत है। कथन पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और ज़ंज़ीबार के राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली म्विनी की उपस्थिति में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (MoE), आईआईटी मद्रास और शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण मंत्रालय (MoEVT) जंजीबार-तंजानिया के बीच ज़ंज़ीबार-तंजानिया में आईआईटी मद्रास के परिसर की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।

उद्देश्य:

  • यह भारत के बाहर स्थापित होने वाला पहला आईआईटी परिसर है।
    • यह भारत और तंजानिया के बीच पुरानी मित्रता को दर्शाता है और अफ्रीका और ग्लोबल साउथ में लोगों के बीच संबंध स्थापित करने पर भारत के फोकस की याद दिलाता है।

विवरण:

  • आईआईटी मद्रास-जंजीबार परिसर की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक शुरुआत है।
  • यह पहल दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत बनाने के साथ-साथ अफ्रीका के साथ लोगों के बीच सुदृढ संबंध बनाने की प्रतिबद्धता का मूर्त रूप है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 अंतर्राष्ट्रीयकरण पर फोकस करती है और यह सिफारिश करती है कि “उच्च प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को अन्य देशों में परिसर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा”।
  • तंजानिया और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी को स्वीकार करते हुए समझौते पर हस्ताक्षर करके शैक्षिक साझेदारी के संबंधों को औपचारिक रूप दिया गया है, जो पार्टियों को ज़ंज़ीबार, तंजानिया में आईआईटी मद्रास के प्रस्तावित कैंपस की स्थापना का विवरण देने के लिए रूपरेखा प्रदान करता है, जिसमें अक्टूबर 2023 में कार्यक्रम प्रारंभ करने की योजना है।
  • यह अनूठी साझेदारी आईआईटीएम की शीर्ष रैंक वाली शैक्षिक विशेषज्ञता को अफ्रीका में एक प्रमुख गंतव्य पर लाएगी और इस क्षेत्र की अनिवार्य वर्तमान आवश्‍यकताओं को पूरा करेगी।
  • शैक्षणिक कार्यक्रम, पाठ्यक्रम, विद्या‍र्थी चयन पहलू और शैक्षणिक विवरण का काम आईआईटी मद्रास द्वारा किए जाएंगे, जबकि पूंजी और परिचालन व्यय ज़ंज़ीबार-तंजानिया सरकार द्वारा पूरा किया जाएगा।
  • इस परिसर में दाखिला लेने वाले छात्रों को आईआईटी मद्रास की डिग्री प्रदान की जाएगी।
  • अत्याधुनिक अंतःविषयी डिग्री से एक विविध समूह को आकर्षित करने की आशा है और इसमें तंजानिया और अन्य देशों के विद्यार्थी भी शामिल होंगे।
  • भारतीय विद्यार्थी भी इन कार्यक्रमों के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
  • आईआईटी परिसर की स्थापना से विश्व स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा और इसके राजनयिक संबंधों में वृद्धि होगी और आईआईटी मद्रास की अंतरराष्ट्रीय पहचान का विस्तार होगा।
  • इस अंतरराष्ट्रीय परिसर में विद्यार्थी और फैकल्‍टी की विविधता के कारण आईआईटी मद्रास की शिक्षा और अनुसंधान गुणवत्ता और बढ़ेगी।
  • यह विश्‍व भर में अन्य शीर्ष रैंक वाले शैक्षणिक संस्थानों के साथ अनुसंधान सहयोग को गहरा करने के लिए काम करेगा।
  • तंजानिया के ज़ंज़ीबार में आईआईटी परिसर की परिकल्‍पना उभरती वैश्विक आवश्यकताओं, दक्षताओं को विकसित करने, राष्ट्रों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ बनाने तथा क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार का समर्थन करने के व्यापक मिशन के साथ एक विश्व स्तरीय उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के रूप में गई है।
  • यह भारतीय उच्च शिक्षा और नवाचार के आकांक्षी गुणों के लिए विश्‍व के लिए एक उदाहरण के रूप में काम करेगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत और सिंगापुर ने कार्मिक प्रबंधन और लोक प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को 2028 तक बढ़ाया:
    • भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग और सिंगापुर गणराज्य के लोक सेवा प्रभाग ने 6 जुलाई, 2023 को एक प्रोटोकॉल दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कार्मिक प्रबंधन और लोक प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग पर वर्तमान समझौता ज्ञापन को 2028 तक पांच वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया।
    • समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों के लोक सेवा अधिकारियों के बीच सहयोग के विभिन्न रूपों के माध्यम से दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत बनाना है।
      • प्रशासनिक सुधार और सार्वजनिक क्षेत्र परिवर्तन, लोक सेवा वितरण, नेतृत्व और प्रतिभा विकास, ई-गवर्नेंस, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग समझौता ज्ञापन की गतिविधियों के अंतर्गत कवर किए जाने वाले क्षेत्रों का हिस्सा है।
  2. आईएन-यूएसएन बचाव और विस्फोटक आयुध निपटान अभ्यास- साल्वेक्स:
    • भारतीय नौसेना- अमेरिकी नौसेना (आईएन-यूएसएन) बचाव और विस्फोटक आयुध निपटान (ईओडी) अभ्यास, साल्वेक्स का सातवां संस्करण 26 जून- 06 जुलाई 2023 तक कोच्चि में आयोजित किया गया।
      • आईएन और यूएसएन 2005 से संयुक्त बचाव और ईओडी अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
      • इस अभ्यास में दोनों नौसेनाओं की भागीदारी देखी गई, जिसमें विशेषज्ञ गोताखोरी और ईओडी टीमों के अलावा जहाज- आईएनएस निरीक्षक और यूएसएनएस साल्वर शामिल थे।
    • 10 दिनों तक चलने वाले इस अभियान में दोनों देशों की गोताखोर टीमों ने समुद्री अनुभव साझा किए और जमीन के साथ-साथ समुद्र में भी ईओडी संचालन के विभिन्न पहलुओं में बचाव और प्रशिक्षण किया।
      • साल्वेक्स ने समुद्री बचाव और ईओडी संचालन में पारस्परिक रूप से सर्वोत्तम प्रणालियों से अंतरसंचालनीयता, सामंजस्य और लाभ बढ़ाने की दिशा में संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास का आयोजन भी देखा।
    • 10 दिनों तक चलने वाले इस अभियान में दोनों देशों की गोताखोर टीमों ने समुद्री अनुभव साझा किए और जमीन के साथ-साथ समुद्र में भी ईओडी संचालन के विभिन्न पहलुओं में बचाव और प्रशिक्षण किया।
      • साल्वेक्स ने समुद्री बचाव और ईओडी संचालन में पारस्परिक रूप से सर्वोत्तम प्रणालियों से अंतरसंचालनीयता, सामंजस्य और लाभ बढ़ाने की दिशा में संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास का आयोजन भी देखा।
  3. भारतीय नौसेना का जुलै लद्दाख (हैलो लद्दाख) कार्यक्रम लद्दाख पहुंचा:
    • दूरदराज के क्षेत्रों के विकास के प्रति राष्ट्रीय नेतृत्व के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, भारतीय नौसेना ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ सम्पर्क मजबूत करने के लिए समर्पित एक बहुआयामी जुलै लद्दाख (हैलो लद्दाख) पहुंच कार्यक्रम शुरू किया है।
      • इस कार्यक्रम का उद्देश्य रक्षा सेवाओं में लद्दाख के युवाओं की अधिक से अधिक भागीदारी बढ़ाना, राष्ट्र-निर्माण को मजबूत करना और क्षेत्र में समुद्री चेतना को बढ़ावा देना है।
    • भारतीय नौसेना ने इससे पहले पिछले साल पहुंच कार्यक्रमों के रूप में पूर्वोत्तर में व्यापक गतिविधियां की थीं।

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