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06 जुलाई 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. संस्कृति मंत्रालय ने 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक के लिए परियोजना पीएआरआई शुरु की:
  2. कंबोडिया साम्राज्य के सिविल अधिकारियों के लिए ‘सार्वजनिक नीति और शासन’ विषय पर 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ:

06 July 2024 Hindi PIB
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1. संस्कृति मंत्रालय ने 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक के लिए परियोजना पीएआरआई शुरु की:

सामान्य अध्ययन: 1

कला-संस्‍कृति

विषय: विश्व धरोहर

प्रारंभिक परीक्षा: ललित कला अकादमी,राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ।

प्रसंग: प्रोजेक्ट पीएआरआई के तहत पहला कार्य दिल्ली में हो रहा है। यह आयोजन विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के साथ मेल खाता है, जो 21-31 जुलाई 2024 के बीच नई दिल्ली, भारत में आयोजित किया जाना है।

विवरण

  • प्रोजेक्ट पीएआरआई (भारत की सार्वजनिक कला), भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की एक पहल है, जिसे ललित कला अकादमी और राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य आधुनिक विषयों और तकनीकों को शामिल करते हुए हजारों साल की कलात्मक विरासत (लोक कला/लोक संस्कृति) से प्रेरणा लेने वाली लोक कला को सामने लाना है। ये अभिव्यक्तियाँ भारतीय समाज में कला के अंतर्निहित मूल्य को रेखांकित करती हैं, जो रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए राष्ट्र की स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
  • इस परियोजना के तहत तैयार की जा रही विभिन्न वॉल पेंटिंग, भित्ति चित्र, मूर्तियां और महत्‍वपूर्ण कार्यों को करने के लिए देश भर के 150 से अधिक दृश्य कलाकार एक साथ आए हैं। रचनात्मक कैनवास में फड़ चित्रकला (राजस्थान), थंगका पेंटिंग (सिक्किम/लद्दाख), मिनीयेचर पेंटिंग(हिमाचल प्रदेश), गोंड आर्ट (मध्य प्रदेश), तंजौर पेंटिंग (तमिलनाडु), कलमकारी (आंध्र प्रदेश), अल्पना कला (पश्चिम बंगाल), चेरियल चित्रकला (तेलंगाना), पिछवाई पेंटिंग (राजस्थान), लांजिया सौरा (ओडिशा), पट्टचित्र (पश्चिम बंगाल), बानी थानी पेंटिंग (राजस्थान), वरली (महाराष्ट्र), पिथौरा आर्ट (गुजरात), ऐपण (उत्तराखंड), केरल भित्ति चित्र (केरल), अल्पना कला (त्रिपुरा) आदि शैलियों से प्रेरित और/या चित्रित कलाकृतियां शामिल हैं, लेकिन यह केवल कला तक ही सीमित नहीं है।
  • परियोजना पीएआरआई के लिए बनाई जा रही प्रस्तावित मूर्तियों में व्यापक विचार शामिल हैं, जिनमें प्रकृति का सम्मान, नाट्यशास्त्र से प्रेरित विचार, गांधी जी, भारत के खिलौने, आतिथ्य, प्राचीन ज्ञान, नाद या आदि ध्वनि, जीवन का सामंजस्य, कल्पतरु – दिव्य वृक्ष आदि शामिल हैं।
  • प्रस्तावित 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक के अनुरूप कुछ कलाकृतियाँ और मूर्तियाँ विश्व धरोहर स्थलों जैसे बीमबेटका और भारत में 7 प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों से प्रेरणा लेती हैं, जिन्हें प्रस्तावित कलाकृतियों में विशेष स्थान दिया गया है।
  • महिला कलाकार परियोजना पीएआरआई का अभिन्न अंग रही हैं और बड़ी संख्या में उनकी भागीदारी भारत की नारी शक्ति का प्रमाण है। आइए उत्सव में शामिल हों। परियोजना पीएआरआई की किसी रचना के साथ अपनी सेल्फी क्लिक करें और अपनी तस्वीरें #ProjectPARI के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें।

2.कंबोडिया साम्राज्य के सिविल अधिकारियों के लिए ‘सार्वजनिक नीति और शासन’ विषय पर 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

मुख्य परीक्षा: भारत और कंबोडिया सम्बन्ध।

प्रसंग:राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, (एनसीजीजी) नई दिल्ली में 06 जुलाई को कंबोडिया के सिविल अधिकारियों के लिए आयोजित ‘सार्वजनिक नीति और शासन’ विषय पर 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 2-सप्ताह का यह कार्यक्रम विदेश मंत्रालय (एमईए) के सहयोग से 24 जून से 5 जुलाई, 2024 तक आयोजित किया गया।

विवरण

  • कार्यक्रम में कंबोडिया साम्राज्य के 40 सिविल अधिकारियों ने भाग लिया, जो सिविल सेवा मंत्रालय और कंबोडिया की सीनेट के संयुक्त सचिव, निदेशक, उप सचिव और अवर सचिव जैसे पदों पर हैं। कार्यक्रम ने नीति संवाद और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया, जिससे प्रतिभागियों को संस्थागत परिवर्तन और नागरिक सहभागिता में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिली।
  • इस अवसर पर भारत में कंबोडिया साम्राज्य के उच्चायुक्त व मुख्य अतिथि श्री कोय कुओंग ने दोनों सभ्यताओं के बीच प्राचीन संबंधों के बारे में बात की और अपने अधिकारियों के क्षमता निर्माण में समर्थन करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह दोनों देश ज्ञान और बुद्धि का आदान-प्रदान कर रहे हैं और लोग तीर्थयात्रा तथा चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए एक-दूसरे देशों की यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समापन सत्र के दौरान प्रतिभागियों द्वारा कार्यक्रम से सीखी गई बातों को व्यावहारिक और उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के रूप में प्रदर्शित करना उत्साहजनक था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के बीच सहयोग के मूल में हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों की मानव संसाधन पूंजी का निर्माण करना है, जो आम लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है तथा जिससे सुशासन प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  • कंबोडिया की सीनेट की उप महानिदेशक और कंबोडिया प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख महामहिम सुश्री से पग्नवथे ने इस अवसर के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कंबोडियाई सिविल सेवा अधिकारियों के लिए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए एनसीजीजी के महानिदेशक श्री वी. श्रीनिवास और प्रशिक्षण टीम को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने सार्वजनिक नीति और शासन के क्षेत्र में कई सर्वोत्तम तौर-तरीकों को सीखा और कैसे भारत में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जा रहा है। उनका मानना था कि वे इस तरह के अनुभव की प्रतीक्षा कर रहे हैं और इससे अधिकारी अपने देश के लोगों को बेहतर सेवाएं दे सकेंगे और इससे अंततः सुशासन प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • प्रशिक्षण के पहले सप्ताह में विभिन्न विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें सार्वजनिक नीति और प्रबंधन, जीईएम: सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाना, भारतीय संवैधानिक योजना में संसद, भारत-कंबोडिया संबंध, अवसंरचना में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, सुशासन के लिए एक उपकरण के रूप में आधार, स्वास्थ्य शासन, शासन पर संसदीय उपकरणों का प्रभाव, विभिन्न विकास योजनाओं के सर्वोत्तम तौर-तरीके, 2023 तक एसडीजी प्राप्त करने के दृष्टिकोण, विकसित भारत: उद्योग और अवसंरचना में नीतियां और विकास, वित्तीय समावेश, शासन के बदलते प्रतिमान, नेतृत्व और संचार, शहरी शासन और स्थाई शहर, भारत में सिविल सेवाएं, घरों तक सेवाओं की उपलब्धता, ई-शासन और डिजिटल सार्वजनिक सेवा अदायगी, लैंगिक विकास और प्रशासन में नैतिकता, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अनुकरणीय निष्पादन पर पीएम पुरस्कार कार्यक्रम आदि शामिल थे। कार्यक्रम के दूसरे चरण में देहरादून में स्मार्ट सिटी परियोजना और सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी; गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश में जिला प्रशासन; संघ लोक सेवा आयोग और भारतीय संसद के दौरे शामिल थे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री संग्रहालय, बुद्ध मंदिर और ताजमहल की यात्रा के दौरान देश के इतिहास और संस्कृति से भी परिचय कराया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि एनसीजीजी ने 17 देशों-बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरेट्रिया और कंबोडिया के सिविल अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे सम्बंधित कुछ नहीं है।

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