विषयसूची:
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1. ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय एचईआई के बीच पांच समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: ऑस्ट्रेलिया भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद (एआईईएससी)।
मुख्य परीक्षा: भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई एचईआई के बीच हुए पांच समझौता ज्ञापनों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री और सांसद जेसन क्लेयर के साथ ऑस्ट्रेलिया भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद (एआईईएससी) की गांधीनगर में आयोजित पहली बैठक की सह-अध्यक्षता की; ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
उद्देश्य:
- दोनों मंत्रियों ने शिक्षा और कौशल में द्विपक्षीय सहयोग की व्यापक समीक्षा की और दोनों देशों के बीच लोगों की अधिक गतिशीलता, रोजगार संबंधी योग्यता और समृद्धि के लिए ज्ञान व कौशल साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।
विवरण:
- इस बैठक के दौरान, श्री प्रधान ने 2023 के ऑस्ट्रेलिया और भारत के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष के रूप में होने पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों में सहयोग के लिए।
- ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद की उद्घाटन बैठक गहरे ज्ञान के सेतु के निर्माण, शिक्षा और कौशल विकास में पारस्परिक प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने, लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ावा देने और गहरी जानकारी को भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के सबसे मजबूत स्तम्भ के रूप में स्थापित करने के लिए नए रोडमैप तैयार करने में उत्प्रेरक का कार्य करेगी।
- कृषि, जल प्रबंधन, महत्वपूर्ण खनिज, स्वास्थ्य देखभाल, एआई, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में अधिक अनुसंधान सहयोग बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय एचईआई के बीच पांच समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया है।
- इससे शैक्षिक, अनुसंधान और नवाचार प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने, छात्र और संकाय के बीच आदान-प्रदान, अधिक ट्विनिंग कार्यक्रमों/डुअल डिग्री के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे।
- एआईईएससी ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों के एक उज्जवल भविष्य की परिकल्पना करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
- दोनों देशों के बीच 450 मौजूदा अनुसंधान संबंधी साझेदारियों का उल्लेख किया।
- दोनों मंत्रियों ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय और डीकिन विश्वविद्यालय के परिसरों के शीघ्र ही होने वाले उद्घाटन का स्वागत किया।
- दोनों मंत्रियों ने शीर्ष ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों और आईआईटी जैसे शीर्ष भारतीय संस्थानों के बीच अनुसंधान के क्षेत्र में चल रहे संस्थागत सहयोग का भी स्वागत किया।
- दोनों मंत्रियों ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता से संबंधित तंत्र के तहत योग्यता मान्यता व्यवस्था को लागू करने के प्रति अपनी संयुक्त प्रतिबद्धता को दोहराया और ऑस्ट्रेलिया-भारत योग्यता मान्यता संचालन समिति द्वारा किए गए कार्यों को स्वीकार किया।
- अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग के संबंध में भारत अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की योजना (एसपीएआरसी) कार्यक्रम के तीसरे चरण पर काम कर रहा है और इसके प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खनिजों, दुर्लभ धातुओं और अन्य पारस्परिक रूप से सहमति वाले प्राथमिकता के क्षेत्रों से जुडी संयुक्त परियोजनाएं शामिल होंगी।
- भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर निर्धारित किए हैं।
आदान-प्रदान किए गए एमओयू का विवरण इस प्रकार है:
- 1. इनोवेटिव रिसर्च यूनिवर्सिटीज कंसोर्टियम परिसर:
- इनोवेटिव रिसर्च यूनिवर्सिटीज (आईआरयू) पूरे ऑस्ट्रेलिया में फैले इन 7 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों का एक गठबंधन है: फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी, जेम्स कुक यूनिवर्सिटी, ला ट्रोब यूनिवर्सिटी, मर्डोक यूनिवर्सिटी, ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी, कैनबरा यूनिवर्सिटी, और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी।
- आईआरयू के एमओयू का उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए संबंधित पक्षों के बीच करीबी सहयोग के लिए एक सटीक रूपरेखा प्रदान करना है।
- एमओयू के तहत सहभागी सदस्य भारत में डिग्रियों के वितरण के लिए एक कंसोर्टियम दृष्टिकोण की संभावना का पता लगाने और भारतीय छात्रों के लिए ऑस्ट्रेलियाई उच्च शिक्षण संस्थानों तक देश की पहुंच बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे।
- 2. डीकिन यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी):
- भारत के राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के साथ साझेदारी में डीकिन यूनिवर्सिटी ने भारत में कुशल लोगों की कमी को दूर करने के लिए ‘ग्लोबल जॉब रेडीनेस प्रोग्राम (जीजेआरपी)’ तैयार किया है।
- 30 घंटे का यह कार्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा और इसका लक्ष्य तीन वर्षों में 15 मिलियन भारतीयों को कुशल बनाना है।
- जीजेआरपी के तहत उन कौशल पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जिनकी मांग नियोक्ताओं के बीच सबसे अधिक है।
- यह कार्यक्रम भारत के अधिकतर युवाओं के लिए किफायती एवं सुलभ दोनों ही हो।
- 3. डीकिन यूनिवर्सिटी और आईआईटी गांधीनगर:
- गिफ्ट सिटी में डीकिन यूनिवर्सिटी के परिसर की स्थापना के साथ ही आईआईटी गांधीनगर के साथ गठबंधन के माध्यम से मुख्य उद्देश्य स्थानीय क्षेत्र में बेहतरीन उच्च शिक्षा और अनुसंधान परिवेश के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करना है।
- इस साझेदारी के तहत विज्ञान एवं नवाचार, आवाजाही, संकाय के आदान-प्रदान, और संयुक्त डॉक्टरेट कार्यक्रमों में सहयोग करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- इसके तहत संयुक्त अनुदान प्रस्तावों, सम्मेलनों और कार्यशालाओं के माध्यम से द्विपक्षीय वित्त पोषण के अवसरों और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
- डीकिन के साथ सहयोग से आईआईटी गांधीनगर के छात्रों को ऑस्ट्रेलिया और गिफ्ट सिटी दोनों में स्थित डीकिन यूनिवर्सिटी में उच्च अध्ययन और शोध में स्थानांतरित होने का अवसर मिलेगा।
- 4. मोनाश यूनिवर्सिटी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद:
- यह एमओयू महत्वपूर्ण खनिजों और पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्रों में अकादमिक और अनुसंधान गतिविधियों में आपसी सहयोग के लिए किया गया है।
- इस एमओयू में अकादमिक सामग्री, विद्वानों एवं छात्रों का आदान-प्रदान और सहकारी सेमिनार, कार्यशालाएं और अन्य शैक्षणिक गतिविधियां शामिल हैं।
- 5. मोनाश यूनिवर्सिटी और अंतर्राष्ट्रीय खनन उत्कृष्टता केंद्र (आईसीईएम):
- इस एमओयू का उद्देश्य भारत में खनन और खनिज विकास क्षेत्र के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करने के लिए मोनाश और आईसीईएम के बीच अनुसंधान एवं नवाचार सहयोग को बढ़ावा देना है।
- जलवायु परिवर्तन पर खनन के प्रभाव को कम करने, इसकी दक्षता बढ़ाने और महत्वपूर्ण खनिजों एवं दुर्लभ पृथ्वी तत्वों में क्षमताओं को बढ़ाने में आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
पृष्ठ्भूमि:
- एआईईएससी, जिसे पहले ऑस्ट्रेलियाई भारत शिक्षा परिषद (एआईईसी) के नाम से जाना जाता था,दोनों देशों के बीच शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान साझेदारी की रणनीतिक दिशा का मार्गदर्शन करने के लिए 2011 में स्थापित एक द्वि-राष्ट्रीय निकाय है।
- इस मंच का दायरा दोनों देशों की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप बढ़ाया गया ताकि शिक्षा के साथ-साथ कौशल इकोसिस्टम में अंतर्राष्ट्रीयकरण, दो-तरफ़ा आवागमन और सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके।
- यह पहला मौका है कि शिक्षा और कौशल को एक ही संस्थागत मंच के तहत लाया जा रहा है।
2. कृषि 24/7:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता; न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)।
प्रारंभिक परीक्षा: कृषि 24/7 प्लेटफार्म।
मुख्य परीक्षा: कृषि 24/7 प्लेटफार्म से किसानो को मिलने वाले लाभों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) ने वाधवानी इंस्टीट्यूट फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (वाधवानी एआई) के सहयोग से कृषि 24/7 प्लेटफार्म को विकसित किया है, जो कृषि सूचना निगरानी एवं विश्लेषण के लिए Google की सहायता से चलने वाला स्वचालित पहला कृत्रिम बुद्धिमता-संचालित समाधान है।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य कृषि इकोसिस्टम पर ऑनलाइन प्रकाशित समाचार लेखों की लगभग वास्तविक समय की निगरानी प्रदान करना है, जो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के हित की खबरों की पहचान करने तथा सूचनाओं का चुनाव करने, चेतावनी जारी करने और समय पर कार्रवाई करने के लिए एक विस्तृत तंत्र तैयार करने में सहायता करेगा।
विवरण:
- कृषि 24/7 कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को प्रासंगिक सूचनाओं की पहचान करने, समय पर सावधान करने और किसानों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से त्वरित कार्रवाई करने तथा बेहतर निर्णय लेने के माध्यम से स्थायी कृषि विकास को बढ़ावा देने में सहायता पहुंचाएगा।
- कृषि 24/7 का कार्यान्वयन सही समय पर उचित निर्णय लेने में सहायता के उद्देश्य से कृषि संबंधित रुचि के कृषि समाचार लेखों की पहचान और प्रबंधन करने के लिए एक कुशल तंत्र की आवश्यकता को पूरा करता है।
- यह प्लेटफार्म कई भाषाओं में समाचार लेखों को स्कैन करता है और उनका अंग्रेजी में अनुवाद करता है।
- कृषि 24/7 समाचार लेखों से आवश्यक जानकारी को ढूंढ कर निकालता है।
- इनमें शीर्षक, फसल का नाम, कार्यक्रम का प्रकार, तिथि, स्थान, गंभीरता, सारांश और स्रोत का आधार शामिल होता है।
- कृषि 24/7 यह सुनिश्चित करता है कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को वेब पर प्रकाशित होने वाली प्रासंगिक घटनाओं की समय पर जानकारी प्राप्त हो जाए।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. निर्देशित मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत, ‘सूरत’ का अनावरण:
- भारतीय नौसेना के नवीनतम, स्वदेशी, निर्देशित मिसाइल विध्वंसक, ‘सूरत’ का अनावरण गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल द्वारा 06 नवंबर 2023 को सूरत में आयोजित एक समारोह में किया गया।
- सूरत का शिखर (crest) खंभात की खाड़ी के दक्षिणी प्रवेश द्वार पर स्थित हजीरा (सूरत) के प्रसिद्ध प्रकाश स्तंभ को दर्शाता है।
- 1836 में निर्मित, यह लाइटहाउस भारत के पहले लाइटहाउसों में से एक था। शिखर पर एशियाई शेर, जो गुजरात का राज्य पशु भी है, जहाज की महिमा और ताकत का प्रतीक है।
- नौसैनिक युद्ध प्रौद्योगिकी और लड़ाकू क्षमताओं में नवीनतम प्रगति से सुसज्जित, युद्धपोत सूरत समुद्री सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता का एक शक्तिशाली अवतार है।
- इसे शिखर पर चित्रित लहरदार समुद्र द्वारा अच्छी तरह दर्शाया गया है।
- भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने की दहलीज पर, सूरत एक दुर्जेय प्रहरी के रूप में काम करने, देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करने और क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को बनाए रखने का वादा करता है।
- अपने समृद्ध समुद्री इतिहास और जहाज निर्माण विरासत के लिए प्रसिद्ध, जीवंत शहर सूरत के नाम पर नामित, युद्धपोत सूरत भी अपने नाम की उद्यमशीलता और आत्मनिर्भर भावना का प्रतीक है।
- स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित प्रोजेक्ट 15बी (विशाखापत्तनम क्लास) विध्वंसक जहाज का चौथा जहाज, सूरत नौसेना प्रौद्योगिकी और क्षमताओं में एक उल्लेखनीय छलांग का प्रतिनिधित्व करता है।
- जहाज का निर्माण अभिनव ब्लॉक निर्माण पद्धति का उपयोग करके किया गया है, जिसमें जहाज के पतवार को मुंबई में मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में एकीकृत करने से पहले अलग-अलग भौगोलिक स्थानों पर दृढ़ता से इकट्ठा किया गया है।
- जटिल परिशुद्धता और इंजीनियरिंग उत्कृष्टता पर भी प्रकाश डालते हुए, यह पद्धति भारत के जहाज निर्माण कौशल के बढ़ते परिष्करण को रेखांकित करती है।
- प्रोजेक्ट 15बी प्रोजेक्ट 15ए (कोलकाता क्लास) की सफलता का अनुसरण करता है और भारत के लगातार बढ़ते नौसैनिक कौशल के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
- युद्धपोत सूरत का निर्माण स्वदेशी अत्याधुनिक समुद्री प्रौद्योगिकी के प्रति राष्ट्र के समर्पण और सामरिक सैन्य प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
- अगले साल सेवा में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए तैयार सूरत आने वाले दशकों में गर्व से राष्ट्र की सेवा करेगा।
2. केंद्र द्वारा ‘भारत’ आटे का प्रारंभ:
- केंद्र द्वारा एमआरपी 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर ‘भारत’ आटे का प्रारंभ।
- आटा 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की एमआरपी पर उपलब्ध होगा। ‘भारत आटा’ ब्रांड के अंतर्गत एमआरपी 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होगी।
- केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भारत आटा की बिक्री के लिए 100 मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाई।
- यह भारत सरकार द्वारा आम उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की श्रृंखला में नवीनतम है।
- ‘भारत’ ब्रांड आटा की खुदरा बिक्री से बाजार में किफायती दरों पर आपूर्ति बढ़ेगी और इस महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ की कीमतों में निरंतर कमी लाने में सहायता मिलेगी।
- ‘भारत’ आटा अब से केंद्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ के सभी फिजिकल और मोबाइल आउटलेट पर उपलब्ध होगा और इसका विस्तार अन्य सहकारी/खुदरा दुकानों तक किया जाएगा।
- ओपन मार्केट सेल स्कीम [ओएमएसएस (डी)] के अंतर्गत 2.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से अर्ध-सरकारी तथा सहकारी संगठनों यानी केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ और नैफेड को आटा में परिवर्तित करने और इसे जनता को बेचने के लिए आवंटित किया गया है।
पृष्ठभूमि:
- भारत सरकार ने आवश्यक खाद्यान्नों की कीमतों को स्थिर करने के साथ-साथ किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
- भारत दाल (चना दाल) पहले से ही इन 3 एजेंसियों द्वारा अपने फिजीकल और/या खुदरा दुकानों से एक किलो पैक के लिए 60 रुपये प्रति किलो और 30 किलो पैक के लिए 55 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जा रही है।
- प्याज भी 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बेचा जा रहा है। अब, ‘भारत’ आटे की बिक्री प्रारंभ होने से उपभोक्ता इन दुकानों से आटा, दाल के साथ-साथ प्याज भी उचित और किफायती मूल्यों पर प्राप्त कर सकते हैं।
- भारत सरकार के नीतिगत हस्तक्षेपों का उद्देश्य किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ पहुंचाना है।
- भारत सरकार किसानों के लिए खाद्यान्न, दालों के साथ-साथ मोटे अनाज और बाजरा का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करती है।
- पीएसएस (मूल्य समर्थन योजना) को लागू करने के लिए राष्ट्रव्यापी खरीद अभियान चलाया जाता है।
- यह किसानों को एमएसपी का लाभ सुनिश्चित करता है।
- खरीदा गया गेहूं और चावल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत देश में लगभग 5 लाख एफपीएस के नेटवर्क के माध्यम से लगभग 80 करोड़ पीडीएस लाभार्थियों को पूरी तरह से निशुल्क प्रदान किया जाता है।
- पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- सरकार ने जमाखोरी को रोकने के लिए थोक विक्रेताओं/व्यापारियों, प्रोसेसरों, खुदरा विक्रेताओं तथा बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं जैसी विभिन्न श्रेणियों की संस्थाओं द्वारा गेहूं के स्टॉक रखने पर भी सीमाएं लगा दी हैं।
- गेहूं के स्टॉक होल्डिंग की नियमित आधार पर निगरानी की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि व्यापारियों, प्रोसेसरों और खुदरा विक्रेताओं द्वारा नियमित तौर पर गेहूं/आटा बाजार में जारी किया जाता है और कोई भंडारण/जमाखोरी नहीं होती है।
- यह कदम गेहूँ की आपूर्ति बढ़ाकर उसकी बाजार कीमतों में बढ़ोतरी रोकने के लिए उठाए गए हैं।
- सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और बासमती चावल के निर्यात के लिए 950 डॉलर का न्यूनतम मूल्य लगाया है।
- सरकार ने गन्ना किसानों को 1.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान के साथ पिछले चीनी सीजन का 96 प्रतिशत से अधिक गन्ने के बकाए का पहले ही भुगतान किया जा चुका है, जिससे चीनी क्षेत्र के इतिहास में सबसे कम गन्ना बकाया लंबित है।
- दूसरी ओर विश्व में सबसे सस्ती चीनी भारतीय उपभोक्ताओं को मिल रही है।
- जहां वैश्विक चीनी मूल्य एक वर्ष में लगभग 40 प्रतिशत बढ़कर 13 साल के उच्चतम स्तर को छू रहा है, वहीं भारत में पिछले 10 वर्षों में चीनी के खुदरा मूल्यों में सिर्फ 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और पिछले एक वर्ष में 5 प्रतिशत से कम वृद्धि हुई है।
- भारत सरकार खाद्य तेलों की घरेलू खुदरा कीमतों पर बारीकी से नजर रख रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी का पूरा लाभ अंतिम उपभोक्ताओं को मिले।
- सरकार ने घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित और कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:
- कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर बेसिक शुल्क 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया।
- इसके अलावा, इन तेलों पर कृषि-उपकर 20 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया।
- यह शुल्क संरचना 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दी गयी है।
- 21.12.2021 को रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर बेसिक शुल्क 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया और रिफाइंड पाम तेल पर बेसिक शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया।
- इस शुल्क संरचना को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
- सरकार ने उपलब्धता बनाए रखने के लिए रिफाइंड पाम तेल के खुले आयात को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है।
- कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल, कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में पिछले वर्ष से गिरावट की प्रवृत्ति देखी जा रही है।
- उपभोक्ता मामले विभाग 34 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में स्थापित 545 मूल्य निगरानी केन्द्रों के माध्यम से 22 आवश्यक खाद्य वस्तुओं के दैनिक खुदरा और थोक मूल्यों की निगरानी करता है।
- मूल्यों को कम करने के लिए बफर से स्टाक जारी करने, जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक सीमा लागू करने, आयात शुल्क को युक्तिसंगत बनाने, आयात कोटे में परिवर्तन, वस्तु के निर्यात पर प्रतिबंध आदि जैसे व्यापार नीति उपायों में परिवर्तन करने के लिए उचित निर्णय लेने के लिए मूल्यों की दैनिक रिपोर्ट और सांकेतिक मूल्य प्रवृत्तियों का विधिवत विश्लेषण किया जाता है।
- उपभोक्ताओं को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अस्थिरता की जांच करने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) की स्थापना की गई है।
- पीएसएफ के उद्देश्य हैं (i) फार्म गेट/मंडी पर किसानों/किसान संघों से सीधी खरीद को बढ़ावा देना; (ii) जमाखोरी और अनैतिक सट्टेबाजी को हतोत्साहित करने के लिए एक रणनीतिक बफर स्टॉक बनाए रखना; और (iii) स्टॉक की कैलिब्रेटेड रिलीज के माध्यम से उचित कीमतों पर ऐसी वस्तुओं की आपूर्ति करके उपभोक्ताओं की रक्षा करना। उपभोक्ता और किसान पीएसएफ के लाभार्थी हैं।
- 2014-15 में मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) कोष की स्थापना के बाद से आज तक सरकार ने कृषि-बागवानी वस्तुओं की खरीद और वितरण के लिए कार्यशील पूंजी और अन्य आकस्मिक खर्च प्रदान करने के लिए 27,489.15 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता प्रदान की है।
- वर्तमान में पीएसएफ के तहत, दालों (तूर, उड़द, मूंग, मसूर और चना) और प्याज का गतिशील बफर स्टॉक बनाए रखा जा रहा है।
- टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव रोकने और इसे उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण निधि के तहत टमाटर की खरीद की थी और इसे उपभोक्ताओं को अत्यधिक रियायती दर पर उपलब्ध कराया गया था।
- घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए तुअर और उड़द के आयात को 31.03.2024 तक ‘मुक्त श्रेणी’ के तहत रखा गया है और मसूर पर आयात शुल्क 31.03.2024 तक शून्य कर दिया गया है।
- सुचारू और निर्बाध आयात की सुविधा के लिए तुअर पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क हटा दिया गया है।
- जमाखोरी को रोकने के लिए, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत 31.12.2023 तक तुअर और उड़द पर स्टॉक सीमा लगाई गई है।
- कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) बफर से चना और मूंग के स्टॉक लगातार बाजार में जारी किए जाते हैं।
- इस व्यवस्था के तहत चना दाल राज्य सरकारों को उनकी कल्याणकारी योजनाओं के तहत पुलिस, जेलों में आपूर्ति के लिए और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित सहकारी समितियों और निगमों के खुदरा दुकानों के माध्यम से वितरण के लिए भी उपलब्ध कराई जाती है।
3. लीप अहेड पहल:
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने देश भर में तकनीकी स्टार्टअप की सफलता में सहायता करने और उसमें तेजी लाने के लिए लीप अहेड शिखर सम्मेलन में लीप अहेड पहल शुरू की, जो सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) और द इंडस एंटरप्रेन्योर्स (टीआईई) दिल्ली-एनसीआर का संयुक्त सहयोग है।
- यह पहल उन तकनीकी स्टार्टअप्स के लिए गेम-चेंजर साबित होगी जो बड़े स्तर पर आगे बढ़ने और विकास के चरण में हैं या फिर उत्पाद विविधीकरण या नए भौगोलिक स्थानों में विस्तार की योजना बना रहे हैं।
- वे एक करोड़ रुपये तक की फंडिंग सहायता और तीन महीने के समग्र संरक्षण कार्यक्रम के माध्यम से लाभान्वित हो सकते हैं।
- इसमें आभासी और व्यक्तिगत सत्र चलाए जाते हैं ताकि अच्छी तरह से सीखने का अनुभव हासिल हो सके।
- इसके अलावा, यह पहल अनुभवी निवेशकों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ एकैक मार्गदर्शन सत्र के माध्यम से स्टार्ट-अप को एक व्यापक नेटवर्क और व्यक्तिगत मार्गदर्शन तक पहुंच प्रदान करेगी।
- यह लीप अहेड पहल भारत में उद्यमिता के लिए मौजूद अवसरों पर जोर देने के मामले में बहुत सही समय पर आया है।
- भारत अब बीपीओ गंतव्य के रूप में नहीं जाना जाता है, यह एक वैश्विक क्षमता केंद्र और अनुसंधान एवं विकास केंद्र के रूप में उभर चुका है।
- इसका उदेशय हैं कि द्वीतीय और तृतीय श्रेणी के शहरों से अधिक महिलाएं और लोग उद्यमी के रूप में सामने आएं।
- इस पहल के साथ, प्रौद्योगिकी स्टार्टअप बाजार में प्रवेश पा सकेंगे, तेजी से विकास का अनुभव करेंगे और नए क्षितिज में विविधता लाएंगे।
- यह कार्यक्रम मुख्य रूप से दो चीजों पर केंद्रित है – परामर्श और सह-निवेश।
- एसटीपीआई के साथ सहयोग के माध्यम से, टीआईई दिल्ली-एनसीआर न केवल वित्तपोषण प्रदान कर रहा है बल्कि परामर्श और बाजार तक पहुंच भी प्रदान कर रहा है।
- यह पहल स्टार्टअप्स को उत्पाद बाजार में मजबूती से स्थापित करने, ग्राहकों की पहचान करने, हैकिंग रणनीतियों, व्यापार अनुपालन, योग्य कर्मियों की भर्ती और धन संग्रह करने में सक्षम बनाएगी।
- इस कार्यक्रम के दौरान “स्टार्टअप से स्केल अप तक: डिजिटल इंडिया की भूमिका और आगे के अवसर” पर एक ज्ञान रिपोर्ट पेश की गई।
- यह रिपोर्ट एक व्यापक संसाधन है जो उन स्टार्टअप्स की सफलता की कहानियां बताती है जिन्होंने डिजिटल इंडिया की क्षमता का उपयोग ऐसे नवीन समाधान बनाने के लिए किया है जो सामाजिक चुनौतियों का समाधान करते हैं और साथ ही आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देते हैं।
- इस कार्यक्रम में एसटीपीआईनेक्स्ट और इकोसिस्टम एनेबलर्स के बीच सात समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान हुआ, बिल्ड फॉर भारत आईओटी चैलेंज विजेताओं का अभिनंदन किया गया और 20 स्टार्टअप्स को नेक्स्टजेन टेक्नोलॉजी फंड1 से आज संचयी रूप से 6.1 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
- नेक्स्टजेन टेक्नोलॉजी फंड1 एनजीआईएस योजना के तहत स्थापित फंड है, जिसमें एसटीपीआईनेक्स्ट मुख्य निवेशक और अन्य निवेशक हैं।
पृष्ठ्भूमि:
- एसटीपीआई के बारे में:
- एसटीपीआई इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक संगठन है जो सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने, तकनीकी स्टार्टअप इकोसिस्टम का पोषण करने और आईटी/आईटीईएस उद्योग के प्रसार के लिए काम कर रहा है।
- एसटीपीआई अपनी नेक्स्ट जेनरेशन इनक्यूबेशन स्कीम (एनजीआईएस) और स्टार्टअप्स को अपेक्षित मदद और संसाधन प्रदान करके उद्यमिता नवाचार के 22 डोमेन-विशिष्ट केंद्रों के माध्यम से भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने में सक्रिय रूप से शामिल रहा है।
- टीआईई दिल्ली-एनसीआर के बारे में:
- टीआईई दिल्ली-एनसीआर ने उद्यमियों और निवेशकों के लिए तेजी से सकारात्मक इकोसिस्टम बनाने में लगातार अग्रणी भूमिका निभाई है।
- टीआईई दिल्ली-एनसीआर उद्यमियों की मदद के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है।
- इनमें टीआईईकॉन, स्टार्टअप एक्सपो, टीआईई इंस्टीट्यूट, टीआईई युवा उद्यमियों के साथ-साथ सभी क्षेत्रों में विशेष रुचि समूह (एसआईजी) शामिल हैं।
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