विषयसूची:
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1. कैबिनेट ने बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) के विकास के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 3
पर्यावरण:
विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा आदि; संरक्षण, पर्यावरण प्रदुषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
प्रारंभिक परीक्षा: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS), व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) योजना।
मुख्य परीक्षा: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) के विकास के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) योजना को दी गई मंजूरी नागरिकों को स्वच्छ, विश्वसनीय और किफायती बिजली प्रदान करने में किस प्रकार सहयक होगी ?
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) के विकास के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) योजना को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की क्षमता का दोहन करने के लिए बनाई गई इस योजना का उद्देश्य नागरिकों को स्वच्छ, विश्वसनीय और किफायती बिजली प्रदान करना है।
विवरण:
- मंजूर की गयी योजना में 2030-31 तक 4,000 MWH की BESS परियोजनाओं के विकास की परिकल्पना की गई है, जिसमें व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) के अंतर्गत बजटीय सहायता के रूप में पूंजीगत लागत की 40 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता शामिल है।
- सरकार द्वारा उठाए गए पर्यावरण-अनुकूल उपायों की लंबी सूची में एक यह महत्वपूर्ण क्षण है, इस कदम से बैटरी भंडारण प्रणालियों की लागत कम होने और उनकी व्यावहारिकता बढ़ने की उम्मीद है।
- 3,760 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन सहित 9,400 करोड़ रुपये के प्रारंभिक परिव्यय के साथ BESS योजना के विकास के लिए VGF, स्थायी ऊर्जा समाधानों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- VGF समर्थन की पेशकश करके, योजना का लक्ष्य 5.50-6.60 प्रति किलोवाट-घंटा (KWH) भंडारण की एक स्तरीय लागत (LCOS) प्राप्त करना है, जो देश भर में बिजली की उच्चतम मांग के प्रबंधन के लिए संग्रहित नवीकरणीय ऊर्जा को एक व्यवहारिक विकल्प बनाएगा।
- VGF को BESS परियोजनाओं के कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों से जुड़े पांच किस्तों में प्रदान किया जाएगा।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि योजना का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे, BESS परियोजना क्षमता का न्यूनतम 85% वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को उपलब्ध कराया जाएगा।
- यह न केवल बिजली ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण को बढ़ाएगा, बल्कि ट्रांसमिशन नेटवर्क के उपयोग को अनुकूलित करते हुए नुकसान को भी कम करेगा।
- परिणामस्वरूप, इससे महंगे बुनियादी ढांचे के उन्नयन की आवश्यकता कम हो जाएगी।
- VGF अनुदान के लिए BESS डेवलपर्स का चयन एक पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, जिससे सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की संस्थाओं के लिए समान अवसर को बढ़ावा मिलेगा।
- यह दृष्टिकोण स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा और BESS के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम के विकास को प्रोत्साहित करेगा, जिससे महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित होगा और संबंधित उद्योगों के लिए अवसर पैदा होंगे।
- भारत सरकार स्वच्छ और हरित ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और BESS योजना इस विज़न को हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- नवीकरणीय ऊर्जा की शक्ति का उपयोग करके और बैटरी भंडारण को अपनाने को प्रोत्साहित करके, सरकार का लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए एक उज्जवल और हरित भविष्य का निर्माण करना है।
2. मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए औद्योगिक विकास योजना, 2017 के अंतर्गत अतिरिक्त धन की आवश्यकता को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: औद्योगिक विकास योजना (IDS), 2017, केंद्रीय पूंजी निवेश प्रोत्साहन (CCIIAC)।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए औद्योगिक विकास योजना (IDS), 2017 के लिए 1164.53 करोड़ रुपये की राशि को मंजूरी दी है।
उद्देश्य:
- लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजन।
विवरण:
- भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य के लिए 23 अप्रैल 2018 की अधिसूचना के माध्यम से 2018 में औद्योगिक विकास योजना, 2017 की घोषणा की थी।
- इस योजना के अंतर्गत कुल वित्तीय परिव्यय 131.90 करोड़ रुपये था।
- यह आवंटित निधि वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान समाप्त हो गई है। इसके अलावा, 2028-2029 तक प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए 1164.53 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निधि की आवश्यकता है।
- इसके अतिरिक्त वित्तीय परिव्यय के आवंटन के लिए औद्योगिक विकास योजना, 2017 के अंतर्गत मंत्रिमंडल की स्वीकृति मांगी गई थी।
- मंत्रिमंडल ने बैठक में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए औद्योगिक विकास योजना, 2017 के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के प्रस्ताव पर विचार किया और 2028-29 तक योजना के तहत प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता के लिए मंजूरी दे दी।
- उपर्युक्त योजना के अंतर्गत अतिरिक्त निधियों की स्वीकृति के अनुसार इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित प्रोत्साहन लाभान्वित होंगे।
- ऋण तक पहुंच के लिए केंद्रीय पूंजी निवेश प्रोत्साहन (CCIIAC):
- हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में कहीं भी मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र में पर्याप्त विस्तार करने वाली सभी पात्र नई औद्योगिक इकाइयों और मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को 5.00 करोड़ रुपये की ऊपरी सीमा के साथ संयंत्र और मशीनरी में निवेश के लिए क्रेडिट तक पहुंच (CCIIAC) @ 30 प्रतिशत के लिए केंद्रीय पूंजी निवेश प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
- केंद्रीय व्यापक बीमा प्रोत्साहन (CCII):
- हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में कहीं भी सभी पात्र नई औद्योगिक इकाइयों और मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को वाणिज्यिक उत्पादन/संचालन शुरू होने की तिथि से अधिकतम 5 वर्ष की अवधि के लिए भवन और संयंत्र और मशीनरी के बीमा पर 100 प्रतिशत बीमा प्रीमियम की प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगे।
- शामिल व्यय:
- हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य के लिए IDS, 2017 का वित्तीय परिव्यय केवल 131.90 करोड़ रुपये था, जिसे 2021-2022 के दौरान जारी किया गया था।
- इसके अतिरिक्त 2028-29 तक योजना के अंतर्गत धन की अतिरिक्त आवश्यकता के माध्यम से प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए मंत्रिमंडल ने योजना के अंतर्गत 1164.53 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय परिव्यय को मंजूरी दी है।
- अनुमान है कि 774 पंजीकृत इकाइयों द्वारा लगभग 48607 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित किये जाएंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- भारतीय ओलंपिक संघ (IOA):
- भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने 5 सितंबर को भारतीय दल के लिए आधिकारिक औपचारिक पोशाक और खेल किट का अनावरण किया। यह दल 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चीन के हांगझू में आयोजित होने वाले आगामी 2022 एशियाई खेलों में प्रतिस्पर्धाओं में शामिल होगा।
- IOA की अध्यक्ष पीटी उषा हैं।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी द्वारा संकल्पित और विशिष्ट रूप से डिजाइन की गई औपचारिक पोशाक में महिलाओं के लिए खाकी बनावट वाली साड़ी और पुरुष खिलाड़ियों के लिए खाकी कुर्ता शामिल है।
- पुरुष एथलीटों के लिए बंद गला जैकेट और महिलाओं के लिए हाई नेक ब्लाउज को भारतीय रूपांकनों और प्रिंटों के माध्यम से सहज रूप से सर्वोत्कृष्ट भारतीय परिधानों के रूप में तैयार किया गया है, जो वैश्विक मंच पर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परिधान कला का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- यह परिधान अपने डिजाइन में प्रकृति को आत्मसात करते हैं, जो स्थिरता को दर्शाते है।
- यह सिर्फ एक यूनिफॉर्म नहीं है; यह हमारे एथलीटों के लिए गौरव और पहचान का प्रतीक है। यह यूनिफॉर्म गर्व के साथ भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतिनिधित्व करती है और देश की विविध विरासत और डिजाइन क्षमता को प्रदर्शित करती है।
- इस दल के खेल परिधान को अधिकारिक प्लेइंग किट भागीदार, जेएसडब्ल्यू इंस्पायर द्वारा तैयार किया गया है और खेल वस्त्र के डिजाइन को कश्मीर के प्रतिभाशाली डिजाइनर आकिब वानी द्वारा तैयार किया गया है, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी भी डिजाइन की है।
- यह देश के विविध कला रूपों से प्रेरित है जो भारत को परिभाषित करने वाली अद्वितीय विविधता और एकता को प्रतिबिम्बित करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक एथलीट मैदान पर अपने गृह राज्य के वस्त्र का कुछ अंश अपने साथ लेकर जाए।
- 33 सदस्यों के साथ, रोइंग में एथलेटिक्स के बाद सबसे बड़ी यूनिट है जो पदक पर दावा पेश करने के लिए हांगझू जा रही है। इस बीच, इस आयोजन की आधिकारिक शुरुआत के साथ ही 15 सदस्यीय ईस्पोर्ट्स टीम भी एशियाई खेलों में शामिल होगी।
- 2018 में आयोजित एशियाई खेलों के पिछले संस्करण में भारतीय दल ने 16 स्वर्ण सहित कुल 70 पदक जीते थे।
- भारतीय ओलंपिक संघ (IOA ) शासी निकाय है जो अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC), राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (CGF), एशिया ओलंपिक परिषद (OCA) और राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों के संघ (ANOC) का एक संबद्ध सदस्य है। 1927 में स्थापित, IOA को युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है।
- यह भारत में खेल प्रशासन और एथलीटों के कल्याण के विभिन्न पहलुओं का प्रबंधन करता है और ओलंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और IOC, CGF, OCA और ANOC के अन्य अंतर्राष्ट्रीय बहु-खेल आयोजनों में भाग लेने वाले एथलीटों या टीमों के प्रतिनिधित्व की देखरेख भी करता है।
- IOC और OCA के सदस्य के रूप में, IOA का प्राथमिक मिशन देश में ओलंपिक खेलों का विकास, प्रचार और सुरक्षा करना है।
- भारत ड्रोन शक्ति 2023:
- ड्रोन तकनीक ने दक्षता को बढ़ाते हुए, जोखिम को कम करके और क्षमता संवर्द्धन के साथ नागरिक और रक्षा क्षेत्रों में क्रांति ला दी है।
- भारत सैन्य और नागरिक दोनों क्षेत्रों में ड्रोन के उपयोग में वृद्धि का साक्षी बन रहा है।
- भारतीय वायुसेना खुफिया निगरानी और टोही कार्यों के लिए व्यापक स्तर पर रिमोट से संचालित विमानों का उपयोग कर रही है।
- भारत में उभरते ड्रोन डिजाइन और विकास क्षमताओं में इसका विश्वास मेहर बाबा स्वार्म ड्रोन प्रतिस्पर्धा जैसी पहलों से हुआ है।
- इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से स्वदेशी क्षमता का दोहन करने का प्रयास किया गया है। भविष्य में भी इस तरह की प्रतियोगिता का आयोजन करने की तैयारी जारी है।
- इन मानवरहित प्लेटफार्मों का उपयोग करने में अपने समृद्ध अनुभव का लाभ लेने के लिए, भारतीय वायुसेना ‘भारत ड्रोन शक्ति 2023’ की सह-मेजबानी करने के लिए ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ साझेदारी कर रही है।
- इस कार्यक्रम का आयोजन 25 और 26 सितंबर 2023 को हिंडन (गाजियाबाद) में एलएएफ के एयरबेस पर किया जाएगा, जिसका भारतीय ड्रोन उद्योग द्वारा लाइव हवाई प्रदर्शन किया जाएगा।
- ‘भारत ड्रोन शक्ति 2023’ भारतीय ड्रोन उद्योग की पूरी क्षमता के साथ 50 से अधिक लाइव हवाई प्रदर्शनों की मेजबानी करेगा, जिसमें सर्वेक्षण ड्रोन, कृषि ड्रोन, आग दमन ड्रोन, सामरिक निगरानी ड्रोन, हेवी-लिफ्ट लॉजिस्टिक्स ड्रोन, लोटरिंग मूनिशन सिस्टम का प्रदर्शन, ड्रोन समूह और काउंटर-ड्रोन के साथ-साथ 75 से अधिक ड्रोन स्टार्ट-अप और कॉरपोरेट्स की भागीदारी होगी।
- इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार, राज्य सरकार विभागों, सार्वजनिक और निजी उद्योगों, सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों, मित्र देशों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और छात्रों एवं ड्रोन के प्रति जिज्ञासा रखने वाले लगभग 5,000 लोगों के उपस्थित होने की उम्मीद है।
- इस आयोजन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ‘भारत ड्रोन शक्ति 2023’ 2030 तक वैश्विक ड्रोन केंद्र बनने की भारत की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देगा।
- REC ने एक्जिम बैंक के साथ 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा सावधि ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए:
- ऊर्जा मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के महारत्न उपक्रम REC लिमिटेड ने भारतीय निर्यात आयात बैंक (एक्जिम बैंक) के साथ 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा सावधि ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इसका उपयोग REC के बिजली, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों के उधारकर्ताओं द्वारा पूंजीगत उपकरणों के आयात की पुनर्वित्त सुविधा के लिए किया जाएगा।
- यह कर्ज REC के 2023-24 के लिए 1.20 लाख करोड़ रूपए के बाजार उधारी कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर जुटाया जाएगा।
- एक्जिम बैंक द्वारा REC को दिया जाने वाला यह पहला सावधि ऋण होगा।
- यह ऋण 5 साल की अवधि के लिए दिया जाएगा और इस पर एसओएफआर (सुरक्षित ओवरनाइट वित्तीय दर) के मुताबिक ब्याज लिया जाएगा।
- यह दर अमेरिकी डॉलर में लिए जाने कर्ज की बेंचमार्क दर है।
- REC लिमिटेड देशभर में विद्युत क्षेत्र के वित्त पोषण और विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाली एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है।
- REC लिमिटेड की स्थापना 1969 में हुई थी और तब से इसने परिचालन में रहते हुए पचास से अधिक वर्ष का समय पूरा कर लिया है।
- यह राज्य बिजली बोर्डों, राज्य सरकारों, केंद्र/राज्य बिजली सेवाओं, स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों, ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों और निजी क्षेत्र की ऐसी ही कंपनियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है।
- इसकी व्यावसायिक गतिविधियों में समूचे बिजली क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला जैसे कि बिजली उत्पादन, पारेषण, वितरण और नवीकरणीय ऊर्जा सहित विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं का वित्त पोषण शामिल हैं।
- भारत में जलने वाला हर चौथा बल्ब REC से वित्तपोषित है और REC ने हाल ही में बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के वित्तपोषण का भी काम शुरू किया है।
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