Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

07 फ़रवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत की मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) वर्ष 2000 के 384 से घटकर 2020 में 103 हुई: यू्एन-एमएमईआईजी 2020 रिपोर्ट:
  2. नीति आयोग और नीदरलैंड ने ‘मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों में परिवहन ईंधन के रूप में एलएनजी’ रिपोर्ट जारी की:
  3. पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) योजना:
  4. केंद्रीय मंत्री द्वारा किसानों व कृषि क्षेत्र के लिए 3 महत्वपूर्ण पहलों की शुरूआत की जाएगी:
  5. श्रील प्रभुपाद जी की 150वीं जयंती:
  6. साइबर क्राइम के मामलों में वृद्धि:
  7. विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स रिपोर्ट 2023 में भारत 38वें स्थान पर:
  8. डीपीआईआईटी एक अनुकूल कारोबारी माहौल बनाने के क्रम में व्यवसाय करने में आसानी के लिए विभिन्न पहलों का समन्वय कर रहा है:

1. भारत की मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) वर्ष 2000 के 384 से घटकर 2020 में 103 हुई: यू्एन-एमएमईआईजी 2020 रिपोर्ट:

सामान्य अध्ययन: 2

स्वास्थ्य:

विषय: स्वास्थ्य,शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से सम्बंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: मातृ मृत्यु दर (एमएमआर)।

मुख्य परीक्षा: सरकार की देश भर में मातृ मृत्यु और मृत जन्म से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए योजनाएं/पहलें।

प्रसंग:

  • भारत की मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) वर्ष 2000 के 384 से घटकर 2020 में 103 हुई: यू्एन-एमएमईआईजी (संयुक्त राष्ट्र मातृ मृत्यु अनुमान अंतर-एजेंसी समूह) 2020 रिपोर्ट।

विवरण:

  • मातृ मृत्यु दर, गर्भावस्था के दौरान या शिशु के जन्म के कारण माँ की मृत्यु के दर को कहा जाता है। मातृ मृत्यु दर महिला एवं बाल स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। अन्य शब्दों में मातृ मृत्यु दर गर्भावस्था या प्रसव से जटिलताओं के कारण होने वाली मौतों को संदर्भित करता है।
  • मातृ मृत्यु अनुमान अंतर-एजेंसी समूह (एमएमईआईजी) एमएमआर का वैश्विक अनुमान उपलब्ध कराता है।
  • यूएन-एमएमईआईजी 2020 रिपोर्ट “ट्रेंड्स इन मैटरनल मोर्टलिटी” के अनुसार भारत का एमएमआर 2000 में 384 से घटकर 2020 में 103 हो गया है, जबकि वैश्विक एमएमआर 2000 में 339 से घटकर 2020 में 223 हो गया है।
  • वैश्विक एमएमआर में कमी (रिडक्शन) की औसत वार्षिक दर 2000-2020 की अवधि में 2.07 प्रतिशत थी, जबकि भारत के एमएमआर में 6.36 प्रतिशत की कमी आई है, जो वैश्विक गिरावट से अधिक है।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय मातृ मृत्यु दर और मृत जन्म का डेटा रखता है।
    • भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) और 2016 से 2020 की अवधि के लिए मृत जन्म दर का विवरण क्रमशः अनुलग्नक-I में है।

अनुलग्नक-I

Maternal Mortality Ratio (MMR)

Maternal Mortality Ratio (MMR)

Maternal Mortality Ratio (MMR)

Maternal Mortality Ratio (MMR)

Maternal Mortality Ratio (MMR)

Maternal Mortality Ratio (MMR)

Year

2014-16

2015-17

2016-18

2017-19

2018-20

INDIA

130

122

113

103

97

चित्र स्रोत: PIB

भारत सरकार ने देश भर में मातृ मृत्यु और मृत जन्म से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए निम्नलिखित योजनाएं/पहलें लागू की हैं;

  • भारत सरकार ने “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान” (पीएमएसएमए) लॉन्च किया।
  • इसका उद्देश्य प्रत्येक महीने की 9 तारीख को दूसरी/तीसरी तिमाही की गर्भवती महिलाओं को सार्वभौमिक रूप से निश्चित दिन, मुफ्त, सुनिश्चित, व्यापक और गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व चिकित्सा देखभाल प्रदान करना है।
  • गर्भवती महिलाओं, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (एचआरपी) महिलाओं और व्यक्तिगत एचआरपी ट्रैकिंग के लिए गुणवत्ता एएनसी सुनिश्चित करने के लिए विस्तारित पीएमएसएमए रणनीति शुरू की गई थी, जब तक कि चिह्नित उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से सुरक्षित प्रसव प्राप्त नहीं किया जाता है और आशाकर्मी पीएमएसएमए दौरे के अतिरिक्त तीन बार और जाएंगी।
  • सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में आने वाली प्रत्येक महिला और नवजात शिशु के लिए बिना किसी लागत के सुनिश्चित, सम्मानजनक, आदरपूर्ण और सेवा इनकार पर शून्य सहनशीलता के साथ गुणवत्ता सम्पन्न स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना है।
  • जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) प्रत्येक गर्भवती महिला को मुफ्त परिवहन, निदान, औषधि, अन्य उपभोग्य वस्तुएं, आहार और रक्त (यदि आवश्यक हो) के प्रावधान के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में सिजेरियन सेक्शन सहित मुफ्त प्रसव का अधिकार देता है।
  • इलाज के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों तक पहुंचने वाले सभी रुग्ण शिशुओं के लिए समान अधिकार निर्धारित किए गए हैं।
  • लक्ष्य (गुणवत्ता सुधार पहल) भारत सरकार ने लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटरों में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए 2011 में लक्ष्य कार्यक्रम लॉन्च किया।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में आउटरीच शिविर का प्रावधान विशेष रूप से आदिवासी और दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की पहुंच में सुधार के लिए किया गया है।
    • इस प्लेटफार्म का उपयोग मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं, सामुदायिक गतिशीलता के साथ-साथ उच्च जोखिम गर्भधारण को ट्रैक करने में जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
  • स्वास्थ्य और आरोग्य सेंटर- एचडब्ल्यूसी टीम समय-समय पर शिविरों का आयोजन करती है, उपेक्षित लोगों तक पहुंचती है, उपचार अनुपालन में सहायता करती है और गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं आदि की देखभाल करती है।
  • गर्भवती महिलाओं को आहार, आराम, गर्भावस्था के खतरे के संकेत, लाभकारी योजनाओं और संस्थागत प्रसव के बारे में शिक्षित करने के लिए एमसीपी कार्ड और सुरक्षित मातृत्व पुस्तिका वितरित की जाती है।

इसके अतिरिक्त, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निम्नलिखित योजनाएं लागू करता है:

  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई): सामान्यतः एक महिला की गर्भावस्था उसे नई प्रकार की चुनौतियों और तनाव कारकों से अवगत कराती है।
    • इसलिए यह योजना सुरक्षित प्रसव के लिए मां को सहायता, पारिश्रमिक हानि के लिए आंशिक मुआवजा और उसके पहले जीवित बच्चे के टीकाकरण का समाधान प्रदान करती है।
    • संशोधित पीएमएमवीवाई में दूसरे बच्चे के लिए भी मातृत्व लाभ प्रदान करने का प्रावधान है, लेकिन केवल अगर, दूसरा बच्चा लड़की है, ताकि जन्म पूर्व लिंग चयन को हतोत्साहित किया जा सके और लड़की को बढ़ावा दिया जा सके और उसका उत्सव मनाया जा सके।
  • मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0: इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पूरक पोषण प्रदान किया जाता है।
    • इसमें स्वास्थ्य, आरोग्य तथा रोग और कुपोषण के प्रति प्रतिरक्षा विकसित करने वाले व्यवहारों को विकसित करने पर फोकस के साथ पूरक पोषण दिया जाता है।

2. नीति आयोग और नीदरलैंड ने ‘मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों में परिवहन ईंधन के रूप में एलएनजी’ रिपोर्ट जारी की:

सामान्य अध्ययन: 2,3

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध,बुनियादी ढांचा:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार। बुनियादी ढांचा: ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: नीति आयोग ।

मुख्य परीक्षा: ‘मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों में परिवहन ईंधन के रूप में एलएनजी’ रिपोर्ट के निहितार्थ।

प्रसंग:

  • नीति आयोग और नीदरलैंड के दूतावास ने 6 फरवरी 2024 को भारत ऊर्जा सप्ताह में ‘मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों में परिवहन ईंधन के रूप में एलएनजी’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की।

उद्देश्य:

  • नीति आयोग और नीदरलैंड दूतावास द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई यह रिपोर्ट ईंधन स्रोत के रूप में एलएनजी का लाभ उठाने और मध्यम और वाणिज्यिक वाहन खंड में इसके उपयोग को अनुकूलित करने पर केंद्रित है।
  • यह विभिन्न हितधारकों के सामने आने वाले समन्वय संबंधी मुद्दों की जांच करता है और इन चुनौतियों से निपटने के लिए उन सबकों पर प्रकाश डालता है, जो अन्य देशों से सीखे जा सकते हैं।

विवरण:

  • नीति आयोग और नीदरलैंड साम्राज्य दूतावास 2020 से आशय वक्तव्य (एसओआई) साझेदारी के तहत ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के क्षेत्र में सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं। आपसी सहयोग के पहले परिणाम के रूप में यह रिपोर्ट जारी की गई है।
  • यह रिपोर्ट उन रणनीतियों पर प्रकाश डालती है, जो प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में 15% की गैस हिस्सेदारी और 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने में मदद करेंगी।
  • मंत्रालय ईंधन के रूप में एलएनजी के प्रति बहुआयामी दृष्टिकोण अपना रहा है।
  • रिपोर्ट भारत में एलएनजी अपनाने से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों और बाधाओं का पता लगाती है और कार्रवाई योग्य समाधानों के एक रोडमैप की सिफारिश करती है।
  • रिपोर्ट इन सिफारिशों के लिए एक पारदर्शी कार्यान्वयन व्यवस्था के विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, जो मांग निर्माण और बाजार शुरुआत के लघु-अवधि लक्ष्यों से प्रेरित हो।

पृष्ठ्भूमि:

  • नीदरलैंड, भारत की तरह, ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के माध्यम से कार्बन कटौती पर प्राथमिक ध्यान देने के साथ, स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है।
  • 2015, पेरिस समझौता में निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्य को हासिल करने के लिए, ऊर्जा क्षेत्र में नीदरलैंड की विशेषज्ञता के लिए भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के साथ काम करने की काफी संभावनाएं हैं।
  • नीदरलैंड हरित हाइड्रोजन क्रांति शुरू करने और जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित करने के लिए यूरोपीय पहल में सबसे आगे है।
  • यूरोप के दूसरे सबसे बड़े हाइड्रोजन उत्पादक के रूप में तथा स्वच्छ तरीके से इसे उत्पादित करने की महत्वाकांक्षा के साथ व आगामी हाइड्रोजन नेटवर्क, जिसे ‘बैकबोन’ कहा जाता है, भविष्य की विशाल हरित हाइड्रोजन मात्रा के लिए प्रवेश बिंदु की पेशकश के साथ, नीदरलैंड अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर हरित हाइड्रोजन समाधानों को सामने लाने का इच्छुक है।

3. पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) योजना:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा की जिंदगी में वैज्ञानिक विकास के प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा: ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस)

मुख्य परीक्षा: पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) योजना पर चर्चा।

प्रसंग:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 जनवरी, 2024 को 4797 करोड़ रुपये की कुल लागत से साल 2021-26 की अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की व्यापक योजना “पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)” को मंजूरी दी है।

विवरण:

  • पृथ्वी योजना में पांच चालू उप-योजनाएं शामिल हैं। इनके नाम हैं:
    • वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली व सेवाएं (अक्रॉस)
    • समुद्री सेवाएं, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट)
    • ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर (हिमांकमंडल) अनुसंधान (पेसर)
    • भूकंप विज्ञान और भू-विज्ञान (सेज)
    • अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और आउटरीच (रीचआउट)
  • व्यापक योजना के रूप में ‘पृथ्वी’ पृथ्वी प्रणाली के सभी पांच संघटकों यानी वायुमंडल, जलमंडल, भूमंडल, हिमांकमंडल व जैवमंडल पर समग्र रूप से कार्य करती है, जिससे पृथ्वी प्रणाली विज्ञान को समझने में सुधार हो सके और देश को विश्वसनीय सेवाएं प्रदान की जा सकें।
    • पृथ्वी योजना के विभिन्न अनुसंधान व विकास और परिचालनात्मक (सेवाएं) गतिविधियां पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से संबंधित संस्थानों के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से एकीकृत तरीके से की जाती हैं।

पृष्ठ्भूमि:

पृथ्वी विज्ञान क्षेत्र में विकास:

  • 23 मैनुअल पायलट बैलून (पीबी) स्टेशनों को ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) आधारित स्टेशन के रूप में अपग्रेड किया गया, जबकि 2014 में एक भी जीपीएस आधारित पीबी स्टेशन नहीं था।
  • 2014 में 3955 के मुकाबले 2023 में 5896 जिला-वार वर्षा निगरानी योजना स्टेशन की स्थापना।
  • कृषि मौसम सलाहकार सेवाओं (एएएस) को 2018 से जिला स्तर से बढ़ा कर ब्लॉक स्तर तक किया गया है।
    • वर्तमान समय में, कृषि की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सभी 700 जिलों और देश के लगभग 3100 ब्लॉकों को एएएस सेवाएं प्रदान की जाती है।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने वर्ष 2021 में डीप ओशन मिशन शुरू किया, जिसका उद्देश्य गहरे समुद्र के संसाधनों का पता लगा कर नीली अर्थव्यवस्था को समर्थन प्रदान करना तथा समुद्री संसाधनों का चिरस्थायी दोहन करना है।
    • अब तक, मध्य हिंद महासागर बेसिन में बहुधात्विक ग्रंथिओं (निकल, कोबाल्ट, तांबा और मैंगनीज आदि) के लिए और मध्य एवं दक्षिण पश्चिम भारतीय टीलाओं में हाइड्रोथर्मल सल्फाइड (तांबा, जस्ता आदि) के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण एवं अन्वेषण कार्य किया गया है।
    • इसके माध्यम से इन क्षेत्रों में हाइड्रोथर्मल गतिविधि और सल्फाइड खनिजकरण के कुछ आशाजनक स्थलों की पहचान की गई है।

4. केंद्रीय मंत्री द्वारा किसानों व कृषि क्षेत्र के लिए 3 महत्वपूर्ण पहलों की शुरूआत की जाएगी:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि:

विषय: किसानो की सहायता के लिए ई-प्रौद्योगिकी।

प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई),कृषि-बीमा सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क प्लेटफार्म सारथी (SARTHI)।

मुख्य परीक्षा: किसानों व कृषि क्षेत्र के लिए 3 महत्वपूर्ण पहलों से किसानो को मिलने वाले लाभ।

प्रसंग:

  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार 8 फरवरी 2024 को देश के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तीन महत्वपूर्ण पहल शुरू करने जा रहा है।

उद्देश्य:

  • केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत केंद्रीयकृत “किसान रक्षक हेल्पलाइन 14447 और पोर्टल”, कृषि-बीमा सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क प्लेटफार्म सारथी (SARTHI) व कृषि-समुदाय के लिए लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) प्लेटफार्म एक समारोह में लांच करेंगे।

विवरण:

  • ये पहलें डिजिटल नवाचार व व्यापक जोखिम सुरक्षा समाधानों के माध्यम से किसान समुदाय के कल्याण और स्थायित्व को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगी।
    • राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन के सहयोग से लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षण व ज्ञान साझा करेगा जोकि प्रमुख कृषि योजनाओं को लागू करने की चुनौतियों का समाधान भी करेगा और हितधारकों के बीच निरंतर सीखने और समन्वय को सुविधाजनक बनाएगा।
  • इसी तरह, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत एक केंद्रीयकृत “किसान रक्षक हेल्पलाइन और पोर्टल” विकसित किया है।
    • अब इस योजना के अंतर्गत नामांकित सभी किसान या जो भी किसान अपनी फसल का बीमा करवाना चाहते हैं, वे अपनी चिंताओं और शिकायतों को दर्ज करने के लिए केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर 14447 पर कॉल कर सकते हैं, जिससे समय पर समर्थन और पारदर्शी संचार सुनिश्चित होगा।
  • पारंपरिक फसल बीमा से परे जाकर, भारत सरकार ने SARTHI – एक व्यापक बीमा प्लेटफार्म विकसित किया है।
    • SARTHI किसान समुदाय की विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए कई बीमा उत्पाद प्रदान करता है, जिसमें स्वास्थ्य और जीवन बीमा से लेकर कृषि उपकरणों और अन्य के लिए कवरेज शामिल है।
    • यह पहल सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप है।
  • सरकार ने सालभर में येस टेक, डिजिक्लेम, विंड्स, क्रोपिक, ऐड ऐप जैसी नई तकनीकें पेश करके देश के किसानों के लिए व्यापक जोखिम सुरक्षा और समर्थन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत कृषि बीमा पारिस्थितिकी स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. श्रील प्रभुपाद जी की 150वीं जयंती:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आठ फरवरी, 2024 को भारत मंडपम, प्रगति मैदान में श्रील प्रभुपाद जी की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
  • आचार्य श्रील प्रभुपाद गौड़ीय मिशन के संस्थापक थे, जिन्होंने वैष्णव आस्था के मूलभूत सिद्धांतों के संरक्षण और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • गौड़ीय मिशन ने श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं और वैष्णव धर्म की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को दुनिया भर में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • इस तरह उन्होंने हरे कृष्ण आंदोलन को गौड़ीय आस्था का केंद्र बना दिया है।

2. साइबर क्राइम के मामलों में वृद्धि:

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अपने पब्लिकेशन “क्राइम इन इंडिया” में अपराधों पर सांख्यिकीय डेटा को इकट्ठा कर प्रकाशित करता है।
  • लेटेस्ट प्रकाशित रिपोर्ट वर्ष 2022 के लिए है। एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के लिए साइबर अपराधों (मीडियम/टारगेट के रूप में संचार उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए ) के तहत दर्ज मामलों का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार विवरण एनेक्शर में है।
  • केंद्र सरकार अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत सलाह और वित्तीय सहायता के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की पहल को बढ़ावा देती है।
  • व्यापक और समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने के लिए, केंद्र सरकार ने कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:

1. गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4C) तैयार किया है।

2. इसके तहत मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी के लिए सात संयुक्त साइबर समन्वय टीमों (जेसीसीटी) का गठन किया गया है, जो साइबर अपराध हॉटस्पॉट/क्षेत्रों के आधार पर पूरे देश को कवर करती है।

3. राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पुलिस के जांच अधिकारियों (आईओ) को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए नई दिल्ली में I4C के एक भाग के रूप में राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) तैयार की गई है।

4. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ, जनता को सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाने के लिए, I4C के एक भाग के रूप में ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ लॉन्च किया गया है।

    • इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाएं, उन्हें एफआईआर में बदलना और उसके बाद की कार्रवाई को कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

5. वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए I4C के तहत ‘सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम’ लॉन्च किया गया है।

6. सर्टिफिकेशन के साथ-साथ साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए I4C के तहत मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (एमओओसी) प्लेटफॉर्म, अर्थात् ‘साइट्रेन’ पोर्टल बनाया गया है।

    • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 76,000 से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हैं और पोर्टल के माध्यम से 53,000 से अधिक प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।

7. I4C ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के 6,000 अधिकारियों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण प्रदान किया है।

9. राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (साक्ष्य) हैदराबाद में बनाई गई है।

    • यह प्रयोगशाला साइबर अपराध से संबंधित साक्ष्य के मामलों में आवश्यक फोरेंसिक सहायता प्रदान करती है, साक्ष्य को संरक्षित करती है और आईटी अधिनियम और साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप इसका विश्लेषण करती है; और इसने टर्नअराउंड समय को कम कर दिया है।

10. सीईआरटी-इन निरंतर आधार पर कंप्यूटर, मोबाइल फोन, नेटवर्क और डेटा की सुरक्षा के लिए नवीनतम साइबर खतरों/कमजोरियों और जवाबी उपायों के संबंध में अलर्ट और सलाह जारी करता है।

11. सीईआरटी-इन ने आरबीआई के माध्यम से देश में प्री-पेड भुगतान उपकरण (वॉलेट) जारी करने वाली सभी अधिकृत संस्थाओं और बैंकों को सीईआरटी-इन-पैनल वाले ऑडिटर्स द्वारा विशेष ऑडिट करवाने, ऑडिट रिपोर्ट में पाई गई कमियों वाली सर्विसेज को सुरक्षा सर्वोत्तम प्रथाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के मकसद से बंद करने की सलाह दी है।

12. सीईआरटी-इन और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) संयुक्त रूप से डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘वित्तीय धोखाधड़ी से सावधान रहें और जागरूक रहें’ पर एक साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

3. विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स रिपोर्ट 2023 में भारत 38वें स्थान पर:

  • विश्व बैंक की ‘लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स रिपोर्ट (2023): कनेक्टिंग टू कॉम्पिटिशन 2023’ के अनुसार, भारत 139 देशों में से 38वें स्थान पर है।
  • भारत की रैंक में 2018 में 44 से छह स्थान और 2014 में 54 से 16 स्थान का सुधार हुआ है।
  • संबंधित मंत्रालयों/विभागों को मिलाकर एक समर्पित अंतर-मंत्रालयी टीम का गठन किया गया है।
  • ये मंत्रालय/विभाग सभी छह एलपीआई मापदंडों यानी सीमा शुल्क, बुनियादी ढांचे, शिपमेंट की व्यवस्था में आसानी, लॉजिस्टिक्स सेवाओं की गुणवत्ता, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग और समयबद्धता में लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन में सुधार के लिए आवश्यक प्रयासों के साथ लक्षित कार्य योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • इसके अलावा, व्यापार सुविधा के लिए राष्ट्रीय समिति (एनसीटीएफ) की तीन स्तरीय व्यवस्था है, जिसमें व्यापार सुविधा पर एक राष्ट्रीय समिति, एक संचालन समिति और केंद्रित कार्य समूह (आउटरीच, विधायी मुद्दे, समय रिलीज अध्ययन, बुनियादी ढांचे का अपग्रेडेशन, पीजीए विनियमन और प्रक्रिया) शामिल हैं।
  • प्रधानमंत्री ने लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए 13 अक्टूबर 2021 को मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान और 17 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति लॉन्च की।

4. डीपीआईआईटी एक अनुकूल कारोबारी माहौल बनाने के क्रम में व्यवसाय करने में आसानी के लिए विभिन्न पहलों का समन्वय कर रहा है:

  • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) व्यवसाय करने में आसानी के तहत विभिन्न पहलों का समन्वय करने के लिए नोडल विभाग है, जिनका उद्देश्य एक अनुकूल कारोबारी माहौल बनाना है।
  • व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ाने के लिए डीपीआईआईटी द्वारा उठाए गए कुछ कदम इस प्रकार हैं:
    • विश्व बैंक द्वारा इसे स्थगित करने से पहले अक्टूबर, 2019 में प्रकाशित विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (डीबीआर), 2020 में भारत 63वें स्थान पर है। डीबीआर में भारत की रैंक 2014 के 142वें से बेहतर होकर 2019 में 63वीं हो गई थी और इसमें 5 वर्षों की अवधि में 79 रैंक की छलांग दर्ज की गई थी।
    • डीपीआईआईटी व्यापार सुधार कार्य योजना (बीआरएपी) के सशक्त सुधार कार्य का नेतृत्व कर रहा है, जिसमें देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का मूल्यांकन निर्धारित मापदंडों पर उनके द्वारा लागू किए गए सुधारों के आधार पर किया जाता है।
    • सुधारों का ध्यान मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और अनावश्यक आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं को खत्म करने पर रहा है।
    • बीआरएपी में सूचना विज़ार्ड, सिंगल विंडो सिस्टम, ऑनलाइन भवन अनुमति प्रणाली, निरीक्षण सुधार, श्रम सुधार, जैसे सुधार क्षेत्र शामिल हैं।
    • बीआरएपी के प्रयासों ने ज्ञान-आधार के निर्माण के साथ-साथ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा करने में मदद की है।
  • डीपीआईआईटी नागरिक और व्यावसायिक गतिविधियों पर अनुपालन बोझ को कम करने की पहल के लिए मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ समन्वय भी करता है।
  • इस कार्य का उद्देश्य मंत्रालयों/राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में, सरकार से व्यवसाय और सरकार से नागरिक इंटरफेस को सरल, तर्कसंगत, डिजिटलीकरण और अपराधमुक्त करके व्यवसाय करने में आसानी और जीवन जीने में आसानी में सुधार करना है।

पहल के प्रमुख क्षेत्र हैं:

  • जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम, 2023 27 जुलाई 2023 को लोकसभा में और 2 अगस्त 2023 को राज्यसभा में पारित किया गया। राष्ट्रपति की सहमति 11 अगस्त 2023 को प्राप्त हुई।
  • अधिनियम ने 19 मंत्रालयों/विभागों के 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त कर दिया।
  • अधिनियम ने आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने और यह सुनिश्चित करने में मदद की है कि नागरिक, व्यवसाय और सरकारी विभाग मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक के लिए कारावास के डर के बिना काम कर सकते हैं।
  • इस अधिनियम ने कानूनों को तर्कसंगत बनाने, बाधाओं को दूर करने और व्यवसायों के विकास को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त किया है।

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*