विषयसूची:
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08 March 2024 Hindi PIB
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1. टिकाऊ ऊर्जा व्यवस्था के लिए कोयला सीपीएसई का विविधीकरण
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास
विषय: ऊर्जा संसाधन
मुख्य परीक्षा: तैयार, सुदृढ़ और टिकाऊ ऊर्जा व्यवस्था का महत्त्व
प्रसंग:
- कोयला मंत्रालय कोयला केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) में विविधता लाने के उद्देश्य से एक परिवर्तनकारी पहल में सबसे आगे है, जिससे उनकी स्थिरता बढ़ेगी और भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
विवरण:
- यह पहल भविष्य के लिए एक तैयार, सुदृढ़ और टिकाऊ ऊर्जा व्यवस्था को बढ़ावा देने के सरकार के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- कोयला मंत्रालय ने विविधीकरण के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है और यह अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो में विविधता लाने और भारत के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में उद्यम करके अपना दायरा बढ़ा रहा है।
- वैश्विक ऊर्जा प्रतिमानों में बदलाव और बढ़ती पर्यावरणीय जागरूकता की पृष्ठभूमि में, पिट-हेड टीपीपी, सौर ऊर्जा संयंत्र, पवन मिल, कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण संयंत्र और महत्वपूर्ण खनिज अन्वेषण की स्थापना करते हुए सक्रिय रूप से सीपीएसई के भीतर व्यापक विविधीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- लक्ष्य भविष्य में कोयला अधिशेष की आशा करते हुए सीआईएल और एनएलसीआईएल दोनों के लिए स्थायी संचालन को सुरक्षित करना है।
- अक्षय – सौर और पवन ऊर्जा: सीआईएल, एनएलसीआईएल और एससीसीएल की संयुक्त सौर क्षमता लगभग 1700 मेगावाट है। इसके अतिरिक्त पवन चक्कियों की भी क्षमता 51 मेगावाट की है।
- कोयला क्षेत्र का लक्ष्य 2030 तक लगभग 9000 मेगावाट की कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। कोयला कंपनियां छतों, फ्लोटिंग के साथ-साथ जमीन पर लगे सौर और पवन संयंत्रों के साथ-साथ पुनः प्राप्त खनन क्षेत्रों में सौर पार्क विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
- अक्षय – पंप भंडारण ऊर्जा: कोयला मंत्रालय ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने के लिए उन कोयला खदानों में पंप भंडारण परियोजनाएं (पीएसपी) शुरू कर रहा है जिनमें से कोयला निकाला जा चुका है।
- इसका उद्देश्य कोयला क्षेत्र के टिकाऊ विकास को बढ़ावा देते हुए पनबिजली के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करना है। कोयला रहित खदानों में निचले जलाशय, जल स्रोत और भूमि की उपलब्धता के कारण वहां पीएसपी शुरू करने के लिए अनुकूल माहौल होता है।
- सीआईएल और एनएलसीआईएल पंप भंडारण परियोजनाओं (पीएसपी) पर व्यवहार्यता अध्ययन कर रहे हैं। सीआईएल ने इसके लिए 24 कोयला रहित खदानों और अन्य स्थलों की पहचान की है।
- राज्य सरकारों, निजी कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग की योजनाओं के साथ, ईपीसी और पीपीपी जैसे व्यावसायिक मॉडल को अंतिम रूप देने के लिए हितधारक परामर्श जारी है।
- अक्षय – भूतापीय ऊर्जा: कोयला मंत्रालय ने बिजली उत्पादन के लिए भूतापीय ऊर्जा का उपयोग करने के लिए एक अभूतपूर्व परियोजना शुरू की है।
- एससीसीएल कमान के मनुगुरु क्षेत्र में स्थित यह प्रायोगिक परियोजना क्लोज्ड-लूप बाइनरी ऑर्गेनिक रैंकिन साइकिल (ओआरसी) प्रक्रिया प्रौद्योगिकी पर आधारित है।
- इसका उद्देश्य भारत में पहली स्वदेशी 20 किलोवाट प्रायोगिक प्रदर्शन इकाई स्थापित करना है, जो ताप स्रोत के रूप में भू-तापीय तरल पदार्थ का उपयोग करती है। बिजली उत्पादन लागत का मानकीकरण और अनुकूलन करते हुए इस परियोजना से स्वच्छ, विश्वसनीय और कुशल बिजली का उत्पादन होगा।
- इस परियोजना का अंतिम लक्ष्य वाणिज्यिक व्यवहार्यता के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना, प्रक्रिया को स्वदेशी बनाना, स्केलिंग के लिए एक मॉडल स्थापित करना और अवधारणा के प्रमाण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पंजीकृत करना है।
- अक्षय – हरित हाइड्रोजन और अमोनिया: कोयला मंत्रालय ने हरित अमोनिया/हाइड्रोजन पर परियोजनाएं शुरू करने के लिए नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के साथ समझौता किया है। सीआईएल ने व्यवहार्यता अध्ययन के लिए अधिशेष भूखंड की पहचान की है।
- कोयला गैसीकरण: भारत ने 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले को गैसीकृत करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र द्वारा कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए 8500 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक वित्तीय सहायता योजना को मंजूरी दी गई है।
- इसका उद्देश्य गैसीकरण परियोजनाओं की वित्तीय और तकनीकी व्यवहार्यता को अधिक व्यापक रूप से प्रदर्शित करना, डाउनस्ट्रीम उत्पादों (ग्राहकों को उपयोग में लाने लायक तैयार माल) के लिए बाजारों में तेजी लाना और कोयले के लिए अर्थव्यवस्था में एक अतिरिक्त मूल्य श्रृंखला बनाना है।
- मंत्रालय का लक्ष्य कोयले के विविध और स्वच्छ उपयोग को बढ़ावा देना है, ताकि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर तेजी से बढ़ा जा सके और कोयला क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
- सीआईएल और भेल ने सतही कोयला गैसीकरण (एससीजी) प्रौद्योगिकी मार्ग के जरिए अमोनियम नाइट्रेट संयंत्र स्थापित करने के लिए औपचारिक रूप से एक संयुक्त उद्यम समझौते (जेवीए) पर हस्ताक्षर किए।
- यह संयंत्र ओडिशा के महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के लखनपुर क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) के बीच एक संयुक्त उद्यम समझौता चल रहा है, जिससे भारत के ऊर्जा परिदृश्य को नया आकार मिलना संभव हो पाएगा।
- कॉर्पोरेट दिग्गजों के बीच तालमेल और साझेदारी राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे कोयले के रासायनिक गुणों के उपयोग की सुविधा मिलेगी। आगामी संयंत्र अंतिम उत्पादों की आयात निर्भरता को कम करके कच्चे माल को सुरक्षित करने में मदद करेंगे।
- पिट-हेड टीपीपी: ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए बेहतर और कुशल सुपर क्रिटिकल टीपीपीएस के संचयी लाभों का दोहन करने के लिए पिट-हेड टीपीपी आगे एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- कुशल सुपर क्रिटिकल तकनीक और कोयला लॉजिस्टिक्स के लिए कम बोझ के साथ पिट-हेड में बिजली संयंत्र स्थापित करना अधिक लागत प्रभावी है। यह निर्णय तब लिया गया है जब भविष्य में कोयले के अधिशेष होने का अनुमान है और लक्ष्य नए टीपीपी की स्थापना के साथ सीआईएल और एनएलसीआईएल के संचालन में स्थिरता सुनिश्चित करना है।
- महत्वपूर्ण खनिज: स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण खनिज उत्पादन, विशेष रूप से लिथियम, कोबाल्ट, तांबा और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों को बढ़ाने की आवश्यकता है।
- कोयला मंत्रालय घरेलू महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉक की खोज और विकास के साथ-साथ इसे विदेशों से प्राप्त करने का इरादा रखता है।
- सीआईएल ने न्यू साउथ वेल्स (एनएसडब्ल्यू) कंपनियों के साथ दो गैर-प्रकटीकरण समझौतों (एनडीए) पर हस्ताक्षर किए हैं और ये समझौते होने के अपने उन्नत चरण में हैं।
- सीआईएल भी सक्रिय रूप से अर्जेंटीना आदि देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण खनिजों का खनन करने की कोशिश कर रही है।
- कोयला मंत्रालय सीओपी28 में निर्धारित वैश्विक जीवाश्म ईंधन संक्रमण लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाते हुए भारत की अहम और रणनीतिक खनिज आपूर्ति को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण खनिजों पर विचार कर रहा है।
- सतत विकास को बढ़ावा देने और संसाधनों की दक्षता को अधिकतम करने के लिए प्रतिबद्ध व्यक्त की गई है, जो कोयला क्षेत्र के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में योगदान देगा। संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने और जनता को भरोसेमंद बिजली आपूर्ति प्रदान करने पर ध्यान दिया गया है। भारत के लिए एक स्थायी और मजबूत ऊर्जा भविष्य सुनिश्चित करने के क्रम में कोयला क्षेत्र में नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. उपभोक्ता मामले विभाग ने राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया पर हितधारकों की बैठक आयोजित की
- 4 क्षेत्रों की प्रमुख कंपनियों यानी ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स और खेती के उपकरणों से जुड़ी कंपनियों के साथ बैठक की गई
- उपभोक्ताओं के सर्वोत्तम हित में उत्पादों, सर्विस सेंटर्स और वारंटी शर्तों के बारे में जानकारी प्रदान करने के निर्देश दिए गए
- ‘इस्तेमाल करो फेंको’ अर्थव्यवस्था की जगह सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मिशन लाइफ (एलआईएफई-पर्यावरण के लिए जीवन शैली) की परिकल्पना की गई है जो नासमझ और बेकार उपभोग के स्थान पर ‘सावधान और जानबूझकर उपयोग’ को बढ़ावा देती है।
- इसमें R3 कॉन्सेप्ट यानी रिड्यूस, रीयूज और रीसायकल भी शामिल है। उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) ने राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस 2022 के अवसर पर राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया (https://righttorepairindia.gov.in/) लॉन्च करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
- यह पोर्टल उपभोक्ताओं को अपने उत्पादों की मरम्मत से संबंधित जानकारी प्राप्त करने और और ई-कचरे को कम करने में मदद करता है।
- उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं को उनके उत्पादों की मरम्मत के लिए प्रभावित करने वाली नई और उभरती चिंताओं का समाधान करने के लिए चार क्षेत्रों के प्रमुख हितधारकों के साथ एक बैठक आयोजित की गई।
- ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स, और कृषि उपकरण क्षेत्रों को राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया पर लाने के लिए यह बैठक की गई।
- बैठक के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला गया कि एक उत्पाद जिसकी मरम्मत नहीं की जा सकती या अप्रचलित हो गया है या जो आर्टिफिशियल लिमिटेड लाइफ के अंतर्गत आता है वो न सिर्फ ई-कचरा बन जाता है बल्कि उपभोक्ताओं को इसे पुन: उपयोग करने के लिए किसी भी मरम्मत के अभाव में नए उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करता है।
- इसलिए, प्रयास यह सुनिश्चित करने का है कि जब कोई उपभोक्ता कोई उत्पाद खरीदता है, तो उसके पास उत्पाद का पूर्ण स्वामित्व होता है और मरम्मत के मामले में, उपभोक्ताओं को प्रासंगिक जानकारी के अभाव में धोखा नहीं दिया जाए।
- मरम्मत गंभीर रूप से प्रतिबंधित होती जा रही है क्योंकि न केवल मरम्मत में काफी देरी होती है बल्कि कई बार उत्पादों की मरम्मत बहुत अधिक कीमत पर की जाती है और जो उपभोक्ता एक बार उत्पाद खरीद लेता है उसे शायद ही अपने उत्पादों की मरम्मत कराने का विकल्प दिया जाता है। अक्सर स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं होते हैं जिससे उपभोक्ताओं को आर्थिक बोझ के साथ-साथ काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- हितधारकों से यूनिफाइड राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया पर शामिल होने की अपील की गई, जो कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच मरम्मत से संबंधित प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करता है। इन जानकारियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- उत्पाद मैनुअल/मरम्मत वीडियो तक पहुंच (कंपनियों की वेबसाइटों और यूट्यूब चैनलों को लिंक करके);
- स्पेयर पार्ट्स की कीमत और वारंटी पर चिंता का समाधान करें;
- लायबिलिटी कवर्ड गारंटी, वारंटी और एक्सटेंडेट वारंटी में फर्क का स्पष्ट रूप में उल्लेख करें;
- भारत भर में कंपनी सर्विस सेंटर का विवरण और कंपनियों द्वारा मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी मरम्मतकर्ता, यदि कोई हो
- मूल देश की जानकारी का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए
2. भारत, खसरा और रूबेला रोगों की रोकथाम में अनुकरणीय प्रयासों के लिए ‘खसरा और रूबेला चैंपियन’ पुरस्कार से सम्मानित
- भारत को खसरा और रूबेला रोग से निपटने के लिए देश के अथक प्रयासों के लिए अमरीका के वाशिंगटन डीसी में रेडक्रॉस मुख्यालय में प्रतिष्ठित खसरा और रूबेला चैंपियन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- खसरे और रूबेला साझेदारी में एक बहु-एजेंसी योजना समिति शामिल है, जिसमें अमेरिकन रेड क्रॉस, बीएमजीएफ, जीएवीआई, यूएस सीडीसी, यूएनएफ, यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ शामिल हैं।
- ये संस्थान विश्व में खसरे से होने वाली मौतों को कम करने और रूबेला बीमारी को रोकने के लिए समर्पित रूप से कार्य कर रहे हैं।
- यह सम्मान सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता और बच्चों में इन संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने में इसके उत्कृष्ट नेतृत्व का परिणाम है।
- यह देश के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के अंतर्गत नियमित टीकाकरण को सुदृढ़ करने के लिए ‘खसरे को एक अनुरेखक के रूप में उपयोग करता है और खसरा व रूबेला उन्मूलन कार्यक्रम में क्षेत्रीय नेतृत्व प्रदान करने के लिए भारत को मान्यता देता है।
- देश ने खसरा और रूबेला रोगों में कमी लाने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है। भारत ने एक श्रृंखला के माध्यम से खसरा और रूबेला रोगों के प्रकोप को रोकने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
- उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में भारत सरकार के सक्रिय खसरा-रूबेला (एमआर) टीकाकरण अभियान और वंचित आबादी तक पहुंचने के लिए नवीन रणनीतियों, सुदृढ़ निगरानी प्रणालियों और प्रभावी जन-जागरूकता पहल ने स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- यह पुरस्कार देश के अग्रणी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, नीति निर्माताओं और देश भर के समुदायों के समर्पण और कड़ी मेहनत का प्रमाण है।
- इन प्रयासों के परिणामस्वरूप 50 जिलों में लगातार खसरे का कोई मामला सामने नहीं आया है, जबकि 226 जिलों में पिछले 12 महीनों में रूबेला का कोई मामला नहीं मिला है।
- खसरा और रूबेला टीकाकरण के माध्यम से रोकी जा सकने वाली बीमारियां (वीपीडी) हैं। एमआर वैक्सीन वर्ष 2017 से देश के सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा है। भारत सरकार देश से खसरा और रूबेला को समाप्त करने की दिशा में कार्यरत है।
3. महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश के महत्व को रेखांकित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने ” महिलाओं में निवेश : प्रगति में तेजी लाएं ” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया और महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और ऐसा माहौल जो महिलाओं को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करता है, के सृजन के महत्व में निवेश की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया।
- घर और कार्यस्थल दोनों जगह महिलाओं को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर देते हुए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जहां महिलाएं आगे बढ़ सकें, योगदान दे सकें और नेतृत्व कर सकें।
- महिलाओं के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में निवेश के महत्व के बारे में बात की गई तथा ऑटोइम्यून बीमारियों पर शोध के लिए मदद पर जोर दिया गया जो महिलाओं की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
- दो तकनीकी सत्रों में महिलाओं की भलाई के महत्वपूर्ण पहलुओं और ज्ञान-आधारित स्टार्ट-अप विकसित करने में महिलाओं की उद्यमशीलता यात्रा पर चर्चा की गई।
- महिलाओं को व्यक्तिगत भलाई के साथ अपने पेशेवर जीवन को संतुलित करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई और आत्म-देखभाल को प्राथमिकता देने और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने पर चर्चा की गई।
- स्टार्टअप में महिलाओं की भूमिका विषय पर सत्र में महिला उद्यमियों और उद्योग विशेषज्ञों ने अपने अनुभव, चुनौतियां और सफलता की कहानियां साझा कीं।
- सत्र ने समावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने और नवोन्मेषण की संस्कृति को बढ़ावा देने में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप की अपार क्षमता को रेखांकित किया।
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