विषयसूची:
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1. कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहन प्रदान करना
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास
विषय: किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी
प्रारंभिक परीक्षा: “नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास” कार्यक्रम, कृषि-स्टार्टअप
मुख्य परीक्षा: कृषि क्षेत्र को नवीन दिशा देने में कृषि स्टार्टअप की भूमिका
प्रसंग:
- भारत सरकार कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में कृषि-स्टार्टअप को वित्तीय और प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करके कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रही है।
विवरण:
- कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके नवाचार और कृषि-उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वर्ष 2018-19 से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अंतर्गत देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम का पोषण करने के लिए “नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास” कार्यक्रम लागू कर रहा है।
- अब तक, कृषि-स्टार्टअप के प्रशिक्षण और इन्क्यूबेशन तथा इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए 5 नॉलेज पार्टनर्स (केपी) और 24 राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर्स (आर-एबीआई) को नियुक्त किया गया है।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत, विभिन्न राज्यों में कार्यरत नॉलेज पार्टनर्स (केपी) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर्स (आर-एबीआई) को धनराशि जारी की जाती है।
- इन नॉलेज पार्टनर्स (केपी) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर्स (आर-एबीआई) ने कार्यक्रम के अंतर्गत स्टार्टअप्स को प्रशिक्षण, परामर्श और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित किए हैं।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक, कृषि और संबद्ध क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली 387 महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप सहित 1554 कृषि-स्टार्टअप को तकनीकी और वित्तीय सहायता के साथ वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक विभिन्न नॉलेज पार्टनर्स (केपी) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर्स (आर-एबीआई) के माध्यम से किश्तों में 111.57 करोड़ रुपये जारी कर सहायता प्रदान की गई है।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत, आइडिया/प्री सीड स्टेज पर 5.00 लाख रुपये और शुरुआती स्तर पर 25 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उद्यमियों/स्टार्टअप को अपने उत्पादों, सेवाओं, व्यापार मंचों आदि को बाजार में शुरू करने और उन्हें अपने उत्पादों और संचालन को बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने के लिए कार्यक्रम के तहत नियुक्त इन नॉलेज पार्टनर्स (केपी) और आरकेवीवाई एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर्स (आर-एबीआई) द्वारा स्टार्ट-अप को प्रशिक्षित और इनक्यूबेट किया जाता है।
- इसके अलावा, भारत सरकार विभिन्न हितधारकों को साथ जोड़कर कृषि-स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए कृषि-स्टार्टअप कॉन्क्लेव, कृषि-मेला और प्रदर्शनियों, वेबिनार, कार्यशालाओं सहित विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम आयोजित करती है।
- यह विभाग वर्ष 2020-21 से “कृषि अवसंरचना निधि” योजना लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य पात्र लोगों को ब्याज छूट और क्रेडिट गारंटी सहायता के माध्यम से फसल कटाई के बाद प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्त सुविधा प्रदान करना है।
- लाभार्थियों में किसान, कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप आदि शामिल हैं। इस योजना के अंतर्गत भूमिहीन किरायेदार किसानों के लिए स्टार्ट-अप स्थापित करने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
- हालाँकि, 1284 स्टार्टअप्स को 1248 करोड़ रुपये की मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तीय सहायता के साथ सहयोग प्रदान किया गया है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. विभिन्न प्रकार के मोटे अनाज की खेती
- जनता को पोषक आहार उपलब्ध कराने तथा घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करने के लिये भारत सरकार ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) घोषित करने का संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव किया था।
- भारत के इस प्रस्ताव को 72 देशों का समर्थन मिला और संयुक्त राष्ट्र महा सभा (यूएनजीए) ने मार्च 2021 में वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित कर दिया।
- भारतीय मोटे अनाजों को वैश्विक बाजारों में पहुंचाने और अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के उद्देश्य को हासिल करने के लिये भारत सरकार ने सक्रिय होकर अनेकानेक हितधारकों (केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, किसानों, स्टार्ट अप, निर्यातकों, खुदरा कारोबारियों, होटलों, भारतीय राजदूतावासों आदि) को इससे जोड़ने के दृष्टिकोण के साथ काम किया।
- अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के दौरान पूरा फोकस उत्पादन और उत्पादकता, उपभोग, निर्यात, मूल्य श्रृंखला को मजबूत बनाने, ब्रांडिंग, स्वास्थ्य लाभ जागरूकता बढ़ाने आदि पर रहा।
- भारत सरकार ने इसे जन-अभियान बनाने के लिये अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया ताकि भारतीय मोटे अनाजों, उनके व्यंजनों, मूल्य वर्धित उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दिया जा सके।
- भारत में जी20 अध्यक्षता, मिलेट पाक-कला उत्सव, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, शेफ सम्मेलन, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ), रोड़ शो, किसान मेलों, अर्धसैनिक बलों के लिये रसोइया प्रशिक्षण, दिल्ली और इंडोनेशिया में आसियान भारत मिलेट त्योहार आदि में श्रीअन्न (मिलेट) को बढ़ावा दिया गया।
- अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), के पूसा परिसर, नयी दिल्ली में 18-19 मार्च 2023 को एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम वैश्विक मिलेट (श्री अन्न) सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री ने किया और मोटे अनाज पर आयोजित प्रदर्शन को तीन दिन और बढ़ाया गया।
- भारत को ‘श्री अन्न’ का प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनाने हेतु मिलेट के बेहतर तौर तरीकों, शोध और प्रौद्योगिकियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा करने के लिये भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), हैदराबाद को वैश्विक उत्कृष्टता केन्द्र घोषित किया गया।
- वैश्विक स्तर पर मिलेट को लेकर जागरूकता और अनुसंधान सहयोग मजबूत बनाने के लिये एक नई पहल जैसे कि, ‘‘मिलेट और अन्य प्राचीन अनाज अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महारिषी)’’ को भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अपनाया गया।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने मिलेट आधारित उत्पादों के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को 800 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ वर्ष 2022-23 से 2026-27 के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी।
- महिला और बाल विकास मंत्रालय के पोषण अभियान के तहत भी मोटे अनाज को शामिल किया गया। इसके अलावा खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस), एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्याह्न भोजन के तहत मोटा अनाज खरीद बढ़ाने के लिये अपने दिशानिर्देशों में संशोधन किया।
- भारत से मोटे अनाज का निर्यात संवर्धन, विपणन और विकास के लिये अंतरराष्ट्रीय बाजार में मोटे अनाज को बढ़ावा देने को समर्पित एक निर्यात संवर्धन फोरम स्थापित की गई।
- ईट राइट (सही खानपान) अभियान के तहत स्वस्थ और विविध आहार के हिस्से के तौर पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) मिलेट उपयोग बढ़ाने को जागरूकता बढ़ा रहा है।
- सरकारी कर्मचारियों में मोटा अनाज उपभोग प्रोत्साहित करने के लिये सभी सरकारी कार्यालयों को विभागीय प्रशिक्षणों/बैठकों में श्री अन्न से तैयार जलपान और विभागीय कैंटीनों में श्री अन्न आधारित खाद्य पदार्थों को शामिल करने को कहा गया है।
- इसके अलावा, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत भारत सरकार राज्यों को राज्य विशिष्ट जरूरतों/प्राथमिकताओं के लिये लचीलापन भी प्रदान करती है।
- इसके साथ ही असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने मिलेट को बढ़ावा देने के लिये राज्य में मिलेट मिशन की शुरूआत की है।
2. स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना अवधारणा, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के प्रमाण के लिए स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करती है
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस), पात्र इनक्यूबेटर्स के माध्यम से अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के प्रावधानों के अनुसार, विशेषज्ञ सलाहकार समिति (ईएसी) योजना के अंतर्गत आवंटन के लिए इनक्यूबेटर्स का मूल्यांकन और चयन करती है।
- अनुमोदित इन्क्यूबेटर योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार स्टार्टअप का चयन करते हैं। यह योजना 1 अप्रैल 2021 से चालू हो गई है।
- 31 दिसंबर 2023 तक, योजना के अंतर्गत 802.98 करोड़ रुपये के कुल स्वीकृत वित्त पोषण के साथ 198 इनक्यूबेटर्स का चयन किया गया है।
- अनुमोदित इनक्यूबेटर्स ने 31 दिसंबर 2023 तक 306.43 करोड़ रुपये के कुल स्वीकृत वित्त पोषण के साथ 1,740 स्टार्टअप का चयन किया है।
- स्टार्टअप इंडिया पहल के अंतर्गत, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जाती है।
3. भारत और रवांडा की पहली संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की बैठक हुई
- भारत और रवांडा ने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के व्यापक अवसरों पर चर्चा करने के लिए 8 फरवरी, 2024 को किगाली, रवांडा में संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (जेडीसीसी) की पहली बैठक की।
- दोनों देशों के बीच प्रशिक्षण सहयोग, संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा औद्योगिक सहयोग आदि क्षेत्रों पर विस्तृत चर्चा हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने मित्र देशों को निर्यात करने के लिए भारतीय रक्षा निर्माताओं की बढ़ती क्षमता पर प्रकाश डाला।
- रवांडा ने भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती क्षमताओं पर विश्वास व्यक्त करते हुए प्रशिक्षण सहयोग बढ़ाने में गहरी रुचि दिखाई।
- रवांडा ने उन क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जहां 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रवांडा यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित रक्षा समझौता ज्ञापन के अंतर्गत भारतीय सशस्त्र बल और उद्योग अपने रक्षा बलों के साथ सहयोग कर सकते हैं।
- भारत और रवांडा के द्विपक्षीय संबंध सौहार्दपूर्ण रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों में इनमें लगातार वृद्धि हुई है।
- जेडीसीसी बैठक के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे से रवांडा के साथ रक्षा संबंध और प्रगाढ़ होने की संभावना है।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थ केयर चुनौतियों से निपटने के लिए उठाए गए कदम
- प्रत्येक गांव/कस्बे में चयनित स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को संतृप्त करने के लिए आयुष्मान भव अभियान शुरू किया गया ताकि अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके और समाज में हर किसी के लिए स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच संभव हो सके।
- विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थ केयर चुनौतियों का समाधान करने के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच रखने वाले सभी लोगों को सुलभ, किफायती और गुणवत्तापूर्ण हेल्थ केयर प्रदान करने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के प्रयासों को पूरा करने के लिए 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) शुरू किया गया था।
- महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को मानदंडों के अनुसार नई सुविधाएं स्थापित करने और उनकी आवश्यकता के आधार पर बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करने के लिए मौजूदा सुविधाओं को अपग्रेड करने के लिए एनएचएम सहायता प्रदान की जाती है।
- सरकार ने चार मिशन मोड परियोजनाएं पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम), आयुष्मान आरोग्य मंदिर (जो पहले आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र -एबी-एचडब्ल्यूसी था), प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) शुरू की हैं।
- पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
- पीएम-एबीएचआईएम के तहत उपाय प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक सभी स्तरों पर देखभाल की निरंतरता में स्वास्थ्य प्रणालियों और संस्थानों की क्षमताओं को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, ताकि वर्तमान और भविष्य की महामारी / आपदाओं का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को तैयार किया जा सके।
- 1.64 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से उप स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को मजबूत करके व्यापक प्राथमिक हेल्थ केयर प्रदान की जाती है।
- ये आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) प्रजनन और बाल स्वास्थ्य सेवाओं, संक्रमण वाले रोगों, गैर-संक्रमण रोगों और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों को शामिल करने वाली सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए निवारक, प्रोत्साहन, पुनर्वास और उपचारात्मक देखभाल प्रदान करते हैं।
- आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) गरीब और कमजोर परिवारों को प्रति वर्ष 5.00 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) का लक्ष्य देश के एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए जरूरी तंत्र विकसित करना है।
- यह डिजिटल राजमार्गों के माध्यम से हेल्थकेयर ईकोसिस्टम के विभिन्न हितधारकों के बीच मौजूदा अंतर को पाट देगा। 08 फरवरी 2024 तक, 55 करोड़ आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) बनाए गए हैं।
- 15वें वित्त आयोग (एफसी-एक्सवी) ने स्वास्थ्य क्षेत्र के विशिष्ट घटकों के लिए स्थानीय सरकारों के माध्यम से 70,051 करोड़ रुपये के अनुदान की सिफारिश की है और इसे केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
- स्थानीय सरकारों के माध्यम से स्वास्थ्य के लिए ये अनुदान वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच साल की अवधि में वितरित किया जाएगा और जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की सुविधा प्रदान करेगा।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (पीआईपी) के रूप में प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- भारत सरकार मानदंडों और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार कार्यवाही के रिकॉर्ड (आरओपी) के रूप में प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान करती है।
5. औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम
- देश में औषधियों के विनिर्माण, बिक्री और वितरण को औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1945 और नियमों के अंतर्गत संबंधित राज्य सरकार द्वारा नियुक्त राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकारियों (एसएलए) को लाइसेंस की किसी भी शर्त के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई करने का अधिकार है।
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित नियामक उपाय किए हैं:
- नकली और मिलावटी औषधियों के निर्माण के लिए कड़े दंड का प्रावधान करने के लिए औषधि और प्रसाधन सामग्री (संशोधन) अधिनियम 2008 के अंतर्गत औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 में संशोधन किया गया था। कुछ अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती भी बनाया गया है।
- राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के अंतर्गत अपराधों के त्वरित निपटान हेतु विशेष अदालतें स्थापित की हैं।
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ)में स्वीकृत पदों की संख्या 2008 में 111 से बढ़कर अब तक 931 हो गई है।
- औषधियों की प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए, औषधि और प्रसाधन सामग्री (ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स) नियम, 1945 में संशोधन किया गया है और यह प्रावधान किया गया है कि आवेदक को कुछ दवाओं के मौखिक खुराक के निर्माण लाइसेंस की स्वीकृति के लिए आवेदन के साथ जैव-समतुल्यता अध्ययन (बायोइक्वीवैलेंस स्टडी) का परिणाम प्रस्तुत करना होगा।
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में संशोधन करके यह अनिवार्य कर दिया गया है कि विनिर्माण लाइसेंस देने से पहले, विनिर्माण प्रतिष्ठान का केंद्र सरकार और राज्य सरकार के औषधि निरीक्षकों द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण किया जाएगा।
- औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में संशोधन किया गया है, जिससे यह अनिवार्य हो गया है कि आवेदक प्राधिकरण द्वारा विनिर्माण लाइसेंस देने से पहले राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को स्थिरता, अन्य घटक पदार्थों (एक्सीसिएन्ट्स) की सुरक्षा आदि के प्रमाण प्रस्तुत करेंगे।
- सीडीएससीओ राज्य औषधि नियंत्रण संगठनों की गतिविधियों का समन्वय करता है और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के प्रशासन में एकरूपता के लिए राज्य औषधि नियंत्रकों के साथ आयोजित औषधि सलाहकार समिति (डीसीसी) की बैठकों के माध्यम से विशेषज्ञ सलाह प्रदान करता है।
- औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और देश में औषधि विनिर्माण परिसरों के नियामक अनुपालन का आकलन करने के लिए, सीडीएससीओ ने राज्य औषधि नियंत्रकों (एसडीसी) के साथ मिलकर 275 परिसरों का जोखिम-आधारित निरीक्षण किया है।
6. देश में समुद्री अनुसंधान
- सरकार ने नवीन और अनुप्रयुक्त अनुसंधान-आधारित इंजीनियरिंग प्रदान करने के लिए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सागरमाला कार्यक्रम के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास, चेन्नई के सहयोग से बंदरगाह, जलमार्ग और तट के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र (एनटीसीपीडब्ल्यूसी) की स्थापना की है, ताकि देश में बंदरगाहों, जलमार्गों और तटों से संबंधित विभिन्न मुद्दों का समाधान हो सके।
- संस्थान सेडिमेंट मैनेजमेंट और टेस्ट बेसिन, ब्रिज मिशन सिम्युलेटर, फील्ड अनुसंधान प्रयोगशाला और समुद्री सूचना और संचार प्रयोगशाला सहित अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं से सुसज्जित है।
- संस्थान ने बंदरगाहों और जलमार्गों के लिए 120 से अधिक अनुसंधान और तकनीकी सहायता परियोजनाएं शुरू की हैं तथा 10 से अधिक नवीन उत्पाद विकसित किए हैं, जो व्यावसायीकरण के लिए तैयार हैं।
- कुछ उल्लेखनीय स्वदेशी समाधानों में ऑनलाइन ड्रेजिंग मॉनिटरिंग सिस्टम, हाइड्रोमेटोरोलॉजी मॉनिटरिंग के लिए अगली पीढ़ी की तकनीक, रियल टाइम – अंडरवाटर कील क्लीयरेंस, स्वदेशी पोत यातायात प्रबंधन प्रणाली, स्वायत्त हाइड्रोग्राफिक और महासागरीय सर्वेक्षण के लिए मानव रहित सतह पोत, जलमार्गों के लिए अगली पीढ़ी का नेविगेशन और डिजिटल ट्विन्स शामिल हैं।
- एनटीसीपीडब्ल्यूसी की स्थापना 77 करोड़ रुपये की लागत से की गई है, जिसमें सरकार और उसके अधीनस्थ संगठनों की वित्तीय सहायता शामिल है।
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