विषयसूची:
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1. शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए PGI-D पर संयुक्त रिपोर्ट जारी की:
सामान्य अध्ययन: 2
शिक्षा:
विषय: शिक्षा,मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: जिलों के प्रदर्शन क्रम निर्धारण सूचकांक (PGI-D) पर रिपोर्ट।
मुख्य परीक्षा: PGI-D पर रिपोर्ट का शिक्षा की बेहतरी हेतु महत्व।
प्रसंग:
- शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DOSE&L) ने वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए जिलों के प्रदर्शन क्रम निर्धारण सूचकांक (PGI-D) पर संयुक्त रिपोर्ट जारी की है।
उद्देश्य:
- जो व्यापक विश्लेषण के उद्देश्य से एक सूचकांक तैयार कर जिला स्तर पर विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन का आकलन करता है।
- जिलों के प्रदर्शन क्रम निर्धारण सूचकांक विवरण के लिए राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में 2020-21 के दौरान 742 जिलों तथा 2021-22 में 748 जिलों को वर्गीकृत किया गया है।
विवरण:
- भारतीय शिक्षा प्रणाली विश्व के सबसे बड़े शिक्षा तंत्रों में से एक है। इस प्रणाली में लगभग 14.9 लाख विद्यालय, 95 लाख शिक्षक और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लगभग 26.5 करोड़ छात्र समाहित हैं।
- शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने राज्यों हेतु प्रदर्शन क्रम निर्धारण सूचकांक (PGI-D) को तैयार किया है और संदर्भ वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए रिपोर्ट जारी की है।
- राज्य PGI की सफलता से उत्साहित होते हुए स्कूली शिक्षा में सभी जिलों के प्रदर्शन को श्रेणीबद्ध करने के लिए 83-संकेतक आधारित जिलों के प्रदर्शन क्रम निर्धारण सूचकांक (PGI-D) तैयार किया गया है।
- इसमें जिलों द्वारा डाटा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भरा जाता है।
- ऐसी उम्मीद की जा रही है कि PGI-D राज्य शिक्षा विभागों को जिला स्तर पर कमियों की पहचान करने और विकेंद्रीकृत तरीके से उनके प्रदर्शन में सुधार करने में सहायता करेगा।
- संकेतक-वार PGI आकलन उन क्षेत्रों को प्रदर्शित करता है, जहां पर किसी भी जिले को सुधार की आवश्यकता है।
- वर्ष 2018-19 और 2019-20 की PGI-D रिपोर्ट पहले ही जारी की जा चुकी है और वर्तमान विवरण वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए संयुक्त दस्तावेज है।
- PGI-D संरचना के 83 संकेतकों में 600 अंकों की कुल वेटेज शामिल है, जिन्हें 6 श्रेणियों में बांटा गया है, जैसे परिणाम, प्रभावी कक्षा कार्यसम्पादन, बुनियादी ढांचा सुविधाएं व विद्यार्थियों के अधिकार, स्कूल सुरक्षा एवं बाल संरक्षण, डिजिटल लर्निंग तथा प्रशासनिक प्रक्रिया।
- इन श्रेणियों को 12 डोमेन में विभाजित किया गया है, जिनमें सीखने के नतीजे व गुणवत्ता (LO), अधिगम परिणाम (AO), शिक्षक उपलब्धता एवं व्यावसायिक विकास प्रतिफल (TAPDO), शिक्षण प्रबंधन (LM), शिक्षण संवर्धन गतिविधियां (LEA), बुनियादी ढांचा, सुविधाएं, विद्यार्थियों के लिए अवसर (IF & SE), विद्यालय सुरक्षा और बाल संरक्षण (SS & CP), डिजिटल लर्निंग (DL), धनराशि अभिसरण तथा उपयोग (FCV), CRC प्रदर्शन को बढ़ावा देना (CRCP), उपस्थिति निगरानी प्रणाली (AMS) और विद्यालयी नेतृत्व विकास (SLD) शामिल हैं।
- PGI-D जिलों को दस श्रेणियों में वर्गीकृत करता है।
- इसके अनुसार उच्चतम प्राप्त ग्रेड दक्ष है, जो उस श्रेणी में या कुल मिलाकर 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले जिलों के लिए है।
- PGI-D में सबसे निचले ग्रेड को आकांशी-3 कहा जाता है, जो कुल अंकों के 10 प्रतिशत तक के स्कोर के लिए है।
- PGI-D का अंतिम उद्देश्य जिलों को स्कूली शिक्षा में हस्तक्षेप के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सहायता करना और इस प्रकार उच्चतम ग्रेड तक पहुंचने में सुधार करना है।
2. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मोबाइल ऐप विकसित किया गया:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: प्रोधोगिकी मिशन; पशुपालन संबंधी अर्थशास्त्र।
प्रारंभिक परीक्षा: ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)’, ‘‘रिपोर्ट फिश डिजीज’’ ऐप।
प्रसंग:
- मत्स्य रोगों की त्वरित रिपोर्टिंग और जलीय कृषकों को समय पर वैज्ञानिक परामर्श देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मोबाइल ऐप विकसित किया गया है।
उद्देश्य:
- मछली को प्रोटीन और ओमेगा 3-फैटी एसिड का सबसे स्वास्थ्यप्रद स्रोत माना जाता है, और यह कुपोषण को कम करने की प्रचुर क्षमता प्रदान करती है।
- जलीय कृषि सबसे तेजी से बढ़ते खाद्य उत्पादक क्षेत्रों में से एक है और प्रोटीन की बढ़ती मांग को पूरा करने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका है।
- इसके अतिरिक्त, यह सेक्टर देश में लगभग 3 करोड़ मछुआरों और मत्स्य कृषकों को आजीविका और रोजगार प्रदान करता है।
- इस क्षेत्र में विकास की असीम संभावनाओं को देखते हुए और नीली क्रांति लाने के लिए, भारत सरकार ने 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, जो देश में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है, एक प्रमुख योजना ‘‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)’’ लागू की है।
विवरण:
- रोग जलीय कृषि के विकास में एक गंभीर बाधा हैं और जलीय जीवों के रोगों के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है।
- ऐसी बीमारियों के नियंत्रण के लिए शीघ्र पता लगाना महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे केवल उचित निगरानी कार्यक्रम के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
- रोग निगरानी के महत्व को स्वीकार करते हुए, जलीय जीवों के रोगों के लिए एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम (NSPAAD) को वर्ष 2013 में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB), हैदराबाद के माध्यम से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग द्वारा सहायता प्रदान की गई थी।
- यह कार्यक्रम जलीय कृषि महत्व के 14 राज्यों में शुरू किया गया था और इसमें 24 सहयोगी केन्द्र शामिल थे तथा इसे आईसीएआर-राष्ट्रीय मछली आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो द्वारा समन्वित किया जा रहा है।
- इस कार्यक्रम को 27 फरवरी, 2023 को ICAR-CIBA, चेन्नई में भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के केन्द्रीय मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
- 9 वर्षों की अवधि में NSPAAD की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं में शामिल हैं:
- देश में जलीय जीव स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं का एक मजबूत नेटवर्क विकसित करना,
- विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WHO) में सूचीबद्ध और उभरते हुए जलीय पशु रोगजनकों का पता लगाने के लिए नैदानिक क्षमता विकसित करना,
- देश में निष्क्रिय रोग निगरानी को सुदृढ़ बनाना,
- किसानों को रोग के प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक सलाह प्रदान करना,
- देश में पहली बार नौ नए रोगजनकों का पता लगाना,
- विदेशी और उभरती बीमारियों की पहली-बार पुष्टि के लिए तंत्र स्थापित करना और रोग के प्रसार को रोकने के लिए एक नए रोग के संदेह के बाद हितधारकों को अलर्ट/परामर्शी भेजना,
- एक्यूट हेपेटोपैंक्रिएटिक नेक्रोसिस रोग (AHPND) (अब एक WHO सूचीबद्ध रोग) जिसका झींगा व्यापार पर भारी प्रभाव है, के उभरने के बारे में अटकलों को सफलतापूर्वक दूर करना,
- एक पारदर्शी रिपोर्टिंग प्रणाली स्थापित करना और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, अर्थात् विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) और एशिया-प्रशांत में एक्वाकल्चर केन्द्रों (NACA) के नेटवर्क को जलीय जीवों के रोगों की रिपोर्टिंग के मामले में देश की विश्वसनीयता बढ़ाना।
- कार्यक्रम के तहत किसान आधारित रिपोर्टिंग को और सुदृढ़ बनाने के लिए एक ‘‘रिपोर्ट फिश डिजीज’’ ऐप विकसित किया गया है।
- इस ऐप को हाल ही में 28 जून, 2023 को भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला द्वारा लॉन्च किया गया है।
- इस नवोन्मेषी ऐप का उपयोग करने के द्वारा, किसान अपने खेतों में फिनफिश, झींगा और मोलस्क में रोग के मामलों की रिपोर्ट क्षेत्रीय स्तर के अधिकारियों और मछली स्वास्थ्य विशेषज्ञों को कर सकते हैं और अपने खेतों में रोग की समस्या के शीघ्र समाधान के लिए वैज्ञानिक सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
- यह ऐप मत्स्य कृषकों, प्रक्षेत्र-स्तर के अधिकारियों और मछली स्वास्थ्य विशेषज्ञों को कनेक्ट करने के लिए एक केन्द्रीय मंच होगा।
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का विजन भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करना है।
- किसानों के सामने आने वाले रोगों की समस्या को समझने के लिए इस तरह के ऐप्स का विकास पूरे मछली पालन करने वाले समुदायों को अपनी समस्या साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करके हमारे प्रधानमंत्री के ‘‘डिजिटल इंडिया’’ के विजन को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह परिकल्पना की गई है कि ‘‘रिपोर्ट फिश डिजीज’’ की पहुंच देश के सबसे सुदूर स्थानों में स्थित सभी मछली पालन समुदायों तक होगी, ताकि जलीय पशुओं में प्रत्येक रोग के मामले की सूचना दी जा सके, उनकी जांच की जा सके और समय पर उन्हें वैज्ञानिक सलाह प्रदान की जा सके, ताकि रोग की समस्या का निदान किया जा सके।
- किसानों द्वारा जिन समस्याओं पर पहले ध्यान नहीं दिया जाता था या रिपोर्ट नहीं की जाती थी, वे विशेषज्ञों तक पहुंचेंगी और न्यूनतम समय के भीतर समस्या का समाधान किया जाएगा।
- इस प्रकार रोगों के प्रकोप के कारण जो आर्थिक हानि हो रही थी, वह बहुत सीमा तक कम हो जायेगी, जिससे मत्स्य कृषकों की आय बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
3. चंद्रयान-3, भारत को चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगा:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत कि उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: चंद्रयान-3 से संबंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारत अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा। कथन का विश्लेषण कीजिए।
प्रसंग:
- जुलाई माह के मध्य में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाने वाला चंद्रयान-3, भारत को चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगा।
उद्देश्य:
- चंद्रयान-3 मिशन के तीन प्राथमिक उद्देश्य हैं; (A) चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का प्रदर्शन, (B) चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन और (C) इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन।
- चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा अथवा इसकी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग में भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है।
- चंद्रयान-2 से उन्नत चंद्रयान-3 में लैंडर की मजबूती बढ़ाने के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं।
विवरण:
- हाल ही में प्रधानमंत्री के संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राजकीय दौरे को महत्वपूर्ण अंतरिक्ष संबंधित समझौतों के रूप में चिन्हित किया गया था, जो यह दर्शाता है कि जिन देशों ने भारत से बहुत पहले अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी, वे आज भारत को एक समान सहयोगी के रूप में देख रहे हैं।
- चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा अथवा चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग में भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है।
- अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के लिए आवश्यक जटिल मिशन प्रोफ़ाइल को बहुत सटीक तरीके से क्रियान्वित किया गया है।
- चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर आएगा और चंद्रमा पर 14 दिनों तक कार्य कर सकेगा।
- रोवर पर कई कैमरों के सहयोग से हम तस्वीरें प्राप्त कर सकेंगे।
- अंतरिक्ष कर्मियों के लिए एक सक्षम वातावरण प्रदान करने और सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने जैसे अग्रणी निर्णय लेने के लिए विकास की वर्तमान गति के आधार पर आने वाले वर्षों में हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।
- चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय चंद्रयान की श्रृंखला में प्रथम अर्थात् चंद्रयान-1 को दिया जाता है, जो दुनिया और सबसे प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक नई खोज थी और यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका का नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) इस खोज से आकर्षित हुआ और उन्होंने अपने आगे के प्रयोगों के लिए इस इनपुट का उपयोग किया।
- चंद्रयान-3 अगले स्तर पर काम करेगा। अंतरिक्ष यान अपने लॉन्च के लिए इसरो द्वारा विकसित लॉन्च व्हीकल मार्क-3 का उपयोग करेगा।
- चंद्रयान-2 से उन्नत चंद्रयान-3 में लैंडर की मजबूती बढ़ाने के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं।
- ये सभी संशोधन टैस्ट बेड्स के माध्यम से विस्तृत जमीनी परीक्षणों और सिमुलेशन के अनुसार हैं।
- चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर मॉड्यूल भी पेलोड के साथ कार्य रूप में हैं, जो वैज्ञानिक समुदाय को चंद्र मिट्टी और चट्टानों के रासायनिक व मौलिक संरचना सहित विभिन्न गुणों पर डेटा प्रदान करेगा।
पृष्ठ्भूमि:
- चंद्रयान-3 के लॉन्च को लेकर देश भर में जबरदस्त उत्साह है, विशेष रूप से क्योंकि 6 सितंबर, 2019 को अंतरिक्ष यान के उतरने के लगभग 13 मिनट बाद हुई चूक के कारण चंद्रयान-2 मिशन अपेक्षित परिणाम नहीं दे सका था।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज़ कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ONDC में शामिल हुआ:
- सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज़ कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ONDC में शामिल हुआ।
- वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज़ कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIC) के डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ONDC) के साथ सहयोग और ‘मेगा सेल’ प्रचार अभियान के उद्घाटन के अवसर पर CCIC ने एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया।
- इसका उद्देश्य बाजार में उपस्थिति का विस्तार करना और हस्तशिल्प एवं हथकरघा उत्पादों को ग्राहकों के लिए सहजता से उपलब्ध कराना है।
- कारीगरों और बुनकरों की सहायता करने और आत्मनिर्भर भारत तथा वोकल फॉर लोकल पहल के विजन में योगदान देने के लिए CCIC ने 8 जुलाई से 23 जुलाई 2023 तक ‘मेगा सेल’ प्रचार अभियान का आयोजन किया है। इस अभियान में भारत की पांरपरिक कला, शिल्प और शिल्पकारों को बढ़ावा देने के लिए हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों पर 30 प्रतिशत तक की छूट दी गई है।
- सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIC), वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो नई दिल्ली और अन्य महानगरीय शहरों में अपने शोरूम के माध्यम से उत्तम प्रामाणिक भारतीय हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों के प्रचार और खुदरा विपणन में कार्यरत है।
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