विषयसूची:
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1. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आईसीडी-11, पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल 2 जारी किया:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध,स्वास्थ्य:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश। स्वास्थ्य,शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)
मुख्य परीक्षा: विश्व स्वास्थ्य संगठन आईसीडी 11 मॉड्यूल 2 ( मॉर्बिडिटी कोड्स) के लॉन्च का भारत की चिकित्सा व्यवस्था पर प्रभाव बताइये।
प्रसंग:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आईसीडी 11, पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल 2 के जारी होने के साथ, इसके कार्यान्वयन की तैयारी शुरू हो गई है।
उद्देश्य:
- आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा पर आधारित रोगों से संबंधित डेटा और शब्दावली को विश्व स्वास्थ्य संगठन आईसीडी-11 वर्गीकरण में शामिल किया गया है।
- इस प्रयास से, आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में रोगों को परिभाषित करने वाली शब्दावली को एक कोड के रूप में अनुक्रमित किया गया है और विश्व स्वास्थ्य संगठन रोग वर्गीकरण श्रृंखला आईसीडी-11 में सम्मिलित किया गया है।
विवरण:
- आयुष मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से आईसीडी-11 श्रृंखला के टीएम-2 मॉड्यूल के अंतर्गत आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी प्रणालियों में उपयोग की जाने वाली बीमारियों का वर्गीकरण तैयार किया है।
- इस वर्गीकरण के लिए पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय के बीच एक दानकर्त्ता समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए थे।
- यह प्रयास भारत की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली, अनुसंधान, आयुष बीमा कवरेज, अनुसंधान एवं विकास, नीति निर्माण प्रणाली को और मजबूत और विस्तारित करेगा।
- इसके अलावा, इन कोड का उपयोग समाज में विभिन्न बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए भविष्य की रणनीति बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
- आयुष मंत्रालय भविष्य में आईसीडी-11, मॉड्यूल 2 के आधार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति तैयार करेगा और इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करेगा।
- आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा शब्दावली का समावेश पारंपरिक चिकित्सा और वैश्विक मानकों के बीच एक संबंध बनाता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित रोग शब्दावली को शामिल करना एक एकीकृत वैश्विक परंपरा के निर्माण में एक मील का पत्थर साबित होता है।
- आईसीडी-11 में सूचीबद्ध डेटा वैश्विक उपयोग के लिए उपलब्ध होगा।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, आईसीडी-11 में टीएम मॉड्यूल 2 को शामिल करने को पारंपरिक चिकित्सा की वैश्विक मान्यता के साथ-साथ एक आंदोलन के रूप में देखा जा सकता है।
- इसके लिए रणनीति वर्ष 2014 से 2023 तक के लिए तैयार की गई थी और वर्ष 2025 से 2034 के लिए पारंपरिक चिकित्सा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति का पहला मसौदा तैयार किया गया है।
- ब्राजील, बांग्लादेश, मलेशिया, मॉरीशस, श्रीलंका, नेपाल, ईरान और ब्रिटेन सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने देशों में पारंपरिक चिकित्सा की वर्तमान स्थिति के बारे में अपने अनुभव साझा किए।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा और नई दिल्ली के एम्स ने अनुसंधान परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए सहयोग बढ़ाया:
- रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) और नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने बहु-विषयक वैज्ञानिक एवं तकनीकी मामलों को हल करने वाले पारस्परिक हित, संयुक्त अनुसंधान तथा शैक्षणिक गतिविधियों के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्यों के साथ 10 जनवरी, 2024 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इन दोनों संगठनों के संकाय दोनों संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं विशेष रूप से जांच, अनुसंधान व रोगी देखभाल सेवाओं में अधिक बेहतर गतिविधियों को संचालित करने का प्रयास करेंगे।
- संकाय आदान-प्रदान कार्यक्रम अनुसंधान और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए एक संस्थान से दूसरे संस्थान में संकाय गतिविधियों को सुचारू बनाएगा।
- संभावित सहयोग तलाशने केउद्देश्य से दोनों संस्थानों के पांच सदस्यों का एक सहयोग बोर्ड बनाया गया है, जिसके लिए मासिक बैठकें आयोजित होंगी।
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