विषयसूची:
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10 July 2024 Hindi PIB
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1. भारत-ऑस्ट्रिया साझेदारी बढ़ाने पर संयुक्त वक्तव्य:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: भारत-ऑस्ट्रिया सम्बन्ध।
प्रसंग:
- ऑस्ट्रिया के चांसलर श्री कार्ल नेहमर के निमंत्रण पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 9-10 जुलाई 2024 तक ऑस्ट्रिया की आधिकारिक यात्रा पर गए।
उद्देश्य:
- अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति महामहिम अलेक्जेंडर वान डेर बेलन से मुलाकात की और चांसलर नेहमर के साथ द्विपक्षीय चर्चा की।
विवरण:
- यह प्रधानमंत्री की ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा थी और किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 41 वर्षों के बाद यह पहली यात्रा थी। इस वर्ष दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों का 75वां वर्ष है।
- प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर नेहमर ने लोकतंत्र, स्वतंत्रता, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के साझा मूल्यों, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के साथ नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, और दोनों देशों के दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत साझेदारी के केंद्र में रखा।
- उन्होंने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को गहरा करने की प्रतिबद्धता दोहराई, ताकि एक स्थिर, समृद्ध और टिकाऊ दुनिया का निर्माण हो सके।
- दोनों नेताओं ने अपनी द्विपक्षीय साझेदारी को उच्च स्तर तक बढ़ाने की क्षमता को मान्यता दी और इस साझा उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने पर सहमति व्यक्त की।
- उन्होंने हरित और डिजिटल प्रौद्योगिकियों, बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, जल प्रबंधन, जीवन विज्ञान, स्मार्ट शहरों, गतिशीलता और परिवहन में नई पहल और संयुक्त परियोजनाओं, अनुसंधान और नवाचार, और व्यवसाय-से-व्यवसाय जुड़ाव पर जोर दिया।
राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग:
- प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर नेहमर ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और समृद्धि में योगदान देने के लिए साझा प्रयास किए।
- उन्होंने UNCLOS के माध्यम से समुद्री स्वतंत्रता और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुष्टि की।
- उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों में निंदा की और आतंकवादियों के खिलाफ सशक्त कार्रवाई का समर्थन किया।
- G20 शिखर सम्मेलन में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) के शुभारंभ को महत्वाकांक्षी रूप से स्वागत किया।
- दोनों नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और निवेश के लिए सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए समर्थन दिया।
सतत आर्थिक भागीदारी:
- आर्थिक और प्रौद्योगिकी भागीदारी:
- दोनों नेताओं ने रणनीतिक उद्देश्य के रूप में मजबूत आर्थिक और प्रौद्योगिकी भागीदारी को मान्यता दी।
- वियना में उच्च स्तरीय द्विपक्षीय व्यापार मंच का स्वागत किया गया।
- व्यापार और अनुसंधान:
- व्यापार मंच को संबोधित करते हुए नए गठजोड़ की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहन दिया।
- अनुसंधान, वैज्ञानिक गठजोड़, प्रौद्योगिकी भागीदारी और नवाचार के महत्व पर जोर दिया।
- स्टार्ट-अप और नवाचार:
- फरवरी 2024 में ऑस्ट्रिया के श्रम और अर्थव्यवस्था मंत्री की भारत यात्रा का स्वागत किया।
- जून 2024 में ऑस्ट्रिया में भारतीय स्टार्ट-अप की सफल यात्रा के दौरान स्टार्ट-अप ब्रिज स्थापित किया गया।
- जलवायु तटस्थता और ऊर्जा सहयोग:
- दोनों देशों ने जलवायु तटस्थता और शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्यों की प्रतिबद्धता को याद किया।
- नवीकरणीय/हरित हाइड्रोजन में व्यापक साझेदारी का समर्थन किया।
- पर्यावरण प्रौद्योगिकियाँ:
- स्वच्छ परिवहन, जल प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा में लक्षित सहयोग की पहचान की।
- उद्यमों और परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण बढ़ाने के लिए सार्वजनिक और निजी संस्थानों को प्रोत्साहित किया।
साझा भविष्य के लिए कौशल:
- कौशल विकास और गतिशीलता:
- उच्च तकनीक क्षेत्रों में कुशल कर्मियों के कौशल विकास और गतिशीलता के महत्व को मान्यता दी।
- द्विपक्षीय प्रवासन और गतिशीलता समझौते के संचालन का स्वागत किया।
- शैक्षणिक सहयोग:
- शैक्षणिक संस्थानों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में भविष्य-उन्मुख साझेदारी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
लोगों से लोगों के बीच संबंध:
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान:
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान की लंबी परंपरा और ऑस्ट्रियाई इंडोलॉजिस्ट व भारतीय सांस्कृतिक हस्तियों की भूमिका की सराहना।
- योग और आयुर्वेद में ऑस्ट्रियाई लोगों की बढ़ती रुचि को ध्यान में रखा।
- सांस्कृतिक संबंध:
- संगीत, नृत्य, ओपेरा, थिएटर, फिल्म, साहित्य, खेल आदि में सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने का स्वागत।
- सांस्कृतिक सहयोग पर हाल ही में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के तहत प्रयासों को सराहा।
- पर्यटन और विकास:
- पर्यटन की भूमिका को आर्थिक, टिकाऊ और समावेशी विकास में मान्यता दी।
- पर्यटकों के प्रवाह को बढ़ाने के लिए सीधी उड़ान कनेक्टिविटी और ठहरने की अवधि का विस्तार करने के प्रयासों को प्रोत्साहित किया।
बहुपक्षीय सहयोग:
- बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र चार्टर:
- बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि।
- बहुपक्षीय मंचों पर नियमित द्विपक्षीय परामर्श और समन्वय पर सहमति।
- संयुक्त राष्ट्र सुधार:
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित व्यापक सुधारों की प्रतिबद्धता दोहराई।
- 2027-28 के लिए ऑस्ट्रिया की यूएनएससी उम्मीदवारी का भारत ने समर्थन किया और 2028-29 के लिए ऑस्ट्रिया ने भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन:
- प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रिया को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में सदस्यता का निमंत्रण दिया।
- आतिथ्य और निमंत्रण:
- चांसलर नेहमर को भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
2. जैविक उत्पादों के लिए भारत और ताइवान के बीच पारस्परिक मान्यता समझौता:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत और ताइवान के बीच जैविक उत्पादों के लिए पारस्परिक मान्यता समझौता (एमआरए),कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा।
मुख्य परीक्षा: भारत – ताइवान सम्बन्ध।
प्रसंग:
- भारत और ताइवान के बीच जैविक उत्पादों के लिए पारस्परिक मान्यता समझौता (एमआरए) नई दिल्ली में व्यापार संबंधी 9वें कार्य समूह की बैठक के दौरान 8 जुलाई, 2024 से लागू किया गया है।
उद्देश्य:
- एमआरए प्रमुख भारतीय जैविक उत्पादों, जैसे चावल, प्रसंस्कृत खाद्य, हरी/काली और हर्बल चाय, औषधीय पौधों के उत्पादों आदि का ताइवान में निर्यात का मार्ग प्रशस्त करेगा।
विवरण:
- भारत और ताइवान के बीच एमआरए का कार्यान्वयन एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि यह जैविक उत्पादों के लिए पहला द्विपक्षीय समझौता है।
- एमआरए के लिए कार्यान्वयन एजेंसियां भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और ताइवान के कृषि मंत्रालय के तहत कृषि एवं खाद्य एजेंसी (एएफए) हैं।
- इस समझौते के आधार पर, राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के अनुरूप जैविक रूप से उत्पादित और संभाले गए कृषि उत्पादों को एनपीओपी के तहत एक मान्यता प्राप्त प्रमाणन निकाय द्वारा जारी जैविक प्रदर्शन दस्तावेज़ (लेनदेन प्रमाण पत्र, आदि) के साथ ताइवान में “इंडिया ऑर्गेनिक” लोगो के प्रदर्शन सहित बिक्री की अनुमति है।
- इसी तरह, जैविक कृषि संवर्धन अधिनियम के अनुरूप जैविक रूप से उत्पादित और संभाले गए कृषि उत्पादों को ताइवानी विनियमन के तहत एक मान्यता प्राप्त प्रमाणन निकाय द्वारा जारी किए गए जैविक प्रदर्शन दस्तावेज़ (लेन-देन प्रमाण-पत्र आदि) के साथ भारत में “ताइवान ऑर्गेनिक” लोगो के प्रदर्शन सहित बिक्री की अनुमति है।
- पापस्परिक मान्यता से दोहरे प्रमाणपत्रों से बचकर जैविक उत्पादों के निर्यात में आसानी होगी और ऐसा करने से अनुपालन लागत कम होगी,सिर्फ एक विनियमन का पालन करके अनुपालन आवश्यकता सरल हो जाएगी और जैविक क्षेत्र में व्यापार के अवसर बढ़ जाएंगे।
3. पीएलआई योजना: दूरसंचार उपकरण विनिर्माण में 50 हजार करोड़ रुपये की बिक्री के पार
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने प्रगति,विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना।
प्रसंग:
- भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों तथा इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से देश में उत्पादन, रोजगार-सृजन, आर्थिक विकास और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
उद्देश्य:
- पीएलआई योजनाएं उत्पादन, रोजगार-सृजन और आर्थिक विकास वृद्धि में योगदान देती हैं।
- सरकार के प्रयासों के कारण वित्त वर्ष 2023-24 में दूरसंचार उपकरण निर्यात (1.49 लाख करोड़ रुपये) और आयात (1.53 लाख करोड़ रुपये) समान स्तर पर रहेंगे।
विवरण:
- पीएलआई योजना ने 3,400 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है और दूरसंचार उपकरण उत्पादन में 50,000 करोड़ रुपये की बिक्री को पार किया है। इससे रोजगार सृजन हुआ है और भारतीय दूरसंचार विनिर्माण उद्योग की प्रतिस्पर्धा में मदद मिली है।
- भारत कई वर्षों से दूरसंचार उपकरणों का आयात करता रहा है, लेकिन मेक-इन-इंडिया और पीएलआई योजना के कारण संतुलन बदल गया है, जिससे देश में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उपकरणों का उत्पादन हो रहा है।
मुख्य विशेषताएं दूरसंचार (मोबाइल को छोड़कर):
- निवेश और उत्पादन: पीएलआई योजना ने 3,400 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है और दूरसंचार उपकरण उत्पादन में 50,000 करोड़ रुपये की बिक्री को पार किया है।
- रोजगार सृजन: दूरसंचार उपकरण विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर सृजित हुए हैं। इस पहल ने न केवल आर्थिक विकास में योगदान दिया है, बल्कि विनिर्माण से लेकर अनुसंधान और विकास तक मूल्य श्रृंखला में रोजगार के विभिन्न अवसर भी सृजित किए हैं। इससे 17,800 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं।
- स्वावलंबन और प्रतिस्पर्धा: यह योजना भारतीय दूरसंचार विनिर्माण उद्योग की सुदृढ़ता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने में मदद करती है।
- उद्देश्य: पीएलआई योजना का मुख्य उद्देश्य है भारत को दूरसंचार उपकरण उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना और घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना।
- उत्पादन में वृद्धि: पीएलआई योजना के परिणामस्वरूप, भारत में मोबाइल फोन के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है, जो 2014-15 में 5.8 करोड़ यूनिट से 2023-24 में 33 करोड़ यूनिट तक पहुँच गया है।
- आयात में कमी: सरकारी पहलों के परिणामस्वरूप, मोबाइल फोन के आयात में भी व्यापक कमी आई है, जो 2014-15 में 21 करोड़ यूनिट से 2023-24 में केवल 0.3 करोड़ यूनिट तक गिरा है।
- आयात पर निर्भरता में कमी: पीएलआई योजना ने भारतीय दूरसंचार उपकरणों के उत्पादन में वृद्धि करके आयातित उपकरणों पर देश की निर्भरता को 60% तक कम कर दिया है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा में सुधार हुआ है और आत्मनिर्भरता को मजबूती मिली है।
- आयात में कमी का प्रभाव: आयात में कमी के परिणामस्वरूप, विदेशी वाणिज्यिक निर्माताओं से नहीं, बल्कि भारतीय विनिर्माण क्षमताओं का विकास हुआ है और देश ने अपनी निर्मित उत्पादों की वृद्धि की है।
- निर्यात में वृद्धि: मोबाइल फोन के निर्यात में भी बड़ी वृद्धि दर्शाई गई है, जो 2014-15 में 1,556 करोड़ रुपये से 2023-24 में 1,28,982 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है।
- उद्योग वृद्धि: दूरसंचार उपकरण विनिर्माण क्षेत्र ने असाधारण वृद्धि दर्ज की है।
- लाभार्थी कंपनियाँ: वित्त वर्ष 2023-24 में पीएलआई योजना से लाभार्थी कंपनियों द्वारा दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों की बिक्री 370% तक बढ़ी है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारतीय निर्माताओं ने वैश्विक स्तर पर तेजी से प्रतिस्पर्धा की है और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को प्रस्तुत किया है।
- दूरसंचार उपकरणों में शामिल जटिल वस्तुओं में रेडियो, राउटर और नेटवर्क उपकरण हैं। सरकार ने कंपनियों को 5जी उपकरण बनाने के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान किया है।
- पीएलआई योजना और सरकारी पहलों के परिणामस्वरूप, भारतीय दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के निर्यात में काफी सुधार हुआ है।
- पिछले पांच वर्षों में व्यापार 68,000 करोड़ रुपये से 4,000 करोड़ रुपये तक घटा है, जबकि आयात 1.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
- यह योजनाएं भारतीय उत्पादों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने और उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान कर रही हैं।
4. जीआरएसई त्वरित नवाचार प्रोत्साहन योजना (गेन्स- 2024) की शुरुआत:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने प्रगति,विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: “जीआरएसई त्वरित नवाचार प्रोत्साहन योजना (गेन्स-2024)”।
प्रसंग:
- रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने 10 जुलाई, 2024 को कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स और इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) की “जीआरएसई त्वरित नवाचार प्रोत्साहन योजना (गेन्स-2024)” की शुरुआत की।
उद्देश्य:
- यह एक अभिनव योजना है, जो शिपयार्ड से संबंधित समस्याओं का समाधान तलाशती है और देश में निर्मित व पोषित स्टार्ट-अप्स का उपयोग करके प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देती है।
विवरण:
- यह एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स को आगे की तकनीकी उन्नति के लिए अभिनव समाधान विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने में सक्षम बनाता है।
- यह पहल भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ नीतियों के अनुरूप है।
- यह भारतीय रक्षा क्षेत्र के भविष्य को गेन्स जैसी नवाचार और तकनीकी प्रगति एक नया आयाम देगी। अपनी तकनीकी प्रगति व समर्पण के साथ सशस्त्र बलों की शक्ति बढ़ाएंगे और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे।
- नई प्रौद्योगिकी को अपनाना शिपयार्ड का एक प्रमुख केंद्रित क्षेत्र है और गेन्स-2024 इस दिशा में एक प्रमुख योगदानकर्ता होगा।
- ‘गेन्स’, एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स को अभिनव समाधान विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने और सक्षम बनाने को लेकर एक अनूठी राष्ट्रीय योजना है, जिसे जीआरएसई आगे की तकनीकी उन्नति के लिए लागू कर सकता है।
- इसका उद्देश्य पोत डिजाइन एवं निर्माण उद्योग में मौजूदा और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए एमएसएमई व स्टार्ट-अप्स के विशाल इकोसिस्टम का लाभ उठाने के साथ आत्मनिर्भरता के उद्देश्यों को प्राप्त करना है।
5. यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी):
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी)।
मुख्य परीक्षा: भारत – अमेरिका सम्बन्ध।
प्रसंग:
- यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) के कार्यकारी उपाध्यक्ष एडवर्ड नाइट के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने 10 जुलाई 2024 को नार्थ ब्लाक में केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह से मुलाकात की और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की।
उद्देश्य:
- यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी), अमेरिका और भारत में काम करने वाली शीर्ष वैश्विक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है, यह दोनों देशों में कारोबार जगत और सरकारों के बीच संपर्क स्थापित करती है।
- इसमें लगभग 200 कंपनियां सदस्य हैं जिनमें 70 प्रतिशत अमेरिकी हैं जबकि शेष 30 प्रतिशत भारत से हैं।
- यूएसआईबीसी के कार्यालय भारत में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु में हैं जबकि इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. में है।
- यूएसआईबीसी यू.एस. चैंबर आफ कॉमर्स का भी हिस्सा है।
विवरण:
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच क्वांटम प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, महत्वपूर्ण धातुओं और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है।
- उन्होंने भारत में ग्रीनफील्ड नवीकरणीय ऊर्जा, बैटरी भंडारण और उभरती हरित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं को लेकर भारत का अमेरिका के साथ जारी संयुक्त वक्तव्य का भी उल्लेख किया।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने बताया कि आगामी वर्षों में दुनिया दो महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी बनेगी, जिसमें एक भारतीय गहरे समुद्र में पहुंचा और दूसरा भारतीय अंतरिक्ष में पहुंचा जाएगा।
- उन्होंने इस दौरान भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रगति पर भी चर्चा की, जिसमें बायोटेक उद्योग के विकास का उल्लेख किया और नासा और इसरो के संयुक्त मिशन-एनआईएसएआर को भी महत्वपूर्ण बताया।
- केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पिछले 10 साल में सिविल सेवाओं में ऑनलाइन सुधारों का उल्लेख करते हुए बताया कि सरकार का 90% कामकाज अब ऑनलाइन हो रहा है।
- उन्होंने इसे नागरिक केन्द्रित प्रशासन की दिशा में और सरकारी आकार को छोटा करने की जरूरत के साथ जोड़ा।
- उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच सिविल सेवाओं में सुधार के लिए कार्यक्रमों और क्षमता निर्माण की महत्वपूर्णता पर भी बात की।
6. लंदन में आईएमओ परिषद सत्र में भारत ने वैश्विक समुद्री चर्चा का नेतृत्व किया:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ)।
मुख्य परीक्षा: आईएमओ परिषद सत्र में भारत की वैश्विक समुद्री चर्चा का उल्लेख कीजिए।
प्रसंग:
- बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव श्री टीके रामचंद्रन के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल लंदन में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) की परिषद के 132वें सत्र में भाग ले रहा है।
उद्देश्य:
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार में सबसे अधिक हित वाले के साथ आईएमओ परिषद के एक निर्वाचित सदस्य भारत ने नाविकों के परित्याग के तत्काल मुद्दे पर जोर दिया।
- प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि प्रयासों के बावजूद, वर्तमान में 292 भारतीय नाविकों से जुड़े 44 सक्रिय मामले हैं।
- ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए प्रभावी उपायों और निगरानी की आवश्यकता पर भारत के मजबूत रुख को अच्छी तरह से समझा गया।
विवरण:
- नाविकों के मुद्दों को निरंतर संबोधित करने की अपनी प्रतिबद्धता के कारण भारत ने संयुक्त त्रिपक्षीय कार्य समूह में आईएमओ का प्रतिनिधित्व करने वाली आठ सरकारों में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है।
- यह समूह नाविकों के मुद्दों और समुद्री संचालन में मानवीय मुद्दों की पहचान करने और उनसे निपटने के लिए समर्पित है।
- अन्य प्रस्तावित सदस्यों में फिलीपींस, थाईलैंड, लाइबेरिया, पनामा, ग्रीस, अमेरिका और फ्रांस शामिल हैं।
- श्री टी.के. रामचंद्रन ने बताया कि भारत समुद्री कार्यबल की सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
- उन्होंने भारत की भागीदारी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सहयोग और नवाचार में अपने समर्पण को रेखांकित किया।
- भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने समुद्री सुरक्षा के मामले में लाल सागर, अदन की खाड़ी और आस-पास के क्षेत्रों में व्यवधानों पर चिंता व्यक्त की।
- उन्होंने भारत की समुद्री सुरक्षा और संरक्षण की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला, विशेष रूप से मार्शल द्वीप के तेल वाहक एमवी मार्लिन लुआंडा और सोमालिया के तट से जहाज एमवी रुएन के बचाव में सफलतापूर्वक कार्रवाई की।
- इसके अलावा, भारत ने सतत समुद्री परिवहन के लिए दक्षिण एशियाई उत्कृष्टता केंद्र (एसएसीई-एसएमएआरटी) के अपने प्रस्ताव को दोहराया।
- इस क्षेत्रीय केंद्र का उद्देश्य भारत और दक्षिण एशिया में समुद्री क्षेत्र को तकनीकी रूप से उन्नत, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ और डिजिटल रूप से कुशल उद्योग में बदलना है।
- केंद्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, तकनीकी सहयोग को बढ़ाने, क्षमता निर्माण और डिजिटल बदलाव पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- आईएमओ के वैश्विक समुद्री प्रौद्योगिकी सहयोग केंद्रों (एमटीसीसी) के सहयोग से एसएसीई-एसएमएआरटी को विकसित करने में भारत के नेतृत्व को सतत समुद्री विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में उजागर किया गया।
पृष्ठ्भूमि:
- आईएमओ परिषद का 132वां सत्र 8 जुलाई, 2024 को शुरू हुआ और 12 जुलाई, 2024 तक चलेगा, जिसमें भविष्य के वैश्विक समुद्री परिचालन के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों और प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार-2024 की घोषणा:
- मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग, किसानों को स्थायी आजीविका प्रदान करने के लिए पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के प्रभावी विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
- भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लें सशक्त हैं और उनमें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आनुवंशिक क्षमता भी है।
- वैज्ञानिक तरीके से स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और विकास के उद्देश्य से दिसंबर 2014 में “राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)” शुरू किया गया था।
- आरजीएम के तहत, 2021 से यह विभाग दूध उत्पादक किसानों, डेयरी सहकारी समितियों/एमपीसी/एफपीओ और कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (एआईटी) को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर साल राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान कर रहा है।
- इस वर्ष भी राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार निम्नलिखित श्रेणियों के लिए है:
- स्वदेशी गाय/भैंस नस्ल का पालन करने वाला सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान (पंजीकृत नस्लों की सूची संलग्न)।
- सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति (डीसीएस)/दूध उत्पादक कंपनी (एमपीसी)/डेयरी किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)।
- सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी)।
- इस वर्ष से, विभाग ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) राज्यों के लिए एक विशेष पुरस्कार शामिल किया है ताकि उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में डेयरी विकास गतिविधियों को प्रोत्साहित और बढ़ावा दिया जा सके।
- एनजीआरए 2024 प्रत्येक श्रेणी में उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) राज्यों के लिए प्रथम, द्वितीय, तृतीय और एक विशेष पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। एनजीआरए 2024 में पहली दो श्रेणियों यानी सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान और सर्वश्रेष्ठ डीसीएस/एफपीओ/एमपीसी में योग्यता प्रमाणपत्र, एक स्मृति चिन्ह और मौद्रिक पुरस्कार शामिल होंगे:
- 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) -प्रथम रैंक
- 3,00,000/- (तीन लाख रुपये मात्र) -दूसरी रैंक और
- 2,00,000/- (रुपये दो लाख मात्र) -तीसरी रैंक
- 2,00,000/- (दो लाख रुपये मात्र) -उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के लिए विशेष पुरस्कार।
- सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) श्रेणी के मामले में, राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार-2024 में केवल योग्यता प्रमाण पत्र और एक स्मृति चिन्ह शामिल होगा।
- कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) श्रेणी में कोई नकद पुरस्कार प्रदान नहीं किया जाएगा।
2. औद्योगिक श्रमिकों का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (2016=100) – मई, 2024:
- श्रम ब्यूरो, श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय से संबंधित कार्यालय द्वारा हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन देश में फैले हुए 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर किया जाता है।
- मई, 2024 के लिए सूचकांक इस प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी किया जा रहा है।
- मई, 2024 का अखिल भारत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिक) 0.5 अंक बढ़कर 139.9 (एक सौ उनतालीस दशमलव नौ) अंकों के स्तर पर संकलित हुआ।
- मई, 2024 के लिए मुद्रास्फीति दर मई, 2023 के 4.42% की तुलना में 3.86% रही।
सी.पी.आई.- आई.डब्ल्यू. पर आधारित मुद्रास्फीति दर (सामान्य)
चित्र स्रोत: PIB
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