विषयसूची:
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1. “गगनयान” टेस्ट व्हीकल डेवेलपमेंट फ्लाइट (टीवी-डी1) 21 अक्टूबर को निर्धारितः
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: “गगनयान” टेस्ट व्हीकल डेवेलपमेंट फ्लाइट (टीवी-डी1),महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री “व्योममित्र”।
मुख्य परीक्षा: गगनयान मिशन पहले मानवरहित मिशन और अंततः पृथ्वी की निचली कक्षा में बाहरी अंतरिक्ष के लिए मानवयुक्त मिशन के लिए मंच तैयार करेगी। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- “गगनयान” टेस्ट व्हीकल स्पेस फ्लाइट यानी “गगनयान” टेस्ट व्हीकल डेवेलपमेंट फ्लाइट (टीवी-डी1) का प्रक्षेपण इस महीने की 21 तारीख को निर्धारित है।
उद्देश्य:
- इसरो क्रू एस्केप सिस्टम के प्रभाव का भी परीक्षण करेगा जो “गगनयान” मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- इसके परिणामस्वरूप 2024 तक बाहरी अंतरिक्ष में मानव रहित और मानवयुक्त मिशन होंगे।
- परीक्षण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में आयोजित किया जाना है।
- क्रू मॉड्यूल गगनयान मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को बाहरी अंतरिक्ष में ले जाएगा।
- परीक्षण में बाहरी अंतरिक्ष में एक क्रू मॉड्यूल लॉन्च करना और इसे पृथ्वी पर वापस लाना और बंगाल की खाड़ी में टचडाउन के बाद इसे पुनर्प्राप्त करना शामिल है।
- भारतीय नौसेना के कर्मियों ने मॉड्यूल को पुनर्प्राप्त करने के लिए पहले ही मॉक ऑपरेशन प्रारंभ कर दिया है।
विवरण:
- इस परीक्षण की सफलता पहले मानवरहित “गगनयान” मिशन और अंततः पृथ्वी की निचली कक्षा में बाहरी अंतरिक्ष के लिए मानवयुक्त मिशन के लिए मंच तैयार करेगी।
- अंतिम मानवयुक्त “गगनयान” मिशन से पहले अगले वर्ष एक परीक्षण उड़ान होगी जो महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री “व्योममित्र” ले जाएगी।
- गगनयान परियोजना में मानव चालक दल को 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्री जल में उतरकर पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लाकर मानव अंतरिक्ष यान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है।
- गगनयान मिशन के लिए आवश्यक शर्तों में चालक दल को अंतरिक्ष में सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए मानव रेटेड लॉन्च वाहन सहित अनेक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास, अंतरिक्ष में चालक दल को पृथ्वी जैसा वातावरण प्रदान करने के लिए जीवन समर्थन प्रणाली, चालक दल के आपातकालीन बचाव के प्रावधान तथा चालक दल के प्रशिक्षण, पुनर्प्राप्ति और पुनर्वास के लिए चालक दल प्रबंधन पहलुओं को विकसित करना शामिल है।
पृष्ठ्भूमि:
- भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में शीर्ष पांच देशों में से एक है।
- भारत द्वारा जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के बाद अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या मात्र 4 से बढ़कर 150 स्टार्टअप हो गई है।
- रेलवे, राजमार्ग, कृषि, जल मैपिंग, स्मार्ट सिटी, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के एप्लीकेशनों, जो आम आदमी के लिए ‘जीवन जीने में आसानी’ लेकर आए,अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने भारत के लगभग प्रत्येक घर को छुआ है।
- भारत की आपदा क्षमताएं विश्वस्तरीय बन गई हैं और हम पड़ोसी देशों के लिए भी आपदा पूर्वानुमान प्रदान कर रहे हैं।
- इसरो भारत की नारीशक्ति का प्रतीक है, जिसमें महिला वैज्ञानिक न केवल भाग ले रही हैं बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रमों में विभिन्न गतिविधियों का नेतृत्व भी कर रही हैं।
- इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने इसरो वैज्ञानिक डॉ. वीरमुथुवेल, परियोजना निदेशक, चंद्रयान-3, सुश्री के. कल्पना, एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चंद्रयान-3, एम. श्रीकांत, मिशन निदेशक, चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 तथा सुश्री निगार शाजी, परियोजना निदेशक, आदित्य एल1 को सम्मानित किया।
2. फार्माकोपियल वार्ता समूह में भारतीय फार्माकोपिया आयोग शामिल:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध,स्वास्थ्य:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश। स्वास्थ्य से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: फार्माकोपियल डिस्कशन ग्रुप (पीडीजी),भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी),विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)।
मुख्य परीक्षा: पीडीजी सदस्य के रूप में आईपीसी के वैश्विक प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- फार्माकोपियल डिस्कशन ग्रुप (PDG) ने 5 अक्टूबर, 2023 को हैदराबाद में पीडीजी सदस्य के रूप में भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) की घोषणा की।
उद्देश्य:
- आईपीसी आधिकारिक तौर पर पीडीजी की वार्षिक बैठक में पीडीजी में एक सदस्य के रूप में शामिल हुआ, जो 3-4 अक्टूबर, 2023 को हैदराबाद में आयोजित हुई थी।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी पीडीजी के पर्यवेक्षक के रूप में लगातार काम कर रहा है।
विवरण:
फार्माकोपियल वार्ता समूह (पीडीजी):
- पीडीजी, अब वैश्विक फार्माकोपियल मानकों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए यूरोपीय फार्माकोपिया (पीएच यूरो), जापानी फार्माकोपिया (जेपी), यूनाइटेड स्टेट्स फार्माकोपिया (यूएसपी) और भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) को एक साथ लाएगा।
- इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग फार्माकोपियल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, स्वीकृति के विभिन्न मानदंडों का उपयोग करके, विभिन्न तरीकों से विश्लेषणात्मक प्रक्रियाओं को निष्पादित करने के निर्माताओं के बोझ को कम करना है।
- पीडीजी ने फार्माकोपियल मोनोग्राफ या सामान्य अध्याय के सामंजस्य को इस प्रकार परिभाषित किया है:
- “एक फार्माकोपियल सामान्य अध्याय या अन्य फार्माकोपियल दस्तावेज तब सुसंगत होता है जब दस्तावेज की सामंजस्यपूर्ण प्रक्रिया द्वारा परीक्षण किया गया कोई फार्मास्युटिकल पदार्थ या उत्पाद समान परिणाम देता है और स्वीकार/अस्वीकार को लेकर समान निर्णय पर पहुंच जाता है।”
वैश्विक विस्तार के लिए पीडीजी पायलट में आईपीसी की भागीदारी:
- सितंबर 2022 में शुरू किए गए पायलट चरण के लिए चयनित होने वाला आईपीसी दुनिया का एकमात्र फार्माकोपिया निकाय था।
- प्रत्येक आवेदन की समीक्षा करने के बाद, पीडीजी सर्वसम्मति से आईपीसी के साथ पायलट चरण शुरू करने के लिए सहमत हुआ।
- पायलट मानदंड के लिए एकमात्र आवेदक प्रविष्टि में सभी आवश्यकताओं को पूरा करता था।
- यह दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के लिए विश्व स्तरीय गुणवत्ता मानकों को विकसित करने के लिए आईपीसी की निरंतर प्रतिबद्धता और क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है।
पीडीजी द्वारा सदस्य के रूप में आईपीसी की घोषणा:
- पायलट चरण के 1 वर्ष के बाद, आईपीसी की भागीदारी, योगदान और भविष्य की संभावनाओं के आधार पर, पीडीजी के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया।
- पीडीजी में आईपीसी की सदस्यता की पुष्टि के संबंध में 18 सितंबर, 2023 को पीडीजी द्वारा आईपीसी को एक आधिकारिक पत्र भेजा गया था।
पीडीजी सदस्य के रूप में आईपीसी का वैश्विक प्रभाव:
- पीडीजी में आईपी को शामिल करने से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय फार्माकोपिया की दृश्यता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
- यह आईपी को प्रगतिशील फार्माकोपिया के रूप में स्थापित करेगा, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप दवा के गुणवत्ता मानकों को डिजाइन करता है।
- इन मानकों के इस्तेमाल से घरेलू और निर्यात बाजारों के लिए विश्व स्तरीय फार्मास्युटिकल उत्पाद तैयार हो सकेंगे।
- आईपीसी को पीडीजी में शामिल करने से अन्य देशों द्वारा इसे मान्यता दिलाने के प्रयास में मदद मिलेगी।
- मानकों का सामंजस्य:
- यह आईपीसी को अन्य प्रमुख नियामक/मानक सेटिंग प्राधिकरणों के साथ फार्माकोपियल मानकों को सहयोग और सुसंगत बनाने में मदद करेगा, जो वैश्विक स्तर पर फार्मास्यूटिकल्स की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय मान्यता:
- पीडीजी में सदस्यता आईपीसी द्वारा निर्धारित मानकों की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को बढ़ाएगी।
- इससे वैश्विक बाजारों में भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादों की स्वीकार्यता में सुधार होने की भी संभावना है, क्योंकि वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त गुणवत्ता मानकों का पालन करते हैं।
- बेहतर नियामक अनुपालन:
- आईपीसी को अन्य पीडीजी सदस्यों के साथ सूचना और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के आदान-प्रदान से लाभ होगा।
- यह सहयोग भारत को अपनी नियामक प्रक्रियाओं और प्रथाओं को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करने में मदद करेगा, जिससे भारतीय दवा कंपनियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियमों का अनुपालन करना आसान हो जाएगा।
- वैश्विक बाजारों तक पहुंच:
- पीडीजी में सदस्यता से अन्य सदस्य देशों को भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की सुविधा मिलेगी।
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने से व्यापार बाधाएं कम होंगी और भारतीय दवा कंपनियों के लिए वैश्विक बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी।
- वैश्विक स्वास्थ्य प्रभाव:
- पीडीजी सदस्यों के बीच फार्माकोपियल मानकों का सामंजस्य विपणन फार्मास्युटिकल उत्पादों की सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के वैश्विक प्रयास में योगदान देगा।
- इसका दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे घटिया या नकली दवाओं के प्रचलन को रोकने में मदद मिलेगी।
- पीडीजी में आईपीसी की सदस्यता फार्मास्युटिकल मानकों के सामंजस्य को बढ़ावा देने, नियामक अनुपालन में सुधार, अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को सुविधाजनक बनाने और अंततः दवा की गुणवत्ता और सुरक्षा के आश्वासन के माध्यम से वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में योगदान करने की दिशा में अगला कदम है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत और सऊदी अरब ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने का निर्णय लिया:
- भारत और सऊदी अरब ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक-दूसरे के देश में निवेश को बढ़ावा देने पर सहमत हुए हैं।
- यह सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन आदि जैसे नए और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में हैं।
- 9 अक्टूबर 2023 को अपनी यात्रा के दौरान केंद्रीय बिजली और एनआरई मंत्री श्री आरके सिंह ने सऊदी अरब के निवेश मंत्री खालिद अल-फलीह के साथ द्विपक्षीय चर्चा की।
- सऊदी अरब के सभी प्रमुख व्यापारिक घरानों, जिसमें एसीएडब्ल्यूए पावर, अल्फानार, एडब्ल्यूजे एनर्जी, अल्माजदौई, अब्दुलकरीम, अल्जोमैह एनर्जी एंड वॉटर कंपनी, कानू इंडस्ट्रियल एंड एनर्जी, एलएंडटी, नेस्मा रिन्यूएबल एनर्जी, पेट्रोमिन, नेक्स्टजेन इंफ्रा शामिल हैं, ने बैठक में भाग लिया।
- इन्वेस्ट इंडिया ने बिजली क्षेत्र के उन क्षेत्रों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी, जहां सऊदी अरब के व्यापारिक घराने संभावित रूप से भारत में निवेश कर सकते हैं।
- बैठक के दौरान आरई उत्पादन परियोजनाओं, ऊर्जा भंडारण, बिजली वितरण और हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में भारत में निवेश के अवसरों पर प्रकाश डाला गया।
- श्री आर.के. सिंह ने प्रतिनिधिमंडल के साथ रियाद में सुडायर सौर ऊर्जा संयंत्र का भी दौरा किया।
- यह संयंत्र सऊदी अरब का सबसे बड़ा सौर संयंत्र है और इसका कार्य एक भारतीय कंपनी द्वारा निष्पादित किया जाता है।
- केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान के साथ पारस्परिक हितों के विभिन्न क्षेत्रों पर गहन चर्चा की।
- दोनों ऊर्जा मंत्रियों के बीच यह निर्णय लिया गया कि ऊर्जा क्षेत्र सहयोग के उपर्युक्त क्षेत्रों में पूर्ण आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला स्थापित करने के लिए दोनों देशों के बीच बी2बी बिजनेस शिखर सम्मेलन और नियमित बी2बी बातचीत आयोजित की जाएगी।
- विभिन्न स्तरों पर निरंतर जुड़ाव के कारण, हाल के वर्षों में, भारत-सऊदी साझेदारी काफी मजबूत हुई है।
- इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया है और नए तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में संयुक्त सहयोग और निवेश के दरवाजे खोले हैं।
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