विषयसूची:
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1. पूर्वोत्तर में आयुष को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन
सामान्य अध्ययन: 2
शासन, सामाजिक न्याय
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय
मुख्य परीक्षा: स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा देने में आयुष की भूमिका
प्रसंग:
- पूर्वोत्तर भारत में आयुष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए चार प्रमुख पहल लॉन्च कीं गई।
विवरण:
- केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) में पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रथम समर्पित पंचकर्म ब्लॉक का उद्घाटन किया गया और इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया।
- आयुष मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में आयुष के लिए प्रथम अत्याधुनिक फार्माकोलॉजी और बायो केमिस्ट्री प्रयोगशालाओं का भी उद्घाटन किया गया और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया।
- शहर के अज़ारा में बनने वाले एकीकृत आयुष कल्याण केंद्र के साथ-साथ क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान (आरआरआईएच) के स्थायी परिसर की आधारशिला भी रखी गई। एकीकृत आयुष कल्याण केंद्र देश में अपनी तरह का पहला केंद्र है।
- चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली को नया रूप दिया गया है, ताकि यह देश में स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी प्रणाली को मजबूती प्रदान करे।
- आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा और सोवा रिग्पा जैसी हमारी समृद्ध उपचार प्रणालियों के सिद्ध परिणामों को देखते हुए यह जरूरी है कि उनके सदियों पुराने उपचारों को आधुनिक चिकित्सा कर्म में शामिल किया जाए।
- इसका परिणाम एक शक्तिशाली एकीकृत चिकित्सा के रूप में सामने आएगा, जो शारीरिक बीमारियों को ठीक करेगी और मानसिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगी।
- नए पंचकर्म ब्लॉक के साथ-साथ आयुष के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं जैसे कदम क्षेत्र में आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी प्रणाली को सक्षम बनाएंगे, जिससे विशेष रूप से असम और पूर्वोत्तर के लोग लाभान्वित होंगे।
- सीएआरआई में समर्पित पंचकर्म ब्लॉक लोगों को किफायती दाम पर सर्वोत्तम पंचकर्म उपचार प्रदान करेगा।
- यहां शोधकर्ता रोगियों का उपचार करने के साथ-साथ लोगों के जीवन की गुणवत्ता को समृद्ध करने में पंचकर्म की भूमिका की भी जांच करेंगे।
- 9453.30 वर्ग फुट क्षेत्र में निर्मित यह नया भवन पंचकर्म उपचारों का वैज्ञानिक सत्यापन करेगा। पंचकर्म तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने के लिए यहां एक पंचकर्म प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी चलाया जाएगा, ताकि आयुष बाजार के लिए गुणवत्तापूर्ण संसाधन सुनिश्चित हो सकें
- यह भवन 7.72 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है और प्रमुख पंचकर्म उपचारों के लिए स्नेहन और स्वेदन कक्ष, शिरोधारा कक्ष, बस्ती कक्ष जैसे समर्पित कक्षों से सुसज्जित है।
- पंचकर्म में उपयोग होने वाली औषधियां जैसे क्वाथ निर्माण और बस्ती द्रव्य बनाने के लिए एक औषधि प्रयोगशाला भी बनाई गई है।
- पंचकर्म तकनीशियन पाठ्यक्रम के तहत पंचकर्म तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने के लिए समर्पित कक्षाओं के लिए भी जगह की व्यवस्था की गई है।
- प्रभावी पंचकर्म उपचार के लिए नई पंचकर्म द्रोणि, बाष्प स्वेदन यंत्र (भाप कक्ष), नाड़ी स्वेदन यंत्र, सर्वांगधारा यंत्र, शिरोधारा यंत्र, बस्ती यंत्र, नास्य एप्लिकेटर, अवगाह टब, सौना कक्ष और अन्य प्रमुख उपकरणों जैसी विभिन्न मशीनें भी स्थापित की जा रही हैं।
- पूर्वोत्तर में आयुष क्षेत्र की अपनी तरह की पहली ‘फार्माकोलॉजी और बायोकैमिस्ट्री प्रयोगशालाएं’ आयुर्वेदिक सूत्रीकरण के औषधि मानकीकरण, सुरक्षा और प्रभावकारिता मूल्यांकन की सुविधाओं से सुसज्जित हैं।
- ये प्रयोगशालाएं शास्त्रीय आयुर्वेदिक सूत्रीकरण, एथनो-औषधीय पौधों और पौधों पर -आधारित सूत्रीकरण की चिकित्सीय और सुरक्षा क्षमता को वैज्ञानिक रूप से मान्य करेंगी।
- यह विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में पाए जाने वाले आयुर्वेदिक पौधों से किफायती नवीन पॉली हर्बल फॉर्मूलेशन विकसित करने की दिशा में भी कार्य करेंगी।
- यह आयुर्वेदिक सूत्रीकरण की सुरक्षा और प्रभावकारिता के लिए पूर्व-नैदानिक अध्ययनों की जांच करने के लिए एक आधुनिक एनिमल हाउस, रोटरी इवेपोरेटर और सॉक्सलेट एक्सट्रैक्टर, ऑटोमेटिक हेमोलॉजी एनालाइजर, बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर, कोऐग्युलेशन एनालाइजर, एनाल्जेसियोमीटर, यूवी-विज़ स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, लेबोरेटरी डीप फ़्रीज़र, प्लेथिस्मोमीटर आदि जैसे परिष्कृत उपकरणों से युक्त एक अत्याधुनिक फार्माकोलॉजी प्रयोगशाला है।
- केमिस्ट्री प्रयोगशाला आयुर्वेदिक सूत्रीकरण के औषधि मानकीकरण पर काम करेगी और औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी।
- यह हाई परफार्मेंस थिन लेयर क्रोमैटोग्राफी (एचपीटीएलसी), हाई परफार्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी), गैस क्रोमैटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेट्री (जीसी-एमएस), एक्स-रे डिफ्रेक्टोमीटर (एक्सआरडी) जैसे आधुनिक उपकरणों से युक्त है।
- भारत के प्रथम एकीकृत आयुष कल्याण केंद्र में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी में उपचार और ओपीडी सुविधाएं होंगी।
- यह केंद्र लोगों के लाभ के लिए पंचकर्म, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा भी प्रदान करेगा। केंद्र में एक हर्बल गार्डन भी बनाया जाएगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. डीपीआईआईटी 10 से 18 जनवरी 2024 तक स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक का आयोजन कर रहा है
- स्टार्टअप इंडिया के 8 साल पूरे होने का जश्न मनाते हुए, ‘स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक 2024’ 10 जनवरी 2024 को इकोसिस्टम इनेबलर्स के साथ ‘आस्क मी एनीथिंग (एएमए) सत्र के साथ शुरू हुआ।
- भारत में उद्यमिता की भावना का जश्न मनाने के लिए प्रासंगिक हितधारकों के साथ 10 से 17 जनवरी 2024 तक आठ वर्चुअल आस्क मी एनीथिंग (एएमए) लाइव सत्र आयोजित करने की योजना बनाई गई है।
- 10 जनवरी 2024 को, आस्क मी एनीथिंग सत्र ‘इनक्यूबेटर्स के माध्यम से उभरते स्टार्टअप के लिए अवसर’ पर केंद्रित था, जिसमें उपलब्ध शुरुआती फंडिंग के विभिन्न स्रोतों पर स्टार्टअप और उद्यमियों को जानकारी प्रदान की गई।
- सत्र ने स्टार्टअप यात्रा के विभिन्न चरणों, एक विचार की शुरुआत से लेकर अंततः बाजार में प्रवेश करने तक, पर मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान किया।
- सत्र में उद्यमशीलता के विचारों को एक अच्छी तरह से व्यवसाय योजना में बदलने, प्रतिभागियों को शामिल करने और चुनौतीपूर्ण परिदृश्यों को चित्रित करने वाले केस अध्ययनों का उपयोग करके बुनियादी सिद्धांतों को समझाने की प्रक्रिया में अंतर्दृष्टि साझा की गई।
- इसके अलावा, ‘स्टार्टअप शाला’ – स्टार्टअप इंडिया का प्रमुख एक्सेलेरेटर प्रोग्राम स्केलअप चरण में स्टार्टअप्स की व्यापक सहायता के लिए लॉन्च किया गया था।
- यह पहल शुरुआती चरण के स्टार्टअप के लिए 3 महीने का एक्सेलेरेटर प्रोग्राम है, जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए आवश्यक ज्ञान, नेटवर्क, फंड या मार्गदर्शन तक पहुंच प्रदान करता है।
- प्रत्येक कार्यक्रम समूह एक विशेष क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें पहला स्वच्छ तकनीक क्षेत्र होगा।
- उद्योग के साथ साझेदारी में देश में स्टार्टअप ईकोसिस्टम की फंडिंग और प्रचार में सरकार की सक्रिय भूमिका पर प्रकाश डाला गया। ई-कॉमर्स और खुदरा क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया गया और भारतीय विकास की कहानी में स्टार्टअप के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
2. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा तट से नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के तट पर चांदीपुर से एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर), से नई पीढ़ी की आकाश (आकाश-एनजी) मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया।
- यह उड़ान-परीक्षण बहुत कम ऊंचाई पर उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्य के सापेक्ष आयोजित किया गया।
- इस उड़ान-परीक्षण के दौरान, हथियार प्रणाली द्वारा लक्ष्य को सफलतापूर्वक अवरूद्ध करके नष्ट कर दिया गया।
- इससे स्वदेशी रूप से विकसित रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर, लॉन्चर, मल्टी-फ़ंक्शन रडार और कमांड, नियंत्रण और संचार प्रणाली से युक्त इस मिसाइल की संपूर्ण हथियार प्रणाली के कामकाज को मान्यता मिली है।
- इस प्रणाली के कार्य प्रदर्शन की आईटीआर, चांदीपुर द्वारा तैनात किए गए कई रडारों, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम द्वारा कैप्चर करने के किए गए डेटा के माध्यम से भी पुष्टि हुई है।
- आकाश-एनजी प्रणाली एक अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली है, जो उच्च गति, फुर्तीले हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है। इस सफल उड़ान परीक्षण ने उपयोगकर्ता परीक्षणों का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया है।
3. शिथिल धारणाएँ ब्रह्माण्ड के ठंडे डार्क मैटर पर बेहतर प्रकाश डाल सकती हैं
- वैज्ञानिकों ने कोल्ड डार्क मैटर (सीडीएम), एक काल्पनिक गहरा द्रव्य जो वर्तमान ब्रह्मांड का 25 प्रतिशत हिस्सा है, का पता लगाने के लिए एक नया दृष्टिकोण खोजा है
- वर्तमान ब्रह्मांड में, लगभग 70 प्रतिशत डार्क एनर्जी और 25 प्रतिशत डार्क मैटर का हिस्सा है – इन दोनों के बारे में आज तक बहुत कम जानकारी है।
- डार्क मैटर की प्रकृति और शेष पदार्थ के साथ इसकी अंतःक्रिया एक रहस्य बनी हुई है। वैज्ञानिक, अब तक, ब्रह्मांड के एक छोटे से हिस्से का अध्ययन करने में सक्षम हैं जिसमें आकाशगंगाएँ, तारे, नक्षत्र और उल्काएँ सब कुछ शामिल है।
- ठंडे डार्क मैटर के घटक निर्धारित करना बहुत कठिन है। सीडीएम का अध्ययन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दो मॉडल अर्थात् कण भौतिकी मॉडल और ब्रह्माण्ड संबंधी मॉडल के बीच सहमति नहीं होने के कारण भ्रम बढ़ गया है।
- ब्रह्मांडीय मॉडल ब्रह्मांड के बड़े पैमाने की संरचनाओं और गतिशीलता का विवरण देता है और इसकी उत्पत्ति, संरचना, विकास और अंतिम नियति संबंधी बुनियादी सवालों के अध्ययन की अनुमति देता है
- जबकि कण भौतिकी मॉडल ब्रह्मांड के सबसे बुनियादी संरचनाओं का वर्णन करता है । हाल के दशकों में मानक ब्रह्माण्ड संबंधी मॉडल की सफलता दर अच्छी रही है।
- हालाँकि, गहन खोजों और प्रयोगशाला प्रयोगों (जैसे ज़ेनन आधारित प्रयोगों) की संवेदनशीलता में व्यापक सुधार के बावजूद, डब्ल्यूआईएमपी का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। इसके अलावा, डब्ल्यूआईएमपी चमत्कार द्वारा सुझाए गए पैरामीटर स्पेस को अधिकतर खारिज कर दिया गया है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) द्वारा हाल में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में कुछ पूर्व धारणाओं को शिथिल करके डब्ल्यूआईएमपी की प्रासंगिकता की पुष्टि की गई है और यह साबित हुआ है कि कण भौतिकी से डार्क मैटर का सिद्धांतिकरण संभव है।
- रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) के प्रोफेसर शिव सेठी और उनके सहयोगी, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, मोहाली के पूर्व छात्र, अबीनीत पारीछा ने अपने विश्लेषण में एक अस्थिर डब्ल्यूआईएमपी पर विचार करके डब्ल्यूआईएमपी की प्रासंगिकता को साबित किया, जो कि पहले की कणों की स्थिरता की धारणाओं को शिथिल करता है।
- लेखकों ने दिखाया कि इससे उन्हें ठंडे गहरे द्रव्य के प्रकृति के मौजूदा अवलोकन और प्रयोगात्मक बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है।
- इसके अलावा, यह परिकल्पना ब्रह्माण्ड संबंधी डेटा से परीक्षण योग्य है। यह मॉडल डार्क मैटर प्रयोगों से भिन्न है और अनुसंधान यह स्पष्ट करता है कि एक विशाल, स्थिर डब्ल्यूआईएमपी की धारणा को बदलने की आवश्यकता है।
- डब्ल्यूआईएमपी पर आधारित डार्क मैटर प्रतिमान कण भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान के मानक मॉडलों को सामंजस्य में लाया। हालाँकि, यह उल्लेखनीय समझौता अल्पकालिक रहा क्योंकि प्रासंगिक द्रव्यमान सीमा में ठंडे गहरे द्रव्य का पता लगाने के प्रयोग विफल हो गए।
- हमने पाया कि डब्ल्यूआईएमपी मॉडल अभी भी शिथिल धारणाओं के तहत व्यवहार्य है। इसके अलावा, अंतरिक्ष दूरबीन जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) का डेटा डार्क मैटर क्षेत्र में अधिक रोमांचक संभावनाओं का संकेत दे सकता है।
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