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12 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. समुद्री क्षेत्र को मजबूत करने के लिए ‘सागर संपर्क’ डिफरेंशियल ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का उद्घाटन:
  2. अटल वयो अभ्युदय योजना: एक गरिमापूर्ण जीवन हेतु बुजुर्गों का सशक्तिकरण:
  3. केंद्र ने आपदा मोचन के लिए राज्यों को 7,532 करोड़ रुपए जारी किए
  4. एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (ए-वेब):
  5. नाबार्ड का 42वां स्थापना दिवस:
  6. मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात की:

1. समुद्री क्षेत्र को मजबूत करने के लिए ‘सागर संपर्क’ डिफरेंशियल ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का उद्घाटन:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: ‘सागर संपर्क’ डिफरेंशियल ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम।

प्रसंग:

  • 12 जुलाई 2023 को समुद्री क्षेत्र में डिजिटल पहल को आगे बढ़ाने के लिए स्वदेशी डिफरेंशियल ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (DGNSS) ‘सागर संपर्क’ का उद्घाटन किया गया।

उद्देश्य:

  • डीजीएनएसएस एक स्थल आधारित संवर्द्धन प्रणाली है जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) में त्रुटियों को ठीक करती है जिससे अधिक सटीक स्थिति की जानकारी मिलती है।
    • “डीजीएलएल के तहत 6 स्थानों पर ‘सागर संपर्क – डिफरेंशियल ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (DGNSS)’ का शुभारंभ, निश्चित रूप से समुद्री नेविगेशन के लिए रेडियो सहायता के क्षेत्र में डीजीएलएल की क्षमता को बढ़ाएगा।

विवरण:

  • डीजीएनएसएस सेवा नाविकों को सुरक्षित नेविगेशन में मदद करेगी और बंदरगाह और बंदरगाह क्षेत्रों में टकराव, ग्राउंडिंग और दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करेगी। इससे जहाजों की सुरक्षित और कुशल आवाजाही हो सकेगी।
  • डीजीएनएसएस अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO), समुद्र में जीवन की सुरक्षा (SOLAS) और नेविगेशन और लाइटहाउस अथॉरिटीज़ के लिए समुद्री सहायता का अंतर्राष्ट्रीय संघ (IALA) के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने की दिशा में नेविगेशन के लिए एक महत्वपूर्ण रेडियो सहायता तंत्र/प्रणाली है।
  • जीपीएस और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (ग्लोनास) जैसे कई उपग्रह समूहों के साथ पुनर्पूंजीकरण के बाद, डीजीएनएसएस अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उपलब्धता को और बढ़ाता है और नाविकों को 5 मीटर के भीतर अपनी स्थिति में सुधार करने में मदद करता है।
  • नवीनतम डीजीएनएसएस प्रणाली अब जीपीएस और ग्लोनास के सुधार प्रसारित करने में सक्षम है।
  • डीजीएनएसएस वायुमंडलीय अनुमान, उपग्रह घड़ी और अन्य कारकों के कारण होने वाली त्रुटियों को कम करते हुए, जीपीएस स्थिति की सटीकता में काफी सुधार करता है।
  • यह आधुनिक प्रौद्योगिकी रिसीवरों और नवीनतम सॉफ्टवेयर की मदद से हासिल किया गया है।
  • भारतीय तटरेखाओं से 100 समुद्री मील के लिए त्रुटि सुधार सटीकता को 5 से 10 मीटर से बढ़ाकर 5 मीटर से भी कम कर दिया गया है।

2. अटल वयो अभ्युदय योजना: एक गरिमापूर्ण जीवन हेतु बुजुर्गों का सशक्तिकरण:

सामान्य अध्ययन: 2

सामाजिक न्याय:

विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन।

प्रारंभिक परीक्षा: अटल वयो अभ्युदय योजना,राष्ट्रीय वयोश्री योजना (आरवीवाई)।

मुख्य परीक्षा: सरकार द्वारा समाज के संवेदनशील वर्गों की भलाई एवं सामाजिक न्याय हेतु की जा रही पहलों के बारे में विस्तार से चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय सभी नागरिकों के लिए एक समावेशी एवं न्यायसंगत समाज बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

उद्देश्य:

  • अटल वयो अभ्युदय योजना (AVYAY), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा देश में वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई एक व्यापक पहल है।
    • यह योजना समाज में बुजुर्गों के बहुमूल्य योगदानों को मान्यता प्रदान करती है और उनका कल्याण एवं सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करती है।
    • सरकार का लक्ष्य समाज में बुजुर्गों के बहुमूल्य योगदान को मान्यता देकर, उन्हें सशक्त बनाना और उनका उत्थान करना है ताकि जीवन के सभी क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी और समावेशन सुनिश्चित हो सके।

विवरण:

  • वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण का नोडल विभाग होने के नाते, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है।
    • वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPSRC) को नया रूप देकर इसे अटल वयो अभ्युदय योजना (AVYAY) का नया नाम दिया गया और अप्रैल 2021 में सम्मिलित किया गया।
  • एक समग्र योजना के तहत, अटल वयो अभ्युदय योजना (AVYAY) वरिष्ठ नागरिकों, विशेष रूप से गरीब वरिष्ठ नागरिकों, को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करके और सार्थक एवं सक्रिय बुढ़ापा को प्रोत्साहित करके उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने हेतु वृद्धाश्रमों/सतत देखभाल गृह को चलाने एवं उनके रखरखाव के लिए पात्र संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • यह योजना वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित एक एकीकृत कार्यक्रम (IPSRC) है।
  • आईपीएसआरसी के तहत विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से हासिल होने वाली उपलब्धियां यह हैं कि वर्तमान में देशभर में कुल 552 वृद्धाश्रम, 14 सतत देखभाल गृह, 19 मोबाइल मेडिकेयर इकाइयां और 5 फिजियोथेरेपी क्लीनिकों को विभिन्न गैर सरकारी संगठनों द्वारा सहायता दी जा रही है और उनका रखरखाव किया जा रहा है।
  • लगभग 1.5 लाख लाभार्थी वृद्धाश्रमों में रह रहे हैं। इस योजना के तहत देशभर के 361 जिलों को कवर किया गया है। पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान कुल 288.08 करोड़ रुपये की सहायता अनुदान जारी की गई है और लाभार्थियों की कुल संख्या 363570 है।
  • एवीवाईएवाई योजना के तहत एक अन्य घटक राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY) है, जो उम्र से संबंधित किसी भी दिव्यांगता/दुर्बलता से पीड़ित पात्र वरिष्ठ नागरिकों को ऐसे सहायक उपकरण प्रदान करती है, जो कम दृष्टि, श्रवण दोष, दांतों की हानि और चलने-फिरने से जुड़ी समस्या जैसी दिव्यांगता/दुर्बलता पर काबू पाकर उनकी शारीरिक अवस्था को लगभग सामान्य स्थिति में वापस ला सकते हैं।
  • लाभार्थियों के लिए वित्तीय मानदंड या तो ‘गरीबी रेखा से नीचे’ (BPL) श्रेणी का वरिष्ठ नागरिक होना या फिर उनकी आय पन्द्रह हजार रूपये प्रति माह तक होना है।

पृष्ठ्भूमि:

  • सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई अटल वयो अभ्युदय योजना, देश में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।
    • इस योजना का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय, स्वास्थ्य संबंधी एवं सामाजिक जरूरतों को पूरा करके उन्हें सशक्त बनाना और समाज में उनकी सक्रिय भागीदारी एवं समावेशन को सुनिश्चित करना है।
    • इस पहल के माध्यम से, सरकार एक ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करती है जहां राष्ट्र के लिए वरिष्ठ नागरिकों के बहुमूल्य योगदान को स्वीकार किया जाए और वरिष्ठ नागरिक एक गरिमापूर्ण, सम्मानजनक और संतुष्टि भरा जीवन जी सकें।
  • सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने छात्रवृत्ति के माध्यम से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के छात्रों, बुजुर्ग नागरिकों, सफाई कर्मचारियों और ट्रांसजेंडर लोगों सहित समाज के उपेक्षित वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएं एवं पहल शुरू की हैं।

3. केंद्र ने आपदा मोचन के लिए राज्यों को 7,532 करोड़ रुपए जारी किए:

सामान्य अध्ययन: 3

आपदा प्रबंधन:

विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।

प्रारंभिक परीक्षा: राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF)।

मुख्य परीक्षा: राज्यों को एसडीआरएफ निधि का आवंटन किन कारकों पर निर्भर करता है। चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने 22 राज्यो सरकारों को संबंधित राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) के लिए 7,532 करोड़ रुपए जारी किए हैं। यह राशि गृह मंत्रालय की सिफारिशों के अनुसार जारी की गई है।

उद्देश्य:

  • देश में भारी वर्षा को देखते हुए दिशा-निर्देशों में छूट दी गई है और पिछले वित्त वर्ष में राज्यों को दी गई राशि के उपयोगिता प्रमाण-पत्र की प्रतीक्षा किए बिना राज्यों को तत्काल सहायता जारी की गई है।

विवरण:

  • राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के सेक्शन 48 (1) (A) के अंतर्गत प्रत्येक राज्य में किया गया है।
    • यह कोष अधिसूचित आपदाओं की अनुक्रिया के लिए राज्य सरकारों को उपलब्ध प्राथमिक कोष है।
    • केंद्र सरकार सामान्य राज्य में एसडीआरएफ में 75 प्रतिशत और पूर्वोत्तर तथा हिमालय राज्यों में 90 प्रतिशत योगदान देती है।
  • वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार वार्षिक केंद्रीय योगदान दो समान किश्तों में जारी होता है।
    • दिशा-निर्देशों के अनुसार पहली किश्त में जारी राशि के उपयोगिता प्रमाण-पत्र की प्राप्ति तथा एसडीआरएफ की गतिविधियों पर राज्य सरकार की रिपोर्ट प्राप्ति पर निधि जारी की जाती है।
    • लेकिन इस बार तत्काल आवश्यकता को देखते हुए इन अपेक्षाओं को समाप्त कर दिया गया।
  • चक्रवात, सूखा, भूकंप, अग्निकांड, बाढ, सुनामी, तूफान, भू-स्खलन, हिम-स्खलन, बादल फटने, कीट आक्रमण और पाला तथा शीतलहर जैसी अधिसूचित आपदाओं के पीड़ितों को तत्काल राहत उपलब्ध कराने में खर्चों से निपटने के लिए एसडीआरएफ का उपयोग किया जाता है।
  • राज्यों को एसडीआरएफ निधि का आवंटन अनेक कारकों पर निर्भर करता है।
    • इनमें पिछला खर्च, क्षेत्र, जनसंख्या तथा आपदा जोखिम सूचकांक जैसे कारक शामिल हैं। ये कारक राज्य की संस्थागत क्षमता, जोखिम, अनुभव, खतरा और कमजोरी से परिचित कराते हैं।

पृष्ठ्भूमि:

  • 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार ने 2021-22 से 2025-26 के लिए 1,28,122.40 करोड़ रुपए का आवंटन एसडीआरएफ के लिए किया है।
    • इस राशि में से केंद्र सरकार का शेयर 98,080.80 करोड़ रुपए है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (ए-वेब):

  • मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (ए-वेब) के कार्यकारी बोर्ड की 11वीं बैठक में भाग लेने के लिए कोलंबिया के कार्टाजेना में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
    • विश्व चुनाव निकायों का संघ दुनिया भर में चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) का सबसे बड़ा संघ है, जिसमें 119 ईएमबी सदस्य और 20 क्षेत्रीय संघ/संगठन सहयोगी सदस्य हैं।
    • 13 जुलाई, 2023 को नेशनल सिविल रजिस्ट्री, कोलंबिया द्वारा “क्षेत्रीय चुनाव 2023 की चुनौतियों पर एक वैश्विक दृष्टिकोण” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया जा रहा है।
  • बैठक में अन्य एजेंडा विषयों के बीच, सीईसी श्री राजीव कुमार ने इन ईसीआई प्रस्तावों को उठाया – (i) एक ए-वेब पोर्टल स्थापित करना जो चुनावी प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं में सदस्य ईएमबी द्वारा की गई चुनावी सर्वोत्तम प्रथाओं और पहलों के भंडार के रूप में काम करेगा। और (ii) लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण योगदान देने और महत्वपूर्ण पहल करने वाले ईएमबी के लिए ए-वेब ग्लोबल अवार्ड्स की स्थापना करना। दोनों प्रस्तावों को कार्यकारी बोर्ड ने मंजूरी दे दी।
  • 11वीं ए-वेब कार्यकारी बोर्ड की बैठक के मौके पर, ईसीआई इलेक्ट्रॉनिक पोस्टल बैलेट सिस्टम पर कोरिया गणराज्य के राष्ट्रीय चुनाव आयोग के साथ एक द्विपक्षीय बैठक भी आयोजित की गई।
  • भारत और दक्षिण कोरिया ने चुनाव प्रशासन के क्षेत्र में पारस्परिक रूप से सहयोगात्मक संबंध स्थापित करने के लिए 2012 में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे।

ईसीआई और ए-वेब:

  • ए-वेब की स्थापना अक्टूबर, 2013 में सियोल, कोरिया में सदस्य देशों में चुनाव प्रबंधन की प्रक्रियाओं को मजबूत करने के माध्यम से दुनिया भर में स्थायी लोकतंत्र प्राप्त करने के अपने सदस्यों के बीच साझा दृष्टिकोण पर की गई थी।
    • ईसीआई 2011-12 से ए-वेब के गठन की प्रक्रिया से बहुत निकटता से जुड़ा हुआ है और अक्टूबर 2013 में इसकी स्थापना के बाद से लगातार दो कार्यकाल (2013-15 और 2015-17) के लिए इसके कार्यकारी बोर्ड का सदस्य रहा है।
    • ईसीआई ने 2017-19 अवधि के लिए ए-वेब के उपाध्यक्ष का पदभार संभाला; 2019-22 कार्यकाल के लिए अध्यक्ष के रूप में और वर्तमान में ए-वेब के तत्काल पूर्व अध्यक्ष के रूप में 2022-24 के लिए इसके कार्यकारी बोर्ड के सदस्य हैं।
    • नवंबर 2022 में केप टाउन में ए-वेब की 5वीं आम सभा की बैठक के दौरान, मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने ईएमबी का कोविड महामारी (2019-2022) के बावजूद सफलतापूर्वक नेतृत्व करने के बाद, ईसीआई से दक्षिण अफ्रीका के चुनाव आयोग को ए-वेब की अध्यक्षता सौंपी थी।
  • ए-वेब अपने सदस्य ईएमबी के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करता है और चुनाव प्रबंधन प्रथाओं का अध्ययन करने और अन्य सदस्य ईएमबी के साथ ज्ञान साझा करने के लिए विभिन्न देशों में चुनाव आगंतुक एवं अवलोकन कार्यक्रम चलाता है।

इंडिया ए-वेब सेंटर:

  • सितंबर 2019 में बेंगलुरु में आयोजित ए-वेब कार्यकारी बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, ए-वेब सदस्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और अधिकारियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए दस्तावेज़ीकरण और अनुसंधान के लिए नई दिल्ली में एक भारत ए-वेब केंद्र स्थापित किया गया है।
    • केंद्र कई प्रकाशन और दस्तावेज़ ला रहा है, जिसमें ‘ए-वेब इंडिया जर्नल ऑफ इलेक्शन’ नामक एक विश्व स्तरीय जर्नल भी शामिल है।
    • ईसीआई भारत ए-वेब केंद्र के लिए सभी आवश्यक संसाधन प्रदान कर रहा है।

2. नाबार्ड का 42वां स्थापना दिवस:

  • नाबार्ड – राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक – NABARD.
  • भारतीय संसद के एक अधिनियम के तहत राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना 12 जुलाई 1982 को की गई।
  • राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक मुम्बई, महाराष्ट्र अवस्थित भारत का एक शीर्ष बैंक है। इसे कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए मान्यता प्रदान की गयी है।
  • नाबार्ड का प्राथमिक उद्देश्य संस्थागत विकास, ऋण सहायता और अन्य संबंधित सेवाओं के माध्यम से टिकाऊ और न्यायसंगत कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है।
  • नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित नाबार्ड के 42वेंस्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप मे केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने संबोधित किया।
  • विशाल ग्रामीण जनसंख्य़ा वाले भारत की कल्पना नाबार्ड के बिना नहीं जा सकती है, जिसने पिछले लगभग 4 दशकों में देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, कोऑपरेटिव संस्थाओं और स्वयं सहायता समूहों की रीढ़ के रूप में काम किया है।
  • नाबार्ड एक बैंक नहीं बल्कि देश की ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत करने का मिशन है।
  • पिछले 42 सालों में नाबार्ड ने 14% की वृद्धि दर के साथ 20 लाख करोड़ रूपए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रिफाइनेंस किया है, इस उपलब्धि के बिना देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इसके विकास की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
  • भारत के लगभग 1 करोड़ स्वयं सहायता समूहों को नाबार्ड ने फाइनेंस किया है, जो एक प्रकार से दुनिया में माइक्रो-फाइनेंसिंग का सबसे बड़ा कार्यक्रम है।
  • सरकार ने पीएम किसान योजना के अंतर्गत आने वाले सभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के तहत कवर करने का निर्णय लिया है
  • नाबार्ड ने कई क्षेत्रों में पिछले 42 सालों में नए काम शुरू किए हैं, विशेषकर, रिफाइनेंस और कैपिटल फॉर्मेशन के काम को नाबार्ड ने बहुत अच्छे तरीके से आगे बढ़ाया है।
  • कैपिटल फॉर्मेशन के लिए अब तक लगभग 8 लाख करोड़ रूपए की राशि नाबार्ड के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गई है।
  • 1982 में कृषि वित्त में 896 करोड़ रूपए का लघुकालीन ऋण था, जिसे आज 1.58 लाख करोड़ रूपए तक पहुंचाने का काम नाबार्ड ने किया है। 1982 में दीर्घकालीन कृषि ऋण 2300 करोड़ रूपए था जिसे 1 लाख करोड़ रूपये तक पहुंचाने का काम नाबार्ड ने किया है।
    • नाबार्ड के पास देशभर में लगभग 7 हज़ार FPOs हैं, जो किसान को उनके उत्पादों का अच्छा दाम मिलना सुनिश्चित करने की व्यवस्था करते हैं।

3. मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात की:

  • मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इसा ने 12 जुलाई 2023 को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से भेंट की।
  • इसके पश्चात् प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव महामहिम शेख डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इसा के साथ अंतर-धार्मिक संवाद, उग्रपंथी विचारों का विरोध, वैश्विक शांति को प्रोत्साहन तथा भारत और सऊदी अरब के बीच साझेदारी को प्रगाढ़ बनाने पर बातचीत की।
    • इस मुलाकात में अंतर-धार्मिक संवाद, उग्रपंथी विचारों का विरोध, वैश्विक शांति को प्रोत्साहन तथा भारत और सऊदी अरब के बीच भागीदारी को प्रगाढ़ बनाने पर विचारों का व्यापक आदान-प्रदान किया।
  • राष्ट्रपति ने पहली बार भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए डॉ. अल इसा का स्वागत करते हुए कहा कि भारत सहिष्णु मूल्यों, चेतना संयम और अंतर-धार्मिक संवाद को प्रोत्साहित करने में मुस्लिम वर्ल्ड लीग की भूमिका और उद्देश्यों की सराहना करता है।
  • भारत बहुसंस्कृति, बहुभाषी, बहु नस्लीय तथा बहुधर्मी समाज के रूप में विविधता में एकता का संदेश देता है। 200 मिलियन से अधिक भारतीय मुसलमान भाई और बहन देश को विश्व में दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी का देश बनाते हैं।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों को अत्यधिक महत्व देता है।
  • दोनों देशों के पास विश्व से साझा करने के लिए मूल्यवान शिक्षाएं हैं।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और सऊदी अरब दोनों सभी रूपों में आतंकवाद की निंदा करते हैं और आतंकवाद के विरुद्ध ‘जीरो टॉलरेंस’ का आह्वान किया।
    • दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद से मुकाबला करने के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है और यह नरम विचार के लोगों के साथ बातचीत करके ही संभव है।

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