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12 मार्च 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में स्नेकबाइट की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की:
  2. प्रधानमंत्री 1.25 लाख करोड़ रुपये की तीन सेमीकंडक्टर सुविधाओं का शिलान्यास करेंगे:
  3. प्रधानमंत्री ने राजस्थान के पोखरण में अभ्यास ‘भारत शक्ति’ का अवलोकन किया:
  4. राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी संस्थान, मोका का दौरा किया:
  5. तीन बहुराज्यीय सहकारी समितियां- BBSSL, NCOL और NCEL:
  6. प्रधानमंत्री सामाजिक उत्थान एवं रोजगार आधारित जनकल्याण (पीएम-सूरज) पोर्टल का शुभारंभ करेंगे:
  7. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगों के लिए आईआईटी दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
  8. प्रधानमंत्री ने गुजरात के साबरमती में कोचरब आश्रम का उद्घाटन किया:

12 March 2024 Hindi PIB
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1. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में स्नेकबाइट की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: स्वास्थ्य,शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी-एसई),राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम से सम्बन्धित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: एनएपी-एसई का विज़न और मिशन पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने भारत में सांप के काटने की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी-एसई) लॉन्च की।

उद्देश्य:

  • केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने भारत में सांप के काटने की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी-एसई) लॉन्च की।
  • वर्ष 2030 तक स्नेकबाइट से होने वाली मौतों को आधा करने की दृष्टि से, एनएपीएसई राज्यों को ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के माध्यम से स्नेकबाइट के प्रबंधन, रोकथाम और नियंत्रण के लिए अपनी स्वयं की कार्य योजना विकसित करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • इसके तहत मानव, वन्यजीव, आदिवासी और पशु हेल्थ कंपोनेंट के तहत कई गतिविधियाँ सभी स्तरों पर संबंधित हितधारकों द्वारा की जाएंगी।

विवरण:

  • यह बताया गया कि स्नेकबाइट हेल्पलाइन नंबर (15400), एक महत्वपूर्ण संसाधन जो स्नेकबाइट की घटनाओं से प्रभावित व्यक्तियों और समुदायों को तत्काल सहायता, मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करता है, पांच राज्यों (पुडुचेरी, मध्य प्रदेश, असम, आंध्र प्रदेश और दिल्ली) में शुरू किया जाएगा।
  • इस पहल का उद्देश्य आम जनता तक चिकित्सा देखभाल और जानकारी तक त्वरित पहुंच सुनिश्चित करना है।
  • इस अवसर पर एक राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम वेबसाइट भी लॉन्च की गई।
    • यह एक व्यापक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है जो रेबीज़ पर संसाधन, अपडेट और अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए समर्पित है।
    • यह वेबसाइट जानवरों के काटने और रेबीज से संबंधित जानकारी दर्ज करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगी; इससे समुदाय को जानवरों के काटने और रेबीज के मामलों के प्रबंधन के लिए निकटतम एंटी रेबीज क्लिनिक और संक्रामक रोग अस्पताल का आकलन करने में भी मदद मिलेगी।
  • ज़ूनोज़ की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य कार्यक्रम को भी एकीकृत स्वास्थ्य पहल मंच पर शामिल किया गया था।
  • इस पहल से देश में जूनोटिक रोगों की निगरानी को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

एनएपी-एसई का विज़न और मिशन:

  • विज़न: “2030 तक स्नेकबाइट से होने वाली मौतों और विकलांगता के मामलों की संख्या को आधा करने के लिए इसे रोकना और नियंत्रित करना।
  • मिशन: सांप के काटने से मनुष्यों में होने वाली रुग्णता, मृत्यु दर और उससे जुड़ी जटिलताओं को धीरे-धीरे कम करना।
  • सांप के जहर के निवारण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीएसई) भारत में सांप के काटने के जहर के प्रबंधन, रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है।
  • यह एनएपी-एसई स्नेकबाइट के कारण होने वाली मौतों को आधा करने की वैश्विक मांग को साझा करता है और संबंधित हितधारकों के सभी रणनीतिक घटकों, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की परिकल्पना करता है।
  • एनएपी-एसई राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और हितधारकों के लिए उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अपनी कार्य योजना विकसित करने के लिए एक मार्गदर्शन दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य सांप रोधी जहर की निरंतर उपलब्धता, क्षमता निर्माण, रेफरल तंत्र और लोक शिक्षा के माध्यम से स्नेकबाइट के खतरे को व्यवस्थित रूप से कम करना है।
  • हितधारक स्नेकबाइट के जहर की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्य कार्य योजना को औपचारिक रूप देने में भी मदद करेंगे।
    • अन्य हितधारकों में स्वास्थ्य, वन्यजीव और पशु चिकित्सा क्षेत्रों में स्नेकबाइट के क्षेत्र में सक्रिय गैर सरकारी संगठन, चिकित्सा और पशु चिकित्सा क्षेत्र में पेशेवर संगठन और संघ और अंतर्राष्ट्रीय विकास संगठन शामिल होंगे।
  • एनएपीएसई ने मानव, वन्यजीव और पशु घटक के संचालन के लिए किए जाने वाले प्रमुख रणनीतिक कार्यों की पहचान की है। मानव स्वास्थ्य घटक के लिए रणनीतिक कार्रवाई में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं पर एंटी स्नेक वेनम का प्रावधान सुनिश्चित करना, मनुष्यों में सांप के काटने के मामलों और मौतों की निगरानी को मजबूत करना, जिला अस्पतालों/सीएचसी में एम्बुलेंस सेवाओं सहित आपातकालीन देखभाल सेवाओं को मजबूत करना, क्षेत्रीय जहर केंद्रों को संस्थागत बनाना और अंतर-क्षेत्रीय समन्वय शामिल है।
  • वन्यजीव स्वास्थ्य घटक के लिए रणनीतिक कार्रवाई में शिक्षा जागरूकता, विषरोधी वितरण, प्रमुख हितधारकों को मजबूत करना, व्यवस्थित अनुसंधान और निगरानी और सांप के जहर का संग्रह और सांप का स्थानांतरण शामिल है।
  • पशु और कृषि घटक के लिए रणनीतिक कार्रवाई में पशुधन में सांप के काटने की रोकथाम, सामुदायिक भागीदारी आदि शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्य एवं जिला नोडल अधिकारी (एसएनओ एवं डीएनओ) के माध्यम से स्नेकबाइट की रोकथाम एवं नियंत्रण के तहत मानव स्वास्थ्य घटक की गतिविधियां पहले से ही क्रियान्वित की जा रही हैं।
  • एनएपी-एसई में निगरानी एक प्रमुख तत्व है ताकि समस्याओं की आसानी से पहचान की जा सके और समय पर कार्रवाई की जा सके।

पृष्ठ्भूमि:

  • जहरीले सांप के काटने के बाद स्नेकबाइट विष एक संभावित जीवन-घातक बीमारी है।
    • जहरीले सांप के काटने से चिकित्सीय समस्याएं हो सकती हैं जो घातक हो सकती हैं या यदि समय पर और उचित उपचार नहीं दिया गया तो स्थायी हानि हो सकती है।
    • सुरक्षित और प्रभावी एंटीवेनम की शीघ्र उपलब्धता, समय पर परिवहन और रेफरल से स्नेकबाइट से होने वाली अधिकांश मौतों और विनाशकारी परिणामों से बचा जा सकता है।
  • भारत में, प्रतिवर्ष अनुमानित 3-4 मिलियन स्नेकबाइट से लगभग 50,000 मौतें होती हैं, जो वैश्विक स्तर पर स्नेकबाइट से होने वाली सभी मौतों का आधा हिस्सा है।
    • विभिन्न देशों में सांप के काटने से पीड़ित लोगों का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही क्लीनिकों और अस्पतालों में रिपोर्ट करता है और सांप के काटने का वास्तविक बोझ बहुत कम बताया जाता है।
    • केंद्रीय स्वास्थ्य जांच ब्यूरो (सीबीएचआई) की रिपोर्ट (2016-2020) के अनुसार, भारत में स्नेकबाइट के मामलों की औसत वार्षिक संख्या लगभग 3 लाख है और लगभग 2000 मौतें स्नेकबाइट के कारण होती हैं।
  • भारत में, लगभग 90% स्नेकबाइट सांपों की चार बड़ी प्रजातियों – कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर के कारण होते हैं।
  • कोबरा, रसेल वाइपर, कॉमन क्रेट और सॉ स्केल्ड वाइपर के खिलाफ एंटीबॉडी युक्त पॉलीवैलेंट एंटी-स्नेक वेनम (एएसवी) का टीका स्नेकबाइट के 80% मामलों में प्रभावी है, हालांकि, स्नेकबाइट के पीड़ितों के इलाज के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधनों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी चिंता का कारण बनी हुई है।
  • इसके अलावा, घटना, रुग्णता, मृत्यु दर, सामाजिक-आर्थिक बोझ, उपचार पैटर्न आदि पर डेटा की अनुपलब्धता भारत में स्नेकबाइट को खत्म करने की योजना में प्रमुख बाधाएं हैं।

2. प्रधानमंत्री 1.25 लाख करोड़ रुपये की तीन सेमीकंडक्टर सुविधाओं का शिलान्यास करेंगे:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

मुख्य परीक्षा: भारत के लिए सेमीकंडक्टर परियोजनाओं के महत्व पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 13 मार्च, 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘इंडियाज टेकेड: चिप्स फॉर विकसित भारत’ में सम्मिलित होंगे और लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये की तीन सेमीकंडक्टर परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे।

उद्देश्य:

  • भारत को सेमीकंडक्टर की डिजाइन, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है, ताकि देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिले।
  • इस परिकल्पना के अनुरूप, धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर), गुजरात में सेमीकंडक्टर फेब्रीकेशन सुविधा निर्माण; मोरीगांव, असम में आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (ओएसएटी) सुविधा; और साणंद, गुजरात में आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (ओएसएटी) सुविधा के लिए आधारशिला रखी जा रही है।

विवरण:

  • भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स की स्थापना के लिए संशोधित योजना के तहत धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर) में सेमीकंडक्टर फेब्रीकेशन सुविधा, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (टीईपीएल) द्वारा स्थापित की जाएगी।
  • कुल 91,000 करोड़ रुपये के निबेश के साथ यह देश का पहला वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर फैब होगा।
  • असम के मोरीगांव में आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (ओएसएटी) सुविधा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (टीईपीएल) द्वारा सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) के लिए संशोधित योजना के तहत स्थापित की जाएगी। इसका कुल निवेश लगभग 27,000 करोड़ रुपए है।
  • साणंद में आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (ओएसएटी) सुविधा, सेमीकंडक्टर असेंबली, परीक्षण, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) के लिए संशोधित योजना के तहत सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड द्वारा स्थापित की जाएगी। इसका कुल निवेश लगभग 7,500 करोड़ रुपये होगा।
  • इन सुविधाओं के जरिए सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम दृढ़ होगा और भारत में इसकी जड़ें मजबूत हो जाएंगी।
  • ये इकाइयां सेमीकंडक्टर उद्योग में हजारों युवाओं को रोजगार प्रदान करेंगी और साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार आदि जैसे संबंधित क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगी।

3. प्रधानमंत्री ने राजस्थान के पोखरण में अभ्यास ‘भारत शक्ति’ का अवलोकन किया:

सामान्य अध्ययन: 3

सुरक्षा,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच सम्बन्ध। विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: ‘भारत शक्ति’ अभ्यास,उन्नत एमआईआरवी तकनीक से सम्बन्धित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: “भारत शक्ति: स्वदेशी हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन”। चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के पोखरण में तीनों सेनाओं के लाइव फायर और त्वरित कार्रवाई अभ्यास के रूप में स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के एक समन्वित प्रदर्शन का अवलोकन किया।

उद्देश्य:

  • ‘भारत शक्ति’ में देश की शक्ति के प्रदर्शन के रूप में स्वदेशी हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों की एक श्रृंखला प्रदर्शित की जाएगी, जो देश की आत्मनिर्भारत पहल पर आधारित है।

विवरण:

  • उन्नत एमआईआरवी तकनीक से लैस लंबी दूरी की अग्नि मिसाइल के परीक्षण के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के बहुत ही कम देशों के पास इस तरह की आधुनिक तकनीक और क्षमता है।
  • यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की एक और बड़ी उड़ान है।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की सफलता भारत के टैंकों, तोपों, लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और मिसाइल प्रणालियों से देखी जा सकती है जो भारत की शक्ति को दर्शाते हैं।
  • उन्होंने स्वदेश निर्मित तेजस लड़ाकू विमानों, उन्नत हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों, पनडुब्बियों, विध्वंसक, विमान वाहक, उन्नत अर्जुन टैंक और तोपों का भी उल्लेख किया।
  • उन्होंने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों के बारे में उल्लेख किया और वहां 7000 करोड़ रुपये के निवेश की जानकारी दी।
    • इसके अतिरिक्त, एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर फैक्ट्री ने भारत में काम करना शुरू कर दिया है।
    • उन्होंने बाहर से न मंगाई जाने वाली वस्तुओं की सूची तैयार करने और इन वस्तुओं के भारतीय इको-सिस्टम का समर्थन करने के लिए तीनों सेनाओं के प्रमुखों को बधाई दी।
    • प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि पिछले 10 वर्षों में स्वदेशी कंपनियों से 6 लाख करोड़ रुपये के उपकरण खरीदे गए हैं।
    • इस दौरान देश का रक्षा उत्पादन दोगुना होकर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है।
    • पिछले 10 वर्षों में 150 से अधिक रक्षा स्टार्ट-अप शुरू हुए हैं और रक्षा बलों ने उन्हें 1800 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए हैं।
  • प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने अपने स्वयं के लड़ाकू जेट, विमान वाहक, सी 295 परिवहन विमान और उन्नत उड़ान इंजन का उत्पादन किया है।
    • भारत में 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के डिजाइन, विकास और निर्माण के हालिया कैबिनेट निर्णय का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र के विकास और भविष्य में पैदा होने वाले असंख्य रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा होने पर विश्वास जताया।

पृष्ठ्भूमि:

  • भारत शक्ति भूमि, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष के क्षेत्र में खतरों का मुकाबला करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की एकीकृत परिचालन क्षमताओं को प्रदर्शित करने वाले वास्तविक, समन्वित, बहु-क्षेत्रीय संचालन का एकीकरण करेगी।
  • अभ्यास में भाग लेने वाले प्रमुख उपकरण और हथियार प्रणालियों में टी-90 (आईएम) टैंक, धनुष और सारंग गन सिस्टम, आकाश हथियार प्रणाली, लॉजिस्टिक्स ड्रोन, रोबोटिक म्यूल, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और मानव रहित विमानों की एक श्रृंखला शामिल है।
    • भारतीय सेना ने उन्नत जमीनी युद्ध और हवाई निगरानी क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
    • भारतीय नौसेना ने समुद्री ताकत और तकनीकी परिष्कार को उजागर करते हुए नौसेना एंटी-शिप मिसाइलों, स्वायत्त कार्गो ले जाने वाले विमानों और हवाई लक्ष्यों का प्रदर्शन किया।
    • भारतीय वायु सेना ने हवाई संचालन में वायु श्रेष्ठता और बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए स्वदेशी रूप से विकसित हल्के लड़ाकू विमान तेजस, लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर और उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर तैनात किए।
  • घरेलू समाधानों के साथ समकालीन और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और उन पर काबू पाने के लिए भारत की तत्परता के स्पष्ट संकेत में, भारत शक्ति वैश्विक मंच पर भारत की घरेलू रक्षा क्षमताओं के लचीलेपन, नवाचार और ताकत पर प्रकाश डालती है।
  • यह कार्यक्रम भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत और परिचालन कौशल और स्वदेशी रक्षा उद्योग की सरलता तथा प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करके, रक्षा में आत्मनिर्भरता की दिशा में देश की मजबूत प्रगति का उदाहरण देता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी संस्थान, मोका का दौरा किया:

  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु देश की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर 11 मार्च, 2024 मॉरीशस पहुँचीं।
    • मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जुगनॉथ ने सर शिवसागर रामगुलाम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति के आगमन पर अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और मॉरीशस के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों सहित पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका स्वागत किया।
  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 12 मार्च, 2024 को महात्मा गांधी संस्थान (एमजीआई), मोका, मॉरीशस का दौरा किया।
  • राष्ट्रपति ने संस्थान के परिसर में स्थित 1970 में भारत और मॉरीशस सरकार की संयुक्त पहल के रूप में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
    • एमजीआई मॉरीशस में भारतीय कला, संस्कृति और भाषाओं को बढ़ावा देने एवं प्रचारित करने वाली एक अग्रणी संस्था है।
    • उन्होंने कहा कि हमारी दशकों पुरानी साझेदारी मॉरीशस की विकास यात्रा में योगदान देने और मॉरीशस में आम लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता का एक शानदार उदाहरण है।
  • राष्ट्रपति ने मॉरीशस के युवाओं को – न केवल सांस्कृतिक और भाषाई रूप से, बल्कि शैक्षिक और व्यावसायिक अवसर प्रदान करके उन्हें भारत के साथ जुड़ने के और अधिक अवसर प्रदान करने के लिए महात्मा गांधी संस्थान को प्रोत्साहित किया।
  • राष्ट्रपति ने 7वीं पीढ़ी के भारतीय मूल के मॉरीशसवासियों के लिए प्रवासी भारतीय नागरिकता की पात्रता के विस्तार की घोषणा की, जिससे अधिक युवा मॉरीशसवासी अपने पूर्वजों की भूमि के साथ फिर से जुड़ सकेंगे।
  • एमजीआई की अपनी यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति ने संस्थान में संरक्षित कुछ दुर्लभ अभिलेखों को भी देखा, जो देश में पहले भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के आगमन के दस्तावेज हैं।
  • मॉरीशस विश्वविद्यालय ने 12 मार्च, 2024 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि से सम्मानित किया।
  • पहली बैठक में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने स्टेट हाउस, ले रेडुइट में मॉरीशस के राष्ट्रपति श्री पृथ्वीराज सिंह रूपन से मुलाकात की।
    • दोनों नेताओं ने अद्वितीय और बहुआयामी भारत-मॉरीशस संबंधों को और सुदृढ़ करने पर चर्चा की।
    • राष्ट्रपति मुर्मु ने आयुर्वेदिक उद्यान का भी दौरा किया, जिसे पिछले वर्ष स्टेट हाउस के मैदान में स्थापित किया गया था।
  • बाद में, राष्ट्रपति ने पैम्पलेमोसेस के सर शिवसागर रामगुलाम बॉटनिकल गार्डन, का दौरा किया और सर शिवसागर रामगुलाम और सर अनिरुद्ध जुगनॉथ की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 56 वर्षों की अवधि में, मॉरीशस अग्रणी लोकतंत्रों में से एक, बहुलवाद का प्रतीक, एक समृद्ध देश, एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र, एक संपन्न पर्यटन स्थल के रूप में उभर कर आया है।
    • प्रमुखत: यह दुनिया के सबसे सुरक्षित और शांतिपूर्ण देशों में से एक है।
    • उन्होंने दूरदर्शी मॉरीशस के राष्ट्र-निर्माताओं की सराहना की जिन्होंने अर्थव्यवस्था को “मॉरीशेन मिरेकल” बना दिया जो न केवल अफ्रीका बल्कि पूरे विश्व को प्रेरित करता है।
  • उन्होंने मॉरीशस के लिए एक नए विशेष प्रावधान की भी घोषणा की जिसके अंतर्गत भारतीय मूल की 7वीं पीढ़ी के मॉरीशसवासी अब भारत की विदेशी नागरिकता के लिए पात्र होंगे – जिससे कई युवा मॉरीशसवासी अपने पूर्वजों की भूमि के साथ फिर से जुड़ने में सक्षम होंगे।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि भारत “वसुधैव कुटुंबकम” और “सर्वजन सुखिना भवन्तु” के अपने मूल मूल्यों का पालन करते हुए वैश्विक शांति और समृद्धि का स्रोत बना रहेगा।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि भारत भविष्य की इस प्रगतिशील रोमांचक यात्रा में मॉरीशस जैसे अपने विशेष मित्रों के साथ साझेदारी करने को उत्सुक है।
    • गौरतलब हैं की प्रत्येक वर्ष 400 मॉरीशसवासियों को भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के अंतर्गत भारत में प्रशिक्षित किया जाता है और मॉरीशस के लगभग 60 छात्रों को भारत में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्रवृत्ति मिलती है।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, मॉरीशस को एक समुद्री क्षेत्र पड़ोसी देश, हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रिय भागीदार और अपने अफ्रीका आउटरिच में एक प्रमुख प्लेयर के रूप में देखता है।
  • यह देखा गया कि भारत और मॉरीशसवासियों के बीच संबंध दो देशों की विशेष मित्रता का आधार रहे हैं।

2. तीन बहुराज्यीय सहकारी समितियां- BBSSL, NCOL और NCEL:

  • केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री 13 मार्च, 2024 को नई दिल्‍ली स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में तीन बहुराज्यीय सहकारी समितियों- भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL), नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) और नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (NCEL) के नए कार्यालय भवन का उद्घाटन करेंगे।
  • तीनों समितियां — BBSSL, NCOL और NCEL— “सहकार से समृद्धि” के विजन को साकार करने की दिशा में सहकारिता मंत्रालय की एक और महत्वपूर्ण पहल है।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर की तीन बहुराज्यीय सहकारी समितियों के गठन को मंजूरी दी है।
    • यह समितियां निर्यात, जैविक उत्पाद और बीज के क्षेत्र में काम कर रही हैं और एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत हैं।
    • BBSSL, NCOL और NCEL के लिए निर्धारित गतिविधियों में रुचि रखने वाली सभी स्तरों की सहकारी समितियां इसकी सदस्यता के लिए पात्र हैं, यानी ‘PACS से APACS’ तक सभी इसके सदस्य बन सकते हैं।
  • NCEL का गठन सहकारी क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।
    • NCEL के प्रमुख प्रमोटर्स में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF), भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (KRIBHCO), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) जैसे प्रतिष्ठित संगठन शामिल हैं।
    • NCEL की स्थापना सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं के कृषि उत्पादों एवं सेवाओं के प्रत्यक्ष निर्यात और सभी संबंधित प्रचार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए की गई है।
    • इससे विभिन्न स्तरों पर सहकारी समितियों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का जुड़ाव बढ़ेगा, जिससे सहकारिता क्षेत्र में अधिक रोजगार पैदा होंगे।
    • NCEL, सहकारी क्षेत्र में उत्पादित सरप्लस वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा मिलेगा और “आत्मनिर्भर भारत” के निर्माण की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ेंगे।
  • NCOL का गठन जैविक उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाने और एक स्वस्थ कृषि पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए किया गया है।
    • यह सहकारिता क्षेत्र के जैविक उत्पादों को एकत्र करने, उनकी खरीद, प्रमाणन, परीक्षण, ब्रांडिंग और विपणन के लिए एकछत्र संगठन के रूप में कार्य करता है।
    • NCOL को पांच राष्ट्रीय स्तर के सहकारी संघों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है, जिनमें NAFED, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB), NCDC, GCMMF और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NCCF) शामिल हैं।
    • NCOL को जैविक उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने और विभिन्न स्तरों पर सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं द्वारा प्रामाणिक और प्रमाणित जैविक उत्पादों के विपणन में सहायता प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
  • BBSSL उन्नत और पारंपरिक बीजों के अनुसंधान और उत्पादन से संबंधित समिति है।
    • यह सहकारी क्षेत्र के माध्यम से उन्नत और पारंपरिक बीजों के प्रसंस्करण और विपणन के लिए भी जिम्मेदार है।
    • BBSSL का लक्ष्य सहकारी समितियों के माध्यम से वैश्विक मानकों के अनुरूप भारत में गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन को बढ़ाना है, जिससे बीजों के आयात पर निर्भरता कम हो, कृषि उत्पादन में वृद्धि हो और बीज उत्पादक किसानों की आय में वृद्धि से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले।
    • इसके प्रमोटर्स में IFFCO, KRIBHCO, NAFED, NDDB और NCDC शामिल हैं।
  • ये तीनों समितियाँ कृषि एवं संबंधित गतिविधियों से जुड़े लोगों का विकास सुनिश्चित करेंगी और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के माध्यम से किसानों से कृषि उपज और बीज खरीदेंगी।
  • इससे PACS और मजबूत होंगे क्योंकि किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य मिलेगा।
  • इसके साथ ही समितियाँ यह भी सुनिश्चित करेंगी कि नेट सरप्लस यानी शुद्ध अधिशेष पर मुनाफा सीधे किसानों के खातों में पहुँचे।

3. प्रधानमंत्री सामाजिक उत्थान एवं रोजगार आधारित जनकल्याण (पीएम-सूरज) पोर्टल का शुभारंभ करेंगे:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 13 मार्च, 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वंचित वर्गों को ऋण सहायता के लिए राष्ट्रव्यापी जनसंपर्क को चिह्नित करने वाले एक कार्यक्रम में भाग लेंगे।
  • श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री सामाजिक उत्थान एवं रोजगार आधारित जनकल्याण (पीएम-सूरज) राष्ट्रीय पोर्टल का शुभारंभ करेंगे और देश के वंचित वर्गों के एक लाख उद्यमियों के लिए ऋण सहायता स्‍वीकृत करेंगे।
  • वंचित वर्गों को ऋण सहायता के लिए प्रधानमंत्री सामाजिक उत्थान एवं रोजगार आधारित जनकल्याण (पीएम-सूरज) पोर्टल का शुभारंभ करेंगे और वंचित वर्गों के 1 लाख उद्यमियों के लिए ऋण सहायता स्वीकृत करेंगे।
    • यह एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य समाज के सबसे वंचित वर्गों का उत्थान करना है।
    • देश भर में पात्र व्यक्तियों को बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)-सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) और अन्य संगठनों के माध्यम से ऋण सहायता प्रदान की जाएगी।
  • प्रधानमंत्री कार्यक्रम के दौरान मशीनी स्वच्छता व्यवस्था के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई (नमस्ते) योजना के अंतर्गत सफाई मित्रों (सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों) को आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड और पीपीई किट भी वितरित करेंगे।
  • यह पहल चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कार्य करने वाले अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा की दिशा में एक और महत्वपूर्ण प्रयास है।

4. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगों के लिए आईआईटी दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

  • ग्रामीण विकास में तकनीकी प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगों में अपनी साझेदारी को औपचारिक रूप देने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • इस एमओयू का उद्देश्य मनरेगा के तहत संपत्तियों की निगरानी और प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ-साथ जमीन और अंतरिक्ष-आधारित भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना है।
  • समझौता ज्ञापन “भूप्रहरि” परियोजना पर केंद्रित है, जो एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत संपत्तियों की निगरानी और प्रबंधन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ-साथ जमीन और अंतरिक्ष-आधारित भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना है।
    • इस परियोजना को प्रोफेसर मनबेंद्र सहारिया के नेतृत्व वाली हाइड्रोसेंस लैब द्वारा क्रियान्वित किया जाना है।
    • यह सहयोग ग्रामीण विकास प्रक्रियाओं की बेहतरी के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करने की प्रतिबद्धता है।
  • तकनीकी नवाचारों के लागू होने से ग्रामीण विकास परियोजनाओं की योजना बनाने, निगरानी करने और कार्यान्वित करने की क्षमता में सुधार होगा।
    • इस साझेदारी के माध्यम से, आईआईटी दिल्ली और एमओआरडी ने सामाजिक कल्याण के लिए तकनीकी समाधान खोजने और लागू करने में मिलकर काम किया है।

5. प्रधानमंत्री ने गुजरात के साबरमती में कोचरब आश्रम का उद्घाटन किया:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मार्च 2024 को साबरमती आश्रम का दौरा किया और कोचरब आश्रम का उद्घाटन किया एवं गांधी आश्रम स्मारक के मास्टर प्लान का शुभारम्भ भी किया। प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और हृदय कुंज का दौरा किया।

पृष्ठभूमि:

  • प्रधानमंत्री ने पुनर्विकसित कोचरब आश्रम का उद्घाटन किया।
    • यह 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद महात्मा गांधी द्वारा स्थापित पहला आश्रम था।
    • इसे आज भी गुजरात विद्यापीठ ने एक स्मारक और पर्यटन स्थल के रूप में संरक्षित रखा है।
    • प्रधानमंत्री ने गांधी आश्रम स्मारक के मास्टर प्लान का भी शुभारम्भ किया।
    • इस दिशा में एक और प्रयास में गांधी आश्रम स्मारक परियोजना वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए महात्मा गांधी की शिक्षाओं और दर्शन को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी।
    • इस मास्टर प्लान के तहत आश्रम के मौजूदा पांच एकड़ क्षेत्र को 55 एकड़ तक विस्तारित किया जाएगा।
    • 36 मौजूदा इमारतों का जीर्णोद्धार किया जाएगा, जिनमें गांधीजी के निवास स्थान ‘हृदय कुंज’ सहित 20 इमारतों का संरक्षण किया जाएगा, 13 का जीर्णोद्धार किया जाएगा और 3 का पुनरुद्धार किया जाएगा।
  • इस परियोजना के तहत एक व्याख्या केंद्र का भी निर्माण किया जाएगा, जो विभिन्न अपेक्षाओं वाले और कई भाषाओं में आगंतुकों का मार्गदर्शन कर सकता है।
  • यह स्मारक भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करेगा, गांधीवादी विचारों को बढ़ावा देगा और ट्रस्टीशिप के सिद्धांतों की सूचित प्रक्रिया के माध्यम से गांधीवादी मूल्यों के सार को जीवंत करेगा।

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