विषयसूची:
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1.भारत-सऊदी अरब दोनों देशों में कार्यालय स्थापित करने का निर्णय:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा:भारत-सऊदी निवेश फोरम 2023 से सम्बन्धित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंध।
प्रसंग:
- सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल सऊद की भारत की राजकीय यात्रा से इतर, द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी परिषद के नेताओं के शिखर सम्मेलन में भागीदारी के लिए भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग तथा सऊदी निवेश मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में भारत-सऊदी अरब निवेश फोरम 2023 (“फोरम”) का आयोजन किया गया।
उद्देश्य:
- इस फोरम में भारत और सऊदी अरब की 500 से अधिक कंपनियों की भागीदारी रही।
- यह भारत और सऊदी अरब के बीच पहली औपचारिक निवेश संगोष्ठी है।
- यह भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 100 बिलियन डॉलर का निवेश करने के बारे में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस द्वारा पूर्व में की गई घोषणा की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में आयोजित की गई है।
विवरण:
- भारत-सऊदी निवेश फोरम 2023 के मंत्रिस्तरीय सत्र की सह-अध्यक्षता केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल और सऊदी अरब के निवेश मंत्री महामहिम श्री खालिद ए. अल फलीह ने की।
- व्यापार सभा को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए, दोनों मंत्रियों ने परस्पर स्टार्ट-अप, डिजिटल बुनियादी ढांचा विकास, दोनों देशों के व्यापार और निवेशक इको-सिस्टम के बीच घनिष्ठ सहयोग बढ़ाने सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों और साधनों के बारे में चर्चा की।
- इसके अलावा उन्होंने दोनों देशों की निवेश प्रोत्साहन एजेंसियों के बीच सहयोग तथा निवेश प्रोत्साहन कार्यालयों और निधियों तथा संयुक्त परियोजनाओं की संभावनाओं के माध्यम से भारत में प्रत्यक्ष निवेश के बारे में चर्चा के लिए सऊदी संप्रभुता संपत्ति निधि को प्रोत्साहित करने के बारे में भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
- मंत्रिस्तरीय चर्चा के दौरान कुछ अन्य प्रमुख निष्कर्षों में रणनीतिक साझेदारी परिषद की अर्थव्यवस्था और निवेश समिति के तहत पहचान किए गए साझेदारी के अवसरों को तेजी से प्राप्त करने के बारे में भी सहमति हुई।
- दोनों मंत्रियों ने खाद्य प्रसंस्करण, लॉजिस्टिक्स एवं बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य देखभाल, ऊर्जा विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा, कौशल विकास, अंतरिक्ष, आईसीटी और विशेष रूप से डिजिटल क्षेत्र में स्टार्ट-अप जैसे क्षेत्रों में संभावित निवेश सहयोग की रूपरेखा के बारे में भी विचार-विमर्श किया।
- इसके अलावा आईसीटी और उद्यमिता; रसायन एवं उर्वरक; ऊर्जा एवं स्थिरता; उन्नत विनिर्माण और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में संभावित द्विपक्षीय सहयोग के बारे में विशेष विचार-विमर्श के साथ ब्रेकआउट सत्रों का आयोजन किया गया।
- इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता और रुचि रखने वाले दोनों पक्षों के संबंधित व्यवसायों ने इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए।
- इससे पूर्व दिन में, दोनों पक्षों के बीच जी2बी और बी2बी प्रारूप में 45 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर (एमओयू) हस्ताक्षर किए गए।
- इन समझौता ज्ञापनों से दोनों देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव और अधिक घनिष्ट होने की उम्मीद है जिससे निवेश प्रवाह में भी तेजी आने की संभावना है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. सीएसआईआर ने 2022 के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की घोषणा की:
- नई दिल्ली में 12 सितम्बर 2023 को सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (एनआईएससीपीआर) के ‘वन वीक वन लैब’ कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में, वर्ष 2022 के लिए शांति स्वरूप भटनागर (एसएसबी) पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की गई।
- वर्ष 2022 के लिए प्रतिष्ठित एसएसबी पुरस्कार सात विषयों में बारह अग्रणी वैज्ञानिकों को प्रदान किया गया है।
- दो-दो वैज्ञानिकों को क्रमशः जैविक, रसायन, इंजीनियरिंग, गणितीय और भौतिक विज्ञान के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- जैविक विज्ञान में डॉ. अश्वनी कुमार और डॉ. मदिका सुब्बा रेड्डी, रासायनिक विज्ञान में अक्कट्टू टी बीजू और देबब्रत मैती, इंजीनियरिंग विज्ञान में दीप्ति रंजन साहू और रजनीश कुमार, गणितीय विज्ञान में अपूर्वा खरे और नीरज कयाल, भौतिक विज्ञान में अनिंद्य दास और बासुदेब दासगुप्ता विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान में विमल मिश्रा और चिकित्सा विज्ञान में दीप्यमान गांगुली को सम्मानित किया गया है।
2. उपराष्ट्रपति राजस्थान में बांध सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे:
- जल शक्ति मंत्रालय का जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर) 14 से 15 सितंबर, 2023 तक जयपुर में राजस्थान अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (आरआईसी) में बांध सुरक्षा (आईसीडीएस) पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयेाजित कर रहा है।
- जहां विश्व के जाने माने विशेषज्ञ और अग्रणी व्यक्ति, बांध सुरक्षा बढ़ाने की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एकत्रित होंगे।
- उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ “सुरक्षित और संरक्षित बांधों द्वारा राष्ट्र की समृद्धि सुनिश्चित” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
- भारत में 6,000 से अधिक बांध हैं।
- भारत बड़े बांधों के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर हैं और इनमें से लगभग 80 प्रतिशत बांध 25 वर्ष से अधिक पुराने हैं, जबकि 234 बांध 100 वर्षों से ज्यादा पुराने हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, सम्मेलन का उद्देश्य भारत और दुनिया भर के विशेषज्ञों को एक स्थान पर लाने और बांध सुरक्षा और प्रबंधन में अत्याधुनिक विषयों पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख स्थान प्रदान करना है।
- इसके अतिरिक्त, सम्मेलन में बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) चरण II और III के उद्देश्यों के साथ ही परियोजना भारत में बांध सुरक्षा सुधार में कैसे योगदान देती है, इस पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी।
- उद्घाटन सत्र का एक मुख्य आकर्षण विनाइल-आवरण वाली ‘पानी की रेल’ यानी दो प्रमुख ट्रेनों, हिमसागर एक्सप्रेस और कामाख्या एक्सप्रेस को रवाना करना होगा, जो जल संरक्षण और प्रबंधन, नदी पुनर्जीवन और पेयजल और बेहतर स्वच्छता के महत्व के महत्वपूर्ण संदेश को बढ़ावा देने के लिए एक चलते-फिरते बिलबोर्ड के रूप में कार्य करेंगे।
- जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय जल मिशन के नेतृत्व में रेल मंत्रालय के सहयोग से “पानी की रेल” शीर्षक से यह अनूठी पहल, महत्वपूर्ण जल संरक्षण परियोजनाओं की बानगी प्रस्तुत करेगी, जो समुदाय द्वारा संचालित जल संरक्षण एवं प्रबंधन के संबंध में प्रधानमंत्री की कल्पना को परिलक्षित करती है।
- इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य देश के कोने-कोने तक पहुंच कर जल संरक्षण के महत्वपूर्ण संदेश को प्रसारित करना है ।
- ये ट्रेनें देश के लाखों लोगों तक पहुंचकर अपनी छाप छोड़ेंगी और पानी को एक सीमित और अमूल्य संसाधन मानने का महत्व बताएंगी।
- बाँध आधुनिक भारत का बहुत बड़ा प्रतीक हैं।
- बांध सभ्यता के विकास के लिए आवश्यक रहे हैं, और इन्होंने पीने के पानी, सिंचाई, जलविद्युत और बाढ़ सुरक्षा की बढ़ती मांग को पूरा करने में बहुआयामी भूमिका निभाई है।
- कल्लनई बांध से, राजा कारिकलन चोल द्वारा दूसरी शताब्दी ईस्वी में बनाए गए पहले बांध के बाद भारत वर्तमान समय में 6,000 से अधिक बांधों का दावा करता है, जो इसे बड़े बांधों के मामले में विश्व स्तर पर तीसरा बनाता है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है।
- इतने समृद्ध इतिहास की पृष्ठभूमि में बांध सुरक्षा कानून (डीएसए) 2021 लागू किया गया था।
- इसने बांधों की सुरक्षा के प्रति हमारे देश के समर्पण को और मजबूत किया है।
- यह प्रगतिशील कानून वैश्विक बांध सुरक्षा मानकों के लिए एक मानक स्थापित करते हुए बांध निगरानी, निरीक्षण और रखरखाव के प्रति देश के समर्पण को रेखांकित करता है।
- यह कानून केंद्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति, राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) की स्थापना और राज्य स्तर पर बांध सुरक्षा पर राज्य समिति और राज्य बांध सुरक्षा संगठन की स्थापना को अनिवार्य करता है।
- इसके अलावा, बांध मालिकों को अब एक समर्पित बांध सुरक्षा इकाई बनाने, आपातकालीन कार्य योजना तैयार करने और नियमित अंतराल पर व्यापक सुरक्षा मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
- बांध सुरक्षा से संबंधित दो प्रकार के अपराधों के प्रावधानों और नियमित जोखिम मूल्यांकन पर जोर के साथ, यह कानून भारत की दूरदर्शिता का प्रमाण है, जो इसके विशाल बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जिनमें से अनेक सदियों से नहीं भी तो अनेक दशकों से खड़े हैं।
- उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से बांध मालिकों, राज्य सरकारों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू) और निजी एजेंसियों की है।
- इन चिंताओं को दूर करने के लिए, 2012 में शुरू की गई बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) चरण-I ने भारत में बांध सुरक्षा चिंताओं को दूर करने का मार्ग प्रशस्त किया।
- इसमें 2,100 करोड़ रुपये के बजट के साथ सात राज्यों के 223 बांधों को शामिल किया गया, जिससे सुरक्षा में महत्वपूर्ण इजाफा हुआ।
- इसकी सफलता के आधार पर, विश्व बैंक और एआईआईबी द्वारा वित्त पोषित डीआरआईपी चरण II और III, बांध सुरक्षा में सुधार के प्रयास जारी रखे हुए हैं।
- ये चरण बांध संरचनाओं के पुनर्वास, प्रबंधन बढ़ाने और बांध सुरक्षा संस्थानों की स्थापना पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो अपने जल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
- इस योजना का लक्ष्य 19 राज्यों में 736 बांधों का पूर्ण पुनर्वास करना है। 10-वर्षीय प्रणाली को दो छह-वर्षीय चरणों, चरण-II और चरण-III में दो-वर्षीय ओवरलैप के साथ लागू किया जा रहा है।
- इस परियोजना की लागत 10,211 करोड़ रुपये है। इस लागत में बाहरी ऋण से 7000 करोड़ रुपये और भाग लेने वाले राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों से 3211 करोड़ रुपये शामिल हैं।
- सम्मेलन का आयोजन राजस्थान जल संसाधन विभाग, केंद्रीय जल आयोग, राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण, एमएनआईटी जयपुर, डब्ल्यूएपीसीओएस लिमिटेड, विश्व बैंक और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के सहयोग से किया जा रहा है।
3.राष्ट्रपति आयुष्मान भव: अभियान का वर्चुअल शुभारंभ करेंगी:
- राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु, 13 सितंबर, 2023 को दूरदर्शी स्वास्थ्य कार्यक्रम ‘आयुष्मान भव:’ अभियान का उद्घाटन करेंगी।
- आयुष्मान भव: एक व्यापक राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य सेवा पहल है, जो हर गांव और शहर तक पहुंचने वाली स्वास्थ्य योजनाओं की कवरेज सुनिश्चित करती हैं।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘आयुष्मान भव:’ अभियान एक व्यापक राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य सेवा पहल है, जिसका उद्देश्य देश के हर गांव और शहर तक पहुंचने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की अधिकतम कवरेज प्रदान करना है।
- यह अभूतपूर्व पहल आयुष्मान भारत कार्यक्रम की सफलता पर आधारित है और स्वास्थ्य सेवाओं में परिवर्तन का प्रतीक है।
- आयुष्मान भाव के तीन घटकों- आयुष्मान – आपके द्वार 3.0, एचडब्ल्यूसी और सीएचसी में आयुष्मान मेलों और हर गांव और पंचायत में आयुष्मान सभाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं की अधकतम कवरेज।
- आयुष्मान भव: का उद्देश्य आयुष्मान कार्ड प्रदान करना, आभा आईडी उपलब्ध कराना और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं और रोग की स्थिति, जैसे गैर-संचारी रोग, तपेदिक और सिकल सेल रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
- देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और समावेशिता को फिर से परिभाषित करने के लिए निर्धारित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्घाटन वर्चुअल माध्यम से होगा। इस सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) और सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘आयुष्मान भव:’ अभियान एक व्यापक राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य सेवा पहल है, जिसका उद्देश्य देश के हर गांव और शहर तक पहुंचने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की अधिकतम कवरेज प्रदान करना है।
- यह अभूतपूर्व पहल आयुष्मान भारत कार्यक्रम की सफलता पर आधारित है और स्वास्थ्य सेवाओं में परिवर्तन का प्रतीक है।
- यह अभियान, 17 सितंबर से 2 अक्टूबर, 2023 तक ‘सेवा पखवाड़ा’ के दौरान लागू किया जाएगा, यह पूरे राष्ट्र और पूरे समाज के दृष्टिकोण का प्रतीक है।
- यह सरकारी क्षेत्रों, नागरिक समाज संगठनों और समुदायों को एक सामान्य मिशन के तहत एकजुट करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी असमानता के आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों।
- आयुष्मान भव: अभियान स्वास्थ्य विभाग, अन्य सरकारी विभागों और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय निर्वाचित निकायों के साथ मिलकर ग्राम पंचायतों द्वारा चलाया गया एक सहयोगी प्रयास है। इसका मुख्य उद्देश्य भौगोलिक बाधाओं को पार करते हुए हर गांव और शहर में व्यापक स्वास्थ्य सेवा कवरेज का विस्तार करना है और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों।
- इसका उद्देश्य अपने तीन घटकों आयुष्मान – आपके द्वार 3.0, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और हर गांव और पंचायत में आयुष्मान सभाओं में आयुष्मान मेलों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं के कवरेज को अधिकतम करना है:
- आयुष्मान आपके द्वार 3.0: इस पहल का उद्देश्य पीएम-जेएवाई योजना के तहत नामांकित शेष पात्र लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड प्रदान करना है और यह सुनिश्चित करना कि अधिकाधिक व्यक्तियों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हो।
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