विषयसूची:
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1. विभिन्न व्यवसायों में महिला सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं
सामान्य अध्ययन: 1
सामाजिक मुद्दे
विषय: महिलाओं की भूमिका
मुख्य परीक्षा: विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढाने का महत्त्व एवं इन पहलों को आगे बढाने में निहित चुनौतियाँ
प्रसंग:
- भारत में एक नवीन भारत की दृष्टि के साथ महिला-विकास से महिला-नेतृत्व वाले विकास की ओर तेजी से बदलाव देखा जा रहा है, जहां महिलाएं तेज गति और सतत राष्ट्रीय विकास में समान भागीदार हैं।
विवरण:
- भारत वर्तमान में विश्व के उन 15 देशों में से एक है जहां महिला राष्ट्राध्यक्ष हैं।
- विश्व स्तर पर, भारत में स्थानीय सरकारों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक है।
- भारत में वैश्विक औसत की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक महिला पायलट हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय महिला एयरलाइन पायलट सोसायटी के अनुसार, विश्व स्तर पर लगभग 5 प्रतिशत पायलट महिलाएँ हैं।
- भारत में, महिला पायलटों की हिस्सेदारी काफी ज्यादा 15 प्रतिशत से अधिक है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) लगभग लड़कों के बराबर है।
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में लड़कियों/महिलाओं की उपस्थिति 43 प्रतिशत है, जो विश्व में सबसे अधिक में से एक है।
- समाज में स्वस्थ जेंडर संतुलन को मापने के प्रमुख संकेतकों में से एक ‘जन्म के समय जेंडर अनुपात (एसआरबी)’ है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) की नवीनतम रिपोर्ट से पता चलता है कि एसआरबी में सुधार के रुझान दिख रहे हैं और 2014-15 से 2022-23 (अनंतिम) के दौरान 15 अंकों के शुद्ध परिवर्तन के साथ राष्ट्रीय स्तर पर 918 से बढ़कर 933 हो गया है।
- सरकार द्वारा की गई कई पहलों ने लड़कियों के प्रति पितृसत्तात्मक मानसिकता वाले सामाजिक दृष्टिकोण, जिसमें लड़कियों को बोझ माना जाता है, में परिवार और समाज के मूल्यवान सदस्य के रूप में बदलाव के लिए केंद्रित दृष्टिकोण सहित जेंडर अनुपात में सुधार में योगदान दिया है।
- ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ स्कीम ने इस सोच को बदलने में अहम भूमिका निभाई है। घर के प्रमुख निर्णयों में भाग लेने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (एनएफएचएस 5) में कहा गया है कि आज 88.7 प्रतिशत महिलाएं प्रमुख घरेलू निर्णयों में भाग लेती हैं, जबकि पांच साल पहले यह 84 प्रतिशत थी।
- भारत सरकार ने विभिन्न व्यवसायों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाबद्ध और सांवधिक कदम उठाए हैं तथा सक्षम प्रावधान बनाए हैं।
- कौशल भारत मिशन के तहत महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।
- महिला सशक्तिकरण और देश के सर्वोच्च राजनीतिक कार्यालयों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए सरकार द्वारा उठाया गया सबसे बड़ा कदम लोक सभा (लोकसभा) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा सहित राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए 28 सितंबर, 2023 को नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 (संविधान एक सौ छठा संशोधन) अधिनियम, 2023 की अधिसूचना है।
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं।
- विज्ञान ज्योति को 9वीं से 12वीं कक्षा तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न धाराओं में लड़कियों के निम्न प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिए 2020 में लॉन्च किया गया था।
- 2017-18 में शुरू हुई ओवरसीज फेलोशिप योजना भारतीय महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को एसटीईएम में अंतरराष्ट्रीय सहयोगात्मक अनुसंधान करने का अवसर प्रदान करती है।
- कई महिला वैज्ञानिकों ने भारत के पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) या मंगलयान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण और परीक्षण भी शामिल है।
- महिला रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए, हाल ही में अधिनियमित श्रम संहिताओं में कई सक्षम प्रावधान जैसे कि महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण बनाने के लिए वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 शामिल किए गए हैं।
- सरकार कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने के लिए कामकाजी महिला छात्रावास की योजना भी लागू करती है। राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम कृषि वस्तुओं के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, योजना “किसान कॉल सेंटर” किसानों के प्रश्नों का उनकी अपनी बोली में टेलीफोन कॉल पर उत्तर देती है।
- किसान सुविधा, कृषि बाजार, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल, उमंग (न्यू एज़ गवर्नेंस के लिए यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन) जैसे मोबाइल एप्लिकेशन डिजिटल नवोन्मेषण महिलाओं को बाजारों की सुविधा प्राप्त होने में आने वाली बाधाओं को दूर करने या क्षतिपूर्ति करने में मदद कर रहे हैं।
- भारत सरकार “मिशन शक्ति” कार्यान्वित करती है जिसके दो घटक हैं, संबल और सामर्थ्य।
- “संबल” के अंतर्गत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्प लाइन और नारी अदालत जैसे घटक प्रचालनगत हैं। उप-योजना “सामर्थ्य” के घटक हैं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, शक्ति सदन, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्र, सखी निवास यानी कामकाजी महिला छात्रावास, पालना, आंगनवाड़ी सह क्रेच।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इत्यादि जैसी किसान कल्याण योजनाएं महिला किसानों के लिए एक सक्षमकारी वातावरण का पोषण कर रही हैं।
- इन पहलों के माध्यम से सरकार कृषि विस्तार सेवाओं सहित उत्पादक संसाधनों तक कृषक महिलाओं की पहुंच में सुधार कर रही है, जिससे ग्रामीण महिलाओं के जीवन में समग्र सुधार आ रहा है।
- राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम महिला सहकारी समितियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि बड़ी संख्या में महिलाएँ खाद्यान्न प्रसंस्करण, वृक्षारोपण फसलों, तिलहन प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, डेयरी और पशुधन, कताई मिलों, हथकरघा और पावरलूम बुनाई, एकीकृत सहकारी विकास परियोजनाएँ आदि से संबंधित कार्यकलापों से निपटने वाली सहकारी समितियों के साथ जुड़ी हुई हैं।
- सरकार की प्रमुख योजना दीन दयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत, लगभग 10 करोड़ महिला सदस्यों वाले लगभग 90 लाख महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के संबंध में ग्रामीण परिदृश्य को रूपांतरित कर रहे हैं।
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत लगभग 4 करोड़ घरों में से अधिकांश महिलाओं के नाम पर हैं। इन सबसे वित्तीय निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
- ‘वोकल फॉर लोकल’ का महिला सशक्तिकरण से बहुत बड़ा संबंध है, क्योंकि ज्यादातर स्थानीय उत्पादों की शक्ति महिलाओं के हाथ में है।
- सरकार ने सशस्त्र बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सक्षम प्रावधान किए हैं, जैसे फाइटर पायलटों जैसी लड़ाकू भूमिकाओं सहित महिलाओं को स्थायी कमीशन देना, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देना, सैनिक स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देना आदि।
- भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में महिला अधिकारियों को सभी शाखाओं और क्षेणियों में शामिल किया जाता है। आईएएफ ने पहली बार अग्निपथ योजना के तहत महिलाओं को अग्निवीरवायु के रूप में अन्य रैंकों में शामिल किया है।
- भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) ने हवाई यातायात नियंत्रण, अग्निशमन सेवा, हवाईअड्डा प्रचालनों जैसे संगठन के कामकाज के लिए आधारभूत संवेदनशील क्षेत्रों में महिला भागीदारी को सक्षम बनाया है। एएआई द्वारा आयोजित सीधी भर्ती प्रक्रिया में महिला उम्मीदवारों को शुल्क में और छूट प्रदान की गई है।
- सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ी है। आजादी के बाद देश में पहली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में 81 महिलाएं लोकसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। पंचायती राज संस्थाओं में 1.45 मिलियन या 46 प्रतिशत से अधिक महिला निर्वाचित प्रतिनिधि हैं (33 प्रतिशत के अनिवार्य प्रतिनिधित्व के मुकाबले)। भारत के संविधान में 73वें और 74वें संशोधन (1992) ने महिलाओं के लिए पंचायतों और नगर पालिकाओं में 1/3 सीटों का आरक्षण किया था।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. स्कूली शिक्षा में स्किल इंडिया कार्यक्रम
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा में एकीकृत करने की सिफारिश की है।
- समग्र शिक्षा योजना के व्यावसायिक शिक्षा भाग के तहत पात्र स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचा (एनएसक्यूएफ) के अनुरूप व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने का अवसर प्रदान किया जाता है।
- माध्यमिक स्तर पर यानी कक्षा 9वीं और 10वीं में छात्रों को एक अतिरिक्त विषय की पढ़ाई के रूप में व्यावसायिक मॉड्यूल की पेशकश की जाती है।
- वहीं, वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर यानी कक्षा 11वीं और 12वीं में व्यावसायिक पाठ्यक्रम एक अनिवार्य (वैकल्पिक) विषय के रूप में शामिल किया गया है।
- राज्य/केंद्र-शासित प्रदेश अब अपने कौशल अंतर विश्लेषण के अनुरूप 22 क्षेत्रों में 88 नौकरी भूमिकाओं का विकल्प चुन सकते हैं।
- इसके अलावा विद्यालयों और डीआईईटी में अत्याधुनिक व्यावसायिक और कौशल प्रयोगशालाएं विकसित करने में भी सहायता दी जाती है।
- संचार कौशल, स्व-प्रबंधन कौशल, सूचना व संचार प्रौद्योगिकी कौशल, उद्यमिता कौशल और हरित कौशल से युक्त रोजगार कौशल को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अनिवार्य हिस्सा बना दिया गया है।
- समग्र शिक्षा योजना के व्यावसायिक शिक्षा भाग का उद्देश्य छात्रों की रोजगार क्षमता और उद्यमशीलता क्षमताओं में बढ़ोतरी करना, कार्य वातावरण का अनुभव प्रदान करना और विभिन्न करियर विकल्पों के बारे में छात्रों में जागरूकता उत्पन्न करना है, जिससे वे अपनी योग्यता और आकांक्षाओं के अनुरूप इसका चयन करने में सक्षम हो सकें।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के अनुरूप विकसित स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा ने व्यावसायिक शिक्षा के दृष्टिकोण के उद्देश्यों को निर्धारित किया है।
- इसके उद्देश्यों में से एक यह भी है कि सभी छात्रों के लिए व्यावसायिक क्षमताएं, ज्ञान और प्रासंगिक मूल्य विकसित किए जाएंगे और इससे विद्यालय की पढ़ाई के बाद उनके कार्यबल में शामिल होने की संभावना उत्पन्न होगी।
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पूरे देश में कौशल विकास से संबंधित सभी प्रयासों का समन्वय कर रहा है।
- एमएसडीई के सहयोग से स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, विद्यालय शिक्षा क्षेत्र में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (पीएमकेवीवाई 4.0) कार्यान्वित कर रहा है।
2. स्वदेशी जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली
- आईआईटीएम-ईएसएम के नाम से जाना जाने वाला एक अत्याधुनिक पृथ्वी प्रणाली मॉडल (ईएसएम) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र (सीसीसीआर) में स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
- यह भारत का पहला पृथ्वी प्रणाली मॉडल है और आईआईटीएम-ईएसएम के उपयोग से किया गया जलवायु परिवर्तन मूल्यांकन, जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) द्वारा तैयार नवीनतम छठी मूल्यांकन रिपोर्ट में इस्तेमाल किया गया था।
- क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन अनुमानों का प्रलेखन करने वाली राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन आकलन रिपोर्ट विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लाभ के लिए जारी की गई है।
3. डॉप्लर मौसम रडार नेटवर्क
- वर्तमान में, मौसम की गंभीर घटनाओं पर नजर रखने के लिए देश भर में 39 डॉप्लर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) अच्छी तरह व्यवस्थित हैं।
- डीडब्ल्यूआर नेटवर्क की इस वर्तमान स्थापना के साथ, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मौसम की घटनाओं के पूर्वानुमान में भारी सुधार किया है। कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां नीचे दी गई हैं;
- नाउकास्ट सटीकता यानी तत्काल पता लगाने की संभावना (पीओडी) 2014 में 61 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 91 प्रतिशत हो गई है।
- तटीय रडार के कारण चक्रवात की ऐसी कोई घटना नहीं हुई जिसका पता न चला हो।
- मैदानी और पहाड़ी इलाकों में भारी वर्षा की घटनाओं का भी बेहतर पता लगाया जाता है और पूर्वानुमान किया जाता है।
- इसके अलावा, इन डीडब्ल्यूआर के डेटा को विभिन्न अस्थायी और स्थानिक पैमानों पर पूर्वानुमान उत्पन्न करने के लिए विभिन्न अत्याधुनिक क्षेत्रीय और वैश्विक गतिशील सशक्त मॉडल में समाहित किया जाता है।
- रडार अवलोकन चक्रवात, बारिश, तूफान की गंभीरता और पता लगाने के संदर्भ में स्थानीय स्तर पर मॉडल पूर्वानुमान और चेतावनी को और बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं।
- नाउकास्ट मॉडल अर्थात हाई-रिज़ॉल्यूशन रैपिड रिफ्रेश मॉडलिंग सिस्टम (आईएमडी-एचआरआरआर) और इलेक्ट्रिक वेदर रिसर्च एंड फोरकास्टिंग (ईडब्ल्यूआरएफ) मॉडल 6 से 12 घंटे पहले बारिश और तूफान की भविष्यवाणी के लिए रडार डेटा का उपयोग करते हैं।
4. एरोसोल के स्तर में चिंताजनक वृद्धि
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा विकिरण बल डेटा सहित एयरोसोल विशेषताओं के ग्राउंड-आधारित अवलोकनों का उपयोग करके किए गए अध्ययन से पता चलता है कि एयरोसोल का स्तर विशेष रूप से इंडो-गैंगेटिक मैदान (आईजीपी) और हिमालय की तलहटी में बढ़ गया है और इसका आशय है कि तापमान बढ़ सकता है, वर्षा का पैटर्न बदल सकता है और ग्लेशियर की बर्फ और हिम तेजी से पिघल सकती है।
- इस अध्ययन में बताया गया है कि वायुमंडल में एयरोसोल रेडिएटिव फोर्सिंग दक्षता (एआरएफई) आईजीपी और हिमालय की तलहटी में स्पष्ट रूप से अधिक है (80-135 डब्ल्यूएम-2 प्रति यूनिट एयरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ (एओडी)), जिसका मान अधिक ऊंचाई पर उच्च है। एयरोसोल-प्रेरित वायुमंडलीय वार्मिंग और बर्फ पर प्रकाश में डूबा कार्बनयुक्त एरोसोल का जमाव वर्तमान और भविष्य में त्वरित ग्लेशियर और बर्फ पिघलने का प्राथमिक कारण बताया गया है।
- भारत एयरोसोल लोडिंग, गुणों और उनके प्रभावों के लिए एक विशिष्ट मामले का प्रतिनिधित्व करता है।
- विभिन्न एयरोसोल स्रोत अलग-अलग स्थानिक और लौकिक पैमाने पर सक्रिय हो जाते हैं।
- अस्थायी और स्थानिक रूप से एरोसोल की यह बदलती प्रकृति जब भारत भर में विभिन्न भूमि उपयोग प्रकृति के साथ मिलती है, तो एक बहुत ही जटिल एयरोसोल विकिरण-बादल-वर्षा-जलवायु संपर्क उत्पन्न करती है।
- पिछले कुछ वर्षों में भारत के अनेक संस्थानों, विश्वविद्यालयों और संगठनों ने एयरोसोल गुणों और भारतीय क्षेत्र पर उनके प्रभावों को चिह्नित करने की दिशा में विभिन्न सरकारी पहलों के अंतर्गत सक्रिय अनुसंधान किया है।
- हिंदू कुश-हिमालय-तिब्बती पठार क्षेत्र में ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर सबसे बड़ा बर्फ द्रव्यमान है।
- हिंदू कुश हिमालय के ग्लेशियरों की औसत पीछे हटने की दर 14.9 ± 15.1 मीटर/वर्ष (एम/ए) है; जो सिंधु में 12.7 ± 13.2 एम/ए, गंगा में 15.5 ± 14.4 एम/ए और ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन में 20.2 ± 19.7 एम/ए से भिन्न है।
- यद्यपि काराकोरम क्षेत्र के ग्लेशियरों की लंबाई में तुलनात्मक रूप से मामूली बदलाव (-1.37 ± 22.8 एम/ए) दिखा है, जो स्थिर स्थितियों का संकेतक है।
- ग्लेशियरों का पिघलना अधिकतर प्राकृतिक है। ग्लेशियरों की मंदी या पिघलना ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण भी होता है।
- इसलिए, ग्लेशियर के पिघलने की दर को तब तक रोका या धीमा नहीं किया जा सकता, जब तक कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार सभी कारकों को नियंत्रित नहीं किया जा सके।
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