विषयसूची:
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1. कैबिनेट ने डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और आर्मेनिया के बीच एक हुए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग।
मुख्य परीक्षा: भारत और आर्मेनिया के बीच डिजिटल परिवर्तन के सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर हुए समझौता ज्ञापन पर टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 जून, 2023 को भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और आर्मेनिया के उच्च तकनीक उद्योग मंत्रालय के बीच डिजिटल परिवर्तन के लिए पूरी जनसंख्या के पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर हुए समझौता ज्ञापन (MoU) को मंजूरी दी।
उद्देश्य:
- समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों के कार्यान्वयन में घनिष्ठ सहयोग और डिजिटल प्रौद्योगिकियों-आधारित समाधानों (जैसे इंडिया स्टैक) और अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
- MoU में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
- समझौता ज्ञापन दोनों देशों द्वारा किये गए हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और 3 साल की अवधि तक लागू रहेगा।
विवरण:
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के क्षेत्र में दोनों, जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाये जायेंगे।
- इस समझौता ज्ञापन में विचार की गई गतिविधियों को उनके प्रशासन के नियमित परिचालन आवंटन के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है।
- इस अवधि के दौरान, एमईआईटीवाई ने आईसीटी डोमेन में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते किये हैं।
- यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है।
- इस बदलते परिदृश्य में, आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- इंडिया स्टैक समाधान, सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच और वितरण प्रदान करने के लिए भारत द्वारा पूरी जनसंख्या के पैमाने पर विकसित और कार्यान्वित डीपीआई हैं।
- इसका उद्देश्य सार्थक कनेक्टिविटी प्रदान करना, डिजिटल समावेश को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है।
- ये खुली प्रौद्योगिकियों पर निर्मित हैं, अंतर-संचालन योग्य हैं और उद्योग और सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
- डीपीआई के निर्माण के सन्दर्भ में प्रत्येक देश की विशिष्ट आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ हैं, हालाँकि काम करने के प्राथमिक तरीके एक जैसे हैं, जिनके लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता होती है।
2. मंत्रिमंडल ने डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और एंटीगुआ व बारबुडा के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: इंडिया स्टैक,डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)।
मुख्य परीक्षा: डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और एंटीगुआ व बारबुडा के बीच समझौता ज्ञापन पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13 जून 2023 को भारत के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा एंटीगुआ व बारबुडा के सूचना, संचार प्रौद्योगिकी, उपयोगिता और ऊर्जा मंत्रालय के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- यह समझौता ज्ञापन डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या स्तर पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग के लिए किया जा रहा है।
- समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों के कार्यान्वयन में गहरे सहयोग और अनुभवों तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों (जैसे इंडिया स्टैक) के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
- एमओयू में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की संकल्पना की गई है।
- समझौता ज्ञापन पक्षों के हस्ताक्षर की तिथि से प्रभावी होगा और तीन साल की अवधि तक लागू रहेगा।
विवरण:
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी, दोनों में सहयोग बढ़ाया जाएगा।
- इस समझौता ज्ञापन में उल्लिखित गतिविधियों को उनके प्रशासन के नियमित परिचालन आवंटन के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
- इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है।
- इस अवधि के दौरान, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईसीटी डोमेन में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते किये हैं।
- यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया आदि जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है।
- इस बदलते परिवेश के मद्देनजर आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की पड़ताल करने, उत्कृष्ट व्यवहारों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- इंडिया स्टैक सॉल्यूशंस ऐसी डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचनाएं हैं, जिन्हें सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच और वितरण प्रदान करने के लिए भारत द्वारा जनसंख्या स्तर पर विकसित और कार्यान्वित किया गया है।
- इनका उद्देश्य सार्थक कनेक्टिविटी प्रदान करना, डिजिटल समावेश को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाना है।
- ये खुली प्रौद्योगिकियों पर तैयार की गई हैं, अंतरसंचालनीय हैं और इन्हें उद्योग व सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- ये नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
- वैसे, डीपीआई के निर्माण में प्रत्येक देश की विशिष्ट आवश्यकताएं और चुनौतियां हैं, लेकिन इनकी बुनियादी कार्यक्षमता समान है, जो वैश्विक सहयोग को संभव बनाती है।
3. स्किल इंडिया डिजिटल का उद्घाटन:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय:केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य -निष्पादन।
प्रारंभिक परीक्षा: स्किल इंडिया डिजिटल (SID)।
मुख्य परीक्षा: स्किल इंडिया डिजिटल (SID) के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- प्रत्येक भारतीय के लिए गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास, प्रासंगिक अवसर तक पहुंच और उद्यमशीलता समर्थन सुनिश्चित करने के लिए, केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्किल इंडिया डिजिटल (SID) का शुभारम्भ किया।
उद्देश्य:
- यह एक समग्र डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य भारत के कौशल, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता परिदृश्य के बीच तालमेल बिठाना और बदलाव लाना है।
- यह प्लेटफॉर्म उन लाखों भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतीक है जो अपने लिए बेहतर अवसर और उज्जवल भविष्य चाहते हैं।
- यह प्लेटफॉर्म उद्योगों के लिए प्रासंगिक कौशल पाठ्यक्रम, नौकरी के अवसर और उद्यमिता सहायता प्रदान करता है।
विवरण:
- एसआईडी भारत के कौशल, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता से संबंधित इकोसिस्टम के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकी और उद्योग 4.0 कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हुए, कौशल विकास को और अधिक नवीन, सुलभ और व्यक्तिगत बनाने के भावना से प्रेरित, यह अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म कुशल प्रतिभाओं की नियुक्ति में तेजी लाने, आजीवन सीखने की सुविधा प्रदान करने और करियर के विकास की दिशा में एक बड़ी सफलता साबित होगा।
- यह प्लेटफॉर्म डिजिटल कौशल और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से डीपीआई और डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए जी20 ढांचे में व्यक्त दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।
- यह सभी सरकारी कौशल और उद्यमिता पहलों के लिए एक व्यापक सूचनाओं का प्रवेश द्वार भी है, जो करियर में विकास और आजीवन सीखने की चाह रखने वाले नागरिकों के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण की दिशा में एक और छलांग लगाते हुए, एमएसडीई ने भारत की विविध जनसांख्यिकी की कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म बनाया है।
- स्किल इंडिया डिजिटल हमारे जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने और भारत को वैश्विक कौशल केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और कदम है।
- सीखने और कौशल विकास में एक क्रांति, स्किल इंडिया डिजिटल सभी के लिए, कहीं भी, कभी भी कौशल प्रदान करने में सक्षम बनाएगा।
- स्किल इंडिया डिजिटल निश्चित रूप से युवाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण डीपीआई में से एक है और नए भारत के लिए पीएम के विजन के दो सबसे महत्वपूर्ण अंगों- स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया के लिए अहम पड़ाव है।
- इन शक्तिशाली योजनाओं का एकमात्र उद्देश्य युवाओं को भविष्य के लिए तैयार कौशल के साथ कुशल बनाना सुनिश्चित करना है।
- इससे कई अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।
- इस कोविड के बाद की दुनिया में डिजिटल कौशल के बारे में जबरदस्त जागरूकता है।
- स्किल इंडिया डिजिटल उद्यमिता और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल को सक्षम बनाएगा।
- स्किल इंडिया डिजिटल कौशल प्लेटफॉर्म के भीतर इन सुविधाओं के कार्यान्वयन से भारत में कौशल परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव आएगा, जो अतिरिक्त पहुंच, व्यक्तिगत सीखने के अनुभव, सुव्यवस्थित सत्यापन प्रक्रियाओं और बेहतर कैरियर मार्गदर्शन की पेशकश करेगा।
- यह शिक्षार्थियों को प्रासंगिक कौशल हासिल करने, उद्योग के रुझानों के प्रति अपडेट रहने और भारत के कार्यबल विकास में प्रभावी ढंग से योगदान करने में सक्षम बनाएगा।
- व्यक्तिगत शिक्षा और सुरक्षित प्रमाणीकरण से लेकर कारोबारी सुगमता और राष्ट्रीय स्तर पर अभिसरण तक, स्किल इंडिया डिजिटल नवाचार और प्रगति के प्रतीक के रूप में खड़ा है।
- इसकी यात्रा भारतीय शिक्षा और कौशल विकास पर स्थायी प्रभाव छोड़ते हुए प्रेरित कर रही है और सशक्त बनाती रही है।
4. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और सिएरा लियोन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और सिएरा लियोन के बीच हुए समझौता ज्ञापन केलाभों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सिएरा लियोन के सूचना और संचार मंत्रालय के बीच डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में 12 जून, 2023 को हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी।
उद्देश्य:
- समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों देशों की डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों के कार्यान्वयन में घनिष्ठ सहयोग और अनुभवों और डिजिटल प्रौद्योगिकियों-आधारित समाधानों (जैसे इंडिया स्टैक) के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। एमओयू में आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने वाले बेहतर सहयोग की परिकल्पना की गई है।
- समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के बीच हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और 3 साल की अवधि तक लागू रहेगा।
विवरण:
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के क्षेत्र में जी2जी और बी2बी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा।
- इस समझौता ज्ञापन में अपेक्षित कार्यों को उनकी व्यवस्था के नियमित परिचालन आवंटन के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
- एमईआईटीवाई, आईसीटी क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अनेक देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है।
- इस अवधि के दौरान,एमईआईटीवाई ने आईसीटी डोमेन में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के अपने समकक्ष संगठनों/एजेंसियों के साथ एमओयू/एमओसी/समझौते में प्रवेश किया है।
- यह देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया आदि जैसी विभिन्न पहलों के अनुरूप है।
- इस बदलते परिप्रेक्ष्य में, आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यावसायिक अवसरों की खोज करने, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने और डिजिटल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के कार्यान्वयन में अपने नेतृत्व का प्रदर्शन किया है और कोविड महामारी के दौरान भी जनता को सेवाएं सफलतापूर्वक प्रदान की हैं।
- परिणामस्वरूप अनेक देशों ने भारत के अनुभवों से सीखने के लिए भारत के साथ समझौता ज्ञापन करने में रुचि दिखाई है।
- सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने और वितरण के लिए इंडिया स्टैक सॉल्यूशंस भारत द्वारा जनसंख्या पैमाने पर विकसित और कार्यान्वित डीपीआई हैं।
- इसका उद्देश्य सार्थक कनेक्टिविटी प्रदान करना, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सेवाओं तक निर्बाध पहुंच सक्षम करना है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. राष्ट्रपति ने आयुष्मान भव अभियान का वर्चुअल रूप से शुभारंभ किया:
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने गांधीनगर के राजभवन से आयुष्मान भव अभियान का वर्चुअल रूप से शुभारंभ किया।
- ‘आयुष्मान भव’ अभियान’ का लक्ष्य- प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक गांव को इसमें शामिल करना है।
- यह देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के उद्देश्य को प्राप्त करने में सफलता हासिल करेगा।
- जब प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक परिवार स्वस्थ रहेगा तभी स्वस्थ भारत के निर्माण का संकल्प पूरा होगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहु-मंत्रालयी दृष्टिकोण अपनाया गया है।
- सभी लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड उपलब्ध कराना; ग्रामीणों को स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण के बारे में जागरूक करने के लिए आयुष्मान बैठकें आयोजित करना; आयुष्मान मेलों का आयोजन; और आयुष्मान आपके द्वार 3.0 पहल के अंतर्गत सप्ताह में एक बार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ चिकित्सकों के दौरे की व्यवस्था करना इसके तहत उठाये जाने वाले कदम हैं।
- आयुष्मान भव अभियान केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक व्यापक राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य सेवा पहल है जिसका उद्देश्य देश के हर गांव और कस्बे तक स्वास्थ्य सेवाओं की अंतिम छोर तक कवरेज प्रदान करना है।
- इस अभियान को 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2023 तक ‘सेवा पखवाड़े’ के दौरान संचालित किया जाएगा।
- ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ का सितंबर 2021 में शुभारंभ किया गया था।
2. राष्ट्रपति ने ‘राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन’ का उद्घाटन किया:
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने ‘राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन’ (नेवा) का उद्घाटन किया और 13 सितंबर, 2023 को गांधीनगर में गुजरात विधान सभा को संबोधित किया।
- ई-विधान का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण कदम है जो इस सदन को डिजिटल सदन में बदल देगा।
- राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा) के माध्यम से इस सदन के सदस्य संसद और देश की अन्य विधानसभाओं के उत्कृष्ट व्यवहारों से सीख सकते हैं और उन्हें अपना सकते हैं।
- “एक राष्ट्र एक एप्लीकेशन” के लक्ष्य से प्रेरित यह पहल गुजरात विधानसभा के कामकाज को और गति देगी तथा उसमें पारदर्शिता लाएगी।
- सदन की पूरी प्रक्रिया के कागज रहित होने से पर्यावरण की भी रक्षा होगी।
- वर्ष 1960 में गुजरात राज्य के गठन के बाद से गुजरात विधानसभा ने हमेशा समाज के हित में काम किया है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात कई मापदंडों पर देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। यह एक अग्रणी विनिर्माण केंद्र और सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात स्टार्टअप इको-सिस्टम के मामले में प्रमुख राज्यों में से एक है।
- इसके साथ ही वह रूफ टॉप सौर ऊर्जा उत्पादन और पवन ऊर्जा उत्पादन में भी अग्रणी राज्यों में गिना जाता है।
- जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के गठन पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के बाद यह भारत के नेतृत्व में उठाया गया एक और महत्वपूर्ण कदम है।
- ई-विधान विधायकों को लोगों से जुड़े रहने में और मदद करेगा।
3. जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता पर कैबिनेट में प्रस्ताव पारित:
- केंद्रीय कैबिनेट ने 9-10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता की सराहना करते हुए एक प्रस्ताव अपनी बैठक में पारित किया।
- कैबिनेट ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम के विभिन्न पहलुओं को तय करने में प्रधानमंत्री के विजन की सराहना की।
- प्रधानमंत्री के जन भागीदारी वाले दृष्टिकोण ने जी20 के कार्यक्रमों और गतिविधियों में हमारे समाज के व्यापक वर्गों को शामिल किया।
- 60 शहरों में हुई 200 से अधिक बैठकें, जी20 के कार्यक्रमों को लेकर लोगों की एक अभूतपूर्व भागीदारी का प्रतिनिधित्व करती है।
- इसके फलस्वरूप, जी20 की भारतीय अध्यक्षता सच्चे अर्थों में जन-केंद्रित रही और एक राष्ट्रीय प्रयास के रूप में उभरी।
- कैबिनेट ने महसूस किया कि इस शिखर सम्मेलन के नतीजे परिवर्तनकारी थे और ये आने वाले दशकों में विश्व व्यवस्था को नए सिरे से आकार देने में अपना योगदान देंगे।
- इनमें भी सतत विकास लक्ष्यों को साकार करने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार करने, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना करने, हरित विकास समझौते को बढ़ावा देने और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को प्रोत्साहित करने पर ख़ास तौर पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत की अध्यक्षता का एक अनूठा पहलू था।
- इन सबके बीच एक विशेष संतुष्टि की बात यह है कि भारत की पहल के चलते अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में स्वीकार किया गया।
- अगर जी20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को ऊर्जायमान करना, विकास करने के लिए संसाधनों की ज़्यादा उपलब्धता, पर्यटन का विस्तार, वैश्विक कार्यस्थल में अवसर, मोटे अनाज के उत्पादन और खपत के जरिए मजबूत खाद्य सुरक्षा और जैव-ईंधन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता आदि महत्वपूर्ण रहे, जो पूरे देश को लाभ प्रदान करेंगे।
- शिखर सम्मेलन के दौरान ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा समझौते’ और ‘वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन’ का संपन्न होना भी बेहद महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहे।
- केंद्रीय कैबिनेट ने जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता में शामिल सभी संगठनों और व्यक्तियों के योगदान की सराहना की।
- कैबिनेट ने दुनिया में प्रगति और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जी20 की भारतीय अध्यक्षता को एक मजबूत दिशा देने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अनूठे नेतृत्व की भी प्रशंसा की।
4. उज्जवला योजना के विस्तार को मंत्रिमंडल की मंजूरी:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक तीन वर्षों में 75 लाख एलपीजी कनेक्शन जारी करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के विस्तार को मंजूरी दे दी है।
- 75 लाख अतिरिक्त उज्ज्वला कनेक्शन के प्रावधान से पीएमयूवाई लाभार्थियों की कुल संख्या 10.35 करोड़ हो जाएगी।
- उज्ज्वला 2.0 के मौजूदा तौर-तरीकों के अनुसार, उज्ज्वला लाभार्थियों को पहली रिफिल और स्टोव भी मुफ्त प्रदान किया जाएगा।
- पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को प्रति वर्ष 12 रिफिल तक 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर पर 200 रुपये की लक्षित सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
- पीएमयूवाई को जारी रखे बिना पात्र गरीब परिवारों को योजना के तहत उचित लाभ नहीं मिल पाएगा।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 2.4 अरब लोग (जो वैश्विक आबादी का लगभग एक तिहाई है), खुली आग या मिट्टी के तेल, बायोमास (जैसे लकड़ी, गोबर और फसल के अपशिष्ट) से चलने वाले अकुशल चूल्हे पर और कोयले से खाना पकाने पर निर्भर हैं।
- इससे हानिकारक घरेलू वायु प्रदूषण होता है, जिससे 2020 में सालाना अनुमानित 3.2 मिलियन मौतें होती हैं, जिसमें 237,000 से अधिक मौतें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होती हैं।
- अतीत में, भारत में गरीब समुदाय, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग, अपने स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जाने बिना लकड़ी, कोयला और गोबर के उपलों जैसे पारंपरिक ईंधन का उपयोग करते थे।
- उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
- निमोनिया, फेफड़ों के कैंसर, इस्केमिक हृदय और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी रोगों जैसी बीमारियों के कारण मृत्यु दर का जोखिम बड़े पैमाने पर रिपोर्ट किया गया है।
- खाना पकाने के लिए गैर-नवीकरणीय लकड़ी के ईंधन से गीगाटन सीओ2 उत्सर्जन होता है, और आवासीय ठोस ईंधन जलाने से 58 प्रतिशत ब्लैक कार्बन का उत्सर्जन होता है।
- ठोस बायोमास के अधूरे जलावन के कारण घरेलू वायु प्रदूषण (एचएपी) बढ़ाने में भी उनकी बड़ी भूमिका होती है।
- शोध यह भी इंगित करता है कि यह एक लैंगिक समस्या है: लड़कियों और महिलाओं को ठोस ईंधन के बढ़ते जोखिम का सामना करना पड़ता है।
- ठोस ईंधन के साथ खाना पकाने से संयुक्त राष्ट्र के पांच सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति धीमी हो जाती है।
- पीएमयूवाई योजना ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया है। एलपीजी तक आसान पहुंच के साथ, महिलाओं पर अब जलाऊ लकड़ी या अन्य पारंपरिक ईंधन इकट्ठा करने का बोझ नहीं है, जिसके लिए अक्सर लंबी और श्रमसाध्य यात्रा की आवश्यकता होती है।
- यह नई सुविधा उन्हें सामुदायिक जीवन में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने और आय-सृजन के अन्य अवसर देती है।
एलपीजी कवरेज का विस्तार करने की पहल:
- पहल (प्रत्यक्ष हस्तान्तरित लाभ): सब्सिडी वाले मूल्य पर एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराने के बजाय, उन्हें बाजार मूल्य पर बेचा गया और लागू सब्सिडी सीधे इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यक्ति के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी गई।
- इससे “फर्जी” खातों और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए घरेलू सिलेंडरों के अवैध उपयोग में कमी आई, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि केवल इच्छित लाभार्थियों को ही लाभ मिले।
- सब्सिडी छोड़ दें: जबरदस्ती सब्सिडी हटाने के बजाय, लोगों को स्वेच्छा से अपनी सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
- व्यापक प्रचार के माध्यम से, लाखों लोगों ने स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ दी, जिससे उन लोगों को धन पुनर्निर्देशित करने में मदद मिली जिन्हें वास्तव में एलपीजी सिलेंडर प्राप्त करने में सहायता की आवश्यकता थी।
- 2020 में कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के दौरान, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त रिफिल योजना लागू की गई थी।
- पीएमयूवाई लाभार्थियों की प्रति व्यक्ति खपत जो 2018-19 में 3.01 थी, वह 2022-23 में बढ़कर 3.71 हो गई है।
5. मंत्रिमंडल ने ई-कोर्ट चरण-3 को 4 साल के लिए मंजूरी दी:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7210 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ चार वर्ष (2023 से आगे) के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में ई-कोर्ट परियोजना चरण-3 को मंजूरी दी है।
- प्रधानमंत्री के “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” विजन के अनुरूप, ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके न्याय तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए प्रमुख प्रवर्तक है।
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के हिस्से के रूप में, भारतीय न्यायपालिका की आईसीटी सक्षमता के लिए ई-कोर्ट परियोजना वर्ष 2007 से कार्यान्वयन के अधीन है, जिसका दूसरा चरण वर्ष 2023 में समाप्त हो गया है।
- भारत में ई-कोर्ट परियोजना का तीसरा चरण “पहुंच और समावेशन” के दर्शन पर आधारित है।
- चरण-1 और चरण-2 के लाभों को अगले स्तर पर ले जाते हुए, ई-कोर्ट चरण-3 का उद्देश्य विरासत रिकॉर्ड सहित पूरे न्यायालय रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन और पेपरलेस कोर्ट की दिशा में आगे बढ़ते हुए न्याय की अधिक से अधिक आसान व्यवस्था शुरू करना है।
- इसके अलावा ई-सेवा केंद्रों के साथ सभी न्यायालय परिसरों की परिपूर्णता के माध्यम से ई-फाइलिंग/ई-भुगतान का सार्वभौमिकरण करना भी है।
- चरण-3 का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच स्थापित करना है, जो न्यायालयों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक सहज और पेपरलेस इंटरफ़ेस प्रदान करेगा।
- ई-कोर्ट चरण-3 की केंद्र प्रायोजित योजना न्याय विभाग, कानून और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार और उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी की संयुक्त साझेदारी के तहत संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेन्द्रीकृत तरीके से न्यायिक विकास के लिए कार्यान्वित की जा रही है ताकि ऐसी न्याय प्रणाली विकसित की जा सके जो सभी हितधारकों के लिए प्रणाली को अधिक सुलभ, किफायती, विश्वसनीय, पूर्वानुमानित और पारदर्शी बनाकर न्याय में आसानी को बढ़ावा दे सके।
6. भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई):
- श्री जोशीत रंजन सिकिदर 12 सितंबर, 2023 को भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई) में निदेशक (वित्त) के रूप में शामिल हुए हैं।
- भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई) भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक मिनीरत्न श्रेणी- I सीपीएसयू है।
- वर्तमान परिदृश्य में, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास में एसईसीआई की प्रमुख भूमिका है।
- एमएनआरई की कई योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए एसईसीआई एक नोडल एजेंसी है।
- इसके अलावा, एसईसीआई ने कई सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी विभागों के लिए टर्न की आधार पर सौर परियोजना विकास में कदम रखा है।
- कंपनी के पास श्रेणी-1 पावर ट्रेडिंग लाइसेंस भी है और यह अपने द्वारा कार्यान्वित योजनाओं के तहत स्थापित परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न सौर ऊर्जा के व्यापार के माध्यम से इस क्षेत्र में सक्रिय है।
7. साइबर अपराधों की जांच के लिए विकसित जांच उपकरण मनुष्य को निशाना बनाने वाले साइबर हमलों का पता लगाने में सक्षम:
- एक नया साइबर अपराध जांच उपकरण बहुत शीघ्र ही बीमा धोखाधड़ी, ऑनलाइन वैवाहिक धोखाधड़ी जैसे मनुष्यों को लक्षित करने वाले साइबर हमलों का पता लगाने में सक्षम होगा।
- रणनीति, तकनीकी और प्रकिया (टीटीपी) आधारित यह साइबर अपराध जांच नामक ढांचा उपकरण मामले को सुलझाने के लिए आवश्यक साक्ष्यों की श्रृंखला की पहचान करने वाले साइबर अपराधों को ट्रैक करके उन्हें वर्गीकृत करने और अपराधियों को दोषी ठहराने के लिए ढांचे पर साक्ष्यों को ढूंढने में सहायता कर सकता है।
- विभिन्न राज्यों में साइबर अपराध की घटनाओं से प्रतिदिन 01 करोड़ रुपये की हानि होती है।
- अधिकतर महिलाओं, वृद्धों और निर्धन लोगों को निशाना बनाया जाता है जिसके चलते उनकी जीवन भर की बचत नष्ट हो जाती है।
- भारत में साइबर अपराध जांचों की संख्या साइबर रिपोर्टों की तुलना में उनकी संख्या से बहुत कम पाई गई।
- साइबर अपराधों की जांच ऐसे पीड़ितों की प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) पर निर्भर करती है जिनकी साइबर साक्षरता सामान्यत बहुत ही कम होती है।
- इस अंतर को दूर करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में आई-हब एनटीआईएचसी फाउंडेशनफाउंडेशन (सी3आईहब) ने अंत: विषयी साइबर भौतिकी प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) के अन्तर्गत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सहयोग से अपराध निष्पादन के जीवन चक्र में साइबर अपराधियों की कार्य प्रणाली को पकड़ने के लिए एक पद्धति और उपकरण विकसित किया है।
- यह प्रौद्योगिकी किसी ऐसे अपराध का अनुमानित निष्पादन पथ तैयार कर सकती है और फिर उपयोगकर्ता द्वारा प्राप्त कीवर्ड के सेट के आधार पर अपराध पथ के बारे में सुझाव दे सकती है।
- यह विभिन्न अपराधों में प्रयुक्त कार्यप्रणाली की तुलना भी कर सकता है और उपयोगकर्ता भूमिकाओं का प्रबंधन करने के साथ ही अपराध के पथों के लिए गतिविधियों को ट्रैक भी कर सकता है।
- टीटीपी आधारित जांच का यह ढांचा अत्यधिक प्रभावी हो सकता है क्योंकि यह जांच किए जाने वाले विभिन्न रूपों एवं तरीकों की संख्या को सीमित करते हुए मुख्य रूप से अपराधियों की रणनीति, तकनीक एवं प्रक्रिया (टीटीपी) पर निर्भर करता है | इससे साइबर अपराधियों को सटीक एवं त्वरित दंड मिल जाता है।
- विकसित साइबर अपराध जांच के इस ढांचे और उपकरण के अनुप्रयोग अब पुलिस बलों के उपयोग हेतु तैयार हैं।
- इससे साइबर अपराधियों को सरलता से ट्रैक करने के साथ ही उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है।
- साथ ही देश भर में साइबर अपराध की गतिविधियों को भी कम किया जा सकता है।
8. अल्जाइमर रोग के संभावित इलाज का रास्ता प्राकृतिक पॉलिफेनॉल में पाया गया:
- वैज्ञानिकों ने पाया है कि चेस्टनट और ओक जैसे पेड़ों की टहनियों में पाया जाने वाले टेनिक एसिड जैसे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध पौधा- आधारित पॉलिफेनॉल (पीपी) से फेरोप्टोसिस-एडी एक्सिस को नियंत्रित किया जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप अल्जाइमर रोग (एडी) का मुकाबला करने के लिये एक सुरक्षित, लागत प्रभावी रणनीति उपलब्ध हो सकती है।
- इसके परिणामस्वरूप दिमागी विकृति जैसे सामाजिक बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है।
- एडी एक तेजी से फैलती दिमाग में विकृति लाने वाली बीमारी है जो चीजों को याद रखने और ज्ञानात्मक क्षमता को कमजोर करती है।
- दशकों के शोध के बाद भी इस बीमारी को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है।
- यही वजह है कि इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने का इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है।
- फेरोप्टोसिस, पूर्वनिर्धारित कोशिका-मृत्यु की लौह-निभर्रता वाला स्वरूप है, जो एडी विकास में एक उल्लेखनीय योगदानकर्ता के तौर पर सामने आया है।
- एडी के कई तरह के लक्षण जैसे कि असामान्य लौह-निर्माण, लिपिड पैरोक्सीडेशन, प्रतिक्रियाशील आक्सीजन वर्ग (आरओएस) और एंटीआक्सीडेंट एंजाइम ग्लूटाथियोन पेरोक्सिीडेस4 (जीपीएक्स4) की कमजोर गतिविधि यह सब फेरोप्टोसिस के लक्षणों से मेल खाती हैं।
- फरोप्टोसिस का मास्टर नियामक जीपीएक्स4 पॉलिअनसेचुरेटिड फैट्टी एसिड (पीयूएफएएस) का आरओएस के साथ आयरन- उत्प्रेरित प्रतिक्रिया से लिपिड एल्कोहल, जहरीले लिपिड पेरोक्साइड को कम करता है जो कि फेरोप्टोसिस की रोकथाम के लिये पहली सुरक्षा दीवार के तौर पर काम करता है। इसे जीपीएक्स4 मार्ग कहा जाता है। जहां फेरोप्टोसिस का मुकाबला करने के परंपरागत तरीकों में प्राथमिक तौर पर चिलेटिंग आयरन और आरओएस के असर को समाप्त करने पर ध्यान दिया जाता था उसमें भी एडी में फेरोप्टोसिस को कम करने के लिये जीपीएक्स4 मार्ग को लक्षित करने की संभावित चिकित्सीय रणनीतियों पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया।
- जीपीएक्स4 प्रोटीन संशलेषण अपने आप में एक उर्जावान, कम दक्षता वाली प्रक्रिया है और इसलिये जीपीएक्स4 स्तर को बढ़ाने और सक्रिय करने वाले मालिक्यूल्स लंबे समय से चले आ रहे विकारों में आक्सीडेटिव तनाव से बचाव की कुंजी हो सकते हैं।
- एक अध्ययन में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले पॉलीफेनोल्स (पीपीएस) को फेरोप्टोसिस और एडी में सुधार लाने की दोहरी क्षमताओं के साथ नवीन और बहुरूपीय चिकित्सीय एजेंट के तौर पर प्रस्तुत किया गया है।
- अध्ययन में यह सामने आया है कि प्राकृतिक पालिफोनॉल, टैनिक एसिड (टीए) जीपीएक्स4 को चालू करने और बढ़ाने वाला दोनों के तौर पर काम कर सकता है।
- इस नवीन विचार से जीपीएक्स4 – फेरोप्टोसिस- एडी एक्सिस में नरमी लाकर एडी का मुकाबला करने की वैचारिक तौर पर उन्नत और वृहद रणनीति उपलब्ध कराता है।
- इस खोज से दवा रासायनज्ञों को एडी जैसी बीमारी के खिलाफ चिकित्सकीय प्रभाविता बढ़ाने के लिये प्राकृतिक योगिकों के नये और व्युत्पन्न खोज की प्रेरणा मिलेगी।
- एडी और फेरोप्टोसिस दोनों को एक साथ लक्षित करने के तर्क के साथ इस टीम ने फे-चेलशन और अंटीआक्सीडेंट क्षमताओं के लिये प्राकृतिक पाॅलिफेनाॅल्स की एक लाइब्रेरी को खंगाला जिसमें उन्होंने टैनिक एसिड को एक बहुपरिचालन वाले अणु के तौर पर अलग किया जो कि सभी पहलुओं में उत्साहवर्धक क्षमता प्रदर्शित करता है।
- इससे यह एडी और फरोप्टोसिस के मार्ग को संकरा करने के एक प्रभावकारी उम्मीदवार के तौर पर स्थापित हो जाता है।
- जीपीएक्स4 को सक्रिय करने और बढ़ाने दोनों तरह से फेरोप्टोसिस के अवरोधक के तौर पर टीए यानी टेनिक एसिड की खोज एडी के खिलाफ एक नवीन और समग्र रणनीति प्रस्तुत करती है।
- इससे एडी और फेरोप्टोसिस के बीच एक यांत्रिक जुड़ाव भी स्थापित होता है जो कि अब तक पता नहीं था।
- जीपीएक्स4 सक्रियकर्ता के तौर पर प्राकृतिक पोलिफोनॉल के रूप में टीए की खोज, जो कि एडी प्रसारित फेरोप्टोसिस में सुधार लाता है, अपने आप में अति महत्वपूर्ण है और इस अध्ययन से एडी में फेरोप्टोसिस के तौर पर सहक्रियाशील अवरोध के मामले में नये अवसर प्रस्तुत होते हैं।
- अल्जाइमर डिजीज (एडी) और फेरोप्टोसिस की जटिलताओं को सामने लाकर इस शोध कार्य ने न केवल विशिष्ट तंत्रिका संबंधी चुनौतियों का समाधान किया है बल्कि वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ाने, नई रोग प्रणाली के वैद्यीकरण, वैश्विक स्वास्थ्य में भी योगदान किया है।
- इसके साथ ही यह पागलपन के रोगियों की बेहतरी और शोधकर्ताओं को तंत्रिका प्रणाली विकृत होने संबंधी रोगों के मामले में इस वैकल्पिक उपचारात्मक आधार को अपनाने के लिये भी प्रेरित करता है।
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