विषयसूची:
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14 February 2024 Hindi PIB
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1. सरकार ने परिवहन क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के उपयोग पर पायलट परियोजनाओं के लिए योजना संबंधी दिशानिर्देश जारी किए:
सामान्य अध्ययन: 3
बुनियादी ढांचा:
विषय: बुनियादी ढांचा-ऊर्जा।
प्रारंभिक परीक्षा: ग्रीन हाइड्रोजन।
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का महत्व।
प्रसंग:
- भारत सरकार ने परिवहन क्षेत्र में हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन के उपयोग के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के उद्देश्य से दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं।
उद्देश्य:
- ये दिशानिर्देश बसों, ट्रकों और चार पहिया वाहनों में ईंधन के रूप में हरित हाइड्रोजन के उपयोग पर आधारित पायलट परियोजनाओं का समर्थन करेंगे।
विवरण:
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत 14 फरवरी, 2024 को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने “परिवहन क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग के लिए पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के उद्देश्य से योजना संबंधी दिशानिर्देश” जारी किए गए हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रोलाइजर की लागत में कमी के साथ, उम्मीद की जाती है कि हरित हाइड्रोजन पर आधारित वाहन अगले कुछ वर्षों में लागत के लिहाज से प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।
- हाइड्रोजन द्वारा संचालित वाहनों के क्षेत्र में भविष्य में लागत में कमी और तीव्र तकनीकी प्रगति से हरित हाइड्रोजन पर आधारित परिवहन की व्यवहार्यता में और सुधार होने की संभावना है।
- इसे ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत, एमएनआरई अन्य पहलों के साथ, परिवहन क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव के साथ बदलने के लिए पायलट परियोजनाओं को लागू करेगा।
- इन पायलट परियोजनाओं को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और इस योजना के तहत नामित योजना कार्यान्वयन एजेंसियों (एसआईए) के माध्यम से लागू किया जाएगा।
- यह योजना ईंधन सेल-आधारित प्रणोदन प्रौद्योगिकी/आंतरिक दहन इंजन-आधारित प्रणोदन प्रौद्योगिकी के आधार पर बसों, ट्रकों और चार पहिया वाहनों में ईंधन के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास को समर्थन देगी।
- इस योजना के तहत हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशनों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास को समर्थन दिया जाएगा।
- यह योजना परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए ऑटोमोबाइल ईंधन में ग्रीन हाइड्रोजन पर आधारित मेथनॉल / इथेनॉल और ग्रीन हाइड्रोजन से प्राप्त अन्य सिंथेटिक ईंधन का मिश्रण जैसे हाइड्रोजन के अन्य नए उपयोगों का भी समर्थन करेगी।
- यह योजना वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 496 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ लागू की जाएगी।
- प्रस्तावित पायलट परियोजनाओं के माध्यम से परिवहन क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के उपयोग से ईंधन भरने की सुविधाओं और वितरण बुनियादी ढांचे सहित आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- इसके परिणामस्वरूप परिवहन क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन से संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना होगी।
- आने वाले कुछ वर्षों के दौरान ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन लागत में खासी कमी के साथ, परिवहन क्षेत्र में इसका उपयोग बढ़ने की उम्मीद है।
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन 4 जनवरी 2023 को वित्त वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था।
- यह स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य में योगदान देगा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण (क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन) के लिए प्रेरणा के रूप में काम करेगा।
- इस मिशन से अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय रूप से कार्बन में कमी आएगी, जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत हरित हाइड्रोजन में प्रौद्योगिकी और बाजार का नेतृत्व करने में सक्षम होगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. एएचआईडीएफ योजना के नए स्वरूप का शुभारंभ:
- केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री परषोत्तम रूपाला ने नई दिल्ली में एएचआईडीएफ योजना के नए स्वरूप की शुरुआत की ।
- कैबिनेट ने 1 फरवरी 2024 को अपनी बैठक में 29610 करोड़ रुपये की लागत के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के तहत एएचआईडीएफ के पुनर्गठन को मंजूरी दी।
- अब इस योजना के लिए 15000 करोड़ रुपए की जगह कुल फंड 29610 करोड़ रुपए का होगा।
- योजना के इस नए स्वरूप को 31 मार्च 2023 से 2025-26 तक तीन वर्षों की अगली अवधि के लिए लागू किया जाएगा।
- इस नए रूप में, डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड को शामिल किया गया है। अब डेयरी सहकारी समितियों को डीआईडीएफ में मिलने वाली 2.5% की बजाय एएचआईडीएफ के तहत 3% की ब्याज छूट का लाभ मिलेगा।
- डेयरी सहकारी को एएचआईडीएफ के क्रेडिट गारंटी फंड के तहत क्रेडिट गारंटी सहायता भी मिलेगी।
- यह योजना डेयरी सहकारी समितियों को नवीनतम प्रोसेसिंग टेक्नॉलजी के साथ अपने प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने में मदद करेगी।
- इससे देश में बड़ी संख्या में दूध उत्पादकों को फायदा होगा।
नई योजना के तहत निम्नलिखित लाभ होंगे:
- 8 वर्ष तक देय 3% की ब्याज छूट
- व्यक्ति, एफपीओ, डेयरी सहकारी समितियां, निजी कंपनियां, सेक्शन 8 कंपनियां, एमएसएमई।
- क्रेडिट गारंटी अवधि ऋण के 25% तक कवर करती है।
- ऋण राशि पर कोई सीमा नहीं है।
- अनुमानित/वास्तविक परियोजना लागत का 90% तक ऋण की सुविधा।
- अन्य मंत्रालयों या राज्य स्तरीय योजनाओं की पूंजीगत सब्सिडी योजनाओं के साथ तालमेल बिठाना भी शामिल।
2. रक्षा मंत्रालय ने एडब्ल्यूईआईएल के साथ 1,752 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए:
- रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के लिए कुल 463 स्वदेशी निर्मित 12.7 मिमी स्थिर रिमोट कंट्रोल गन (एसआरसीजी) के निर्माण और आपूर्ति के लिए एडवांस्ड वेपन इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्ल्यूईआईएल), कानपुर के साथ 14 फरवरी, 2024 को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इस अनुबंध की कुल लागत 1752.13 करोड़ रुपए है और इन बंदूकों के निर्माण में 85 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल होगा।
- एसआरसीजी दिन और रात दोनों समय असममित वातावरण में जहाजों के लिए खतरा पैदा करने वाले छोटे लक्ष्यों पर सटीकता से हमला करने के लिए भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल की क्षमता को बढ़ाएगा।
- इन गनों के प्राप्त हो जाने से “रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता” के विजन को और मजबूती प्रदान की जा सकेगी।
- यह अनुबंध 5 वर्षों की अवधि के लिए 125 से अधिक भारतीय विक्रेताओं और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के लिए रक्षा विनिर्माण में एक बड़ा अवसर भी खोलेगा।
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