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14 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. निर्यात तैयारी सूचकांक (EPI) रिपोर्ट, 2022
  2. अंतरराज्यीय विद्युत ट्रांसमिशन प्रणाली के कार्यान्वयन की समीक्षा
  3. मिष्टी योजना के भाग के रूप में तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में मैंग्रोव वृक्षारोपण अभियान
  4. चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण:

1. निर्यात तैयारी सूचकांक (EPI) रिपोर्ट, 2022:

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: निर्यात तैयारी सूचकांक (EPI) रिपोर्ट, 2022

प्रसंग:

  • नीति आयोग जल्द ही वर्ष 2022 में भारत के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए तीसरा निर्यात तैयारी सूचकांक (EPI) रिपोर्ट जारी करेगा।
  • रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2022 के लिए वैश्विक व्यापार संदर्भ में भारत के निर्यात प्रदर्शन की चर्चा की गई है, इसके बाद देश के क्षेत्र-विशेष निर्यात प्रदर्शन का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। रिपोर्ट में देश के जिलों को निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है और देश में व्यापारिक निर्यात का जिला-स्तरीय विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

निर्यात तैयारी सूचकांक क्या है

  • EPI एक व्यापक व्यवस्था है, जिसमें भारत में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की निर्यात तैयारियों का आकलन किया जाता है। किसी देश में आर्थिक वृद्धि और विकास को प्रदर्शित करने के लिए निर्यात महत्वपूर्ण होता हैं, तथा इसके लिए निर्यात प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना आवश्यक है।
  • इस सूचकांक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की क्षमता और कमजोरियों की पहचान करने के लिए निर्यात-संबंधित मापदंडों का व्यापक विश्लेषण किया जाता है। इस सूचकांक के लिए कार्यप्रणाली विकसित करना एक विकासशील प्रक्रिया है, जिसके तहत हितधारकों द्वारा दी गई प्रतिक्रियाओं को शामिल किया जाता है।
  • इसलिए, इस संस्करण में प्रकाशित परिणाम और रैंकिंग की तुलना पिछली रिपोर्टों से नहीं की जा सकती, हालांकि EPI, अपनी अंतर्दृष्टि के साथ, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नीतिगत बदलावों में सहायता करना जारी रखता है, जो उनकी विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रासंगिक हैं।

विवरण:

  • EPI चार स्तंभों – नीति, व्यापार इकोसिस्टम, निर्यात इकोसिस्टम और निर्यात प्रदर्शन– के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का आकलन करता है। प्रत्येक स्तंभ में उप-स्तंभ शामिल किए गए हैं, जो प्रासंगिक संकेतकों का उपयोग करने के साथ राज्य के प्रदर्शन को प्रस्तुत करते हैं।
  • नीति आधारित स्तंभ राज्य और जिला स्तर पर निर्यात-संबंधित नीति इको सिस्टम के साथ-साथ इस इको सिस्टम से संबंधित संस्थागत व्यवस्था को अपनाने के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
  • व्यापार इकोसिस्टम किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में मौजूदा कारोबारी माहौल के साथ-साथ कारोबार में सहायता देने वाली अवसंरचना के विस्तार और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की परिवहन संपर्क सुविधा का आकलन करता है।
  • निर्यात इको सिस्टम किसी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में निर्यात-संबंधित अवसंरचना के साथ-साथ निर्यातकों को प्रदान किए जाने वाले व्यापार समर्थन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में अनुसंधान और विकास की वर्तमान स्थिति पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • निर्यात प्रदर्शन एक उत्पादन आधारित संकेतक है, जो पिछले वर्ष की तुलना में राज्य के निर्यात की वृद्धि का आकलन करता है और वैश्विक बाजार में इसकी निर्यात सघनता और फुटप्रिंट का विश्लेषण करता है।
  • नीति आयोग के उपाध्यक्ष द्वारा यह रिपोर्ट जारी की जाएगी।
  • अपनी रैंकिंग और स्कोरकार्ड के साथ, इस रिपोर्ट का उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की निर्यात तैयारियों की एक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करना है। यह राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डालता है और प्रतिस्पर्धी संघवाद की भावना को बनाए रखने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच समकक्ष-शिक्षण को प्रोत्साहित करता है।
  • राज्यों के बीच और राज्य तथा केंद्र के बीच सहयोग में सुधार करके, भारत निरंतर आर्थिक विकास हासिल करने का आकांक्षी हो सकता है तथा राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी विविधता का लाभ उठा सकता है।

2. अंतरराज्यीय विद्युत ट्रांसमिशन प्रणाली के कार्यान्वयन की समीक्षा

सामान्य अध्ययन: 3

अवसंरचना:

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

मुख्य परीक्षा: अंतरराज्यीय विद्युत ट्रांसमिशन प्रणाली का महत्त्व और सुधार

प्रसंग:

  • देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि की पृष्ठभूमि में केंद्रीय विद्युत और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने देश में अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन (पारेषण) प्रणाली की प्रगति की समीक्षा करने के लिए जयपुर, राजस्थान में एक बैठक की अध्यक्षता की।

भूमिका:

  • अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली विद्युत आधिक्य से बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में विद्युत के स्थानांतरण की सुविधा प्रदान करके नागरिकों की विद्युत जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

विवरण:

  • विद्युत मंत्री ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50 प्रतिशत स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी प्राप्ति के लिए संबंधित ट्रांसमिशन अवसंरचना का विकास महत्वपूर्ण है।
  • 2030 तक, देश की स्थापित बिजली क्षमता 777 गीगावॉट से अधिक होने की संभावना है और पीक डिमांड 335 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है। इसे देखते हुए, देश के विभिन्न हिस्सों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को देखते हुए 537 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता उत्पादन के लिए एक व्यापक पारेषण योजना तैयार की गई है।
  • अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली की समीक्षा में योजना और बोली के चरणों के अंतर्गत परियोजनाओं की प्रगति और कार्यान्वयन के अधीन परियोजनाओं पर ध्यान केन्द्रित किया गया। परियोजना निष्पादन में आ रही बाधाओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया, जिसके आधार पर परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए मुद्दों को हल करने के निर्देश जारी किए गए।
  • पारेषण योजना में हरित हाइड्रोजन उत्पादन, बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पारंपरिक उत्पादन क्षमता में वृद्धि और तमिलनाडु व गुजरात में अपतटीय पवन उत्पादन जैसी उभरती आवश्यकताओं पर जोर दिया गया। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा से समृद्ध प्रमुख राज्यों जैसे राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के लिए अंतर-राज्य पारेषण योजना की समीक्षा की। पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों के लिए अंतरराज्यीय और राज्य के भीतर पारेषण योजनाओं की भी विस्तार से समीक्षा की गई, ताकि 2030 में क्षेत्र की विद्युत मांग को पूरा किया जा सके और क्षेत्र में आगामी पनबिजली परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन भी किया जा सके।
  • पारेषण योजना गतिशील और क्षेत्र की बदलती आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होनी चाहिए। पारेषण अवसंरचना का विकास उत्पादन से पहले होना चाहिए, ताकि बिजली उत्पादन में कोई बाधा न हो।

3. मिष्टी योजना के भाग के रूप में तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में मैंग्रोव वृक्षारोपण अभियान

सामान्य अध्ययन: 3

पर्यावरण:

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

प्रारंभिक परीक्षा: मिष्टी योजना।

मुख्य परीक्षा: मैंग्रोव वृक्षारोपण के लाभ

प्रसंग:

  • केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने तमिलनाडु के चेंगलपट्टू जिले की कोवलम पंचायत में मैंग्रोव वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया।
  • केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने सरकार की मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटेट्स एंड टैंगेबल इनकम्स (MISHTI) अर्थात मिष्टी योजना के भाग के रूप में वृक्षारोपण अभियान का नेतृत्व किया, जिसमें छात्रों सहित 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया। वृक्षारोपण अभियान मैंग्रोव पर विशेष ध्यान देने के साथ वर्तमान में जारी “हरियाली महोत्सव” का एक अंग है।

मिष्टी योजना

  • मिष्टी कार्यक्रम को हाल ही में भारत सरकार द्वारा भारत के साथ-साथ इंडोनेशिया सहित अन्य देशों में पहले से जारी सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाते हुए भारत के तटीय जिलों में मैंग्रोव पुनर्वनीकरण और वनीकरण करने के उद्देश्य से शुभारंभ किया गया था।
  • इस कार्यक्रम की परिकल्पना तटीय राज्यों में मैंग्रोव से जुड़ी इको-पर्यटन पहल और आजीविका सृजन को बढ़ाने के लिए भी की गई है।
  • “मिष्टी”,मैंग्रोव को बढ़ावा देने के लिए एक अंतर-सरकारी समूह ‘मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट (MAC)’ के प्रयासों में योगदान देगी, भारत ने (COP27) के दौरान इसकी सक्रिय सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
  • वर्तमान में, मैंग्रोव के अंतर्गत लगभग 5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है और मिष्टी कार्यक्रम के माध्यम से 9 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में 540 वर्ग किलोमीटर के अतिरिक्त क्षेत्र को कवर करने का प्रस्ताव है। इस योजना को 2023-2024 से 2027-2028 तक पांच वर्ष की अवधि के लिए कार्यान्वित करने की योजना है।
  • मिष्टी को सीएएमपीएकोष, एमजीएनआरईजीएस और अन्य स्रोतों को मिलाकर लागू किया जाएगा। तमिलनाडु में इस कार्यक्रम के तहत मैंग्रोव पुनर्वनीकरण/वनरोपण के लिए सीमांकित कुल क्षेत्र लगभग 39 वर्ग किमी है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण:

  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), अंतरिक्ष विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री ने कहा कि चंद्रयान -3 का सफल प्रक्षेपण भारत की स्वदेशी क्षमताओं को दोहराता है और यह उस सपने को सच साबित करता है जो विक्रम साराभाई ने छह दशक पहले देखा था।
  • एलएमवी 3 एम 4 रॉकेट ने दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), एसएचएआर, श्रीहरिकोटा के दूसरे प्रक्षेपण (लॉन्च) पैड से उड़ान भरी और चंद्रयान -3 को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित किया। चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की यात्रा शुरू कर दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि अंतरिक्ष यान की स्थिति पूरी तरह से सामान्य है।

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