विषयसूची:
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14 March 2024 Hindi PIB
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1. स्त्री-पुरूष असमानता सूचकांक 2022 में भारत ने 14 पायदान की छलांग लगाई:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन।
प्रारंभिक परीक्षा: स्त्री-पुरूष असमानता सूचकांक (जीआईआई),मानव विकास रिपोर्ट।
प्रसंग:
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने 13 मार्च 2024 को मानव विकास रिपोर्ट 2023-2024 जारी की जिसमें स्त्री-पुरूष असमानता सूचकांक 2022 को दर्शाया गया है।
उद्देश्य:
- स्त्री-पुरूष असमानता सूचकांक (जीआईआई) 2022 में भारत का स्कोर 0.437 है और 193 देशों में से भारत 108वें स्थान पर है।
- लैंगिक असमानता सूचकांक 2021 में भारत का स्कोर 0.490 था और तब वह 191 देशों में से 122वें स्थान पर था।
- इस सूचकांक में 2021 की तुलना में 2022 में 14 रैंक का महत्वपूर्ण सुधार आया है।
विवरण:
- पिछले 10 वर्षों में, जीआईआई में भारत की रैंक लगातार बेहतर हुई है, जो देश में स्त्री-पुरूष समानता हासिल करने में प्रगतिशील सुधार का संकेत देती है। 2014 में यह रैंक 127 था, जो अब 108 हो गया है।
- यह सरकार के दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास के उद्देश्य का परिणाम है जिसके के तहत नीतिगत पहलों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक एजेंडा निर्धारित किया गया।
- सरकार की पहल महिलाओं के संपूर्ण जीवनचक्र तक विस्तारित है। इसमें बालिका शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता सुविधा और कार्यस्थल में सुरक्षा निर्धारित की गई है।
- इन क्षेत्रों में नीतियां और कानून सरकार के ‘महिला-नेतृत्व वाले विकास’ एजेंडे को क्रियान्वित कर रहे हैं।
2.भारत और सिंगापुर ने विधि एवं विवाद समाधान के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: हाल ही में भारत और सिंगापुर के बीच हुए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर विधि एवं विवाद समाधान के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगा। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- भारत और सिंगापुर ने विधि एवं विवाद समाधान के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग से संबंधित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
उद्देश्य:
- यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक विवाद समाधान; संबंधित देशों में मजबूत वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को बढ़ावा देने व समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए संयुक्त सलाहकार समिति की स्थापना से संबंधित मामले जैसे साझा हित के क्षेत्रों में आगे सहयोग करने से संबंधित है।
- इस प्रकार यह सहयोग विधि और विवाद समाधान के क्षेत्र में सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के आदान-प्रदान पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ-साथ भारत और सिंगापुर के बीच सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो अंततः वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के माध्यम से विवादों के समाधान के लिए प्रभावी तंत्र को अपनाने में सक्षम बनायेगा।
विवरण:
- इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना विधि और विवाद समाधान के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने, विशेषज्ञता का आदान-प्रदान, और हितधारकों के लिए क्षमता निर्माण संबंधी पहलों की सुविधा प्रदान करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
- इस साझेदारी के माध्यम से, हमारा लक्ष्य हमारी कानूनी व्यवस्थाओं के बीच तालमेल बिठाना, अपनी शक्तियों का लाभ उठाना और हमारे नागरिकों एवं व्यवसायों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने हेतु नए दृष्टिकोणों का पता लगाना है।
- सिंगापुर के भारत के साथ उत्कृष्ट, व्यापक-आधार वाले और बहुआयामी संबंध हैं। हमारे मजबूत आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को देखते हुए, हमारे लिए विधि और विवाद समाधान के क्षेत्रों में अपने सहयोग को लगातार मजबूत करना अनिवार्य है।
- इससे हम अपने व्यवसायों और सिंगापुर एवं भारत के साथ व्यापार करने वालों को बेहतर समर्थन प्रदान करने में समर्थ होंगे।
- हम भारत के विधि एवं न्याय मंत्रालय के साथ-साथ भारत में विभिन्न कानूनी एवं विवाद समाधान उद्योग से जुड़े हितधारकों के साथ अपने अनुभवों का आदान-प्रदान करने और अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ‘विज्ञान का दशक’ संकलन जारी किया गया:
- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “विज्ञान का दशक” संकलन जारी किया।
- ‘आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पैनोरमा का एक दशक’ शीर्षक वाली रिपोर्ट का विमोचन किया और बताया कि वैज्ञानिक समुदाय के आत्म-सम्मान और सशक्तिकरण के 3 स्तंभों पर आधारित विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने भारत को विश्व स्तर पर स्थापित किया है।
- ‘आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पैनोरमा का एक दशक’ नामक यह संकलन भारत सरकार के ‘प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय’ द्वारा फाउंडेशन ऑफ एडवांसिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (फास्ट- एफएएसटी)) इंडिया और 22 संबंधित मंत्रालयों, विभागों एवं संगठनों के सहयोग से तैयार किया गया है।
- यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक दशक के अथक समर्पण और उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाता है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी 2047 तक भारत को विकसित भारत में बदलने में आधारशिला होगी।
- कोविड-19 के लिए स्वदेशी वैक्सीन के विकास को याद करते हुए उन्होंने कहा कि “भारत को अब केवल चिकित्सीय स्वास्थ्य देखभाल ही नहीं, बल्कि निवारक स्वास्थ्य देखभाल में भी अग्रणी माना जाता है।
- भारत का चंद्रयान -3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान था।
- ‘आदित्य एल-1’ मिशन भारत को यह उपलब्धि हासिल करने वाले कुछ ही देशों में शामिल कर देगा।
- ‘गगनयान मिशन’ के अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में अब अमेरिका भी उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाने के लिए कह रहा है, जो यह दर्शाता है कि भारत में अन्य देशों के साथ साझेदारी करने की क्षमता है।
- उन्होंने ‘अरोमा मिशन’ की सफलता को याद किया जिसमें किसानों ने 80 लाख रुपये मूल्य के 800 लीटर से अधिक लैवेंडर तेल का उत्पादन किया है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।
- भारत की जैव-अर्थव्यवस्था पिछले 10 वर्षों में 13 गुना बढ़कर 2014 में 10 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है।
- हाल के लेखानुदान (वोट ऑफ अकाउंट बजट) में सरकार ने जैव- विनिर्माण (बायो-मैन्युफैक्चरिंग) के लिए विशेष योजना का प्रावधान किया है।
2. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के तहत पाम तेल प्रसंस्करण मिल को शुरू किया गया:
- प्रधानमंत्री ने अपनी अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान खाद्य तेल उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता को रेखांकित किया।
- केंद्र सरकार की ओर से उत्तर-पूर्व क्षेत्र को ध्यान में रखकर संचालित किए गए एक विशेष अभियान मिशन पाम ऑयल का उल्लेख किया।
- इस मिशन के तहत पहली तेल मिल का उद्घाटन किया।
- मिशन पाम ऑयल भारत को खाद्य तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा और किसानों की आय में बढ़ोतरी करेगा।
- इससे पहले भारत सरकार ने अगस्त, 2021 में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) की शुरुआत की थी।
- यह मिशन ताड़ की खेती को बढ़ाने और साल 2025-26 तक कच्चे पाम तेल के उत्पादन को 11.20 लाख टन तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
- एनएमईओ-ओपी के तहत पाम ऑयल को बढ़ावा देने के लिए 11,040 रुपये के कुल राष्ट्रीय बजट में से विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए 5,870 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
- इसमें केंद्र सरकार 90 फीसदी योगदान करेगी।
- ऑयल पाम मिशन को रणनीतिक रूप से नए भौगोलिक क्षेत्रों में ताड़ की खेती को बढ़ावा देने और किसानों को व्यापक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है।
- इस सहायता में रोपण सामग्री में सहायता, निजी कंपनियों से सुनिश्चित बाय-बैक प्रतिबद्धताएं और जोखिमों से बचाव के लिए व्यवहार्यता अंतर मूल्य की पेशकश करके किसानों को वैश्विक मूल्य अस्थिरता से बचाना शामिल है।
- खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि छह एनईआर राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में पाम ऑयल का उत्पादन का होता है।
- इन राज्यों में पाम ऑयल उत्पादन के लिए 8.4 लाख हेक्टेयर का एक विशाल संभावित क्षेत्र है, जो राष्ट्रीय क्षमता का 38 फीसदी है।
- अब तक क्षेत्र में 30 लाख से अधिक रोपण सामग्री की क्षमता वाली 30 से अधिक नर्सरी स्थापित की जा चुकी हैं।
- एनएमईओ-ओपी के तहत किसानों को रोपण सामग्री, प्रबंधन और एनईआर के किसानों के सामने आने वाली भूमि से संबंधित चुनौतियों (भूमि निकासी, हाफ-मून छत निर्माण, जैव-बाड़ लगाना) के समाधान के लिए प्रति हेक्टेयर 1,00,000 रुपये की विशेष सहायता दी जाती है।
- इसके अलावा यह मिशन किसानों को ताड़ की खेती में प्रयुक्त कटाई उपकरणों की खरीद के लिए 2,90,000 रुपये भी प्रदान कर रहा है।
- भारत सरकार एनईआर के कठिन और दुर्गम इलाके को देखते हुए किसानों को सीपीओ मूल्य पर 2 फीसदी अंतर का भुगतान करेगी।
- वहीं, प्रोसेसरों को समान अवसर देने और उन्हें प्रेरित करने के लिए अन्य क्षेत्रों में सीपीओ मूल्य पर यह 2 फीसदी अंतर का भुगतान प्रोसेसरों को करना होगा।
- सरकार एनईआर के मामले इसका भुगतान करके उद्योगों को प्रोत्साहित कर रही है।
- यह दूरदर्शी पहल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, किसानों को सशक्त बनाने और भारत में खाद्य तेल उत्पादन के लिए एक स्थायी और आत्मनिर्भर इकोसिस्टम के निर्माण को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाती है।
- एनएमईओ-ओपी खाद्य तेलों के महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए भारत के समर्पण का एक प्रमाण है।
- भारत वर्तमान में खाद्य तेल का शुद्ध आयातक है, कुल खाद्य तेल का 57 प्रतिशत विदेशों से आयात किया जाता है। खाद्य तेल की अपर्याप्तता हमारे विदेशी मुद्रा भंडार पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और 20.56 बिलियन अमरीकी डालर इसके आयात पर खर्च होता है।
- देश के लिए तिलहन और पाम तेल को बढ़ावा देने के माध्यम से खाद्य तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
- मिशन पाम ऑयल खाद्य तेल क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा और किसानों की आय को बढ़ावा देगा।
- भारत सरकार ने अगस्त 2021 में खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन – ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) लॉन्च किया।
- यह मिशन, ऑयल पाम की खेती को बढ़ाने और 2025-26 तक कच्चे पाम तेल के उत्पादन को 11.20 लाख टन तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
- यह योजना वर्तमान में देशभर के 15 राज्यों में जारी है, जो 21.75 लाख हेक्टेयर के संभावित क्षेत्र को कवर करती है।
- तेल में वैश्विक मूल्य अस्थिरता को देखते हुए किसानों की मदद के लिए व्यवहार्यता अंतर भुगतान (वीजीपी) प्रदान किया गया है।
- सरकार ने समय पर पाम तेल की व्यवहार्यता कीमत को संशोधित किया है और अक्टूबर 2022 में 10,516 रुपये थी जिसे नवंबर 2023 में बढ़ाकर 13,652 रुपये कर दिया गया।
- व्यवहार्यता अंतर भुगतान (वीजीपी) लाभ के अलावा सरकार ने राष्ट्रीय मिशन – ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) के अंतर्गत रोपण सामग्री और प्रबंधन के लिए किसानों को 70,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की विशेष सहायता उपलब्ध कराई है।
- पाम तेल की खेती के लिए किसानों को कटाई उपकरणों की खरीद के लिए 2,90,000 रुपये की सहायता दे रहा है।
- इसके अतिरिक्त कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की स्थापना के लिए 25 लाख रुपये की सहायता दी गई है।
- मिशन के तहत प्रसंस्करण कंपनियां ऑयल पाम किसानों के लिए वन-स्टॉप सेंटर भी स्थापित कर रही हैं जहां वे इनपुट, कस्टम हायरिंग सेवाएं, अच्छी कृषि प्रथाओं की कृषि सलाह और किसानों की उपज का संग्रह की सुविधा दे रहे हैं।
- यह दूरदर्शी पहल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, किसानों को सशक्त बनाने और भारत में खाद्य तेल उत्पादन के लिए एक स्थायी तथा आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
3. भारत सरकार और एडीबी ने भारत में फिनटेक इको-सिस्टम को मजबूत करने के लिए 23 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए:
- भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट-सिटी) में बेहतर फिनटेक शिक्षा, अनुसंधान व नवाचार तक पहुंच बढ़ाने के लिए 23 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- गिफ्ट-सिटी भारत की वित्तीय सेवाओं और फिनटेक इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार और गुजरात राज्य सरकार की एक पहल है।
- यह परियोजना फिनटेक शिक्षा को मजबूत करने, स्टार्ट-अप सफलता दर को बढ़ावा देने तथा फिनटेक अनुसंधान व नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय फिनटेक संस्थान (आईएफआई) की स्थापना करेगी।
- परियोजना बाजार-आधारित फिनटेक कौशल कार्यक्रमों, निजी क्षेत्र के निवेश के लिए सक्षम वातावरण बनाने तथा उद्योग, कौशल विकास संस्थानों और विकास भागीदारों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर देती है।
- इसके तहत भारत में फिनटेक इको-सिस्टम के समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- विश्वस्तर पर प्रतिष्ठित संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी में स्थापित होने वाला आईएफआई, उद्योग-संरेखित फिनटेक प्रशिक्षण कार्यक्रम पेश करेगा, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हैं।
- संस्थान इन्क्यूबेशन और एक्सेलिरेशन सेवाओं के माध्यम से, विशेष रूप से महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप का समर्थन करके नवाचार व उद्यमिता को मजबूत करेगा।
- यह फिनटेक स्टार्ट-अप के विकास का समर्थन करने के लिए उद्योग और उद्यम पूंजी कोष के साथ भी सहयोग करेगा।
- ये कदम नई और हरित प्रौद्योगिकियों में रोजगार के अवसरों, कार्यबल प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता को बढ़ाने में योगदान देंगे।
- एडीबी कार्यक्रम जलवायु फिनटेक, नियामक प्रौद्योगिकी, सामाजिक समावेशन और वित्त में लैंगिक समानता में नवीन समाधानों व प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान का समर्थन करेगा।
- यह परियोजना राज्य फिनटेक रेडीनेस इंडेक्स स्थापित करने तथा उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए नए समाधान विकसित करने में मदद करेगी।
4. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अद्वितीय डिजिटल आपराधिक मामला प्रबंधन प्रणाली (सीसीएमएस) प्लेटफॉर्म का वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ:
- आतंकवाद और संगठित अपराध के खिलाफ भारत की लड़ाई को एक बड़ा प्रोत्साहन देते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा डिजाइन की गई एक अद्वितीय डिजिटल आपराधिक मामला प्रबंधन प्रणाली (सीसीएमएस) का वस्तुतः उद्घाटन किया।
- गृह मंत्री ने एक मोबाइल ऐप ‘संकलन’ भी लॉन्च किया – जो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा नए आपराधिक कानूनों का एक संग्रह है।
- संकल्पन ऐप को पुराने और नए आपराधिक कानूनों के बीच एक पुल के रूप में नए आपराधिक कानूनों के माध्यम से नेविगेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह ऐप सभी हितधारकों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा।
- यह ऐप ऑफलाइन मोड में भी काम करेगा और दूर-दराज के इलाकों में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की गई है ताकि सभी हितधारकों को चौबीसों घंटे वांछित जानकारी मिल सके।
- अत्याधुनिक सीसीएमएस सॉफ्टवेयर न केवल जांच में मानकीकरण लाएगा बल्कि देश भर में आतंक से संबंधित डेटा के आसान और सुव्यवस्थित संकलन को भी सक्षम करेगा।
- सॉफ्टवेयर का लॉन्च ऐसे समय में हुआ है जब भारत विभिन्न आतंकवादी संगठनों से बढ़ते खतरों, साइबर-स्पेस, डार्क-वेब, ड्रोन, क्राउड-फंडिंग, क्रिप्टो-मुद्राओं के उपयोग, एन्क्रिप्टेड के व्यापक उपयोग के रूप में नई चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- आतंकवादी वित्तपोषण, हथियारों की आवाजाही और अन्य आतंकवादी समर्थन गतिविधियों के लिए नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग के अलावा संचार मंच भी शामिल हैं।
- एनआईए, जो आक्रामक रूप से ऐसे खतरों से निपट रही है, ने अपनी क्षमताओं और दक्षताओं को बढ़ाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में बड़े सशक्तिकरण और विस्तार किया है।
- सीसीएमएस राज्य पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्तों सहित केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच मजबूत सहयोग को बढ़ावा देगा।
- ये आधुनिक इमारतें एनआईए कर्मियों को उनके काम को बेहतर तरीके से निष्पादित करने के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करेंगी।
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