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1. किसान- कल्याण के लिए कृषि नवाचारों का लाभ
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: कृषि-तकनीक क्षेत्र में विकास
प्रारंभिक परीक्षा: कृषि-स्टार्ट-अप, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग
मुख्य परीक्षा: कृषि क्षेत्र में कृषि नवाचारों का महत्व एवं निहित चुनौतियां
प्रसंग:
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक कदम और पहल कर रहा है कि देश भर में किसान कल्याण के लिए कृषि-तकनीक क्षेत्र में तेजी से वृद्धि का उचित लाभ उठाया जाए।
विवरण:
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है जो किसानों के जीवनस्तर पर सीधे प्रभाव डालने वाले नवीन समाधानों का मूल्यांकन करेगी।
- मंत्रालय ने सरकार के साथ सहयोग करने और अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए समस्या निवारण पर कृषि प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप आदि से रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) और प्रस्ताव आमंत्रित किए।
- भारत में कृषि क्षेत्र एक उल्लेखनीय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो प्रौद्योगिकी और नवीन प्रथाओं में तीव्र गति से हो रही प्रगति से प्रेरित है।
- कृषि-स्टार्ट-अप और अत्याधुनिक तकनीकी क्षमताओं से लैस निजी क्षेत्र की संस्थाओं की उपस्थिति से इस विकास में तेजी आई है
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की क्षमता का उपयोग करते हुए एक सुदृढ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के एकीकरण ने पहले ही इस क्षेत्र में आशाजनक परिणाम प्रदर्शित किए हैं।
- इसके अतिरिक्त, यह क्षेत्र हाइपर-स्पेक्ट्रल डेटा विश्लेषण, फोटो-एनालिटिक्स और भूस्थैतिक उपग्रहों के माध्यम से सटीक मौसम मापदंडों जैसे विषयों की शुरूआत का साक्षी है।
- विभाजन तकनीक और पार्सल-स्तरीय फसल मानचित्रण एक नई अंतरदृष्टि प्रदान कर रहे हैं, जिससे कृषि प्रथाओं की दक्षता और बढ़ रही है।
- ये सामूहिक प्रगति कृषि में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है, जो अभूतपूर्व उत्पादकता और स्थिरता के युग की शुरुआत है।
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक कदम उठा रहा है कि देशभर के किसानों के लाभ के लिए कृषि-तकनीक क्षेत्र में तेजी से वृद्धि का उचित लाभ उठाया जाए।
- इन नवाचारों का लाभ उठाने के लिए, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) आदि जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं।
- इसमें डोमेन विशेषज्ञ और उद्योग के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। यह समिति उन नवोन्मेषी समाधानों का मूल्यांकन करेगी जो किसानों की भलाई पर सीधा प्रभाव डालते हैं।
- इसके लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने समस्या विवरणों का एक सेट तैयार किया है, जिसके समाधान के लिए इच्छुक संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए जा रहे हैं।
- इसने उन संस्थाओं के लिए एक रास्ता खोल दिया है जो कृषि क्षेत्र में काम कर रहे हैं या काम करने के इच्छुक हैं और इस क्षेत्र की अंतर्निहित चुनौतियों का समाधान करने के लिए अपने अभिनव समाधान दे सकते हैं।
- कृषि-तकनीक क्षेत्र में पिछले दशक में युवा प्रतिभाओं के कारण तेजी से वृद्धि देखी गई है, जो इस क्षेत्र के लिए ईमानदारी और लगन से काम कर रहे हैं। ऐसी संस्थाओं के सामने विश्वसनीय डेटा और रणनीतिक मार्गदर्शन की कमी जैसी चुनौतियां आती है।
- मंत्रालय, सरकार के साथ सहयोग करने और अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप आदि से समस्या निवारण पर रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) और प्रस्ताव आमंत्रित करेगा।
- यह समावेशी दृष्टिकोण कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण सुनिश्चित करते हुए विचारों और ज्ञान के गतिशील आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना चाहता है।
- समिति, संभावित सहयोगियों से प्रस्तुतीकरण मांगेगी, जिसका लक्ष्य भारतीय कृषि परिदृश्य की मांगों के अनुरूप विशिष्ट प्रौद्योगिकियों और लक्षित हस्तक्षेपों की पहचान करना है।
- प्रस्तावित पहलों की व्यवहार्यता और मापनीयता का आकलन करने के लिए अवधारणा, मूल्य प्रस्ताव और कार्य योजना के व्यापक मूल्यांकन सहित कठोर मूल्यांकन किया जाएगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.तटीय सुरक्षा अभ्यास – पूर्वी तट सागर कवच 02-23
- भारतीय नौसेना ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में सभी समुद्री सुरक्षा एजेंसियों को शामिल करते हुए दो दिवसीय व्यापक तटीय सुरक्षा अभ्यास- सागर कवच 02/23 का आयोजन किया।
- यह अभ्यास 11 और 12 अक्टूबर, 2023 को आयोजित किया गया। पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, एफओ सी-इन-सी (पूर्व) ने इसका नेतृत्व किया, उन्हें कमांडर-इन-चीफ, तटीय रक्षा (पूर्वीं) का अधिकार भी प्राप्त है।
- अभ्यास में भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, राज्य और केन्द्र शासित प्रशासन, समुद्री पुलिस, मत्स्य पालन, सीमा शुल्क, खुफिया एजेंसियों, लाइट हाउस, बंदरगाह वन आदि के लगभग 2500 कर्मी शामिल थे।
- इस अभ्यास का उद्देश्य समुद्र के खतरे से निपटने के दौरान तटीय सुरक्षा तंत्र की प्रभावशीलता और सुदृढ स्थिति का आकलन करना था।
- क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने के लिए तटरक्षक बल और अन्य तटीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ भारतीय नौसेना के जहाजों को तैनात किया गया था
- विशाखापत्तनम, चेन्नई और रामनाथपुरम से संचालित होने वाले डोर्नियर विमानों और हेलीकॉप्टरों द्वारा व्यापक हवाई सर्वेक्षण किया गया।
- इस अभ्यास की विशाखापत्तनम के संयुक्त संचालन केंद्र (पूर्व) में सूक्ष्म निगरानी की गई। यह संचालन के क्षेत्र में सभी तटीय सुरक्षा अभियानों और अभ्यासों के लिए नोडल केंद्र है।
- इस अभ्यास में सभी तटीय सुरक्षा हितधारकों के बीच घनिष्ठ समन्वय और तालमेल देखा गया। अभ्यास से प्राप्त परिणामों का उपयोग तटीय सुरक्षा को सुदृढ बनाने के लिए किया जाएगा।
2. पशु स्वास्थ्य के विश्व संगठन ने भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र में एवियन इन्फ्लूएंजा से मुक्ति की स्व-घोषणा को मंजूरी दी
- भारत के पोल्ट्री उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने विशिष्ट पोल्ट्री क्षेत्रों में अत्यधिक रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा से मुक्ति की भारत की स्व-घोषणा को मंजूरी दे दी है।
- यह उपलब्धि पशु स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा के उच्च मानकों को बनाये रखने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
- भारत में एवियन इन्फ्लुएंजा
- अत्यधिक रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा (एचपीएआई) को आमतौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है। यह भारत में पहली बार फरवरी 2006 में महाराष्ट्र में पाया गया था।
- देश में उसके बाद विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक रोगकारक एवं संक्रामक एवियन इन्फ्लुएंजा का साल दर साल प्रकोप होता रहा है। इससे काफी आर्थिक नुकसान हुआ है।
- यह बीमारी 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पायी गई है। इसके परिणामस्वरूप एवियन इन्फ्लुएंजा के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए 90 लाख से अधिक पक्षियों को मार दिया गया है।
- अत्यधिक रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा को नियंत्रित करने के लिए भारत का दृष्टिकोण एवियन इन्फ्लुएंजा के निवारण, नियंत्रण और रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (संशोधित – 2021) में उल्लिखित ‘पता लगाने और मारने’ की नीति का पालन करता है।
- इस व्यापक प्रक्रिया में संक्रमित और निराश्रित जानवरों, अंडे, चारा, कूड़ा और अन्य दूषित सामग्रियों को नष्ट किया जाना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों को लाने-ले जाने पर रोक लगाने, संक्रमित परिसरों को कीटाणु मुक्त बनाने और सफाई तथा पोस्ट-ऑपरेटिव निगरानी योजना जैसे उपाय लागू किए गए हैं।
- यहां यह ध्यान रखना अहम है कि भारत में अत्यधिक रोगकारक एवियन एन्फ्लुएंजा के खिलाफ टीकाकरण की अनुमति नहीं है।
- वर्गीकरण: एक प्रमुख नियंत्रण उपाय
- इन चुनौतियों के बावजूद, भारत ने पोल्ट्री वर्गीकरण की अवधारणा को अपनाकर अत्यधिक रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है।
- वर्गीकरण एक महत्वपूर्ण उपाय है जो पशु स्वास्थ्य को बढ़ाता है, यह क्षेत्र में और उसके बाहर बीमारी के फैलने के जोखिम को कम करता है। यह पोल्ट्री और पोल्ट्री से जुड़े उत्पादों के व्यापार को सुविधाजनक बनाता है।
- विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्व-घोषणा की स्वीकृति
- भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन को 26 पोल्ट्री क्षेत्रों में उच्च रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा से मुक्ति की स्व-घोषणा की है।
- 13 अक्टूबर, 2023 को, विश्व अंडा दिवस के अवसर पर विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने भारत की इस स्व-घोषणा को मंजूरी दे दी।
- पोल्ट्री क्षेत्र भारत के चार राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हैं।
- विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की यह मान्यता अंतरराष्ट्रीय जैव सुरक्षा मानकों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- यह मांस और अंडे सहित भारतीय पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों की निर्यात क्षमता को बढ़ाने में महती योगदान देगी।
- भारत विश्व स्तर पर अंडों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक (129.60 अरब) और पोल्ट्री मांस का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक (4470000 टन) देश है। देश अब इस उपलब्धि का लाभ उठाने के लिए तैयार है।
- वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने 64 देशों को पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात किया। इससे 134000000 अमेरिकी डालर का राजस्व प्राप्त हुआ।
- इस स्व-घोषणा की मंजूरी से वैश्विक बाजार में भारतीय पोल्ट्री के लिए नये अवसर पैदा होने की उम्मीद है, इससे देश की आर्थिक वृद्धि में बड़ा योगदान होगा।
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