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16 अगस्त 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. पारंपरिक चिकित्सा पर पहला डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन
  2. “पीएम-ई-बस सेवा” को मंजूरी
  3. चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
  4. दवाओं के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
  5. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अधिकृत आर्थिक संचालकों की परस्पर मान्यता व्यवस्था को मंजूरी
  6. ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को मंजूरी

1. पारंपरिक चिकित्सा पर पहला डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

मुख्य परीक्षा: पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन का महत्त्व

प्रसंग:

  • आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन 17 और 18 अगस्त 2023 को गुजरात के गांधीनगर में दो-दिवसीय पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं।

विवरण:

  • डब्ल्यूएचओ द्वारा गुजरात के जामनगर में स्थापित वैश्विक पारंपरिक दवा केंद्र, किसी विकासशील देश में पहला ऐसा केंद्र है। डब्ल्यूएचओ 17 और 18 अगस्त, 2023 को गांधीनगर में आयुष मंत्रालय के सहयोग से आयोजित पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा, जो गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान में पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा की भूमिका का पता लगाएगा और वैश्विक स्वास्थ्य के साथ-साथ सतत विकास में प्रगति को बढ़ावा देगा।
  • पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों पर कई प्लेटफॉर्मों पर कई दिशाओं में काम चल रहा है। मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ वर्तमान में आयुष के क्षेत्र में कैंसर, टीबी, संक्रामक रोगों और महिलाओं एवं बच्चों की बीमारियों से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ निपटने के लिए साक्ष्य आधारित अनुसंधान किया जा रहा है।
  • , “जी 20 पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर है। पिछले 9 वर्षों में भारत ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में आठ गुना वृद्धि दर्ज की है। वर्ष के अंत तक, देश भर में 12,500 से अधिक आयुष-आधारित स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र सक्रिय होंगे, जिनमें से 8,500 पहले से ही मौजूद हैं।
  • आयुष वीजा भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों तक वैश्विक पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा और व्यापक स्वास्थ्य देखभाल के एक नए युग की शुरुआत करेगा। शिखर सम्मेलन की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक आयुष प्रदर्शनी क्षेत्र है। यह नवीन और इंटरैक्टिव कियोस्क के साथ एक व्यापक अनुभव प्रदान करने का वादा करता है।
  • इस दो-दिवसीय कार्यक्रम में 30 देशों के स्वास्थ्य मंत्री शामिल होंगे। यह अपनी तरह की सबसे बड़ी सभाओं में से एक होने की उम्मीद है, जिसमें 90 से अधिक देशों के प्रतिभागी, शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित सदस्य, सरकारी प्रतिनिधि और पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र के महत्वपूर्ण हस्तियां एक साथ आएंगे।

2. “पीएम-ई-बस सेवा” को मंजूरी

सामान्य अध्ययन: 3

अवसंरचना:

विषय:बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

प्रारंभिक परीक्षा: पीएम-ई-बस सेवा।

मुख्य परीक्षा: पीएम-ई-बस सेवा के बारे में

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर सिटी बस संचालन के विस्तार के लिए एक बस योजना “पीएम-ई-बस सेवा” को मंजूरी दे दी है, जिसके माध्यम से 10,000 ई-बसें चलाई जाएंगी।

विवरण:

  • इस योजना की अनुमानित लागत 57,613 करोड़ रुपये होगी, जिसमें से 20,000 करोड़ रुपये का समर्थन केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह योजना 10 वर्षों तक बस संचालन का समर्थन करेगी।

पहुंच से वंचित तक पहुंच बनाना:

  • यह योजना 2011 की जनगणना के अनुसार तीन लाख और उससे अधिक आबादी वाले शहरों को कवर करेगी, जिसमें केंद्र शासित प्रदेशों, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों की सभी राजधानी शामिल हैं। इस योजना के तहत उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां कोई सुव्यवस्थित बस सेवा उपलब्ध नहीं है।

प्रत्यक्ष रोजगार सृजन:

  • इस योजना के तहत, सिटी बस संचालन में लगभग 10,000 बसें चलाई जाएंगी, जिससे 45,000 से 55,000 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे।

योजना के दो खंड हैं:

खंड ए – सिटी बस सेवाओं का विस्तार:(169 शहर)

  • स्वीकृत बस योजना के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर 10,000 ई-बसों के साथ सिटी बस संचालन का विस्तार किया जाएगा।
  • इससे जुड़ी बुनियादी संरचना से डिपो इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास/उन्नयन के लिए सहायता मिलेगी; और ई-बसों के लिए बिहाइंड द मीटर विद्युत इन्फ्रास्ट्रक्चर (सबस्टेशन, आदि) का निर्माण संभव होगा।

खंड बी- ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल (GUMI): (181 शहर)

  • इस योजना में बस की प्राथमिकता, बुनियादी सुविधा, मल्टी मॉडल इंटरचेंज सुविधाएं, एनसीएमसी-आधारित स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली, चार्जिंग हेतु बुनियादी सुविधाएं आदि जैसी हरित पहल की परिकल्पना की गई है।
  • संचालन के लिए सहायता: इस योजना के तहत, राज्य अथवा नगर इन बस सेवाओं के संचालन और बस ऑपरेटरों को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। केंद्र सरकार प्रस्तावित योजना में निर्दिष्ट सीमा तक सब्सिडी प्रदान करके इन बस संचालन का समर्थन करेगी।

ई-मोबिलिटी को बढ़ावा:

  • यह योजना ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देगी और बिहाइंड द मीटर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पूर्ण सहायता प्रदान करेगी।
  • शहरों को ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल के तहत चार्जिंग सुविधाओं के विकास के लिए भी समर्थन दिया जाएगा।
  • बस की प्राथमिकता वाले बुनियादी सुविधाओं के समर्थन से न केवल अत्याधुनिक, ऊर्जा कुशल इलेक्ट्रिक बसों के प्रसार में तेजी आएगी, बल्कि ई-मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सशक्त आपूर्ति श्रृंखला के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • इस योजना में ई-बसों का समूह तैयार करने को लेकर इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए व्यापक तौर पर अर्थव्यवस्था को भी अनुकूल बनाने की जरूरत होगी।
  • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने से ध्वनि और वायु प्रदूषण कम होगा और कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगेगा।
  • बस-आधारित सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी बढ़ने के कारण जो बदलाव आएगा, उससे ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी आएगी।

3. चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

मुख्य परीक्षा: चिकित्‍सा उत्‍पादों के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन का उद्देश्य

प्रसंग

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और सूरीनाम के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच 4 जून, 2023 को हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। भारत की राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा के दौरान इस पर हस्ताक्षर किये गये थे।

उद्देश्य:

  • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य चिकित्सा उत्पादों से संबंधित कानूनों और विनियमों के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर रचनात्मक बातचीत की सुविधा प्रदान करना है।

विवरण:

  • इस समझौता ज्ञापन में केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और सूरीनाम गणराज्य की सरकार के बीच उनकी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारियों के अनुरूप चिकित्सा उत्पादों के विनियमन से संबंधित मामलों में उपयोगी सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने की व्यवस्था है। दोनों नियामक प्राधिकरणों के बीच सहयोग के मुख्य क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    1. एक-दूसरे के विनियामक ढांचे, आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं के पक्षों के बीच समझ को बढ़ावा देना और दोनों पक्षों के लिए भविष्य में विनियामक सुदृढ़ीकरण पहल की सुविधा प्रदान करना,
    2. अच्छी प्रयोगशाला कार्य-प्रणालियों (GLP), अच्छी नैदानिक कार्य-प्रणालियों (GCP), अच्छी विनिर्माण कार्य-प्रणालियों (GMP) और अच्छी फार्माकोविजिलेंस कार्य-प्रणालियों (GPVP) पर सूचना और सहयोग का आदान-प्रदान।
    3. भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता
    4. फार्माकोविजिलेंस और प्रतिकूल घटनाओं सहित सुरक्षा सूचनाओं का आदान-प्रदान, जहां दूसरे पक्ष से संबंधित कोई विशेष सुरक्षा चिंता हो। इसमें औषधियों और चिकित्सा उपकरणों से संबंधित सुरक्षा चिंताएं शामिल हैं।
    5. संबंधित पक्षों द्वारा आयोजित वैज्ञानिक और व्यावहारिक सम्मेलनों, संगोष्ठियों, सेमिनार और मंच में वैज्ञानिक भागीदारी।
    6. पारस्परिक रूप से सहमति वाले क्षेत्रों में क्षमता निर्माण,
    7. अंतरराष्ट्रीय मंच पर समन्वय,
    8. साझे हित का कोई अन्य क्षेत्र।
  • समझौता ज्ञापन चिकित्सा उत्पादों के निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा जिससे विदेशी मुद्रा की आय होगी। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम होगा।
  • विनियामक प्रथाओं में तालमेल से भारत से दवाओं का निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी और परिणामस्वरूप फार्मा क्षेत्र में शिक्षित पेशेवरों के लिए रोजगार के बेहतर अवसरों में मदद मिल सकती है।
  • दोनों देशों के नियामक अधिकारियों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन फार्मास्युटिकल उपयोग के लिए कच्चे माल, जैविक उत्पादों, चिकित्सा उपकरणों और कॉस्मेटिक उत्पादों सहित फार्मास्यूटिकल्स के संबंध में चिकित्सा उत्पादों के विनियमन की बेहतर समझ की सुविधा प्रदान करेगा।
  • समझौता ज्ञापन संबंधित पक्षों के अधिकार क्षेत्र के भीतर चिकित्सा उत्पादों और महत्वपूर्ण प्रशासनिक और नियामक मामलों से जुड़े क्षेत्रों में सूचना के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देगा।

4. दवाओं के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

मुख्य परीक्षा: दवाओं के विनियमन के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के बीच समझौता ज्ञापन के लाभ

प्रसंग

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय, सूरीनाम गणराज्य सरकार के बीच 4 जून, 2023 को सूरीनाम में भारतीय फार्माकोपिया (IP) की मान्यता के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। महामहिम राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा के दौरान इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे।

विवरण:

  • दोनों पक्षों ने अपने संबंधित कानूनों और विनियमों के अनुसार दवाओं के विनियमन के क्षेत्र में निकट सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान के महत्व को पहचानते हुए निम्नलिखित बिंदुओं पर सहमति प्रकट की है:
    • सूरीनाम में निर्मित और/या आयातित दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सूरीनाम में दवाओं के लिए मानकों की पुस्तक के रूप में भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) को स्वीकार करना;
    • भारतीय निर्माताओं द्वारा जारी किए गए प्रति आईपी विश्लेषण प्रमाणपत्र को स्वीकार करना और सूरीनाम में दवाओं के डुप्लीकेट परीक्षण की आवश्यकता समाप्त करना;
    • गुणवत्ता नियंत्रण विश्लेषण के दौरान उपयोग किए जाने वाले आईपीआरएस और अशुद्धता मानकों को आईपीसी से यथोचित रूप से कम लागत पर प्राप्त करना;
    • सूरीनाम में जेनेरिक दवाओं के विकास और किफायती दवाओं की उपलब्धता में योगदान की बेहतर संभावनाएं;
    • विनियामक ढांचे, आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं में फार्माकोपिया की समझ को बढ़ावा देना;
    • आईपी के मोनोग्राफ के विकास से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान और प्रलेखन की सुविधा प्रदान करना;
    • संबंधित आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित या उसके संबंध में अपनी सेवाओं के प्रावधान में विनियामक प्राधिकरणों की क्षमता को बढ़ाना;
    • मोनोग्राफ और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास में पारस्परिक लाभ के क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग की संभावनाएं तलाशना।
  • भारतीय फार्माकोपिया मानकों की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता से भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र को कई लाभ हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल है:
    • इससे इन देशों में भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि यह दोहरे विनियमन, परीक्षण में दोहराव और आयात के बाद की जांच को समाप्त करेगा। इस प्रकार, भारतीय दवा निर्यातकों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल होगी और व्यापार अधिक लाभकारी हो जाएगा।
    • इसके अलावा, आयात करने वाले देशों को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण भारतीय चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच प्राप्त होगी।
    • आयातक देशों में निर्माताओं के पास जेनेरिक दवाओं का विकास करने और अपने नागरिकों को किफायती दवाएं उपलब्ध कराने में योगदान देने की बेहतर संभावना होगी।
    • विभिन्न संदर्भ मानक और अशुद्धता मानक इन निर्माताओं को यथोचित लागत पर उपलब्ध हो जाएंगे।
    • विनियामक पद्धतियों में तालमेल भारत से दवाओं के निर्यात को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप फार्मास्युटिकल क्षेत्र में शिक्षित पेशेवरों के लिए रोजगार के बेहतर अवसरों में मदद मिल सकती है।
  • भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) को आधिकारिक तौर पर पांच (5) देशों: अफगानिस्तान, घाना, नेपाल, मॉरीशस और सूरीनाम गणराज्य की ओर से मान्यता प्राप्त है। मंत्रालय आईपी को मान्यता देने वाले देशों का विस्तार करने का इच्छुक है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अधिकृत आर्थिक संचालकों की परस्पर मान्यता व्यवस्था को मंजूरी

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार के राजस्व विभाग के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) और ऑस्ट्रेलिया सरकार के ऑस्ट्रेलियाई सीमा बल को शामिल करने वाले गृह विभाग के बीच परस्पर मान्यता व्यवस्था (MRA) पर हस्ताक्षर और अनुसमर्थन को मंजूरी दे दी है।
  • इस व्यवस्था का उद्देश्य आयातक देश के सीमा शुल्क प्राधिकरणों द्वारा माल की निकासी में दोनों हस्ताक्षरकर्ता देशों के मान्यता प्राप्त और विश्वसनीय निर्यातकों को पारस्परिक लाभ प्रदान करना है। अधिकृत आर्थिक संचालकों की परस्पर मान्यता, विश्व सीमा शुल्क संगठन के सेफ (एसएएफई) फ्रेमवर्क मानकों का एक प्रमुख घटक है, जो वैश्विक स्तर पर व्यापार को उच्च सुविधा प्रदान करते हुए आपूर्ति श्रृंखलाओं की अंतिम छोर तक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वैश्विक व्यापार को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाता है।
  • इस व्यवस्था से ऑस्ट्रेलिया माल भेजने वाले हमारे निर्यातकों को लाभ होगा और इस प्रकार दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।
  • ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलियाई विश्वसनीय व्यवसायी कार्यक्रम और भारत में अधिकृत आर्थिक संचालक कार्यक्रम की परस्पर मान्यता दोनों देशों के अधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किये जाने की तिथि से लागू होगी।

2. ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को मंजूरी

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज पांच साल की अवधि (वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28) के लिए 13,000 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की नई योजना “पीएम विश्वकर्मा” को मंजूरी दी।
  • इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों व शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित पेशे को मजबूत करना और बढ़ावा देना है।
  • इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों व सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना है कि विश्वकर्मा घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ जुड़ सकें।
  • पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचान पत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक ऋण सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना के तहत बाद में कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता प्रदान की जाएगी।
  • यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों व शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के तहत पहले चरण में अठारह पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया जाएगा। इन व्यवसायों में (i) बढ़ई (सुथार); (ii) नाव निर्माता; (iii) अस्त्र बनाने वाला; (iv) लोहार (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) गोल्डस्मिथ (सुनार); (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाला, पत्थर तोड़ने वाला); (x) मोची (चर्मकार)/जूता कारीगर; (xi) मेसन (राजमिस्त्री); (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं।

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