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16 जनवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारतीय मानक ब्यूरो ने ‘मानकीकृत विकास और भवन विनियम, 2023’ जारी किए:
  2. भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2023:
  3. दिव्यांगजनों को रोजगार दिलाने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और राष्ट्रीय मानव संसाधन विकास नेटवर्क मिलकर काम करेंगे:
  4. संत तिरुवल्लुवर:
  5. एमपीलैड योजना के तहत संशोधित फंड फ्लो प्रक्रिया के लिए एमपीलैड्स ई-साक्षी मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च:
  6. लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023:

1. भारतीय मानक ब्यूरो ने ‘मानकीकृत विकास और भवन विनियम, 2023’ जारी किए:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मुख्य परीक्षा: ‘मानकीकृत विकास और भवन विनियम, 2023’ का महत्व।

प्रसंग:

  • भारतीय मानक ब्यूरो ने विशेष प्रकाशन एसपी 73 : 2023 में समाहित ‘मानकीकृत विकास और भवन विनियम, 2023’ जारी किए हैं, जो कि विशेष प्रकाशन भारत के निर्माण माहौल में क्रांति लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उद्देश्य:

  • निर्माण में सुरक्षा, पहुंच और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय मानक ब्यूरो ने ‘मानकीकृत विकास और भवन विनियम, 2023’ जारी किए गए हैं।
  • यह दस्तावेज़ एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है जहां नियामक निकाय अधिक पारदर्शी और कुशलता से काम करते हैं, जिससे पंजीकृत भवन पेशेवरों से प्रदान की जाने वाली सेवाओं तक आसान पहुंच स्थापित की सुविधा मिलती है।
    • यह दस्तावेज़ उन तरीकों का प्रस्ताव करता है जिसमें नियामक निकाय कुशल सेवा वितरण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए, सत्यापन योग्य डेटा एकत्र करने के लिए सामान्य नियमों और विनियमों का उपयोग कर सकते हैं।
    • निर्माण उद्योग के लिए एक प्रगतिशील खाका के रूप में, ये नियम व्यापार करने में आसानी पर सकारात्मक प्रभाव डालने, भारत में एक लचीले और टिकाऊ निर्मित वातावरण के लिए आधार तैयार करने की आशा करते हैं।

विवरण:

  • भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता 2016 (एनबीसी 2016) के अनुरूप और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से प्रेरणा लेते हुए, इन विनियमों ने निर्माण में सुरक्षा, पहुंच और स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक व्यापक रूपरेखा तैयार की है। यह दस्तावेज़ एकरूपता के प्रतीक के रूप में उभरता है।
  • इन्हें राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों के विकास और भवन नियमों की संरचना और विवरण को सुव्यवस्थित करने के साथ-साथ राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों की विशिष्ट आवश्यकताओं को समायोजित करते हुए देशभर में भवन नियामक प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इन मानकीकृत विनियमों की उत्पत्ति एक सावधानीपूर्वक परियोजना में निहित है जिसका उद्देश्य देश भर में एनबीसी 2016 को अपनाने के बारे में बढ़ावा देना है।
    • इस पहल में पूरे देश में मौजूदा नियमों और विनियमों का एक विस्तृत अध्ययन शामिल होने के साथ-साथ ही भूमि और भवन विकास को नियंत्रित करने वाली अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का तुलनात्मक विश्लेषण करना भी शामिल रहा है।
    • देश भर में आयोजित कार्यशालाओं और चर्चाओं से इनपुट और फीडबैक एकत्र किया गया है और सभी को अंतिम दस्तावेज़ में सफलतापूर्वक एकीकृत किया गया है।
  • जो बात इस दस्तावेज़ को विशिष्ट बनाती है वह इसका उपयोगकर्ता-अनुकूल दृष्टिकोण है। स्पष्टता के लिए सरल भाषा में तैयार किए गए ये विनियम अस्पष्टता को खत्म करते हैं और सहज रूप से अपनाने की प्रक्रिया सुनिश्चित करते हैं।
    • विभिन्न रूपों और जाँच सूचियों द्वारा पूरक व्यापक सामग्री, आसानी से समझने की सुविधा प्रदान करती है।
    • चित्र और फ़्लोचार्ट सहित दृश्य सामग्री, समझ को बढ़ावा देती है, जबकि व्याख्यात्मक नोट्स प्रमुख पहलुओं पर ज़ोर देते हैं।
    • मानकीकृत क्रमांकन इसके विभिन्न भाषाओं में अनुवाद को आसान बनाते है।
  • इसके अलावा, इस दस्तावेज़ की दूरदर्शी प्रकृति नए युग के विचारों और अवधारणाओं के समावेश से स्पष्ट है।
    • ईवी चार्जिंग स्टेशन, पवन बिजली जनरेटर, हस्तांतरणीय विकास अधिकार, पारगमन उन्मुख विकास, उच्च सुरक्षा क्षेत्र, सेवानिवृत्ति गृह जैसे तत्वों का समाधान करते हुए ये विनियम नवाचार को प्रोत्साहन देते हैं।

इस दस्तावेज़ के प्रमुख लाभार्थी निम्नलिखित हैं:

  • आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और इसके अंतर्गत टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ऑर्गनाइजेशन (टीसीपीओ);
  • राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारें;
  • स्थानीय निकाय, शहरी और ग्रामीण दोनों;
  • विकास प्राधिकरण (डीए);
  • छावनी बोर्ड और बंदरगाह ट्रस्ट;
  • जिला और ग्राम पंचायतें; और
  • निर्मित पर्यावरण के विकास में शामिल अन्य संगठन।
  • सभी के लिए सुलभ
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि दस्तावेज़ को समझना, अपनाना/अनुकूलित करना, लागू करना और अनुपालन करना आसान है, इसका मसौदा तैयार करते समय कई उपाय किए गए हैं, जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं :
  • अध्यायों और संपूर्ण दस्तावेज़ की संरचना अधिकांश भाग के लिए विकास प्रक्रिया के क्रम में की गई है। यह दस्तावेज़ को एक ठोस सतत आकार प्रदान करता है।
  • प्रत्येक अध्याय की शुरुआत में उपयोगकर्ताओं को प्रमुख विशेषताओं के रूप में सामग्री के बारे में जानकारी देने के लिए व्याख्यात्मक नोट्स की रूपरेखा तैयार की गई है।
  • दस्तावेज़ के माध्यम से आसान नेविगेशन और विनियमों की आसान पहचान को सक्षम बनाने के लिए, मद, खंड, उप-खंड, तालिकाएं, आंकड़े, अनुलग्नक इत्यादि को मानकीकृत तरीके से विधिवत क्रमांकित किया गया है।
  • विनियमों की व्याख्या को दृष्टिगत रूप से बढ़ाने के लिए, जहां भी आवश्यक हो, आंकड़ों और फ़्लोचार्ट का समर्थन किया गया है।
  • कार्यान्वयन में आसानी सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा, स्थिरता और पहुंच से संबंधित एनबीसी 2016 के प्रमुख प्रावधानों को विशेष रूप से शामिल किया गया है।
  • उपलब्ध दिशानिर्देशों और विनियमों पर विचार करते हुए भूमि विकास और भवन निर्माण के क्षेत्र में नवीनतम विकास और प्रगति के बारे में भी ध्यान दिया गया है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2023:

  • भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2023 का 17 जनवरी से आरंभ होगा और 20 जनवरी तक चलेगा।
    • हरियाणा के फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट इसकी मेजबानी कर रहा है।
    • यह संस्‍थान सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान है।
    • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के 9वें संस्करण का आयोजन कर रहा है और इसका स्वायत्त संगठन नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया इस महोत्‍सव का समन्वय और कार्यान्वयन निकाय है।
    • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आरसीबी) – ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना करता है।
    • फ़रीदाबाद (हरियाणा) स्थित संस्थान (टीएचएसटीआई) इस भव्य आयोजन का मेजबान संस्थान है।
  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 16 दिसंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित कर्टेन रेज़र कार्यक्रम के दौरान भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2023 के नौवें संस्करण का ब्रोशर जारी किया।
  • इस विज्ञान महोत्सव का आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों का उत्‍सव मनाने के लिए किया गया है।
    • महोत्सव का उद्देश्य उत्साही वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को स्वीकार करना और युवा छात्रों के बीच वैज्ञानिक सोच जाग्रत करना और भारतीयों के बीच इसका प्रसार करना है।
    • विज्ञान महोत्‍सव (आईआईएसएफ 2023) का केंद्रीय विषय “अमृत काल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी सार्वजनिक आउटरीच” है।
  • इस बार भारत अंतर्राष्‍ट्रीय विज्ञान महोत्‍सव-2023 में 22 देश भी भाग ले रहे हैं।
  • इनमें अर्जेंटीना, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, केन्या, लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, मलेशिया, म्यांमा, नामीबिया, फिलीपींस, रवांडा,सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड अमरीका वियतनाम और जिम्‍बाब्‍वे हिस्‍सा ले रहे हैं।

आईआईएसएफ 2023 के बारे में:

  • भारत अंतर्राष्‍ट्रीय विज्ञान महोत्‍सव-2023 में 17 से 20 जनवरी के चार दिनों के कार्यक्रमों की योजना निर्धारित की गई है। 17 जनवरी 2024 को बारह कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
    • इनमें स्टूडेंट साइंस विलेज, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नए मोर्चे का आमना-सामना, खेलों और खिलौनों के माध्यम से विज्ञान, छात्र नवाचार महोत्सव-अंतरिक्ष हैकथॉन शामिल हैं।
    • राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षक कार्यशाला, युवा वैज्ञानिक सम्मेलन, न्यू एज टेक्नोलॉजी शो, राष्ट्रीय सामाजिक संगठन और संस्थान बैठक (एनएसओआईएम); विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार प्रदर्शनी; स्टार्ट-अप, टेक्नोलॉजी और नवोन्‍मेषी बी टू बीट बैठक होगी।
  • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (एनआईएससीपीआर) में साइंस मीडिया कम्युनिकेशन सेल (एसएमसीसी) भारत अंतर्राष्‍ट्रीय विज्ञान महोत्‍सव में (आईआईएसएफ) मीडिया प्रचार का समन्वय और सुविधा प्रदान कर रहा है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य विज्ञान प्रसार करना है और मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर भारत की अनुसंधान एवं विकास सफलताओं और वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करना है।
  • आईआईएसएफ सबसे बड़ा विज्ञान महोत्सव है जो समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाता है।
  • इसका आयोजन 2015 से किया जा रहा है और यह भारत अंतर्राष्‍ट्रीय विज्ञान महोत्‍सव-2023 श्रृंखला का नौवां संस्करण है।
    • इस संस्करण में कुल 17 कार्यक्रम निर्धारित किये गये हैं।
    • आईआईएसएफ समाज में विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए लगभग एक महीने तक अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, प्रयोगशालाओं और स्कूलों में आउटरीच कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित करता है।

2. दिव्यांगजनों को रोजगार दिलाने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और राष्ट्रीय मानव संसाधन विकास नेटवर्क मिलकर काम करेंगे:

  • दिव्यांगजनों को रोजगार के अधिक अवसर मुहैया कराने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और राष्ट्रीय मानव संसाधन विकास नेटवर्क मिलकर काम करेंगे।
  • गोवा में, अंतर्राष्ट्रीय पर्पल उत्सव के समापन दिवस पर इस ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • इस सहयोग का उद्देश्य नवोन्मेषी पीएम-दक्ष-दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के डिजिटल पोर्टल के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराना है।
  • यह समझौता ज्ञापन देश भर में मानव संसाधन पेशेवरों के साथ संपर्क बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • इसका उद्देश्य दिव्यांगजनों के लिए सार्थक रोजगार के अवसरों को सुविधाजनक बनाना, अधिक समावेशी और विविध कार्यबल को बढ़ावा देने के प्रयासों को बढ़ाना है।

3. संत तिरुवल्लुवर:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 16 जनवरी को तिरुवल्लुवर दिवस पर संत तिरुवल्लुवर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
  • प्रधानमंत्री बताया कि आज हम महान तमिल संत तिरुवल्लुवर की याद में तिरुवल्लुवर दिवस मनाते हैं, जिनका तिरुक्कुरल में गहन ज्ञान हमें जीवन के कई पहलुओं में मार्गदर्शन करता है।
  • उनकी शाश्‍वत शिक्षाएं समाज को सद्गुण और अखंडता पर ध्यान केंद्रित करने, सद्भाव और समझ की दुनिया को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती हैं।
  • हम उनके द्वारा समर्थित सार्वभौमिक मूल्यों को अपनाकर उनके दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराते हैं।
  • तिरुवल्लुवर (Thiruvalluvar) दक्षिण भारत के महान् संत थे।
    • इन्हें दक्षिण भारत का कबीर भी कहा जाता है। शैव, वैष्णव, बौद्ध तथा जैन सभी धर्मों को मानने वाले लोग तिरुवल्लुवर को अपना मतावलम्बी मानते हैं, जबकि उनकी रचनाओं से ऐसा कोई भी आभास नहीं मिलता है।
    • उनका विचार था कि मनुष्य गृहस्थ रहते हुए भी परमेश्वर में आस्था के साथ एक पवित्र जीवन व्यतीत कर सकता है।
    • सन्न्यास उन्हें निरर्थक लगा था।
  • संत तिरुवल्लुवर ने व्यक्ति को जीने की राह दिखाते हुए छोटी-छोटी ढेरों कविताएँ लिखी थीं, इनका संकलन ‘तिरुक्कुलर ग्रंथ’ में किया गया है।
  • यह ‘गीता’ के बाद विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में सबसे अधिक अनूदित ग्रन्थ है। तिरुक्कुलर तीन खण्डों में बंटा है-
    • ‘अरम’ (आचरण/सदाचार)
    • ‘परुल’ (संसारिकता/संवृद्धि)
    • ‘इन्बम’ (प्रेम/आनंद)
    • इसमें कुल 133 अध्याय हैं और हर अध्याय में 10 दोहे हैं।
  • हालाँकि इस तथ्य का कोई ठोस प्रमाण तो नहीं हैं, परन्तु भाषाई आधार पर महान् कवि तिरुवल्लुवर के समय काल का अनुमान ईसा पूर्व 30 से 200 वर्षों के बीच माना जाता है।
    • कबीर की तरह ही इनका जन्म भी एक दलित जुलाहा परिवार में ही हुआ था।
    • मान्यता है कि वे चेन्नई के मयिलापुर से थे, परन्तु उनका अधिकांश जीवन मदुरै में बीता, क्योंकि वहाँ पांड्य वंशी राजाओं के द्वारा तामिल साहित्य को पोषित किया जाता रहा है और उनके दरबार में सभी जाने-माने विद्वानों को प्राश्रय दिया जाता था।
    • वहीं के दरबार में ‘तिरुक्कुलर’ को एक महान् ग्रन्थ के रूप में मान्यता मिली।
  • दक्षिण भारत के महानतम संत तिरुवल्लुवर मानवधर्म के प्रति आस्था के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं। जिन जीवन मूल्यों को उन्होंने महत्व दिया, वे कबीर में भी विद्यमान थे।
  • इस दृष्टि से कबीर को “उत्तर भारत का तिरुवल्लुवर” कहें या तिरुवल्लुवर को “दक्षिण का कबीर” कहें, एक ही बात है।

4. एमपीलैड योजना के तहत संशोधित फंड फ्लो प्रक्रिया के लिए एमपीलैड्स ई-साक्षी मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च:

  • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने नई दिल्ली में एमपीलैड योजना के तहत संशोधित फंड फ्लो प्रक्रिया के लिए एमपीलैड्स ई-साक्षी मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च की।
  • एमपीलैड योजना का उद्देश्य संसद सदस्यों (सांसदों) को स्थानीय स्तर पर महसूस की गई जरूरतों के आधार पर टिकाऊ सामुदायिक संपत्तियों के निर्माण पर जोर देने के साथ विकासात्मक प्रकृति के कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाना है।
  • दिशानिर्देशों के संशोधित सेट का उद्देश्य योजना के दायरे को व्यापक बनाना है ताकि सांसद समुदाय की बदलती जरूरतों के अनुसार विकासात्मक कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम हो सकें; एमपीलैड योजना के कामकाज, कार्यान्वयन और निगरानी में सुधार पर जोर दिया गया।
  • एमपीलैड योजना के तहत सांसदों के लिए ई-साक्षी मोबाइल एप्लिकेशन के लॉन्च से असंख्य लाभ सामने आएंगे, जिससे उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के साथ जुड़ने और प्रबंधन करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
    • मोबाइल ऐप सुविधा और पहुंच प्रदान करेगा, जिससे सांसद अपनी उंगलियों पर परियोजनाओं का प्रस्ताव, ट्रैक और निगरानी कर सकेंगे।
    • यह रियल टाइम एक्सेस निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बढ़ाती है, जिससे उभरती जरूरतों या मुद्दों पर तुरंत एक्शन संभव हो पाता है।
    • एप्लिकेशन सांसदों और संबंधित अधिकारियों के बीच संचार को सुव्यवस्थित करेगा, जिससे सूचनाओं के अधिक कुशल आदान-प्रदान की सुविधा मिलेगी।
  • इसके अतिरिक्त, मोबाइल ऐप सांसदों को उनकी प्रस्तावित परियोजनाओं की स्थिति और प्रगति पर तुरंत अपडेट प्रदान करके पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।
    • यह पारदर्शिता न केवल जवाबदेही को बढ़ावा देती है बल्कि एमपीलैड्स फंड के आवंटन और उपयोग में जनता का विश्वास भी पैदा करती है।
    • इसके अलावा, मोबाइल एप्लिकेशन में बजट प्रबंधन की सुविधाएं हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सांसद व्यय की निगरानी कर सकें।
  • संशोधित दिशानिर्देशों के तहत अनुशंसा की पूरी प्रक्रिया वेब पोर्टल के साथ-साथ मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से संचालित होगी।
    • इस नवीन प्रौद्योगिकी समाधान का उद्देश्य एमपीलैड योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता, पहुंच और दक्षता बढ़ाना है।

5. लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023:

  • सरकार ने लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023 योजना की शुरुआत की है जिसे देशभर में सिविल सेवकों द्वारा किये गये अनुकरणीय कार्यो को स्वीकार करने, मान्यता देने और पुरस्कृत करने के लिये तैयार किया गया है।
  • वर्ष 2023 के लिये निम्नलिखित योजनाओं के तहत जिलों के समग्र विकास में सिविल सेवकों द्वारा किये गये योगदान को मान्यता देने के लिये लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना में संशोधन किया गया है।
  • सरकार की ओर से 2019 से 2023 तक लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये 62 प्रधानमंत्री पुरस्कार दिये गये, 2023 योजना के तहत 16 पुरस्कार दिये जायेंगे।
  • लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना केन्द्र/राज्य सरकारों और जिला संगठनों द्वारा किये गये असाधारण और अभिनव कार्यों को मान्यता देता है।
  • पीएम पुरस्कार पोर्टल पर नामांकन जमा कराने की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2024, सभी केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों, जिला कलेक्टरों को पीएम पुरस्कार पोर्टल पर नामांकन करना होगा।
  • श्रेणी 1 – 12 प्राथमिक क्षेत्र कार्यक्रमों के तहत जिलों का समग्र विकास, इस श्रेणी में 10 पुरस्कार दिये जायेंगे।
  • श्रेणी 2 – केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों, जिलों में नवीन कार्य, इस श्रेणी में 6 पुरस्कार दिये जायेंगे।
  • लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधान मंत्री पुरस्कार 2023 में एक ट्राफी, एक स्क्रॉल और पुरस्कृत जिला/सगठन को 20 लाख रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी जिसका इस्तेमाल जन कल्याण के किसी भी क्षेत्र में परियोजनाओं/कार्यक्रमों के क्रियान्वयन अथवा संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिये किया जायेगा।
  • वर्ष 2019- 2023 के दौरान सरकार ने लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना के तहत 62 पुरस्कार प्रदान किये हैं।
    • वर्ष 2022 में योजना के तहत 743 जिला कलेक्टरों ने 2,520 नामांकन जमा कराये जिसमें से 15 नामांकन को प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रधानमंत्री ने सिविल सेवा दिवस के अवसर पर ये पुरस्कार प्रदान किये।

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