Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

16 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत-मंगोलिया संयुक्त सैन्य अभ्यास “नोमैडिक एलीफेंट- 2023” मंगोलिया के उलानबटार में शुरू होगा:
  2. “भारत- इंडोनेशिया आर्थिक और वित्तीय वार्ता” (EFD डायलॉग) को लॉन्च करने की घोषणा:
  3. कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की मृत्यु का प्रारंभिक विश्लेषण प्राकृतिक कारणों की ओर इशारा करता है: NTCA
  4. “भूमि सम्मान” 2023:
  5. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने 95 वां स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस मनाया:

1. भारत-मंगोलिया संयुक्त सैन्य अभ्यास “नोमैडिक एलीफेंट- 2023” मंगोलिया के उलानबटार में शुरू होगा:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक संगठन और भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।

प्रारंभिक परीक्षा: संयुक्त सैन्य अभ्यास “नोमैडिक एलीफेंट।

प्रसंग:

  • भारतीय सेना के 43 जवानों की टुकड़ी ने मंगोलिया के लिए प्रस्थान किया। यह सैन्य दल द्विपक्षीय संयुक्त अभ्यास “नोमैडिक एलीफेंट-23” के 15वें संस्करण में भाग लेगा। इस सैन्य अभ्यास का आयोजन 17 से 31 जुलाई 2023 तक मंगोलिया के उलानबटार में निर्धारित है।

उद्देश्य:

  • इस सैन्य अभ्यास का उद्देश्य सकारात्मक सैन्य संबंध, सर्वोत्तम सैन्य प्रथाओं का आदान-प्रदान, द्विपक्षीय अंतर-संचालनीयता, मिलनसार व्यवहार, सौहार्द और मित्रता को सुदृढ़ करना है।
  • संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत इस सैन्य अभ्यास का प्राथमिक उद्देश्य पहाड़ी इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाना हैं।

विवरण:

  • इस सैन्य अभ्यास मे मंगोलियाई सशस्त्र बल यूनिट 084 के सैनिक और जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट के भारतीय सैनिक भाग लेंगे।
  • भारतीय सेना के जवानों की टुकड़ी 16 जुलाई 23 को भारतीय वायु सेना के C-17 विमान द्वारा उलानबटार पहुंची।
  • इस सैन्य अभ्यास में प्लाटून स्तर का फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास (FTX) शामिल है। इस सैन्य अभ्यास के दौरान, भारतीय और मंगोलियाई सैनिक अपनी क्षमताओं और कौशल को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई विभिन्न प्रशिक्षण गतिविधियों में भाग लेंगे।
    • इन गतिविधियों में सहनशक्ति प्रशिक्षण, रिफ्लेक्स फायरिंग, रूम इंटरवेंशन, छोटी टीम रणनीति और पर्वतीय अभ्यास (रॉक क्राफ्ट फायरिंग) शामिल हैं।
    • इस अभ्यास के दौरान भारत और मंगोलिया के सैनिक एक दूसरे के संचालन संबधित अनुभव से लाभान्वित होंगे।
  • भारत और मंगोलिया, क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • नोमैडिक एलीफेंट-23 अभ्यास भारतीय सेना और मंगोलियाई सेना के बीच रक्षा सहयोग में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा देगा।

पृष्ठ्भूमि:

  • यह नोमैडिक एलीफेंट अभ्यास भारत का मंगोलिया के साथ एक वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो मंगोलिया और भारत में वैकल्पिक रूप से आयोजित किया जाता है, इससे पूर्व सैन्य अभ्यास कार्यक्रम का आयोजन विशेष बल प्रशिक्षण विद्यालय (स्पेशल फॉर्सिज़ ट्रेनिंग स्कूल), बकलोह में अक्टूबर, वर्ष 2019 में किया गया था।

2. “भारत- इंडोनेशिया आर्थिक और वित्तीय वार्ता” (EFD डायलॉग) को लॉन्च करने की घोषणा:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

प्रारंभिक परीक्षा: G-20, आसियान।

मुख्य परीक्षा: “भारत- इंडोनेशिया आर्थिक और वित्तीय वार्ता” को लॉन्च करने के महत्व पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • इंडोनेशिया की वित्त मंत्री सुश्री मुल्यानी इंद्रावती और भारतीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने “भारत- इंडोनेशिया आर्थिक और वित्तीय वार्ता” को लॉन्च करने की घोषणा की।

उद्देश्य:

  • G-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों (FMCGB) की बैठक के दौरान पेश किया गया मंच, दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने और वैश्विक मुद्दों पर साझी समझ को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
  • EFD संवाद से न केवल भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ होंगे, बल्कि यह दक्षिण पूर्व एशिया और दुनिया की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता में भी योगदान देगा।

विवरण:

  • केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “1991 में भारत की ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ और उसके बाद ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के विकास ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से वाणिज्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में तेजी से विकास को सुविधाजनक बनाया है।
    • इंडोनेशिया आसियान क्षेत्र में भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है।
    • हमारे व्यापार में वर्ष 2005 के बाद से आठ गुना बढ़ोतरी देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में उल्लेखनीय रूप से 38 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
  • EFD संवाद दोनों देशों के आर्थिक नीति निर्माताओं और वित्तीय नियामकों को एक साथ लाकर द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय मामलों पर सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है।
  • सहयोग के क्षेत्रों में अन्य बातों के अलावा, व्यापक आर्थिक चुनौतियां और वैश्विक आर्थिक संभावनाएं, द्विपक्षीय निवेश संबंध और G-20 और आसियान मामलों में सहयोग शामिल हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमता को पहचानते हुए, दोनों वित्त मंत्रियों ने वित्तीय समावेशन के लिए फिनटेक के क्षेत्र में सहयोग की संभावना पर भी विचार किया।
  • तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और इंडोनेशिया के बीच समानताएं और G-20, WTO और ईस्ट एशिया समिट जैसे बहुपक्षीय संगठनों में उनकी सक्रिय भूमिकाओं को देखते हुए, यह वार्ता परस्पर सीखने और नीति समन्वय के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करने का भरोसा दिलाती है।

3. कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की मृत्यु का प्रारंभिक विश्लेषण प्राकृतिक कारणों की ओर इशारा करता है: NTCA

सामान्य अध्ययन: 3

जैव विविधता:

विषय: जैव विविधता एवं उनका संरक्षण।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य।

मुख्य परीक्षा: प्रोजेक्ट चीता क्या हैं ? बाघ संरक्षण में इस परियोजना का योगदान।

प्रसंग:

  • दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए 20 चीतों में से, मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान से अब तक पांच वयस्क व्यक्तियों की मृत्यु की सूचना मिली है।

उद्देश्य:

  • प्रोजेक्ट चीता के कार्यान्वयन का काम शीर्ष संस्था, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को दिया गया था जिसके प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, सभी मौतें प्राकृतिक कारणों से हुई हैं।

विवरण:

  • मीडिया में ऐसी रिपोर्टें हैं जिनमें चीतों की मौत के लिए उनके रेडियो कॉलर आदि सहित अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
  • ऐसी रिपोर्टें किसी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं हैं बल्कि अटकलें और अफवाहें हैं।
  • प्रोजेक्ट चीता को अभी एक साल पूरा होना बाकी है और सफलता और विफलता के संदर्भ में परिणाम का निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, क्योंकि चीतों द्वारा बच्चों को जन्म देना एक दीर्घकालिक परियोजना है।
  • पिछले 10 महीनों में, इस परियोजना में शामिल सभी हितधारकों ने चीता प्रबंधन, निगरानी और सुरक्षा में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त की है।

बाहर से लाए गए चीतों के संरक्षण के प्रयास जारी:

  • चीतों की मौत के कारणों की जांच के लिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों/पशु चिकित्सकों से नियमित आधार पर परामर्श किया जा रहा है।
    • इसके अलावा, मौजूदा निगरानी प्रोटोकॉल, सुरक्षा स्थिति, प्रबंधकीय इनपुट, पशु चिकित्सा सुविधाएं, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पहलुओं की समीक्षा स्वतंत्र राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा की जा रही है।
    • चीता परियोजना संचालन समिति परियोजना की बारीकी से निगरानी कर रही है और उसने अब तक इसके कार्यान्वयन पर संतोष व्यक्त किया है।
  • इसके अलावा, बचाव, पुनर्वास, क्षमता निर्माण, व्याख्या की सुविधाओं के साथ चीता अनुसंधान केंद्र की स्थापना जैसे कदम; भूदृश्य स्तर प्रबंधन के लिए अतिरिक्त वन क्षेत्र को कूनो राष्ट्रीय उद्यान के प्रशासनिक नियंत्रण में लाना; अतिरिक्त अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी उपलब्ध कराना; चीता सुरक्षा बल की स्थापना; और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य, मध्य प्रदेश में चीतों के लिए दूसरा घर बनाने की परिकल्पना की गई है।

चीता को नए आवासों में स्थानांतरित करने का वैश्विक अनुभव:

  • चीता को सात दशकों के बाद भारत वापस लाया गया है और इतने बड़े प्रोजेक्ट में उतार-चढ़ाव आना तय है।
    • विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका के वैश्विक अनुभव से पता चलता है कि अफ्रीकी देशों में चीतों के पुन:प्रवेश के प्रारंभिक चरण में प्रविष्ट चीतों की मृत्यु 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
    • चीता की मृत्यु अंतर-प्रजाति के झगड़े, बीमारियों, दुर्घटनाओं के कारण हो सकती है।
    • शिकार करने के दौरान लगी चोट, अवैध शिकार, सड़क पर हमला, जहर और अन्य शिकारियों द्वारा शिकारी हमले आदि के कारण भी मृत्यु हो सकती है।
    • इन सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य योजना में जनसांख्यिकीय और आनुवंशिक प्रबंधन के लिए प्रारंभिक संस्थापक आबादी के वार्षिक अनुपूरण का प्रावधान किया गया है।

पृष्ठ्भूमि:

  • भारत सरकार ने चीता को भारत वापस लाने की महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है।
    • परियोजना चीता को मध्य प्रदेश वन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और दक्षिण अफ़्रीका और नामीबिया के चीता विशेषज्ञों के सहयोग से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत एक वैधानिक निकाय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • परियोजना का कार्यान्वयन ‘भारत में परिचय के लिए कार्य योजना’ के अनुसार किया जा रहा है और परियोजना की देखरेख के लिए सरिस्का और पन्ना टाइगर रिजर्व में पहली बार सफल बाघ पुनरुद्धार में शामिल प्रतिष्ठित विशेषज्ञों / अधिकारियों की एक संचालन समिति भी गठित की गई है।
  • प्रोजेक्ट चीता के तहत, कुल 20 रेडियो कॉलर वाले चीतों को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुनो राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश में पहली बार अंतरमहाद्वीपीय जंगल से जंगल स्थानांतरण में लाया गया था।
    • अनिवार्य क्वारेंटीन पीरियड के बाद, सभी चीतों को बड़े अनुकूलन बाड़ों में स्थानांतरित कर दिया गया।
    • वर्तमान में, 11 चीते मुक्त अवस्था में हैं और भारतीय धरती पर जन्मे एक शावक सहित 5 जानवर क्वारेंटीन बाड़ों में हैं। प्रत्येक स्वतंत्र चीता की एक समर्पित निगरानी टीम द्वारा चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है।
  • भारत सरकार ने कुनो राष्ट्रीय उद्यान में क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ निकट समन्वय में काम करने के लिए अधिकारियों की एक समर्पित NTCA टीम तैनात की है।
    • यह टीम बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक स्वास्थ्य और संबंधित हस्तक्षेपों सहित विभिन्न प्रबंधन पहलुओं पर निर्णय लेने के लिए फील्ड मॉनिटरिंग टीमों द्वारा एकत्र किए गए वास्तविक समय फ़ील्ड डेटा का विश्लेषण करने के लिए लगी हुई है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. “भूमि सम्मान” 2023:
    • राष्ट्रपति 18 जुलाई, 2023 को 9 राज्य सचिवों और 68 जिला कलेक्टरों को उनकी टीमों के साथ “भूमि सम्मान” 2023 प्रदान करेंगी, जिन्होंने डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP)-शासन का मूल-के मुख्य घटकों के लिए सम्पूर्णता प्राप्त करने में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
    • यह आयोजन राज्य के राजस्व और पंजीकरण पदाधिकारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पिछले 75 वर्षों में पहली बार “भूमि सम्मान” प्राप्त करेंगे।
      • यह “भूमि सम्मान” को संस्थागत रूप देने का ऐतिहासिक वर्ष होगा।
    • “भूमि सम्मान” योजना विश्वास और साझेदारी पर आधारित केंद्र-राज्य सहकारी संघवाद का एक अच्छा उदाहरण है, क्योंकि भूमि अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण और डिजिटलीकरण में श्रेणी प्रणाली मुख्य रूप से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की रिपोर्ट और इनपुट पर आधारित होती है।
    • भूमि रिकॉर्ड और पंजीकरण की डिजिटलीकरण प्रक्रिया से भूमि विवादों से जुड़े लंबित अदालती मामलों को बड़े पैमाने पर कम करने में मदद मिलेगी।
    • इससे भूमि विवादों से जुड़े मुकदमे के कारण रुकी हुई परियोजनाओं की वजह से देश की अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद में होने वाले नुकसान में भी कमी आएगी।
    • भूमि संसाधन विभाग ने पूरे भारत में 94% डिजिटलीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है और 31 मार्च 2024 तक देश के सभी जिलों में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के मुख्य घटकों की 100% पूर्णता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

    पृष्ठभूमि:

    • प्रधानमंत्री ने 23 फरवरी 2022 को बजट-उपरांत वेबिनार में परिकल्पना की थी कि सभी जन कल्याणकारी योजनाओं के योजना घटकों को इस उद्देश्य के साथ पूरा किया जाना चाहिए कि कोई भी नागरिक पीछे न छूट जाए।
      • 3 जुलाई 2023 को मंत्रिपरिषद की बैठक में, प्रधानमंत्री ने योजना घटकों को पूरा करने की आवश्यकता को दोहराया था।
      • इस दिशा में एक कदम के रूप में, इस विभाग ने DILRMP के छह मुख्य घटकों में प्रदर्शन आधारित श्रेणी निर्माण का कार्य शुरू किया था।
      • श्रेणी निर्माण, जिलों के प्रदर्शन के आधार पर किया गया है, जैसा DILRMP की प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) में दर्शाया गया है और जैसा राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों में जानकारी दी गयी है।
      • प्लेटिनम श्रेणी उन जिलों को दी जाती है, जिन्होंने DILRMP के संबंधित मुख्य घटकों में सम्पूर्णता, यानि 100% लक्ष्य पूरा कर लिया है।
      • उपरोक्त जिलों के 9 राज्य सचिवों और 68 जिला कलेक्टरों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को मान्यता देते के लिए “भूमि सम्मान” प्रदान किया जाएगा।
  2. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने 95 वां स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस मनाया:
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने 16 जुलाई 2023 को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर, पूसा, नई दिल्ली में अपना 95वां स्थापना दिवस मनाया।
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश में हरित क्रांति लाने और उसके बाद कृषि में निरंतर विकास में अपने अनुसंधान व प्रौद्योगिकी विकास में जबरदस्त भूमिका निभाई है।
    • पिछले 94 वर्षों की ICAR की ऐतिहासिक यात्रा और इसकी समग्र उपलब्धियां हासिल की हैं।
    • ICAR डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र में क्रांति लाई है।
    • ICAR ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। भारत न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि बड़ी मात्रा में कृषि और कृषि उत्पादों का निर्यात भी कर रहा है।
    • ICAR द्वारा प्राप्त उपलब्धियों जैसे कि खाद्यान्न की 346 किस्मों का विकास, बागवानी फसलों की 99 किस्में, कुशल फसल प्रणाली क्षेत्रों की मैपिंग, 24 फसलों के लिए प्रजनन कार्यक्रम, 28 नए उपकरण और मशीनरी, कोरोना वायरस और लम्पी रोग के टीके, नए निदान, नई मछली नस्लों का प्रजनन प्रोटोकॉल, फार्म परीक्षणों पर 47088 का संचालन और नई प्रौद्योगिकियों पर 2.99 लाख फ्रंट लाइन प्रदर्शन आदि हैं।
    • यह पहली बार है कि स्थापना दिवस को प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया गया है इसलिए एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है जिसमें किसानों, छात्रों और कृषि-उद्योग के लाभ के लिए ICAR प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया गया है।
    • ICAR द्वारा किए गए नवाचारों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए यह प्रदर्शनी 16-18 जुलाई, 2023 तक लोगों के लिए खोली गई है।
    • 5 वर्षों के बाद ICAR 100 वर्ष पूरे कर लेगा और कृषि में उन्नति के लिए और मानक स्थापित करने के लिए रणनीति बनाने का समय आ गया है।
    • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), जिसे आमतौर पर पूसा संस्थान के नाम से जाना जाता है ,कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के लिए भारत का राष्ट्रीय संस्थान है।
      • पूसा इंस्टीट्यूट का नाम इस तथ्य से लिया गया है कि यह संस्थान मूल रूप से 1911 में इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के रूप में बिहार के पूसा में स्थित था।
      • 1919 में इसका नाम बदलकर इंपीरियल एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट कर दिया गया और पूसा में एक बड़े भूकंप के बाद इसे बदल दिया गया ।
      • 1936 में दिल्ली में स्थानांतरित किया गया था। IARI 1970 के दशक में ” भारत में हरित क्रांति ” के लिए अग्रणी अनुसंधान के लिए जिम्मेदार था।
      • नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (इंडिया रैंकिंग 2023) में कृषि और संबद्ध विश्वविद्यालयों में IARI को पहला स्थान मिला था।

गठन:

  • 1 अप्रैल 1905 ; 118 साल पहले
  • उद्देश्य: कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा
  • जगह; पूसा, दिल्ली।
  • स्वतंत्रता के बाद संस्थान का नाम बदलकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान कर दिया गया, और 1950 में संस्थान के शिमला सब-स्टेशन ने गेहूं की रस्ट प्रतिरोधी किस्में विकसित कीं, जिनमें पूसा 718, 737, 745, और 760 शामिल थीं।

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*