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17 जनवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. मिशन गवर्निंग बोर्ड ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) की कार्यान्वयन रणनीति और समयसीमा को अंतिम रूप दिया:
  2. ‘भारतीय स्टाम्प विधेयक, 2023’ के मसौदे पर सुझाव आमंत्रित:
  3. एशियाई बौद्ध सम्मेलन की 12वीं महासभा का उद्घाटन:
  4. केरल में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन इंटेलिजेंट इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेंसर्स’और ‘इंडिया इनोवेशन सेंटर फॉर ग्राफीन’ का शुभारंभ:
  5. आईएनएस शिवाजी मे स्वच्छ एवं हरित CO2-आधारित एयर कंडीशनिंग संयंत्र का उद्घाटन:

1. मिशन गवर्निंग बोर्ड ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) की कार्यान्वयन रणनीति और समयसीमा को अंतिम रूप दिया:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: क्वांटम गणना।

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) का महत्व।

प्रसंग:

  • डॉ. अजय चौधरी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) के मिशन गवर्निंग बोर्ड (एमजीबी) की पहली बैठक में एनक्यूएम की कार्यान्वयन रणनीति और समय सीमा के साथ-साथ मिशन समन्वयन प्रकोष्ठ (एमसीसी) के गठन पर चर्चा हुई।

उद्देश्य:

  • एमसीसी को मिशन के लिए एक समन्वयन एजेंसी के रूप में स्थापित किया जाएगा और यह मिशन सचिवालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के साथ मिलकर काम करेगा।
  • मिशन समन्वयन प्रकोष्ठ (एमसीसी) की स्थापना योग्यता और वर्तमान बुनियादी ढांचे के आधार पर डीएसटी द्वारा पहचाने गए संस्थान में की जाएगी और यह मिशन प्रौद्योगिकी अनुसंधान परिषद (एमटीआरसी) के समग्र पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन के तत्वावधान में कार्य करेगी।

विवरण:

  • भारत में क्वांटम प्रौद्योगिकी की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए मिशन गवर्निंग बोर्ड (एमजीबी) के अध्यक्ष और एचसीएल टेक्नोलॉजी के संस्थापक डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि एनक्यूएम इस क्षेत्र में छलांग लगाएगा तथा जनशक्ति और स्टार्टअप दो ऐसी प्रमुख बातें हैं जिन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
  • भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर ए.के. सूद ने कहा कि मानव संसाधनों का निर्माण महत्वपूर्ण है साथ ही उन्होंने मानव क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न केन्द्रों को सशक्त बनाने का सुझाव दिया।
  • “यहां विकसित नहीं की गई प्रणाली को आयात करने के स्थान पर अपनी प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • उद्योग जगत को प्रौद्योगिकी साझा करने के साथ-साथ वित्तपोषण को भी साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) द्वारा क्वांटम गणना, क्वांटम संचार, क्वांटम संवेदन एवं मापन विज्ञान (क्वांटम सेंसिंग एंड मेट्रोलॉजी) और क्वांटम सामग्री तथा उपकरण में चार मिशन हब स्थापित किए जाने की सम्भावना है, जो अनिवार्य रूप से शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं और उद्योग का संघ होगा।
  • एमजीबी ने संघीय प्रारूप में एनक्यूएम के अंतर्गत चार प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्थापना के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करने के लिए “पूर्व-प्रस्तावों के लिए कॉल” को भी स्वीकृति दे दी।

पृष्ठ्भूमि:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 अप्रैल 2023 को आठ वर्षों की अवधि के लिए 6003.65 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ विज्ञानं और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) को स्वीकृति दी थी ।
  • इस मिशन का लक्ष्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, प्रोत्साहन देना और आगे बढ़ाना तथा क्वांटम टेक्नोलॉजी में एक जीवंत और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है।
  • यह क्वांटम प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले आर्थिक विकास को गति देने के साथ ही देश में पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करेगा और भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकियां एवं अनुप्रयोग के विकास में अग्रणी देशों में से एक बना देगा।

2. ‘भारतीय स्टाम्प विधेयक, 2023’ के मसौदे पर सुझाव आमंत्रित:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय स्टाम्प विधेयक, 2023

मुख्य परीक्षा: भारतीय स्टाम्प विधेयक, 2023′ के उदेश्य एवं प्रभाव।

प्रसंग:

  • भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने आधुनिक स्टाम्प शुल्क व्यवस्था के साथ तालमेल बिठाने के लिए ‘भारतीय स्टाम्प विधेयक, 2023’ का मसौदा तैयार किया है। एक बार अधिनियमित होने के बाद, यह विधेयक भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 का स्थान लेगा।

उद्देश्य:

  • भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 (1899 का 2) एक राजकोषीय क़ानून है, जो लेनदेन रिकॉर्ड करने वाले दस्तावेजों पर स्टाम्प के रूप में लगने वाले कर से संबंधित कानून बनाता है।

विवरण:

  • भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899, एक संविधान-पूर्व अधिनियम है, जिसे आधुनिक स्टाम्प शुल्क व्यवस्था को सक्षम करने के लिए समय-समय पर संशोधित किया गया है।
  • हालाँकि, भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 में निहित कई प्रावधान निरर्थक/निष्क्रिय हो गए हैं और इसलिए, भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है।
  • तदनुसार, यह प्रस्तावित किया गया है कि भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 को निरस्त कर दिया जाए और वर्तमान वास्तविकताओं और उद्देश्यों को प्रतिबिंबित करने के लिए एक नया कानून बनाया जाए।
  • स्टाम्प शुल्क केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है, लेकिन राज्यों में संविधान के अनुच्छेद 268 के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्यों द्वारा एकत्र और विनियोजित किया जाता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. एशियाई बौद्ध सम्मेलन की 12वीं महासभा का उद्घाटन:

  • शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन की 12वीं महासभा का उद्घाटन समारोह में उपराष्ट्रपति ने मंगलकामनाएं और बधाई दी।
  • शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन की सभा पांच दशकों के पश्‍चात भारत (नई दिल्ली में) में हो रही है।
  • एशियाई बौद्ध सम्मेलन12वीं महासभा का “विषय – द बुद्धिस्ट वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ है।”
  • यह भारत की बढ़ती नेतृत्वकारी भूमिका के अनुरूप है, यह विकासशील देशों की मुखर वाणी बन रहा है।
  • जी-20 में अध्यक्षता और “वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट” से पता चलता है, भारत दुनिया की तीन-चौथाई आबादी वाले देशों की चिंताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • एक राष्ट्र के रूप में भारत को भगवान बुद्ध के सिद्धांतों द्वारा प्रतिपादित किया गया है।
    • यह अवसर महत्वपूर्ण है क्योंकि हम एक ऐसे देश की राजधानी में एकत्र हुए हैं जहां बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ और विश्‍व के विभिन्न कोनों में फैल गया।
    • इसमें वे सभी देश भी शामिल हैं जो शांति के महान उद्देश्य के लिए इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन के सदस्य हैं।
  • भारत, भगवान बुद्ध की भूमि है। जिसने विश्‍व को ‘बुद्ध’ दिया है, न कि ‘युद्ध’।”
  • भारत इस बात के लिए प्रतिबद्ध है पूरी दुनिया की युवा पीढ़ी भगवान बुद्ध के बारे में अधिक जानें और उनके आदर्शों से प्रेरित हों।
  • भारत बौद्ध सर्किट का विकास, बौद्ध विरासत स्थलों तक पहुंचने के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने, बौद्ध संस्कृति के लिए भारत अंतर्राष्ट्रीय केंद्र और भगवान बुद्ध के संदेशों को लोकप्रिय बनाने के लिए सक्रिय है।
  • विश्व आज उन चुनौतियों का सामना कर रहा है जो सार्वभौमिक हैं और इसके लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, संघर्ष हो, आतंकवाद हो या गरीबी हो।
  • मानवता के लिए ये चुनौतियां अस्तित्वगत हैं और इन्हें सामान्य संकल्प और सहयोगात्मक एवं सामूहिक दृष्टिकोण से दूर किया जा जा सकता है।
  • भगवान बुद्ध के सिद्धांत सभी हितधारकों को एक साझा मंच पर लाने के लिए आशा और प्रकाश की किरण से कम नहीं हैं।
  • शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन जैसे मंच एक साझा भविष्य को निर्धारित करने और सकारात्मक चर्चा को दिशा देने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
  • शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन की विविध गतिविधियां इसके सदस्यों की सक्रिय भागीदारी का प्रमाण हैं।
  • राष्ट्रों और समाजों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को देखकर प्रसन्‍नता होती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन का सक्रिय सहयोग दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के इसके समावेशी और दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • बुद्ध का कालातीत ज्ञान, हमारी दुनिया के ताने-बाने में बुना हुआ, शांति का एक शक्ति संपन्‍न मार्ग प्रदान करता है।
    • उनके चार आर्य सत्य और अष्टांगिक पथ हमें आंतरिक शांति, करुणा और अहिंसा की ओर ले जाते हैं- जो आज के संघर्षों का सामना करने वाले व्यक्तियों और राष्ट्रों के लिए एक परिवर्तनकारी रोडमैप है।
  • सद्भाव के इच्छुक विश्व में, महात्‍मा बुद्ध का प्रकाश सर्वाधिक दैदिप्‍यमान है। आइए हम उनकी शिक्षाओं को अपनाएं और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करें जहां शांति कायम हो।
    • केवल सह-अस्तित्व से परे, बुद्ध की शिक्षाएं समझ, सहानुभूति और साझा कल्याण का ताना-बाना बुनती हैं।
    • विभाजन से भरी दुनिया में, उनकी प्रज्ञा पहले से कहीं अधिक चमत्‍कृत है।
    • आइए हम सहिष्णुता, न्याय और शांति के प्रति साझा प्रतिबद्धता के प्रकाश का अनुसरण करें, एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करें जहां सभी पुष्पित-पल्‍लवित हो और सद्गुणों और उदात्तता का विकास हो।
  • आस्था, संस्कृति और प्रेम से बुनी हमारी साझा विरासत एक अटूट धागा बनाती है। एक साथ, बुद्ध द्वारा एकजुट परिवार के रूप में, हम दुनिया को उनके शांति के संदेश से रोशन कर सकते हैं। हिंसा ने कभी मानवता को जन्म नहीं दिया और शांति ने कभी विभाजन नहीं किया।
  • पूरे महाद्वीप में, बौद्ध स्तूप बुद्ध के स्थायी ज्ञान के मूक प्रमाण के रूप में खड़े हैं।
    • मंत्रोच्चार और जीवंत त्योहार उनकी शिक्षाओं को प्रतिध्वनित करते हैं, महात्‍मा बुद्ध की जन्‍मस्थली सहस्राब्दियों से अहिंसा, शांति और करुणा के प्रतीक के रूप में भारत की भूमिका की याद दिलाती है।
    • भारतीय संविधान की कलाकृति 5,000 वर्षों के इतिहास को दर्शाती है, विशेष रूप से भाग पांचमें, जहां भगवान बुद्ध के संघ शासन का उल्‍लेख किया गया है।
  • यह ज्ञानोदय के आदर्शों- एक संसदीय प्रणाली, स्वतंत्र न्यायपालिका और शक्ति संतुलन – का प्रतीक है जो देश की सर्वोच्च संस्थाओं का मार्गदर्शन करता है।
  • बुद्ध की शिक्षाएं भारत के सेवा-संचालित शासन को प्रेरित करती हैं, जिसमें नागरिक कल्याण और समावेशिता तथा किसानों से लेकर दिव्‍यांगजनों तक को प्राथमिकता दी जाती है।
  • यह प्रतिबद्धता पर्यावरणीय स्थिरता तक विस्‍तारित है।
  • भारत द्वारा शुरू किया गया अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए स्‍वस्‍थ जीवन शैली, मिशन-लाइफ जैसी पहल विश्‍व की भलाई के लिए टिकाऊ और स्वच्छ ऊर्जा के दोहन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  • गौतम बुद्ध का शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व का संदेश नफरत और आतंक की उन ताकतों के खिलाफ है जो हमारी दुनिया के लिए खतरा हैं।
    • लेकिन आशा उन लोगों में जीवित रहती है जो मानवता में विश्वास करते हैं।
    • आइए हम बुद्ध के ज्ञान से दिशा पाकर केवल अतीत के अवशेष के रूप में नहीं, बल्कि भविष्य के लिए दिशा-निर्देश के रूप में एकजुट हों।
  • नैतिक अनिश्चितता के युग में, उनकी शिक्षाएं स्थिरता का मार्ग प्रदान करती हैं: सादगी, संयम और सभी जीवन के लिए श्रद्धा। इस अंतर्संबंध को अपनाकर, हम अपने पृथ्‍वी पर एक सामंजस्यपूर्ण भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
  • याद रखें, महात्‍मा बुद्ध की शिक्षाएं अतीत के अवशेष नहीं हैं, बल्कि हमारे भविष्य के लिए दिशा-निर्देश हैं।
    • जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ती जा रही है, उनका मध्यम मार्ग -मित्रता, संयम और सभी जीवों के प्रति श्रद्धा- हमें और हमारी पृथ्‍वी को एक स्थायी मार्ग प्रदान करता है।
    • उनकी विचार प्रक्रिया के सिद्धांत और सार सभी मॉडल उस समय के हैं जब दुनिया विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का सामना कर रही है।
  • इसलिए, आइए हम न केवल यहां एकत्र हों, बल्कि सक्रिय रूप से बुद्ध के संदेश का समर्थन करें।
  • आइए, हम अपने विचार-विमर्श से मित्रवत्‍त व्‍यवहार और संपूर्ण मानवता की भलाई के लिए काम करने के उनके आह्वान को प्रतिध्वनित करें।
  • यह सभा एक प्रकाशस्तंभ बने, उस पथ को रोशन करे जहां सीमाएं विलिन हो जाती हैं और साझा समझ कायम होती है। बुद्ध का प्रकाश हमारा मार्गदर्शन करे, न केवल हमें, बल्कि हमारी दुनिया के मूल स्वरूप को भी बदल दे।
  • आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे भविष्य का निर्माण करें जहां शांति कोई सपना नहीं, बल्कि एक साझा प्रयास हो। क्योंकि बुद्ध की भावना में, हम जानते हैं: कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
  • जैसा कि भगवान बुद्ध ने हमें सिखाया, ‘भवतु सब्ब मंगलम’: जिसका अर्थ है आशीर्वाद, करुणा और सभी का कल्याण।

2. केरल में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन इंटेलिजेंट इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेंसर्स’और ‘इंडिया इनोवेशन सेंटर फॉर ग्राफीन’ का शुभारंभ:

  • भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस कृष्णन ने दो प्रमुख कार्यक्रम – ‘इंटेलिजेंट इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईआईओटी) सेंसर में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई)’ और भारत के पहले ग्राफीन केंद्र (आईआईसीजी) ग्राफीन सेंटर ‘इंडिया इनोवेशन की केरल के कोच्चि के मेकर्स गांव में शुरुआत की।
  • आईआईओटी सेंसर में सीओई इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार और केरल सरकार द्वारा मेकर्स विलेज कोच्चि में नेटवर्क, डिवाइस और सेंसर सिस्टम में इंटेलिजेंट सेंसर के अनुप्रयोगों के व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करने वाले इंटेलिजेंट आईओटी सिस्टम के दायरे में सेंसर के विकास को उत्प्रेरित करने के लिये स्थापित एक अनूठी सुविधा है।
  • भारत का पहला ग्राफीन सेंटर आईआईसीजी भी इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार और केरल सरकार द्वारा टाटा स्टील लिमिटेड के साथ ग्राफीन और 2डी सामग्री प्रणालियों के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास, उत्पाद नवाचार और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मेकर्स विलेज कोच्चि में स्थापित किया गया है।
  • डिजिटल यूनिवर्सिटी केरल (डीयूके) (पूर्व में आईआईआईटीएमके) और सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सीएमईटी)-त्रिशूर मेकर्स विलेज कोच्चि में इन केंद्रों की स्थापना के लिये तकनीकी भागीदार हैं। इन एजेंसियों के विशेषज्ञों द्वारा इन केंद्रों पर अनुसंधान एवं विकास, ऊष्मायन, नवाचार, कौशल, क्षमता निर्माण, परीक्षण और प्रमाणन के लिये पूर्ण सुविधा स्थापित की जायेगी।
  • आईओटी सेंसर और ग्राफीन और 2डी सामग्री के क्षेत्र में स्टार्ट-अप के लिये संपूर्ण इको-सिस्टम का निर्माण देश में इन केंद्रों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है।
  • सामग्री से लेकर उत्पाद/ प्रणाली विकास तक का संपूर्ण समाधान संबंधित क्षेत्रों में इन केंद्रों पर प्रदान किया जायेगा।
  • कार्यक्रम के दौरान मेकर विलेज के वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम, हार्डटेक 2024 की भी शुरुआत की , जो इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर डिजाइन और विनिर्माण के क्षेत्र में उद्योगों, स्टार्टअप, निवेशकों, शिक्षाविदों, अनुसंधान एवं विकास संगठनों के अगुआ लोगों को एक साथ लायेगा।

3. आईएनएस शिवाजी मे स्वच्छ एवं हरित CO2-आधारित एयर कंडीशनिंग संयंत्र का उद्घाटन:

  • नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने 17 जनवरी 24 को आईएनएस शिवाजी में अनूठे CO2 आधारित एयर कंडीशनिंग प्लांट का उद्घाटन किया।
    • यह एसी प्लांट अपनी तरह का पहला है और जहाजों पर एचएफसी (हाइड्रो फ्लोरो कार्बन) और एचसीएफसी (हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन) आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम को प्रतिस्थापित करने के लिए तैयार है।
    • यह कदम 2028 से एचएफसी और एचसीएफसी आधारित सिंथेटिक रेफ्रिजरेंट को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से संबंधित 2016 के किगाली समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है और ट्रांसक्रिटिकल CO2 आधारित एयर कंडीशनिंग प्लांट इस दिशा में पहला कदम है।
    • यह तकनीक जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है और टिकाऊ हरित विकल्पों की दिशा में भारतीय नौसेना की पहल का समर्थन करती है।
  • यह एयर कंडीशनिंग प्लांट उन्नत डिजिटल नियंत्रण प्रणाली और प्लांट को चलाने के लिए किफायती जनशक्ति वाली स्मार्ट प्रौद्योगिकी एकीकरण से सुसज्जित है।
    • इस प्रणाली को आईआईएससी, बैंगलोर के सहयोग से विकसित किया गया है, जो सशस्त्र बलों में भविष्य की प्रौद्योगिकी को शामिल करने की दिशा में रक्षा-अकादमिक तालमेल को बढ़ावा देने का सबूत है।
    • इस प्रौद्योगिकी की सफलता न केवल नौसेना को अत्याधुनिक मशीनरी प्रदान करेगी, बल्कि वाणिज्यिक एयर कंडीशनिंग और प्रशीतन बाजार में व्यापक अनुप्रयोग की क्षमता भी प्रदान करेगी।

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