विषयसूची:
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1. प्रधानमंत्री ने ‘ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023’ का उद्घाटन किया:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, संवृद्धि और विकास से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023
मुख्य परीक्षा: ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023 भारतीय समुद्री नीली अर्थव्यवस्था के किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा। एवं इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुंबई में ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023 के तीसरे संस्करण का उद्घाटन किया।
उद्देश्य:
- इसमें ‘अमृत काल विजन 2047’ का भी अनावरण किया जो भारतीय समुद्री क्षेत्र के लिए नीली अर्थव्यवस्था की मूल योजना (ब्लूप्रिंट) है।
- इस भविष्यवादी योजना के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने 23,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन किया, राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी।
- ये परियोजनाएं भारतीय समुद्री नीली अर्थव्यवस्था के लिए ‘अमृत काल विजन 2047’ से जुड़ी हैं। यह शिखर सम्मेलन देश के समुद्री क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच है।
विवरण:
- प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023 के तीसरे संस्करण में मौजूद सभी लोगों का स्वागत किया।
- इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने भारतीय समुद्री नीली अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक मूल योजना (ब्लूप्रिंट) ‘अमृत काल विजन 2047’ का भी अनावरण किया।
- इस मूल योजना में बंदरगाह सुविधाओं को बढ़ाने, टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से रणनीतिक पहल की रूपरेखा तैयार की गई है।
- इस भविष्यवादी योजना के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने 23,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन, राष्ट्र को समर्पित और शिलान्यास किया, जो भारतीय समुद्री नीली अर्थव्यवस्था के लिए ‘अमृत काल विजन 2047’ के साथ जुड़ी है।
- प्रधानमंत्री ने गुजरात में दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण में टूना टेकरा ऑल वेदर डीप ड्राफ्ट टर्मिनल की आधारशिला रखी।
- इस पर 4,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। इस अत्याधुनिक ग्रीनफील्ड टर्मिनल को पीपीपी मोड में विकसित किया जाएगा।
- इसके एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र के रूप में उभरने की संभावना है, जो 18,000 बीस फुट समकक्ष इकाइयों (टीईयू) से अधिक के अगली पीढ़ी के जहाजों का प्रबंधन करेगा और यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) के माध्यम से भारतीय व्यापार के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करेगा।
- प्रधानमंत्री ने समुद्री क्षेत्र में वैश्विक और राष्ट्रीय भागीदारी के लिए 7 लाख करोड़ से अधिक के 300 से अधिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) भी समर्पित किए।
- यह शिखर सम्मेलन देश का सबसे बड़ा समुद्री कार्यक्रम है और इसमें यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया (मध्य एशिया, मध्य पूर्व और बिम्सटेक क्षेत्र सहित) के देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले दुनिया भर से मंत्री भाग लेंगे।
- शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से सीईओ, व्यापारिक हस्तियां, निवेशक, अधिकारी और अन्य हितधारक भी भाग लेंगे।
- इसके अलावा, शिखर सम्मेलन में कई भारतीय राज्यों का प्रतिनिधित्व भी मंत्रियों और अन्य गणमान्य हस्तियों द्वारा किया जाएगा।
- इस तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में समुद्री क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श किया जाएगा जिसमें भविष्य के बंदरगाहों,; डीकार्बोनाइजेशन; तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जल परिवहन; जहाज निर्माण; मरम्मत और पुनर्चक्रण; वित्त, बीमा और मध्यस्थता; समुद्री समूह; नवाचार एवं प्रौद्योगिकी; समुद्री सुरक्षा और संरक्षा; और समुद्री पर्यटन शामिल हैं।
- यह शिखर सम्मेलन देश के समुद्री क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करता है।
- पहला मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन 2016 में मुंबई में आयोजित किया गया था जबकि दूसरा समुद्री शिखर सम्मेलन वर्चुअल तरीके से 2021 में आयोजित किया गया था।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. रक्षा मंत्रालय ने पहले भारतीय तटरक्षक प्रशिक्षण जहाज के निर्माण के लिए मझगांव डॉक एंड शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए:
- रक्षा मंत्रालय ने 17 अक्टूबर, 2023 को नई दिल्ली में खरीद (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणी के तहत 310 करोड़ रुपये की लागत से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई के साथ भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के लिए एक प्रशिक्षण जहाज के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
- यह एकीकृत हेलीकॉप्टर क्षमताओं के साथ पहला समर्पित प्रशिक्षण मंच है, जो 70 तटरक्षक बल और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षु अधिकारियों को बुनियादी समुद्री प्रशिक्षण प्रदान करेगा, ताकि तटरक्षक जीवन के बहु-आयामी समुद्री पहलुओं के मद्देनजर इन उदीयमान नाविकों को तैयार किया जा सके।
- उन्नत और आधुनिक उच्च तकनीक निगरानी और सतर्कता प्रणालियों वाला यह प्रशिक्षण जहाज समुद्र तट और अपतटीय संपदा की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए समुद्र में चुनौतियों पर आईसीजी कैडेटों को गहरी समझ और विशेषज्ञता प्रदान करेगा।
- अधिकांश उपकरण और सिस्टम एमएसएमई सहित स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त किए जाएंगे।
- इस परियोजना में तीन वर्षों की अवधि में महत्वपूर्ण रोजगार पैदा करने की परिकल्पना की गई है।
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्यों को पूरा करते हुए, यह अनुबंध स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता को भी बढ़ावा देगा और समुद्री आर्थिक क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा।
2. प्रधानमंत्री ने गगनयान मिशन की तैयारियों की समीक्षा की:
- प्रधानमंत्री ने भारत के गगनयान मिशन की प्रगति का आकलन करने और अंतरिक्ष अन्वेषण के भारत के प्रयासों के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने से संबंधित एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
- अंतरिक्ष विभाग ने ह्यूमन-रेटेड लॉन्च व्हीकल और सिस्टम क्वालिफिकेशन जैसी अब तक विकसित की जा चुकी विभिन्न प्रौद्योगिकियों सहित गगनयान मिशन का व्यापक विवरण प्रस्तुत किया।
- इस बात पर गौर किया गया कि ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल (एचएलवीएम3) के 3 अनक्रूड मिशनों सहित लगभग 20 प्रमुख परीक्षणों की योजना बनाई गई है।
- क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट व्हीकल की पहली प्रदर्शन उड़ान 21 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
- बैठक में 2025 में मिशन के लॉन्च की पुष्टि करते हुए इसकी तैयारी का मूल्यांकन किया गया।
- हाल के चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 मिशन सहित भारत की अंतरिक्ष संबंधी पहलों की सफलता के आधार पर प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि भारत को अब 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ की स्थापना और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजने सहित नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए।
- इस विजन को साकार करने के लिए अंतरिक्ष विभाग चंद्रमा के अन्वेषण की योजना तैयार करेगा।
- इसमें चंद्रयान मिशनों की श्रृंखला, अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण वाहन (एनजीएलवी) का विकास, एक नए लॉन्च पैड का निर्माण, मानव-केंद्रित प्रयोगशालाओं और संबंधित प्रौद्योगिकियों की स्थापना किया जाना शामिल होगा।
- प्रधानमंत्री ने भारतीय वैज्ञानिकों से वीनस ऑर्बिटर मिशन और मार्स लैंडर सहित अंतर-ग्रहीय मिशनों की दिशा में काम करने का भी आह्वान किया।
- प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की क्षमताओं पर विश्वास व्यक्त करते हुए अंतरिक्ष अन्वेषण में नई ऊंचाइयां छूने की देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
3. वाटरशेड विकास के लिए एनआरएससी के साथ समझौता ज्ञापन ग्रामीण जनता के लिए भू-स्थानिक अनुप्रयोगों का उत्पादक उपयोग सुनिश्चित करेगा:
- भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) ने (राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर) एनआरएससी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।
- इस कार्यक्रम में मोबाइल एप्लिकेशन दृष्टि 2.0 के लिए एनआरएससी द्वारा मैनुअल और डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 के लिए वेब-पोर्टल सृष्टि 2.0 का विमोचन भी शामिल था।
- डीओएलआर ने देश भर के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में सभी डब्ल्यूडीसी 2.0 परियोजनाओं के लिए उच्च रिज़ॉल्यूशन उपग्रह डेटा के माध्यम से डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 परियोजनाओं (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड विकास) की निगरानी के उद्देश्य के साथ एनआरएससी के साथ अनुबंध किया है।
- विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के संबंध में निगरानी, ऑनलाइन छवि तुलना और विज़ुअलाइज़ेशन के लिए भुवन पर अनुकूलित सॉफ़्टवेयर उपकरण, डब्ल्यूडीसी 2.0 परियोजना के लिए अनुकूलित भुवन वेब पेज सृष्टि का निर्माण, फ़ील्ड डेटा संग्रह और भुवन में डेटा स्थानांतरण के लिए अनुकूलित मोबाइल एप्लिकेशन दृष्टि, वाटरशेड से संबंधित एक सामान्य मानक पाठ्यक्रम के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण देना, वाटरशेड के लिए लैंड कवर परिवर्तनों का विश्लेषण, प्रभाव विश्लेषण और रिपोर्टिंग और परियोजना स्थिति रिपोर्टिंग के लिए डैशबोर्ड का निर्माण शामिल है।
- एनआरएससी के भू-स्थानिक तकनीक के साथ यह सहयोग विभाग को डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 योजना के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों और उद्देश्यों को निरंतर प्राप्त करने में मदद करेगा।
- डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई में पहली बार सरकार द्वारा निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष और रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी के उपयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है।
4. भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) और राष्ट्रीय संचार वित्त संस्थान (एनआईसीएफ) ने अकादमिक और अनुसंधान सहयोग के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए:
- भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) और राष्ट्रीय संचार वित्त संस्थान (एनआईसीएफ) ने अपनी व्यावसायिक क्षमताओं में समुचित सामंजस्य हेतु अकादमिक और अनुसंधान सहयोग के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इस एमओयू का उद्देश्य वित्त, पुनर्गठन, पूर्ण बदलाव, प्रतिस्पर्धा कानून, कॉरपोरेट कानून, कॉरपोरेट गवर्नेंस, दिवाला एवं दिवालियापन कानून नेतृत्व, संगठनात्मक प्रभावशीलता, दूरसंचार नीतियों, स्पेक्ट्रम नीलामी, इत्यादि क्षेत्रों में हिमायत, अनुसंधान सहायता, तकनीकी एवं मार्गदर्शन सहायता और क्षमता निर्माण सेवाओं की दिशा में दोनों संस्थानों की प्रोफेशनल क्षमताओं में समुचित समन्वय स्थापित करना है।
- ‘यह एमओयू इन दोनों ही संस्थानों के बीच उनके अधिदेश और उद्देश्यों से संबंधित आम विषयों पर आपसी सहयोग के लिए और भी ज्यादा सुव्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
- क्षमता निर्माण कार्यक्रम एवं अनुसंधान भारतीय डाक और दूरसंचार लेखा एवं वित्त सेवा (आईपी और टीएएफएस) के अधिकारियों को अपना प्रोफेशनल कौशल बढ़ाने में सक्षम बनाएंगे और यह सहयोग राष्ट्र निर्माण को मजबूत करने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।
- इस एमओयू में अनुसंधान, प्रशिक्षण क्षमता निर्माण एवं हिमायत करने के लिए एनआईसीएफ और आईआईसीए के बीच ज्ञान एवं संबंधित संसाधन के आदान-प्रदान की परिकल्पना की गई है।
- यह प्रशिक्षण कार्यक्रम संबंधित अधिकारियों को वीयूसीए (अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता, अस्पष्टता) माहौल में काम करते समय गहन समझ हासिल करने और अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा।
आईआईसीए के बारे में:
- भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) भारत सरकार के कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) द्वारा एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित किया गया एक संस्थान है जो एक एकीकृत और बहु-विषयक दृष्टिकोण के माध्यम से भारत में कॉरपोरेट क्षेत्र के विकास में आवश्यक सहयोग देने के लिए एक थिंक-टैंक और एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करता है।
एनआईसीएफ के बारे में:
- राष्ट्रीय संचार वित्त संस्थान (एनआईसीएफ) शीर्ष स्तर का एक प्रशिक्षण संस्थान है, जिसका संचालन संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के तत्वावधान में होता है, और जो भारतीय डाक और दूरसंचार लेखा एवं वित्त सेवा (आईपी और टीएएफएस) के अधिकारियों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करता है।
5. महिलाओं और बालिकाओं की सलामती और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें (एफटीएससी) स्थापित की जाएंगी:
- न्याय विभाग महिलाओं और बालिकाओं की सलामती और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए देश भर में 389 विशेष पॉक्सो अदालतों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें (एफटीएससी) स्थापित करने के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है।
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