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19 फ़रवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. वित्तवर्ष 24-25 और वित्तवर्ष 25-26 के लिए रबर क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता 23 प्रतिशत बढ़ाकर 708.69 करोड़ रुपये कर दी गई है:
  2. इंडस-एक्स सम्मेलन का आयोजन:
  3. मत्स्य पालन विभाग ने डिजिटल कॉमर्स संबंधी ओपन नेटवर्क के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
  4. नीति आयोग ने ‘भारत में वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल में सुधार करना: वरिष्ठ नागरिक देखभाल प्रतिमान की पुनर्कल्पना’ नामक स्थिति पत्र जारी किया:

19 February 2024 Hindi PIB
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1. वित्तवर्ष 24-25 और वित्तवर्ष 25-26 के लिए रबर क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता 23 प्रतिशत बढ़ाकर 708.69 करोड़ रुपये कर दी गई है:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: रबर बोर्ड।

मुख्य परीक्षा: रबर का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान।

प्रसंग:

  • ‘प्राकृतिक रबर क्षेत्र के सतत और समावेशी विकास’ के अंतर्गत रबर क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता अगले 2 वित्तीय वर्षों (2024-25 और 2025-26) के लिए 576.41 करोड़ रुपये से 23 प्रतिशत बढ़ाकर 708.69 करोड़ रुपये कर दी गई हैI

उद्देश्य:

  • रबर उद्योग को समर्थन देने के लिए, 2024-25 और 2025-26 के दौरान 43.50 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पारंपरिक क्षेत्रों में 12,000 हेक्टेयर में रबर का रोपण किया जाएगा।
  • इसके लिए सहायता दर पहले के 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दी गई है।
  • इससे उत्पादन की बढ़ी हुई लागत को कवर करने में मदद मिलेइलने के साथ ही साथ ही उत्पादकों को रबर लगाने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन भी मिलेगा।
  • इसी अवधि के दौरान 18.76 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में 3752 हेक्टेयर क्षेत्र को रबर की खेती के अंतर्गत लाया जाएगा।

विवरण:

  • रबर बोर्ड द्वारा 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मूल्य की रोपण सामग्री की आपूर्ति की जाएगी।
  • यह उत्तर पूर्व में समर्थित विकास हेतु भारतीय प्राकृतिक रबर संगठन (इंडियन नेचुरल रबर आर्गेनाईजेशन्स फॉर असिस्टेड डेवलपमेंट – इनरोड- आईएनआरओएडी) परियोजना के अंतर्गत किए जा रहे वृक्षारोपण के अतिरिक्त होगा।
  • गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के उत्पादकों के लिए 2,00,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से रोपण सहायता प्रदान की जाएगी।
  • अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री (नया घटक) पैदा करने के लिए गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में बोर्ड द्वारा प्रायोजित नर्सरी को बढ़ावा दिया जाएगा। ऐसी 20 नर्सरियों को 2,50,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।
  • सरकार उत्पादित रबर की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से कई उपायों की योजना बना रही है।
  • अगले दो वर्षों में इसके लिए 35.60 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई है।
  • इसके अतिरिक्त यह योजना रबर उत्पादकों के सशक्तिकरण के लिए रबर के छोटे धारकों जैसे रबर उत्पादक समितियों (रबर प्रोड्यूसर्स सोसाइटी -आरपीएस) के मंचों को बढ़ावा देती है।
  • अगले दो वर्षों में लगभग 250 नए आरपीएस के गठन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
  • इस सहायता का पैमाना 3000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है और इससे हितधारकों के समग्र लाभ के लिए किसान शिक्षा, सेमिनार, समूह बैठकें, क्षमता निर्माण गतिविधियां, एक्सपोजर विजिट, मॉडल फार्म और अन्य गतिविधियों का समर्थन करने में सहायता मिलेगी।
  • गैर-पारंपरिक और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में अन्य 1450 किसान समूहों के गठन का समर्थन किया जाएगा।
  • रबर उत्पादकों को रबर उत्पादक समितियों में संगठित करने से उत्पादकों द्वारा उत्पादित रबर की कीमत वसूली में सुधार करने में भी सहायता मिलेगी।
  • 55 रबर उत्पादक समितियों (रबर प्रोड्यूसर्स सोसाइटी -आरपीएस) को लेटेक्स संग्रह और डीआरसी परीक्षण उपकरण के लिए प्रति आरपीएस 40,000 रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी।
  • कृषि मशीनीकरण और स्प्रेयर/डस्टर खरीदने के लिए आरपीएस को सहायता दी जाएगी ।
  • रबर शीट की गुणवत्ता और मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए समूह प्रसंस्करण केंद्र (ग्रुप प्रोसेसिंग सेंटर्स -जीपीसी) की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • उत्तर पूर्व और गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में 18 जीपीसी के निर्माण का समर्थन किया जाएगा।
  • समूह प्रसंस्करण केंद्रों के लिए अतिरिक्त धूम्रपान गृहों (स्मोक हाउसेस) की स्थापना और प्रवाह उपचार प्रणालियों (एफ़्लुएंट ट्रीटमेंट सिस्टम) की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
  • रबर अनुसंधान को वित्तपोषित करने के लिए अगले दो वर्षों के लिए 29.00 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रदान किया गया है।
  • इसका उद्देश्य देश में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रबर की खेती को नए क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिए देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त रबर क्लोन विकसित करना होगा।
  • इसमें हर साल वर्ष संकर पौधों की वृद्धि, उत्पादकता और रोग सहनशीलता का मूल्यांकन करने के लिए जर्मप्लाज्म का संरक्षण, पौधे प्रजनन और व्यापक बहु-स्थानीय क्षेत्र परीक्षण शामिल हैं।
  • रबर उत्पादकों को सेवा वितरण में सुधार लाने के उद्देश्य से रबर बोर्ड अपने डिजिटलीकरण प्रयासों को तेज करेगा और अपने मोबाइल आधारित ऐप्स के माध्यम से तीव्र एवं त्वरित सेवाएं प्रदान करने के साथ ही जियो-टैगिंग आदि के लिए ड्रोन का उपयोग करेगा।
  • रबर बोर्ड के समग्र डिजिटलीकरण के लिए 8.91 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र अगरतला, गुवाहाटी और नागालैंड में राष्ट्रीय रबर प्रशिक्षण संस्थान (नेशनल रबर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट-एनआईआरटी) के ऐसे तीन नोडल केंद्रों की स्थापना अगले दो वर्षों में 5.25 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रस्तावित की गई है, जिनका उद्देश्य मुख्य रूप से उत्पाद निर्माण और गुणवत्ता नियंत्रण में प्रशिक्षण प्रदान करके इस क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमईएस) को बढ़ावा देना है।
  • श्रमिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने, वर्तमान में पेड़ों से प्राकृतिक रबर एकत्र करने वाले (टैपर्स) / श्रमिकों को बनाए रखने और अधिक टैपरों, विशेषकर महिला टैपरों को आकर्षित करने के लिए कल्याणकारी उपाय लागू किए गए हैं।
  • अगले दो वर्षों के लिए 7.02 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शैक्षिक छात्रवृत्ति , महिला सशक्तिकरण योजनाएं, गृह निर्माण के लिए सहायता, समूह जीवन बीमा -सह -टर्मिनल लाभ, व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना और पेंशन योजना जैसे विभिन्न उपायों के प्रावधान किए गए हैं।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. इंडस-एक्स सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में होगा:

  • बहुप्रतीक्षित इंडस-एक्स सम्मेलन 20 और 21 फरवरी, 2024 को नई दिल्ली में आयोजित होगा। यह रक्षा नवाचार में भारत और अमेरिका के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को लेकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
  • इसका आयोजन अमेरिका-भारत व्यापार परिषद् व सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के संयोजन में रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा उत्पादन विभाग के इनोवेशन्स फोर डिफेन्स एक्सिलेंस (आईडेक्स) और अमेरिका के रक्षा विभाग की ओर से किया जा रहा है।
  • इस सम्मेलन का लक्ष्य भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम को तैयार करना है।
  • जून, 2023 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान इसकी शुरुआत के बाद से भारत-अमेरिका डिफेंस एक्सेलेरेशन इकोसिस्टम (इंडस-एक्स) रक्षा नवाचार में द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार में सबसे आगे रहा है।
  • अब इंडस-एक्स सम्मेलन के साथ दोनों देशों के हितधारक उभरते अवसरों का पता लगाने और उनका लाभ उठाने के लिए नई दिल्ली में एक मंच पर आएंगे।
  • इस दो दिवसीय उत्प्रेरक सम्मेलन में सहयोग, नवाचार और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन की गई गतिविधियों की एक गतिशील श्रृंखला शामिल होगी।
  • पैनल चर्चाओं और कार्यशालाओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं के फोरम और ज्वाइंट चैलेंज विजेताओं को सम्मानित करने तक इस सम्मेलन का एजेंडा ज्ञान सत्रों से समृद्ध है, जिसका उद्देश्य अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों के भविष्य के उज्ज्वल पथ को तैयार करना है।
  • इंडस-एक्स सम्मेलन भारत और अमेरिका के बीच रक्षा नवाचार और सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यह भविष्य की तकनीकी प्रगति व रणनीतिक साझेदारी के लिए मंच तैयार करने के साथ अंतर-राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी नेटवर्क को प्रोत्साहित करता है।
  • इसके अलावा यह घरेलू उद्यमियों, बाजारों, कौशल संस्थानों, सरकारी प्रयोगशालाओं और निवेश पूंजी जैसे विषयों को आपस में जोड़ता है, जो सफल नवाचार इकोसिस्टम के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

2. मत्स्य पालन विभाग ने डिजिटल कॉमर्स संबंधी ओपन नेटवर्क के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

  • यह समझौता ज्ञापन डिजिटल इंडिया पहल को पूरा करने की दिशा में डीओएफ और ओएनडीसी के बीच हुआ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन है।
  • इस सहयोग का उद्देश्य एक डिजिटल मंच प्रदान करना और पारंपरिक मछुआरों, मछली किसान उत्पादक संगठनों, मत्स्य पालन क्षेत्र के उद्यमियों सहित सभी हितधारकों को ई-मार्केट प्लेस के माध्यम से अपने उत्पाद खरीदने और बेचने के लिए सशक्त बनाना है।
  • ओएनडीसी ई-मार्केटिंग का एक अनूठा मंच है, जो मछुआरों, मछली किसानों, एफएफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और अन्य मछुआरा सहकारी समितियों को एक संरचित तरीके से जोड़कर मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • ओएनडीसी के साथ मत्स्य पालन विभाग का यह सहयोग न केवल इन चुनौतियों को संबोधित करेगा, बल्कि यह भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र में डिजिटल वाणिज्य की क्षमताओं को सामने लाने में मदद भी करेगा।
  • इस सहयोग से मत्स्य पालन उद्योगों को कई लाभ मिलेंगे, जैसे लेन-देन लागत में कमी, बाजार तक पहुंच में वृद्धि, पारदर्शिता में सुधार, प्रतिस्पर्धा और प्रतिस्पर्धी क्षमता में वृद्धि, नवाचार और रोजगार सृजन आदि।
  • इसके अलावा, उन्होंने पारंपरिक मछुआरों, एफएफपीओ और अन्य हितधारकों को ई-मार्केट के माध्यम से मछली और मछली उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए डिजिटल मंच प्रदान करने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
  • यह डिजिटल इंडिया पहल को पूरा करने की दिशा में डीओएफ और ओएनडीसी के बीच एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन है।
  • ओएनडीसी के साथ मत्स्य पालन विभाग का यह सहयोग क्रांति लाने के लिए एक अभूतपूर्व पहल होगी और यह पहल मूल्यवर्धित मत्स्य पालन से संबंधित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच भी प्रदान करेगी, जो उत्पादकों को उच्च मार्जिन हासिल करने और अपने उत्पाद की पेशकश में विविधता लाने की अनुमति देगी।
  • यह कार्यक्रम एक व्यापक दृष्टिकोण की परिकल्पना करता है जो यह सुनिश्चित करेगा कि छोटे स्तर के मछुआरों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को बाजार के अवसरों तक समान पहुंच मिले, सामाजिक समावेशन और समान आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले।
  • सरकार मत्स्य पालन क्षेत्र को व्यापक तरीके से बदलने और नीली क्रांति, प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और विभिन्न अन्य कार्यक्रमों जैसी योजनाओं एवं पहलों के माध्यम से आर्थिक उत्थान और समृद्धि लाने में हमेशा सबसे आगे रही है।
  • वैश्विक मछली उत्पादन में 8 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ, भारत झींगा उत्पादक में पहला सबसे बड़ा, जलीय कृषि उत्पादक में दूसरा सबसे बड़ा, तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और मछली एवं मत्स्य पालन उत्पादों के निर्यात में चौथा सबसे बड़ा देश है।

3. नीति आयोग ने ‘भारत में वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल में सुधार करना: वरिष्ठ नागरिक देखभाल प्रतिमान की पुनर्कल्पना’ नामक स्थिति पत्र जारी किया:

  • नीति आयोग ने 16 फरवरी, 2024 को “भारत में नागरिकों की देखभाल में सुधार करना: वरिष्ठ नागरिक देखभाल प्रतिमान की पुनर्कल्पना” शीर्षक से एक स्थिति पत्र जारी किया।
  • इस रिपोर्ट को नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद के. पॉल, सीईओ बी वी आर सुब्रमण्यम और सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव की उपस्थिति में जारी किया गया।
  • इस रिपोर्ट का जारी होना विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता की दिशा में उठाया गया एक कदम है।
  • वरिष्ठ नागरिक देखभाल के लिए प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोग को व्यापक रूप से प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। अब चिकित्सा और सामाजिक आयामों के अलावा वरिष्ठ नागरिक देखभाल के विशेष आयामों के बारे में सोचना शुरू करने का समय आ गया है।
  • यह वह समय है जब उम्र बढ़ने को गरिमा से प्रेरित, सुरक्षित और सकारात्‍मक बनाने पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए।
  • हमें बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनकी भलाई तथा देखभाल पर अधिक जोर देने की जरूरत है।
  • बढ़ती उम्र में स्वस्थ रहने के लिए एक इकोसिस्‍टम विकसित करने में परिवार और पारिवारिक मूल्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • यह रिपोर्ट भारत में स्वस्थ उम्र बढ़ने के लिए उचित नीति निर्देश सामने लाई हैं।
  • रिपोर्ट वरिष्ठ नागरिक देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है, इस बारे में कार्रवाई करने का आह्वान करती है।
  • इस स्थिति पत्र में की गई सिफारिशें सशक्तिकरण, सेवा वितरण और चार मुख्य क्षेत्र – स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक/वित्तीय और डिजिटल के तहत उनके समावेशन के संदर्भ में आवश्यक विशिष्ट हस्तक्षेपों को वर्गीकृत करती हैं।
  • यह वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती चिकित्सा और गैर-चिकित्सा आवश्यकताओं को पहचानकर वरिष्ठ नागरिक देखभाल की सीमाओं को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है, इस प्रकार यह एक प्रभावी और समन्वित वरिष्ठ देखभाल नीति को तैयार करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति की कल्पना करता है।

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