विषयसूची:
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1. लघु हिम युग (एलआईए) आर्द्र था और समान रूप से शीतल एवं शुष्क नहीं था:
सामान्य अध्ययन: 1,3
भूगोल,पर्यावरण:
विषय: अति महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल स्रोत और हिमवारण सहित) और वनस्पति एवं प्राणी जगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों का प्रभाव। पर्यावरण एवं संरक्षण।
प्रारंभिक परीक्षा: लघु हिम युग (LIA),पश्चिमी घाट क्षेत्र, आर्द्र नम/अर्ध-सदाबहार-शुष्क उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन,दक्षिण पश्चिम ग्रीष्मकालीन मानसून (एसडब्ल्यूएम), पूर्वोत्तर शीतकालीन मानसून (एनईएम)।
प्रसंग:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान (बीएसआईपी) द्वारा भारत के पश्चिमी घाट से 1219-1942 के मध्य पराग वनस्पति गतिशीलता एवं समकालीन जलवायु परिवर्तन और मानसूनी परिवर्तनशीलता का एक अध्ययन किया गया था। इसमें आर्द्र लघु हिमयुग एलआईए का रिकॉर्ड दिखाया गया।
उद्देश्य:
- वर्ष 1671-1942 के मध्य हुई एक वैश्विक जलवायु घटना, लघु हिम युग (एलआईए) का एक नया अध्ययन, जो उस युग में वर्षा के प्रकार में महत्वपूर्ण बदलाव दिखाता है, इस लघु हिम युग के दौरान कम मानसूनी वर्षा के साथ समान रूप से शीतल एवं शुष्क जलवायु की पारंपरिक धारणा को चुनौती देता है।
विवरण:
- पश्चिमी घाट क्षेत्र में जून से सितंबर के दौरान दक्षिण पश्चिम ग्रीष्मकालीन मानसून (एसडब्ल्यूएम) और अक्टूबर से दिसंबर के दौरान पूर्वोत्तर शीतकालीन मानसून (एनईएम) दोनों का अनुभव होता है।
- ऐसे क्षेत्र से वनस्पति पनपने की उस गतिशीलता और संबंधित जल-जलवायु परिवर्तनशीलता को समझना, जो एसडब्ल्यूएम और एनईएम दोनों से प्रभावित था, पिछली सहस्राब्दी के दौरान मानसूनी परिवर्तनशीलता को समझने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
- वैज्ञानिकों ने कर्नाटक में होन्नामनाकेरे झील के मध्य से मुख्य तलछट के नमूने खोजे और भारत के पश्चिमी घाट क्षेत्र से 1219-1942 ई. के दौरान वनस्पति-आधारित जलवायु परिवर्तन और मानसूनी परिवर्तनशीलता के पुनर्निर्माण के लिए उनमें जमा पराग कणों का विश्लेषण किया।
- इस अध्ययन क्षेत्र से मुख्य रूप से आर्द्र नम/अर्ध-सदाबहार-शुष्क उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन रिकॉर्ड किए गए।
- कैटेना पत्रिका में प्रकाशित उनके अध्ययन से पता चला है कि भारत के पश्चिमी घाट से लघु हिम युग के दौरान आर्द्र/नम स्थितियों के प्रमाणों का रिकॉर्ड, संभवतः उत्तरपूर्वी मानसून में वृद्धि के कारण था।
- इसके अलावा यह आर्द्र लघु हिम युग नम जल-जलवायु में विरोधाभास को दर्शाता है।
- वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि अंतर-उष्णकटिबंधीय सम्मिलन क्षेत्र (आईटीसीजेड) के उत्तर की ओर बढ़ने, सकारात्मक तापमान विसंगतियों, सौर धब्बों की संख्या में वृद्धि और उच्च सौर गतिविधि के कारण भी जलवायु परिवर्तन हो सकता है और दक्षिणी पश्चिमी मानसून (एसडब्ल्यूएम ) में वृद्धि हो सकती है।
- उन्होंने लघु हिमयुग के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून (आईएसएम) के सबसे दुर्बल चरण को सामान्य रूप से आईटीसीजेड के दक्षिण की ओर स्थानांतरित होने के लिए उत्तरदायी ठहराया, जो ठंडे उत्तरी गोलार्ध के दौरान भूमध्य रेखा के पार उत्तर की ओर ऊर्जा प्रवाह में वृद्धि के चलते हुआ था।
- वर्तमान अध्ययन में उत्पन्न उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले पुराजलवायु अभिलेख (पेलियोक्लाईमेटिक रिकॉर्ड) भविष्य के जलवायु संबंधी पूर्वानुमानों के लिए पुराजलवायु मॉडल विकसित करने और वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ नीति योजना बनाने के लिए भी सहायक हो सकते हैं।
- अभिनव युग (होलोसीन) के दौरान जलवायु परिवर्तन और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून परिवर्तनशीलता का ज्ञान और समझ वर्तमान आईएसएम-प्रभावित जलवायु परिस्थितियों के साथ ही भविष्य के संभावित जलवायु रुझानों और अनुमानों की समझ को सुद्रढ़ करने के लिए अत्यधिक रुचिकर हो सकती है।
चित्र स्रोत: PIB
चित्र: कोडागु जिला, बैंगलोर (कर्नाटक राज्य), पश्चिमी घाट, भारत का शटल रडार स्थलाकृतिक(टोपोग्राफिक) मिशन (एसआरटीएम) डिजिटल उन्नयन मानचित्र (डीईएम) उस अध्ययन क्षेत्र का स्थान दिखा रहा है (जिसमे लाल तारा अध्ययन क्षेत्र दिखाया गया है) ( डी; निचला पैनल, दायां वाला), कर्नाटक राज्य को दर्शाने वाला भारत का भौगोलिक मानचित्र (ए; ऊपरी पैनल, बायां वाला); इनसेट, दाएँ: कर्नाटक राज्य का कोडागू जिले को दर्शाने वाला भौगोलिक मानचित्र है (बी; ऊपरी पैनल, दाएँ वाला, लाल सितारा चिह्न के साथ)। यह आंकड़ा एआरसीजीआईएस 10.3 का उपयोग करके सृजित किया गया था। (सी) एचकेएल सैंपलिंग साइट की अर्थ छवि(लाल घेरे में काला बिंदु) और भारत के पश्चिमी घाट बेंगलोर क्षेत्र (कर्नाटक राज्य) के कोडागु जिले में झील के केंद्र में मुख्य स्थान (निचला पैनल; बाएं एक, सफेद सितारा चिह्न) दिखा रही है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. आरईसी लिमिटेड को आपदा प्रबंधन में गोल्डन पीकॉक पुरस्कार से सम्मानित किया गया:
- विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम महारत्न कंपनी आरईसी लिमिटेड को आपदा प्रबंधन में असाधारण प्रदर्शन करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स (आईओडी) द्वारा प्रदत्त प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
- आपदा प्रबंधन हेतु गोल्डन पीकॉक पुरस्कार प्रभावी जोखिम मूल्यांकन रणनीतियों को लागू करने के लिए आरईसी की निरंतर प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है, जिससे प्रतिस्पर्धी व्यापार परिदृश्य में संगठन के सतत विकास एवं लचीलेपन में योगदान होता है।
- इस तरह से सम्मान और प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी विद्युत क्षेत्र के लिए इसके परिचालन में उत्कृष्टता एवं नवाचार के प्रति आरईसी की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।
- भारत में वर्ष 1991 के दौरान इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स (आईओडी) द्वारा स्थापित किये गए गोल्डन पीकॉक पुरस्कार कॉर्पोरेट उत्कृष्टता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित मानक के रूप में उभर कर सामने आए हैं।
- भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशन्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया की अध्यक्षता वाले जूरी पैनल द्वारा इस पुरस्कार के लिए आरईसी लिमिटेड का चयन किया गया था।
आरईसी लिमिटेड के बारे में जानकारी:
- आरईसी लिमिटेड एक गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था है जो पूरे भारत में विद्युत क्षेत्र के वित्तपोषण एवं विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करती है।
- वर्ष 1969 में स्थापित की गई आरईसी लिमिटेड ने अपने क्रियान्वयन के पचास वर्ष से अधिक का समय पूरा कर लिया है।
- यह राज्यों के बिजली बोर्डों, राज्य सरकारों, केंद्र व राज्य बिजली व्यवस्थाओं, स्वतंत्र बिजली उत्पादकों, ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों तथा निजी क्षेत्र से जनोपयोगी सेवा प्रदाताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- इसकी व्यावसायिक गतिविधियों में संपूर्ण बिजली क्षेत्र पर आधारित मूल्य श्रृंखला में अधिकतम परियोजनाओं जैसे उत्पादन, पारेषण, वितरण और नवीकरणीय ऊर्जा सहित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के लिए वित्तपोषण करना शामिल है।
- आंकड़ों के अनुसार आरईसी द्वारा उपलब्ध कराई गई वित्तीय मदद से भारत में हर चौथा बल्ब प्रकाशमय होता है।
- आरईसी लिमिटेड ने हाल ही में बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के वित्तपोषण में भी सेवाएं प्रारंभ की हैं।
2. दूसरे एमसीए बार्ज, एलएसएएम 8 (यार्ड 76) की डिलीवरी:
- भारत सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” पहल के अनुरूप, ’08एक्स मिसाइल कम एम्युनिशन(एमसीए) बार्ज’ के निर्माण और वितरण के लिए एमएसएमई, मेसर्स एसईसीओएन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, विशाखापत्तनम के साथ अनुबंध संपन्न हुआ।
- श्रृंखला का दूसरा बार्ज एलएसएएम 8 (यार्ड 76) 19 अक्टूबर 23 को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है।
- बार्ज को भारतीय शिपिंग रजिस्टर (आईआरएस) के वर्गीकरण नियमों के तहत 30 साल की सेवा जीवन के साथ बनाया गया है।
- स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त सभी प्रमुख और सहायक उपकरणों/प्रणालियों के साथ, बार्ज को रक्षा मंत्रालय की “मेक इन इंडिया” पहल का गौरव प्राप्त है।
- एमसीए बार्ज के शामिल होने से घाटों और बाहरी बंदरगाहों पर भारतीय नौसेना के जहाजों के लिए सामान/गोला-बारूद के परिवहन, एम्बार्केशन और डिसएम्बार्केशन की सुविधा प्रदान करके भारतीय नौसेना की परिचालन प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा मिलेगा।
3. प्रधानमंत्री ने विश्व के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन पर जीत हासिल करने के लिए कार्तिकेयन मुरली की सराहना की:
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कतर मास्टर्स 2023 प्रतियोगिता में विश्व के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन पर जीत हासिल करने के लिए कार्तिकेयन मुरली की सराहना की है।
- भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर कार्तिकेयन मुरली ने विश्व के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराकर एक खास उपलब्धि हासिल की है।
- 24 वर्षीय खिलाडी मुरली ने दुनिया के नंबर एक शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल चेस में हराया है। वह ऐसा करने वाले तीसरे भारतीय बन गए हैं।
- उनसे पहले भारत के पेंटाला हरिकृष्णा ने 2005 में कार्लसन को हराया था, तब कार्लसन 14 साल के थे, और विश्वनाथन आनंद कार्लसन को हराने वाले एकमात्र अन्य भारतीय खिलाड़ी थे।
- कार्तिकेयन ने कतर मास्टर्स 2023 टूर्नामेंट के सातवें दौर में जीत हासिल की, जहां उन्होंने काले मोहरों से खेलते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया।
- इस महत्वपूर्ण जीत के साथ वह टूर्नामेंट में एसएल नारायण, जावोखिर सिंदारोव, डेविड परव्यान, अर्जुन एरिगैसी और नोदिरबेक याकुबोएव जैसे अन्य प्रमुख खिलाड़ियों की श्रेणी में शामिल हो गए, जिनमें से सभी ने 7 में से 5.5 का उल्लेखनीय स्कोर हासिल किया।
- तमिलनाडु के तंजावुर के रहने वाले मुरली दो बार के राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं।
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