विषयसूची:
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13वाँ त्रैवार्षिक बाथो महासभा सम्मेलन
सामान्य अध्ययन: 1
भारतीय संस्कृति
विषय: प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के मुख्य पहलू।
प्रारंभिक परीक्षा: बाथो धर्म; दुलाराई बाथो गौथूम।
प्रसंग:
- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 20 जनवरी को असम के तेज़पुर में 13वें त्रैवार्षिक बाथो महासभा सम्मेलन को संबोधित किया।
विवरण:
- अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि भारत अनेक धर्मों वाला देश है और बाथो धर्म परंपरागत सनातन धर्म के साथ ही पला बढ़ा है और भारत का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- उन्होंने कहा कि 1962 में गुवाहाटी में दुलाराई बाथो गौथूम की स्थापना हुई और तब से यह बोडो समुदाय और बाथो धर्म के लिए काम कर रहा है। श्री शाह ने कहा कि इस महासभा ने बाथो धर्म को बोडो समुदाय के बीच व्यावहारिक और वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ जीवन शैली में प्रतिबिंबित कर रखने का काम किया है।
- केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वे बाथो महासभा के आध्यात्मिक दृष्टिकोण यानी धर्म, अहिंसा, शांति, क्षमा और प्रेम के माध्यम से पूरे विश्व और विशेषकर हमारे उत्तरपूर्व की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि बाथो समुदाय के बारे में वो ही जान सकते हैं जो बाथो धर्म का अर्थ जानते हैं।
- उन्होंने कहा कि बा का अर्थ पांच और थो का अर्थ गहरा होता है अर्थात पांच तत्वों के विज्ञान और उनके गहरे रहस्य को समझने की प्रक्रिया। उन्होंने कहा कि बोडो के बाथो धर्म का मूल सिद्धांत है पांच तत्वों को एक साथ एकता का संदेश देना।
- उन्होंने कहा कि बाथो धर्म के दर्शन के अनुसार बोराई बाथो ब्रह्मांड में व्याप्त है। श्री शाह ने कहा कि पांच तत्वों का यह दर्शन प्रकृति की पूजा का दर्शन है और इसी के आधार पर बाथो धर्म का झंडा भी बना है। श्री शाह ने कहा कि बाथो ध्वज और धर्म, दोनों पांच तत्वों की पूजा का संदेश देते हैं।
- श्री अमित शाह ने कहा कि इस धर्म के आध्यात्मिक संदेश बोथोइज़्म के पांच नैतिक संदेश पूरे देश और दुनिया का मार्गदर्शन करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि पवित्र अनुभूति, पवित्र अभ्यास, प्रेम, सत्य और नफरत के त्याग पर इन 5 मूल संदेशों के आधार पर ही बाथो धर्म आगे बढ़ रहा है।
- उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार और असम सरकार सभी धर्मों को मजबूती देने के प्रति कटिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां प्रकृति से बढ़कर कुछ नहीं होता है और प्रकृति की पूजा करने वाले हमारे धर्मों, विशेषकर पूर्वोत्तर में, के संरक्षण और संवर्धन के लिए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
- केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बोडो आंदोलन का एक बहुत बड़ा इतिहास रहा है और बोडो लोगों ने अपनी संस्कृति को बचाने के लिए बहुत संघर्ष किया है।
- श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी के कार्यकाल में पूरे पूर्वोत्तर में हिंसा की घटनाओं में 73%, सुरक्षाबलों की मृत्यु में 71% और नागरिकों की मृत्यु में 86% की कमी आई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में नौ शांति समझौते किए हैं और लगभग 9000 युवा हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा 27 जनवरी, 2020 को किए गए समझौते के कारण 1600 से अधिक युवा समाज की मुख्यधारा में आए।
- उन्होंने कहा कि सरकार ने बोडो कछारी कल्याण स्वायत्त परिषद का गठन कर दिया है और अब स्थानीय भाषा बोडो को असम की सहयोगी भाषा के रूप में राज्य सरकार ने मान्यता देने का काम किया है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने भुवनेश्वर में अत्याधुनिक ‘आयुष दीक्षा’ केंद्र की आधारशिला रखी:
- केंद्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने 20 जनवरी को भुवनेश्वर में भविष्य के आयुष पेशेवरों के लिए मानव संसाधन विकास के लिए अपनी तरह के पहले केंद्र ‘आयुष दीक्षा’ की आधारशिला रखी। यह अत्याधुनिक केंद्र केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर के परिसर में विकसित किया जाएगा।
- इस अवसर पर श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में आयुष अभियान को काफी प्रसिद्धि मिली है और हम एक एकीकृत चिकित्सा दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहे हैं जहां आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ-साथ एक सशक्त आयुष चिकित्सा प्रणाली का भी उपयोग किया जाएगा।
- उन्होंने कहा कि आज हम यहां आयुष दीक्षा केंद्र की यात्रा शुरू कर रहे हैं, यह केंद्र आयुष पेशेवरों को अपने कौशल को निखारने और देश के लोगों को विश्वस्तरीय रोगी देखभाल सेवाएं प्रदान करने में उनकी निपुणता को बढ़ाने में सहयोग करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह केंद्र जबरदस्त आयुष अभियान और स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन अनुभव की दिशा में वैश्विक अभियान के प्रयास के लिए प्रेरक साबित होगा।
- यह संस्थान आयुष पेशेवरों, विशेष रूप से आयुर्वेद से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराएगा, क्योंकि इसका उद्देश्य क्षमता विकास, मानव संसाधनों को मजबूत करने, अनुसंधान और विकास की सुविधा प्रदान करने, राजस्व उत्पन्न करने के उद्देश्य से आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करना है।
- रॉयल नेवी के युद्धपोत HMS स्पाई की कोच्चि यात्रा:
- रॉयल नेवी का खुले समुद्र में विचरण करने वाला एक अपतटीय गश्ती जहाज HMS स्पाई 17 से 27 जनवरी 2024 तक कोच्चि की सद्भावना यात्रा पर है। रॉयल नेवी के कर्मियों ने INS सुनैना का दौरा किया और दोनों नौसेनाओं के बीच सामंजस्य तथा पारस्परिकता बढ़ाने की दिशा में सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा किया।
- समुद्री प्रशिक्षण मुख्यालय (HQST) की एक टीम ने रॉयल नेवी के युद्धपोत HMS स्पाई की कोच्चि यात्रा के दौरान इस जहाज पर बल के सुरक्षा प्रयासों, हो सकने वाली क्षति पर नियंत्रण और अग्निशमन उपायों हेतु प्रशिक्षण मॉड्यूल का संचालन किया।
- इस तरह के अभ्यासों से समुद्री प्रशिक्षण मुख्यालय तथा HMS स्पाई की टीमों को दोनों देशों की नौसेनाओं द्वारा अपनाई जाने वाली सामरिक प्रक्रियाओं एवं कार्य प्रणालियों को समझने में मदद मिली। पेशेवर तरीके से हुए इस आदान-प्रदान ने समुद्री सुरक्षा और प्रशिक्षण में आपसी सहयोग के महत्व पर बल देते हुए नौसेना को सशक्त करके साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों की नौसेनाओं की प्रतिबद्धता का उदाहरण दिया।
- डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और क्यूबा के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:
- 19 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली में डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और क्यूबा गणराज्य के संचार मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- इसका उद्देश्य दोनों देशों के डिजिटल ईकोसिस्टम को पारस्परिक रूप से सहयोग प्रदान करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और अन्य सहयोगी गतिविधियों के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन (अर्थात् इंडिया स्टैक) को बढ़ावा देना है।
- भारत डिजिटल परिवर्तन पर विकास साझेदारी के आधार पर क्यूबा के साथ सहयोग करेगा, जिससे क्यूबा में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को सुचारू रूप से अपनाया जा सके।
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