विषयसूची:
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1. ‘डिजिटल गवर्नमेंट सीनियर लीडर्स प्रोग्राम का आयोजन:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: डिजिटल गवर्नमेंट सीनियर लीडर्स प्रोग्राम।
प्रसंग:
- केन्द्र सरकार और आठ राज्यों/केन्द्र- शासित प्रदेशों के 21 अधिकारियों की भागीदारी के साथ 20-25 नवंबर, 2023 के दौरान आईआईएम-बैंगलोर के सहयोग से एक डिजिटल गवर्नमेंट सीनियर लीडर्स प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है।
उद्देश्य:
- इस छह-दिवसीय गहन कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को सरकारी क्षेत्र में हो रहे डिजिटल परिवर्तन की जटिलताओं को सुलझाने और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए आवश्यक ज्ञान एवं कौशल से लैस करना है।
विवरण:
- यह कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन द्वारा इसकी क्षमता निर्माण योजना के तहत आयोजित किया गया है और इसे डिजिटल सरकार की अवधारणा – इसके लाभ और सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति, नागरिकों के साथ जुड़ाव एवं संगठनात्मक प्रभावशीलता; ई-गवर्नेंस की बड़ी परियोजनाओं के प्रबंधन से जुड़े समसामयिक मुद्दे, परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन पर संभावित प्रभाव और सामने आने वाली चुनौतियों से अवगत कराने के लिए डिजाइन किया गया है।
- अगस्त 2022 में शुरुआत की गई श्रृंखला का यह तीसरा ऐसा कार्यक्रम है जिसे उत्सावर्द्धक प्रतिक्रिया मिली है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ का 36वाँ वार्षिक सम्मेलन:
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की बारीपदा, ओडिशा में अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ के 36वें वार्षिक सम्मेलन और साहित्यिक महोत्सव के उद्घाटन सत्र में गरिमामयी उपस्थिति रही।
- इस अवसर पर राष्ट्रपति ने संथाली भाषा और साहित्य में योगदान दे रहे लेखकों और शोधकर्ताओं की प्रशंसा की।
- अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ 1988 में अपनी स्थापना से ही संथाली भाषा को बढ़ावा दे रहा है।
- 22 दिसंबर, 2003 को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में संथाली भाषा का उपयोग बढ़ गया है।
- पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
- राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि अधिकांश संथाली साहित्य मौखिक परंपरा में उपलब्ध है।
- पंडित रघुनाथ मुर्मु ने न केवल ओल चिकी लिपि का आविष्कार किया है, बल्कि उन्होंने संथाली भाषा को ‘बिदु चंदन’, ‘खेरवाल बीर’, ‘दारगे धन’, ‘सिदो-कान्हू-संथाल हूल’ जैसे नाटकों की रचना करके और भी समृद्ध किया है।
- दमयंती बेसरा और काली पदा सारेन – जो खेरवाल सारेन के नाम से लोकप्रिय है – उन्हें शिक्षा और साहित्य के लिए क्रमशः 2020 और 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि लेखक समाज के सजग प्रहरी होते हैं।
- वे अपने कार्यों से समाज को जागरूक करते हैं और उसका मार्गदर्शन करते हैं।
- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अनेक साहित्यकारों ने हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को राह दिखाई थी।
- उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासी समुदाय के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य है।
- उन्होंने कहा कि निरंतर जागरूकता से ही सशक्त एवं जीवंत समाज का निर्माण संभव है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य किसी समुदाय की संस्कृति का दर्पण होता है।
- उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी जीवनशैली में प्रकृति के साथ मनुष्य का स्वाभाविक सह-अस्तित्व दिखता है।
- उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदायों का मानना है कि जंगल उनका नहीं है बल्कि वे जंगल से संबंध रखते हैं।
- उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या है और इस समस्या से निपटने के लिए प्रकृति के अनुकूल जीवन बहुत महत्वपूर्ण है ताकि इन मुद्दों से निपटा जा सके।
- उन्होंने लेखकों से आदिवासी समुदायों की जीवन शैली के बारे में लिखने का आग्रह किया जिससे अन्य लोगों को भी आदिवासी समाज के जीवन मूल्यों के बारे में पता चल सके।
- राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं और साहित्य का एक सुंदर उद्यान है।
- संथाली भाषा के पाठकों को अनुवाद के माध्यम से अन्य भाषाओं के साहित्य से भी परिचित कराया जाना चाहिए।
- उन्होंने संथाली साहित्य को अन्य भाषाओं के पाठकों तक पहुंचाने के लिए इसी तरह के प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
- राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चों को शुरू से ही ‘सेल्फ स्टडी’ में व्यस्त रखने की जरूरत है।
- उन्होंने मनोरंजक और बोधगम्य बाल साहित्य का सृजन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- उन्होंने कहा कि न केवल संथाली साहित्य बल्कि सभी भारतीय भाषाओं में रोचक बाल साहित्य सृजन पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
2. मिसाइल सह गोला बारूद (एमसीए) बार्ज नौका एलएसएएम 10 (यार्ड 78) का जलावतरण:
- भारतीय नौसेना के लिए एमएसएमई शिपयार्ड, विशाखापत्तनम की मेसर्स सेकॉन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीपीएल) द्वारा निर्मित 08 x मिसाइल सह गोला बारूद परियोजना की चौथी बार्ज नौका ‘मिसाइल सह गोला बारूद बार्ज, एलएसएएम 10 (यार्ड 78)’ का जलावतरण 20 नवंबर 2023 को आंध्र प्रदेश में गुट्टेनादेवी, पूर्वी गोदावरी से (मैसर्स एसईपीपीएल का जलावतरण स्थल) किया गया।
- कमोडोर शनमुगम सबेसन, सीआरओ (पूर्व) ने इस विशिष्ट समारोह की अध्यक्षता की।
- 08 x मिसाइल सह गोला बारूद बार्ज नौकाओं के निर्माण के लिए रक्षा मंत्रालय और मेसर्स सेकॉन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, विशाखापत्तनम के बीच 19 फरवरी 2021 को अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- इन बार्ज नौकाओं की उपलब्धता परिवहन, आवश्यक सामान को लाने-ले जाने और चढ़ाने-उतारने की सुविधा प्रदान करके भारतीय नौसेना की परिचालन गतिविधियों को तेजी प्रदान करेगी।
- समुद्र तट के पास तथा बाहरी बंदरगाहों पर भारतीय जहाजों के लिए सामान/गोला-बारूद की आपूर्ति भी इससे सुनिश्चित की हो सकेगी।
- ये नौकाएं नौसेना नियमों के लिए प्रासंगिकऔर भारतीय नौवहन रजिस्टर (आईआरएस) के विनियमन के तहत स्वदेशी रूप से डिजाइन तथा निर्मित किए गए हैं।
- डिजाइन चरण के दौरान बार्ज नौका का मॉडल परीक्षण विशाखापत्तनम की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (एनएसटीएल) में किया गया था।
- ये बार्ज नौकाएं भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के गौरवशाली ध्वजवाहक हैं।
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