विषयसूची:
|
1.प्रेस और पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक लोकसभा में पारित:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023
मुख्य परीक्षा: प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत लोकसभा ने 21 दिसंबर 2023 प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 के औपनिवेशिक युग के कानून को निरस्त करते हुए प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 पारित कर दिया। यह विधेयक पहले ही मानसून सत्र में राज्यसभा में पारित हो चुका है।
उद्देश्य:
- इससे प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को इस प्रक्रिया को काफी तेज करने में मदद मिलेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रकाशकों, विशेषकर छोटे और मध्यम प्रकाशकों को अपना प्रकाशन शुरू करने में किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।
विवरण:
- ‘प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023’ के नए कानून में किसी भी कार्यालय में गए बिना ही ऑनलाइन प्रणाली के जरिए पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक आवंटन और पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल एवं समकालिक बना दिया गया है।
- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रकाशकों को अब जिला मजिस्ट्रेटों या स्थानीय अधिकारियों के पास संबंधित घोषणा को प्रस्तुत करने और इस तरह की घोषणाओं को प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं होगी।
- इसके अलावा, प्रिंटिंग प्रेसों को भी इस तरह की कोई घोषणा प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी; इसके बजाय केवल एक सूचना ही पर्याप्त होगी।
- वर्तमान में इस पूरी प्रक्रिया में 8 चरण शामिल थे और इसमें काफी समय लगता था।
- यह विधेयक, गुलामी की मानसिकता को खत्म करने एवं नए भारत के लिए नए कानून लाने की दिशा में एक और कदम को प्रतिबिंबित करता है।
- नए कानूनों के माध्यम से अपराध को समाप्त करना तथा व्यवसाय करने में आसानी व जीवन यापन में आसानी में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता रही है और तदनुसार, औपनिवेशिक युग के कानून को काफी हद तक अपराधमुक्त करने के प्रयास किए गए हैं।
- कुछ उल्लंघनों के लिए पहले की तरह अपराध सिद्ध करने के बजाय वित्तीय दंड का प्रस्ताव किया गया है।
- इसके अलावा, भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक विश्वसनीय अपीलीय व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।
- व्यवसाय करने में आसानी के पहलू पर जोर देते हुए कि स्वामित्व पंजीकरण प्रक्रिया, जिसमें कभी-कभी 2-3 साल लग जाते थे, अब 60 दिनों में पूरी की जाएगी।
- 1867 का कानून ब्रिटिश राज की विरासत थी, जिसका उद्देश्य प्रेस एवं समाचार पत्रों और पुस्तकों के मुद्रकों और प्रकाशकों पर पूर्ण नियंत्रण रखना था, साथ ही विभिन्न उल्लंघनों के लिए कारावास सहित भारी जुर्माना और दंड भी देना था।
- यह महसूस किया गया कि आज के स्वतंत्र प्रेस युग और मीडिया की स्वतंत्रता को बनाए रखने की सरकार की प्रतिबद्धता में, यह पुराना कानून वर्तमान मीडिया के परिदृश्य से पूरी तरह से मेल नहीं खाता है।
2. गुणक-प्रभावों (मल्टीप्लायर इफेक्ट्स) के माध्यम से रोजगार उत्पन्न करने के लिए की गईं पहलें:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने प्रगति,विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीरियाडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे- पीएलएफएस), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (वर्कर्स पापुलेशन रेशियी -डब्ल्यूपीआर)।
मुख्य परीक्षा: गुणक-प्रभावों (मल्टीप्लायर इफेक्ट्स) के माध्यम से रोजगार उत्पन्न करने के लिए की गईं पहलों पर टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीI) 2017-18 से आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीरियाडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे- पीएलएफएस) के माध्यम से रोजगार और बेरोजगारी पर डेटा एकत्र करता है।
उद्देश्य:
- नवीनतम उपलब्ध वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति पर अनुमानित श्रमिक जनसंख्या अनुपात (वर्कर्स पापुलेशन रेशियी -डब्ल्यूपीआर) क्रमशः 52.9% और 56.0% था, जो रोजगार की वर्षों से बढ़ती प्रवृत्ति का संकेत देता है।
विवरण:
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (एम्प्लाइज प्रोविडेंट फंड आर्गेनाईजेशन-ईपीएफओ) का डेटा औपचारिक क्षेत्र के मध्यम और बड़े प्रतिष्ठानों के श्रमिकों को कवर करता है।
- ईपीएफओ सितंबर, 2017 से अपना मासिक भुगतान (पेरोल) डेटा प्रकाशित कर रहा है जो औपचारिक क्षेत्र में रोजगार के स्तर का संकेत देता है।
- 2022-23 के दौरान, ईपीएफ अंशदाताओं में शुद्ध वृद्धि 2021-22 के दौरान 1.22 करोड़ की तुलना में बढ़कर 1.38 करोड़ हो गई है।
- रोजगार सृजन के साथ रोजगार क्षमता में सुधार लाना सरकार की प्राथमिकता है। तदनुसार, भारत सरकार ने देश में रोजगार सृजन करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।
- बुनियादी ढांचे और उत्पादक क्षमता में निवेश का विकास और रोजगार पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
- 2023-24 के बजट में पूंजी निवेश परिव्यय को लगातार तीसरे वर्ष 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत होगा।
- हाल के वर्षों में यह पर्याप्त वृद्धि विकास क्षमता और रोजगार सृजन को बढ़ाने के सरकार के प्रयासों का केंद्र है।
- भारत सरकार ने व्यापार को प्रोत्साहन देने और कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है।
- इस पैकेज के तहत सरकार सत्ताईस लाख करोड़ रुपये से अधिक का राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।
- इस पैकेज में देश को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विभिन्न दीर्घकालिक योजनाएं/कार्यक्रम/नीतियां शामिल हैं।
- नए रोजगार के सृजन और कोविड-19 महामारी के दौरान रोजगार के नुकसान की बहाली के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) 1 अक्टूबर, 2020 से शुरू की गई थी।
- सरकार 01 जून, 2020 से प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि [पीएम स्वनिधि (एसवीएनआईडीएचआई) योजना) को लागू कर रही है जिससे कि रेहड़ी पटरी विक्रेताओं (स्ट्रीट वेंडरों) को अपने उन व्यवसायों को फिर से शुरू करने के लिए संपार्श्विक मुक्त कार्यशील पूंजी ऋण (कोलैटरल फ्री वर्किंग कैपिटल) की सुविधा मिल सके जिन पर कोविड-19 महामारी के दौरान प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था।
- देश भर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को प्रारम्भ -से – अंत तक (एंड-टू-एंड) सहायता प्रदान करने के लिए 17 सितंबर, 2023 को प्रधानमंत्री (पीएम) विश्वकर्मा योजना शुरू की गई थी।
- इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा अथवा अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित अभ्यास को सुदृढ़ और पोषित करना है।
- पीएम विश्वकर्मा का मुख्य केंद्र बिंदु कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ ही जुड़ें।
- सरकार द्वारा स्वरोजगार की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) शुरू की गई थी।
- पीएमएमवाई के अंतर्गत 10 लाख रुपये तक के संपार्श्विक मुक्त ऋण सूक्ष्म/लघु व्यवसाय उद्यमों और व्यक्तियों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को स्थापित करने या विस्तारित करने में सक्षम बनाने के लिए प्रदान किए गए हैं।
- 2021-22 से शुरू होने वाले 5 वर्षों की अवधि के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं (पीएलआई) सरकार द्वारा 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ कार्यान्वित की जा रही हैं और इनमें 60 लाख नई नौकरियां पैदा करने की क्षमता है।
- पीएम गतिशक्ति आर्थिक वृद्धि और सतत विकास के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है। यह दृष्टिकोण सात इंजनों द्वारा संचालित है, अर्थात्, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन, जलमार्ग और रसद अवसंरचना।
- यह दृष्टिकोण स्वच्छ ऊर्जा और सबका प्रयास द्वारा संचालित है जिससे सभी के लिए बड़ी नौकरी और उद्यमशीलता के अवसर पैदा होते हैं।
- सरकार स्टार्टअप इंडिया पहल के अंतर्गत विभिन्न पहलों को लागू कर रही है, जिसे देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम में नवाचार, स्टार्टअप और निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के लिए 16 जनवरी 2016 को शुरू किया गया था।
- मेक इन इंडिया पहल 25 सितंबर 2014 को शुरू की गई थी जिससे कि निवेश के साथ- साथ नवाचार को बढ़ावा दिए जाने के अतिरिक्त एक सर्वोत्तम बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा सके और भारत को विनिर्माण, डिजाइन और नवाचार का केंद्र बनाया जा सके।
- एक मजबूत विनिर्माण क्षेत्र (रोबस्ट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर) का विकास भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है।
- अपनी शुरुआत के बाद से ही मेक इन इंडिया पहल ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं और वर्तमान में मेक इन इंडिया 2.0 जिसे विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों में लागू किया जा रहा है’ के अंतर्गत 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- भारत सरकार रोजगार सृजन के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस), पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई), ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान (रूरल सेल्फ एम्प्लॉयमेंट एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट -आरएसईटीआई) और दीन दयाल अंतोदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) आदि जैसी योजनाओं पर पर्याप्त निवेश और सार्वजनिक व्यय वाली विभिन्न परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर रही है ।
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय कौशल भारत मिशन के अंतर्गत देश भर में युवाओं के कौशल आधारित प्रशिक्षण, जिसमे ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित युवाओं के लिए अल्पकालिक प्रशिक्षण (शार्ट टर्म ट्रेनिंग-एसटीटी) पाठ्यक्रम और पूर्व शिक्षा की मान्यता (रिकोग्निशन ऑफ़ प्री लर्निंग- आरपीएल) शामिल हैं, के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) लागू कर रहा है।
- इन पहलों के अलावा, सरकार के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रम जैसे स्टैंड-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया आदि भी देश में रोजगार के अवसर पैदा करने की ओर उन्मुख हैं।
- इन सभी पहलों से सामूहिक रूप से गुणक-प्रभावों (मल्टीप्लायर इफेक्ट्स) के माध्यम से मध्यम से लंबी अवधि में रोजगार उत्पन्न होने की पूरी सम्भावना है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. राष्ट्रीय महत्व के स्मारक:
- देश में 3,697 प्राचीन स्मारक, पुरातात्विक स्थल और अवशेष राष्ट्रीय महत्व के घोषित किए गए हैं।
- इसका ब्यौरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की वेबसाइट पर दिया गया है।
- स्मारकों और स्थलों की घोषणा प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 4 के अंतर्गत की जाती है।
- केंद्र सरकार किसी भी प्राचीन स्मारक को, जो पुरातात्विक, ऐतिहासिक या वास्तुशिल्प रूप से राष्ट्रीय महत्व के होने की योग्यता रखता है, जनता से विचार/आपत्तियां आमंत्रित करके दो महीने का नोटिस देती है और स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के अपने इरादे की अधिसूचना जारी करती है।
- निर्धारित अवधि में प्राप्त विचारों/आपत्तियों पर विचार करने के बाद, केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना प्रकाशित करके प्राचीन स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर सकती है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ओडिशा सहित पूरे देश में आवश्यकता, प्राथमिकता और संसाधनों के अनुसार राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों और पुरातत्वीय स्थलों और अवशेषों का संरक्षण, बचाव और रखरखाव करता है।
- इसके अलावा, स्मारकों में बुनियादी सुविधाएं और आगंतुक सुविधाएं जैसे रास्ता, संकेतक, आगंतुक बेंच, दिव्यांगों के लिए सुविधाएं, ध्वनि एवं प्रकाश शो, रोशनी, स्मारिका की दुकानें आदि प्रदान की जाती हैं।
- इसके अलावा, स्मारकों में और उनके आस-पास भूदृश्य निर्माण और पर्यावरणीय विकास निरंतर चलने वाला कार्य है।
2. मौसम विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में एआई का उपयोग:
- मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में मौसम, जलवायु और महासागरों के पूर्वानुमान के कौशल में सुधार के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस -एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने एक समर्पित एआई और एमएल आभासी केंद्र (वर्चुअल सेंटर) की स्थापना की है, जिसे कार्यशालाओं और सम्मेलनों का आयोजन करके विभिन्न एआई और एमएल तकनीकों और क्षमता निर्माण गतिविधियों के विकास और परीक्षण का काम सौंपा गया है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) में रेखा-चित्रीय (ग्राफिकल) प्रोसेसर-आधारित सर्वर पर एआई मॉडल के प्रशिक्षण और तैनाती के लिए एक कंप्यूटिंग वातावरण और आभासी कार्यस्थान (वर्चुअल वर्कस्पेस) स्थापित किया गया है।
मौसम पूर्वानुमान के अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में एआई और एमएल की उपलब्धियां और परिणाम नीचे दिए गए हैं:
- पूर्वाग्रह में कमी के साथ ही 1-दिन, 2-दिन और 3-दिन के लीड समय में छोटी दूरी की वर्षा के पूर्वानुमान में सुधार हुआ।
- तापमान और वर्षा के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन (300 मीटर) शहरी ग्रिडयुक्त मौसम संबंधी डेटा सेट विकसित किया गया।
- 1992-2023 की अवधि में 30 मीटर के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन के साथ समय-भिन्न सामान्यीकृत अंतर शहरीकरण सूचकांक विकसित किया गया।
- सत्यापन उद्देश्यों के लिए बहुत उच्च-रिज़ॉल्यूशन वर्षा डेटा सेट विकसित किए गए।
- डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) के डेटा का उपयोग करके वर्षा के तात्कालिक पूर्वानुमान (नाउकास्टिंग) के लिए गहन शिक्षण उपायों का पता लगाया जा रहा है।
- पृथ्वी विज्ञानं मंत्रालय की परिकल्पना है कि मौसम और जलवायु के कई पूर्वानुमान एआई / एलएम मॉडल और पारंपरिक संख्यात्मक मौसम भविष्यवाणी मॉडल के संयोजन की मिश्रित (हाइब्रिड) तकनीक पर आधारित होंगे।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के अधीन संस्थानों को पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में एआई और एमएल तकनीकी प्रगति का उपयोग करने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया गया है।
- इसे देखते हुए, मंत्रालय उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग एचपीसी) के बुनियादी ढांचे को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
- तदनुसार तटीय राज्यों में मछुआरों के लिए प्रजाति विशिष्ट संभावित मछली पकड़ने के क्षेत्र (पोटेंशियल फिशिंग जोन्स – पीएफजेड) सलाह तैयार करने के लिए एआई और एमएल आधारित डेटा संचालित मॉडलिंग की आवश्यकता है।
3. अंटार्कटिका में मैत्री-II केंद्र:
- भारत सरकार ने पूर्वी अंटार्कटिका में मौजूदा भारतीय अनुसंधान आधार मैत्री के पास एक नया अनुसंधान केंद्र तैयार करने का विचार बनाया है।
- इस नए अनुसंधान केंद्र के लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव कर लिया गया है। इससे संबंधित संपर्क मार्ग के लिए प्रारंभिक स्थलाकृतिक सर्वेक्षण कार्य जारी है।
इस कार्य योजना के पूरा होने की निर्धारित समय-सीमा का विवरण इस प्रकार है:
I. मुख्य योजना का विकास, सलाहकार की नियुक्ति और रूपरेखा बनाने का कार्य: 18 महीने।
II. निविदा का मसौदा तैयार करना तथा निविदा प्रक्रिया, अनुबंध देना और उस पर हस्ताक्षर करना, सलाहकारों द्वारा कार्यस्थल का सर्वेक्षण, साइट पर सड़क की कटान एवं निर्माण कार्य पूरा करना: 18 महीने।
III. मुख्य भूमि पर पूर्वनिर्माण/खरीद, केप टाउन/अंटार्कटिका/भारतीय सीमा से मुख्य कार्यस्थल तक परिवहन तथा निर्माण कंपनी द्वारा अंटार्कटिका में कार्य पूरा करने की तैयारी में लगने वाला समय: 18 महीने।
IV. निर्माण कंपनी द्वारा अंटार्कटिका में भारतीय सीमा से मुख्य कार्यस्थल और निर्माण तक अंतिम घटकों का परिवहन: 12 महीने।
V. निर्माण कार्य पूरा होना: जनवरी 2029
- भारत का मौजूदा अनुसंधान केंद्र ‘मैत्री’ बहुत पुराना हो चुका है।
- ऐसी स्थिति में नया अनुसंधान केंद्र बनाना आवश्यक हो गया है।
- प्रस्तावित परियोजना में अंटार्कटिका के लिए पर्यावरण प्रोटोकॉल के पालन और अंटार्कटिका में भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार की परिकल्पना की गई है।
4. ब्लैक टाइगर का संरक्षण:
- मेलानिस्टिक बाघ की उपस्थिति केवल ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में दर्ज की गई है।
- अखिल भारतीय बाघ अनुमान के 2022 चक्र के अनुसार, सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में 16 बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जिनमें से 10 मेलेनिस्टिक टाइगर थे।
- परिदृश्य स्तर पर स्रोत क्षेत्रों में टाइगर के पुनर्वास की दिशा में सक्रिय प्रबंधन के लिए एनटीसीए द्वारा एक मानक संचालन प्रक्रिया जारी की गई है।
- आनुवंशिक संरचना के आधार पर सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व की संरक्षण के लिए एक विशिष्ट आनुवंशिक समूह के रूप में पहचान की गई है।
- टाइगरों के संरक्षण, टाइगर और अन्य वन्यजीव संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने, आवास प्रबंधन, संरक्षण, पर्यावरण-विकास, मानव संसाधन विकास, स्वैच्छिक गांव स्थानांतरण के लिए सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के लिए केंद्रीय वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास (सीएसएस-आईडीडब्ल्यूएच) की चल रही केंद्र प्रायोजित योजना के तहत वित्तीय सहायता टाइगर रिज़र्व के वार्षिक संचालन के अनुसार स्वीकृत की जाती है जो वैधानिक टाइगर संरक्षण योजना से निर्गत होती है।
5. राष्ट्रीय हरित भारत मिशन:
- राष्ट्रीय हरित भारत मिशन वन आवरण की सुरक्षा, उसकी बहाली व संवर्द्धन और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत उल्लिखित आठ मिशनों में से एक है।
- राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (जीआईएम) जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत उल्लिखित आठ मिशनों में से एक है।
- इसका उद्देश्य चयनित भू-क्षेत्रों के तहत वन और गैर-वन क्षेत्रों में वृक्षारोपण गतिविधियों को शुरू करके भारत के वन आवरण की रक्षा करना, उसे फिर से बहाल करना व बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन का सामना करना है।
- जीआईएम से संबंधित गतिविधियां वित्तीय वर्ष 2015-16 में शुरू की गई थीं। इसके तहत अब तक 17 राज्यों यानी आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश व एक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को शामिल किया गया है।
- मंत्रालय ने केरल को वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए अनुमोदित वार्षिक संचालन योजना के अनुसार गतिविधियों को कार्यान्वित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 16.32 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 तक राज्य की ओर से इस निधि का पूर्ण उपयोग किया जा चुका है।
6. सीओपी 28 बैठक में हानि एवं क्षति निधि पर समझौता:
- सीओपी 28 बैठक में हानि एवं क्षति निधि पर समझौता:
- सीओपी 28 ने नुकसान और क्षति का जवाब देने के लिए एक फंड सहित नई फंडिंग व्यवस्था के संचालन पर निर्णय अपनाया। यह निर्णय भारत सहित सभी देशों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया।
- इस निर्णय को अपनाने के बाद से, कई देशों द्वारा लगभग 700 मिलियन अमरीकी डालर की राशि गिरवी रखी गई है।
- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने नुकसान और क्षति कोष के लिए 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की है।
- उल्लेखनीय प्रतिज्ञा करने वाले अन्य देशों में यूनाइटेड किंगडम ने फंड के लिए 40 मिलियन जीबीपी और अन्य फंडिंग व्यवस्थाओं के लिए 20 मिलियन जीबीपी की प्रतिबद्धता जताई, जापान ने 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता जताई, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 17.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता जताई और यूरोपीय संघ (जर्मनी सहित) ने 225 मिलियन यूरो की प्रतिबद्धता जताई।
- फंड का उद्देश्य उन विकासशील देशों की सहायता करना है जो विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील हैं, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से जुड़े आर्थिक और गैर-आर्थिक नुकसान और क्षति का जवाब दिया जा सके, जिसमें चरम मौसम की घटनाएं और धीमी शुरुआत की घटनाएं शामिल हैं।
Comments