विषयसूची:
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21 February 2024 Hindi PIB
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1. कैबिनेट ने “महिलाओं की सुरक्षा” पर अंब्रेला योजना के कार्यान्वयन के प्रस्ताव को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन ,इन अति संवेदन शील वर्गों की रक्षा एवं बहतरी के लिए गठित तंत्र,विधि ,संस्थान एवं निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)।
मुख्य परीक्षा: सरकार द्वारा ‘महिला सुरक्षा’ हेतु किये जा रहे उपायों एवं चुनौतियों पर एक चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के दौरान रु.1179.72 करोड़ की कुल लागत पर ‘महिला सुरक्षा’ पर अंब्रेला योजना के कार्यान्वयन को जारी रखने के गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
उद्देश्य:
- इन परियोजनाओं के उद्देश्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में समय पर हस्तक्षेप और जांच सुनिश्चित करने और ऐसे मामलों में जांच और अपराध की रोकथाम में उच्च दक्षता सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में तंत्र को मजबूत करना शामिल है।
विवरण:
- 1179.72 करोड़ रु. के कुल परियोजना परिव्यय में से, कुल 885.49 करोड़ रुपये गृह मंत्रालय द्वारा अपने बजट से प्रदान किए जाएंगे और 294.23 करोड़ रुपये निर्भया फंड से वित्त पोषित किए जाएंगे।
- किसी देश में महिलाओं की सुरक्षा कई कारकों का परिणाम है जैसे सख्त कानूनों के माध्यम से कठोर निवारण, न्याय की प्रभावी डिलीवरी, समय पर शिकायतों का निवारण और पीड़ितों के लिए आसानी से सुलभ संस्थागत सहायता संरचनाएं।
- भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों में कड़ी रोकथाम प्रदान की गई।
- महिला सुरक्षा की दिशा में अपने प्रयासों में, भारत सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से कई परियोजनाएं शुरू की हैं।
भारत सरकार ने “महिलाओं की सुरक्षा” के लिए अम्ब्रेला योजना के तहत निम्नलिखित परियोजनाओं को जारी रखने का प्रस्ताव दिया है:
- 112 आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) 2.0;
- राष्ट्रीय फोरेंसिक डेटा सेंटर की स्थापना सहित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं का उन्नयन;
- राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) में डीएनए विश्लेषण, साइबर फोरेंसिक क्षमताओं को मजबूत करना;
- महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध की रोकथाम;
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए जांचकर्ताओं और अभियोजकों की क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण; और
- महिला सहायता डेस्क एवं मानव तस्करी विरोधी इकाइयाँ।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. एनटीपीसी को प्रभावी जल प्रबंधन के लिए मान्यता प्राप्त हुई:
- एनटीपीसी का पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) स्कोर कार्बन डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट (सीडीपी) जल सुरक्षा रेटिंग में दो स्तर आगे बढ़ गया है और वह 2022 में ‘डी’ रेटिंग से 2023 में ‘सी’ रेटिंग तक पहुंच गया है।
- यह उपलब्धि जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ पर्यावरण प्रबंधन और चिरस्थायी प्रथाओं के लिए एनटीपीसी की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- एनटीपीसी द्वारा जल का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने की कोशिशों के सकारात्मक परिणाम से प्राप्त हुए हैं, जिसकी जानकारी हालिया वर्षों में विशिष्ट जल के उपयोग में उल्लेखनीय कमी से प्राप्त होती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण और ‘वेट फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन पद्धति’ के कार्यान्वयन से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, एनटीपीसी अभिनव उपायों एवं कुशल प्रथाओं के माध्यम से पानी की खपत में सक्रिय रूप से कमी कर रहा है।
- कार्बन डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट (सीडीपी) पूरी दुनिया में प्रमुख ईएसजी रेटिंग एजेंसियों में से एक है, जो कंपनियों के पर्यावरणीय प्रदर्शन के आधार पर आकलन करती है, जो विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, जल सुरक्षा और वनों की कटाई के क्षेत्रों से संबंधित है।
- अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए, एनटीपीसी 2021 में सीईओ वाटर मैंडेट का हस्ताक्षरकर्ता भी बना और जिम्मेदार जल प्रबंधन एवं जल स्थिरता की चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से एक वैश्विक पहल में भागीदारी के प्रति अपने समर्पण को भी दर्शाया।
- एनटीपीसी द्वारा जल संरक्षण के प्रमुख पहलों में उन्नत प्रौद्योगिकियों एवं प्रक्रिया पुनर्रचना के माध्यम से पानी की खपत का इष्टतम उपयोग, मजबूत जल नीति एवं वर्षा जल संचयन नीति का कार्यान्वयन और सभी स्टेशनों पर जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) स्थिति को बनाए रखना शामिल है।
- एनटीपीसी लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी एकीकृत विद्युत उपयोगिता और विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत विद्युत क्षेत्र का एक पीएसयू है।
- इसकी स्थापित क्षमता 74 गीगावॉट है और यह देश में उत्पादित कुल विद्युत में 25 प्रतिशत योगदान देता है।
- वर्ष 2032 तक, एनटीपीसी अपनी गैर-जीवाश्म-आधारित क्षमता में 45 से 50 प्रतिशत तक का विस्तार करना चाहता है, और 130 गीगावॉट की कुल क्षमता में से 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता शामिल होने की आकांक्षा रखता है।
- गौरतलब है कि एनटीपीसी ने भारत के ‘नेट जीरो’ कोशिशों को मजबूती प्रदान करने के लिए नीति आयोग के साथ भागीदारी भी की है।
2. राष्ट्रीय उद्यमिता विकास परियोजना का उद्घाटन:
- केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री ने ओडिशा के संबलपुर में राष्ट्रीय उद्यमिता विकास परियोजना का उद्घाटन किया।
- इस पहल के राष्ट्रव्यापी संभावना पर बल देते हुए, इसे भोपाल, कानपुर, इंदौर, वाराणसी, भरतपुर, शिलांग, सिलचर, डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी सहित 9 शहरों में भी आभासी माध्यम से लॉन्च किया गया।
- विशेष रूप से पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों के लिए तैयार की गई, यह अनूठी राष्ट्रीय उद्यमिता विकास परियोजना देश भर में नियोक्ताओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
- राष्ट्रीय उद्यमिता विकास परियोजना का उद्देश्य नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी प्रदाता बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप, व्यक्तियों को व्यापक उद्यमिता प्रशिक्षण से लैस करना है।
- उभरते रोजगार बाज़ार के अनुरूप ढलने की अनिवार्यता को पहचानते हुए, यह पहल विघटनकारी प्रौद्योगिकी के युग में कर्मचारियों की प्रतिस्पर्धात्मकता और अनुकूलनशीलता को बढ़ाने के लिए उन्हें फिर से कुशल और उन्नत बनाने पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय उद्यमिता विकास परियोजना 22 सप्ताह की अवधि में व्यापक उद्यमिता प्रशिक्षण प्रदान करेगी, जिसमें अनुभवात्मक शिक्षा के द्वारा सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक प्रदर्शन के साथ जोड़ा जाएगा।
- पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों के लिए राष्ट्रीय उद्यमिता विकास परियोजना की शुरुआत से रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे दुकानदारों को कुशल बनने में मदद मिलेगी और वे सशक्त होंगे।
- राष्ट्रीय उद्यमिता विकास परियोजना का उद्घाटन देश की कौशल क्षमता का दोहन करने और ” कुशल भारत विकसित भारत” के दृष्टिकोण को साकार करने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
- यह परियोजना शुरू में महिलाओं की 40% भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए चयनित जिलों में शुरू की जाएगी।
- एक मजबूत निगरानी तंत्र इसकी प्रगति का निरिक्षण, प्रभाव का आकलन और गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करेगा।
- इस परियोजना का शुभारंभ कौशल विकास के लिए सरकार के बहुआयामी दृष्टिकोण को रेखांकित करता है, जिसमें औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) का आधुनिकीकरण और स्किल इंडिया डिजिटल (एसआईडी) प्लेटफॉर्म की स्थापना शामिल है, जो देश भर में कौशल के सुलभ और लचीले अवसर प्रदान करता है।
- उद्यमिता को बढ़ावा देने पर ध्यान देने के साथ, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, एनआईईएसबीयूडी और आईआईई ने सामूहिक रूप से उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में 17 लाख से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है, जो भारत में उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
3. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-26 की अवधि के लिए बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) को मंजूरी दी:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने केन्द्र प्रायोजित योजना यानी “बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी)” को 2021-22 से लेकर 2025-26 (15वें वित्त आयोग की अवधि) तक की पांच वर्षों की अवधि के लिए कुल 4,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ जारी रखने के जल संसाधन विभाग, आरडी और जीआर के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
इस योजना के दो घटक हैं:
- कुल 2940 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एफएमबीएपी के बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफएमपी) वाले घटक के तहत बाढ़ नियंत्रण, कटाव-रोधी, जल निकासी व्यवस्था के विकास और समुद्री कटाव-रोधी आदि से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य करने हेतु राज्य सरकारों को केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- वित्त पोषण का पालन किया जाने वाला पैटर्न 90 प्रतिशत (केन्द्र): विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए (8 उत्तर-पूर्वी राज्य और पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर) 10 प्रतिशत (राज्य) और 60 प्रतिशत (केन्द्र): सामान्य/गैर-विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 40 प्रतिशत (राज्य) है।
- कुल 1160 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एफएमबीएपी के नदी प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र (आरएमबीए) घटक के तहत पड़ोसी देशों के साथ लगी सीमा पर स्थित साझी नदियों पर जल विज्ञान (हाइड्रोलॉजिकल) संबंधी अवलोकन एवं बाढ़ के पूर्वानुमान सहित बाढ़ नियंत्रण एवं कटाव-रोधी कार्यों और सीमा पर स्थित साझी नदियों पर संयुक्त जल संसाधन परियोजनाओं (पड़ोसी देशों के साथ) की जांच व निर्माण-पूर्व गतिविधियों को शत-प्रतिशत केन्द्रीय सहायता के साथ शामिल किया जाएगा।
- भले ही बाढ़ प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, लेकिन केन्द्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि बाढ़ प्रबंधन में राज्य सरकारों के प्रयासों को बढ़ावा देना, आधुनिक प्रौद्योगिकी एवं नवीन सामग्री/दृष्टिकोण को बढ़ावा देने व अपनाने को प्रोत्साहित करना वांछनीय है।
- यह विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव को देखते हुए पिछले कुछ वर्षों के दौरान मौसम की चरम घटनाओं में वृद्धि देखी गई है तथा आने वाले समय में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, जिससे विस्तार, तीव्रता एवं आवृत्ति के संदर्भ में बाढ़ की समस्या बढ़ सकती है।
- आरएमबीए घटक के तहत किए गए कार्य सीमावर्ती नदियों के किनारे स्थित सुरक्षा एजेंसियों के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों तथा सीमा चौकियों आदि को बाढ़ और कटाव से भी बचाते हैं।
- इस योजना में बाढ़ प्रबंधन के एक प्रभावी गैर-संरचनात्मक उपाय के रूप में मान्यता प्राप्त बाढ़ मैदान क्षेत्रीकरण को लागू करने वाले राज्यों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान है।
4. वैमानिकी विकास एजेंसी ने भारतीय वायु सेना के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
- वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए भविष्य के हथियारों तथा सेंसर के एकीकरण के उद्देश्य से भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रशासनिक नियंत्रण में एक प्रमुख संगठन है, जिसे तेजस-हल्के लड़ाकू विमान तथा इसके उपकरणों को तैयार व विकसित करने का अधिकार प्राप्त है।
- वर्तमान युद्ध परिदृश्य में, विमान के हथियारों तथा सेंसर सूट को आधुनिक व सामायिक करने की निरंतर आवश्यकता है और इस दिशा में वैमानिकी विकास संस्था ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में हथियारों एवं सेंसर के एकीकरण के लिए तकनीकी हस्तांतरण शुरू किया है।
- इससे भारतीय वायुसेना को तेजस-हल्के लड़ाकू विमान की परिचालन क्षमता बढ़ाने के लिए स्वतंत्र रूप से सेंसर, हथियार एकीकरण तथा उड़ान परीक्षण करने की सुविधा मिलेगी।
- वैमानिकी विकास संस्था ने 10,000 से अधिक शॉर्टिंग मुक्त उड़ान भरने के श्रेय के साथ तेजस हल्के लड़ाकू विमान को सफलतापूर्वक विकसित एवं प्रकार प्रमाणित किया है।
- वायुसेना ने पहले ही इस लड़ाकू विमान के दो स्क्वाड्रन बनाए हैं और दो सीटों वाले विमान भी शामिल किए जा रहे हैं।
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