विषय सूची:
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1. प्रधानमंत्री ने जी-20 श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
मुख्य परीक्षा: रोजगार को लेकर सरकार के प्रयास
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश के इंदौर में आयोजित जी-20 श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया।
विवरण:
- रोजगार को आर्थिक और सामाजिक पहलुओं के सबसे अहम हिस्से के रूप में रेखांकित करते हुये, प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया इस समय रोजगार सेक्टर के मद्देनजर कुछ बड़े बदलावों की दहलीज पर खड़ी है। उन्होंने इस तेज बदलावों को ध्यान में रखते हुये जवाबी और कारगर रणनीतियां तैयार करने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति के इस युग में, रोजगार की मुख्य प्रेरक-शक्ति प्रौद्योगिकी है और रहेगी। उन्होंने प्रौद्योगिकी के नेतृत्व में होने वाले बदलावों के हवाले से पिछले दिनों प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अनेक रोजगारों का सृजन करने में भारत की क्षमता को उजागर किया।
- प्रधानमंत्री ने उन्नत प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के उपयोग से श्रम शक्ति को कुशल बनाने पर जोर देते हुए कहा कि स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग भावी श्रम शक्ति का मूलमंत्र है। उन्होंने भारत के ‘स्किल इंडिया मिशन’ का उदाहरण दिया, जिसने इसे वास्तविकता बना दिया है। उन्होंने ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ का भी उदाहरण दिया, जिसके तहत अब तक भारत के 12.5 मिलियन युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और ड्रोन जैसे उद्योग ‘फोर प्वाइंट ओ’ सेक्टरों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।”
- उन्होंने विकास के वैश्वीकरण तथा सच्चे अर्थों में कौशल को साझा करने में जी-20 की भूमिका पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कौशल और योग्यता आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नौकरी-पेशे की जानकारियां शुरू करने के लिये सदस्य देशों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसके लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग व समन्वय तथा प्रवास और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के बारे में साझेदारियों के नये तौर-तरीकों की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि शुरूआत में नियोक्ताओं और कामगारों के बारे में आंकड़ों, सूचना व डेटा को साझा किया जाना चाहिए, जिससे बेहतर कौशल निर्माण, श्रम शक्ति योजना और लाभप्रद रोजगार के लिये प्रमाण-आधारित नीतियां बनाने में दुनिया भर के देश क्षमतावान बन सकें।
- प्रधानमंत्री ने भारत के ‘ई-श्रम पोर्टल’ की चर्चा की, जिस पर लगभग 280 मिलियन लोगों ने पंजीकरण कराया है तथा उसके जरिये इन कामगारों को लक्षित करके उनके कल्याण का काम किया जा रहा है।
- प्रधानमंत्री ने संकेत दिया कि हालांकि 2030-एजेंडा में लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना प्राथमिकता है, लेकिन इसके बावजूद अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने जो मौजूदा प्रारूप अपनाया है, उसमें केवल लाभ को ध्यान में रखा गया है। इन लाभों को संकीर्ण तरीके से तैयार किया गया है, जबकि अन्य प्रारूपों द्वारा दिये जाने वाले लाभों को इस प्रारूप में शामिल नहीं किया गया है। भारत में सामाजिक सुरक्षा के दायरे की सही तस्वीर समझने के लिए, सार्वभौमिक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, बीमा और पेंशन कार्यक्रमों के लाभों को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें हर देश की अनोखी आर्थिक क्षमताओं, शक्ति और चुनौतियों को समझना होगा। हमें यह जानना होगा कि सबके लिये एकरूपी सोच सामाजिक सुरक्षा के अनवरत वित्तपोषण के लिए उपयुक्त नहीं है।
2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ऐप व पोर्टल लांच, मैनुअल का विमोचन
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
प्रसंग:
- केंद्र की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसानों को और अधिक सुविधा देते हुए सटीक उपज अनुमान एवं पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने तीन महत्वपूर्ण पहलों- येस्टेक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली), विंड्स (मौसम सूचना डेटा सूचना प्रणाली) और AIDE(मध्यस्थ नामांकन के लिए ऐप) को किसानों को समर्पित किया।
विवरण:
- कृषि का जीवन व देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि के समक्ष कितनी भी अनुकूलता हो, इसके बाद भी कृषक को प्रकृति पर निर्भर करना पड़ता है और प्रकृति नाराज हो जाएं तो किसान अपने श्रम से इसकी भरपाई नहीं कर पाता है, इसलिए यह जरूरी समझा गया कि प्राकृतिक प्रकोप से होने वाले नुकसान की भरपाई की व्यवस्था होनी चाहिए, इसलिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू करने व इसे किसान हितैषी बनाते हुए किसानों के नुकसान की भरपाई की जा रही है।
- भारत सरकार कृषि विकास के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए बजट में कमी नहीं आती है, लेकिन कभी राज्य सरकारों के हिस्से का प्रीमियम जमा नहीं होता है तो ऐसे में किसानों को दिक्कत नहीं होने देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा समय पर जमा कराई जाने वाली अपनी प्रीमियम से ही किसानों को मुआवजा देने का केंद्र ने फैसला लिया है, भले ही तब तक राज्य सरकार द्वारा प्रीमियम जमा हो या नहीं।
- प्रधानमंत्री द्वारा गांव-गरीब-किसान तीनों पर फोकस किया और अनेक योजनाओं के माध्यम से प्रयत्न किया गया है कि गांवों के जीवन में बदलाव आए, गरीबों का जीवन बदले एवं किसान समृद्ध हों। इस दिशा में कृषि मंत्रालय के जरिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी अनेक योजनाओं का सृजन किया गया।
- कृषि क्षेत्र में तकनीक के प्रयोग पर बल दिया गया। अच्छे खाद-बीज की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की गई। कृषि के बजट को देखें तो 2013 की तुलना में लगभग पांच गुना की वृद्धि की गई। इसका परिणाम भी दिख रहा है। हम खाद्यान्न, बागवानी, दुग्ध उत्पादन में दुनिया में अच्छी अवस्था में हैं। इसमें तकनीक एवं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान का भी बड़ा योगदान है।
नवाचारों से लाभ–
- येस्टेक, उन्नत तकनीकी प्रणाली है जो सटीक उपज गणना में राज्यों की मदद करेगी। राज्यों में फसल उपज विवादों व उसके बाद पात्र किसानों को मुआवजा देने में होने वाली देरी से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए केंद्र ने इस प्रणाली को लागू करने का निर्णय लिया है।
- येस्टेक प्रणाली के अंतर्गत रिमोट सेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के जरिये सटीक फसल अनुमान लगाने, पारदर्शी-सटीक उपज आकलन सुनिश्चित करने पर काम किया जाना है। यह प्रणाली उपज संबंधी विवाद प्रभावी रूप से हल करने व त्वरित दावा भुगतान सुविधा प्रदान करने में सक्षम होगी। विंड्स के माध्यम से किसानों के लिए मौसम संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी व आंकड़े उपलब्ध हो पाएंगे। इससे योजना के सभी हितधारकों को लाभ होगा, विशेषतः किसान सूचित निर्णय लेने में सक्षम होंगे।
- अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से सटीक मौसम संबंधी डेटा प्राप्त करने संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विंड्स पहल अंतर्गत मौसम केंद्रों के सशक्त नेटवर्क की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है। इस पहल द्वारा लक्ष्य ब्लॉक व ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम केंद्रों का व्यापक नेटवर्क स्थापित करना है। यह रणनीतिक दृष्टिकोण सटीक व समय पर मौसम डेटा तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करेगा। इसका लक्ष्य, मौसम की जानकारी की उपलब्धता में अंतर कम करना व जमीनी स्तर पर निर्णयकर्ताओं, किसानों व हितधारकों को सशक्त बनाना है।
- मौसम केंद्रों का यह व्यापक नेटवर्क मौसम के पैटर्न की सटीक निगरानी करने, प्रभावी योजना बनाने, जोखिम मूल्यांकन व मौसम संबंधी चुनौतियों का समय पर जवाब देने में सक्षम बनाएगा।
- एआईडीई ऐप से किसानों की नामांकन प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आएगा, जिससे किसान घर बैठे या खेत से भी, बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों के जरिये पंजीकरण आसानी से पूरा कर सकेंगे। लंबी कतारों, कागजी कार्रवाई खत्म करके, यह निर्णय सभी किसानों के लिए नामांकन को सुलभ बनाता है, जिससे सुनिश्चित होता है कि वे आसानी से बीमा कवरेज प्राप्त कर सकें।
- उपयोगकर्ता के अनुकूल ऐप कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हुए अनुरूप कवरेज विकल्प प्रदान करता है। यह पहल किसानों को सहयोग देने व किसानों की आजीविका प्रभावी ढंग से सुरक्षित करने के लिए बीमा नामांकन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की सरकार की प्रतिबद्धता रेखांकित करती है।
- इन सभी पहलों से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सुनिश्चित किया है कि किसानों को उनके घर पर फसल बीमा लेने, पॉलिसी विवरण प्राप्त करने की सुविधा मिले, किसान मोबाइल ऐप से ही फसल नुकसान की सूचना दे सकें, उपज-दावा आंकलन की प्रक्रिया सटीक-पारदर्शी हों व किसान को समय पर क्लेम पेमेंट मिले।
3. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने रूरल वॉश पार्टनर्स फोरम पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया
सामान्य अध्ययन: 2
राजव्यवस्था
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: रूरल वॉश पार्टनर्स फोरम
प्रसंग:
- केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने रूरल वॉश पार्टनर्स फोरम (RWPF) के गठन की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए नई दिल्ली के विज्ञान भवन में RWPF पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
विवरण:
- इस सम्मेलन का विषय ‘स्वच्छ सुजल भारत की दिशा में प्रगति में तेजी लाना’ है।
- RWPF भारत के ग्रामीण वॉश क्षेत्र में काम करने वाले विकास/क्षेत्र से जुड़े साझेदारों के लिए केपीएमजी इंडिया के सहयोग से पेयजल और स्वच्छता विभाग (DDWS) द्वारा स्थापित एक मंच है।
- इस फोरम का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रमुख मिशन जल जीवन मिशन (JJM) और स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) के शीघ्र कार्यान्वयन को बल देना है। इस फोरम ने बेहतर सहयोग और तालमेल के लिए ग्रामीण वॉश क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों को एक छतरी के नीचे लाया है।
- यह मंच तकनीकी सहायता, ज्ञान साझा करने और वॉश क्षेत्र में व्यापक पहुंच और प्रभाव रखने वाले संगठनों की सहयोगात्मक सहायता के माध्यम से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण – चरण II) और जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में पेयजन एवं स्वच्छता विभाग के प्रयासों का समर्थन करता है।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में निम्नलिखित का शुभारंभ/विमोचन/सम्मान भी किया गया-
- डिजिटल वॉश अकादमी का लक्ष्य जल आपूर्ति कार्यक्रम से जुड़े प्रशासक, इंजीनियर, पंचायत पदाधिकारी, तकनीशियन, स्वच्छता कार्यकर्ता और पैदल सैनिक जैसे विभिन्न हितधारकों की क्षमता का निर्माण करना है। अकादमी उन्हें मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने में प्रभावी ढंग से योगदान देने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करेगी। एक अग्रणी गैर-लाभकारी संगठन ईसीएचओ इंडिया ने अकादमी की स्थापना में विभाग को सहयोग प्रदान किया है।
- RWPF वार्षिक ईयर बुक और वेब पेज: विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न विषयों में विकास के भागीदारों द्वारा किए गए कार्यों को ईयरबुक में उल्लिखित करने के साथ ही वेब पेज पर प्रदर्शित किया गया है। विभिन्न एजेंसियों द्वारा जमीनी स्तर पर किए गए कार्यों की संबद्ध स्वीकृति से जुड़े भागीदारों को बेहतर प्रदर्शन करने और वांछित लक्ष्यों तक पहुंचने में सरकार का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- स्वच्छता क्रॉनिकल्स – भारत की परिवर्तनकारी कहानियां: 75 ओडीएफ प्लस सर्वोत्तम प्रथाओं का एक संग्रह, एसबीएम-जी चरण-2 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए नवाचारों, बाधाओं को दूर करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए किए गए उपायों, शुरू किए गए विशेष अभियान और विभिन्न ओडीएफ प्लस गतिविधियों में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अन्य प्रयासों को दर्शाता है।
- सुरक्षा, निर्बाध आपूर्ति और वॉश संपत्तियों और सेवाओं की न्यूनतम हानि सुनिश्चित करने के लिए आपदा प्रबंधन योजना (DMP) के लिए मैनुअल। यह योजना पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के दो प्रमुख मिशनों यानी जल जीवन मिशन (JJM) और स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) के अनुरूप है।
- एलिको, क्लूइक्स और ह्यूरिस्टिक ने डिजिटल पोर्टेबल मल्टी पैरामीटर जल गुणवत्ता परीक्षण उपकरण विकसित किए हैं, जिन्हें सीधे वेब-आधारित डैशबोर्ड से जोड़ा जा सकता है। इस प्रकार तैयार की गई रिपोर्ट का उपयोग कार्यक्रम की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है। अर्थ फेस द्वारा विकसित उपकरण जल विश्लेषण और शुद्धिकरण के लिए एनएबीएल द्वारा अनुमोदित है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- केन्द्र सरकार ने सड़क सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से एक्सप्रेस वे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर संकेतकों से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर संकेतकों के प्रावधान से संबंधित नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
- ये नए दिशा-निर्देश चालकों को बेहतर दृश्यता व सहज मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु उत्कृष्ट कार्य प्रणालियों एवं विश्वस्तरीय मानकों को अपनाकर सड़क सुरक्षा को और बेहतर बनाने पर केन्द्रित हैं।
इन दिशा-निर्देशों की कुछ मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- बेहतर दृश्यता और सुपाठ्यता: ड्राइवरों को जल्दी से समझ में आने के लिए उचित ऊंचाई/दूरी पर रखकर, बड़े अक्षरों, प्रतीकों के जरिए सड़क पर लगने वाले संकेतकों की बेहतर दृश्यता को प्राथमिकता देना और यह सुनिश्चित करना कि महत्वपूर्ण जानकारियां प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आसानी से दिखाई देने व समझने योग्य हों।
- सहज संप्रेषण के लिए सचित्र चित्रण: आवश्यक संदेशों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने हेतु लिखित पाठ के साथ सचित्र निरूपण, जो सीमित साक्षरता वाले लोगों सहित सड़क उपयोगकर्ताओं के विविध समूहों की जरूरतों को पूरा करे।
- क्षेत्रीय भाषाएं: सड़कों पर लगाए जाने वाले संकेतकों के लिए बहुभाषी दृष्टिकोण, जिसमें अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाएं शामिल हों, को अपनाना ताकि विविध सड़क उपयोगकर्ताओं के साथ प्रभावी तरीके से संप्रेषण सुनिश्चित हो और यातायात नियमों की बेहतर समझ एवं अनुपालन को बढ़ावा मिले।
- लेन संबंधी अनुशासन: चालकों को स्पष्ट एवं सहज मार्गदर्शन के साथ रणनीतिक रवैये के जरिए लेन संबंधी बेहतर अनुशासन को बढ़ावा देने, निर्दिष्ट लेन के अनुपालन को प्रोत्साहित करने और यातायात की भीड़भाड़ को कम करने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- चरणबद्ध कार्यान्वयन: प्रारंभिक चरण में, इन दिशा-निर्देशों को सभी नए राजमार्गों, एक्सप्रेस वे और ग्रीन फील्ड कॉरिडोर पर लागू किया जाएगा। इसके अलावा, 20,000 से अधिक यात्री कार इकाइयों (पीसीयू) के साथ अत्यधिक यातायात वाले राजमार्गों पर भी इन दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन को प्राथमिकता दी जाएगी।
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