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21 सितंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (GCES) के लिए प्रगतिशील मोबाइल एप्लीकेशन और वेब पोर्टल का शुभारंभ:
  2. भारत को केमिस्ट्रीह ऑफ सीमेंट पर 17वीं अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस की मेजबानी की बोली प्राप्त् हुई:
  3. केंद्र ने व्यापारियों को साप्ताहिक चीनी स्टॉक का खुलासा करना अनिवार्य किया:
  4. ‘पल्यूरशन रिस्पांन्सो टेबल-टॉप’ अभ्यास:
  5. पीएम-किसान योजना के लिए AI चैटबॉट लॉन्च:
  6. सरकार ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कारों की एक श्रेणी “राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार” की स्थापना की:

1. सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (GCES) के लिए प्रगतिशील मोबाइल एप्लीकेशन और वेब पोर्टल का शुभारंभ:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि:

विषय: देश में फसल पैटर्न सम्बन्धित विषय,भूमि सुधार;किसानो की सहायता के लिए ई-प्रौद्योगिकी।

प्रारंभिक परीक्षा: जीसीईएस वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन की मुख्य विशेषताएं।

मुख्य परीक्षा: सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (GCES) में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री द्वारा देश में सामाजिक लाभ को बढ़ाने के उद्देश्य के साथ डिजिटल प्रौद्योगिकी को अधिकतम करने के दृष्टिकोण के अनुरूप कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) ने GCES (सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण) के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और वेब पोर्टल का शुभारंभ किया।

उद्देश्य:

  • यह परिवर्तनकारी वेब पोर्टल तथा मोबाइल एप्लिकेशन पूरे देश में कृषि कार्य प्रणालियों में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के उद्देश्य के साथ विकसित किया गया है।
  • कृषि में वास्तविक समय अनुमान और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है। सत्यता पर आधारित तथा विश्वसनीय परिणाम प्राप्त करने के लिए डेटा की सटीकता एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है और इसीलिए डेटा की सटीकता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डेटा प्रदाताओं की भी है।
  • ये महत्वपूर्ण पहल, फसल की पैदावार की अधिक सटीक व वास्तविक समय निगरानी सुविधा प्रदान करके कृषि के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगी।

विवरण:

  • वेब पोर्टल और GCES के मोबाइल एप्लिकेशन को सरकारी कार्यों की पहुंच, दायरे और परिणाम को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के उद्देश्य के साथ कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा विकसित किया गया है।
  • GCES प्रक्रिया के स्वचालन से फसल के आंकड़ों का समय पर सूचना प्रबंधन और डेटा की सटीकता सुनिश्चित होगी।

जीसीईएस वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा समाधान पाने वाली प्रमुख चुनौतियां:

1. सूचना प्रबंधन में विलंब- अब तक डेटा संग्रह, संकलन और उपज का आकलन करना पूरी तरह से हस्तचालित कार्य रहा है, जिसके कारण राज्यों को सूचना प्रबंधन करने में विलंब होता है।

    • अब नई प्रक्रिया में, जीपीएस से सक्षम मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके क्षेत्रीय डेटा एकत्र किया जाएगा और उसे सर्वर में संग्रहीत किया जाएगा, जिससे फसल आंकड़ों की समय पर रिपोर्टिंग सुनिश्चित हो जाएगी।

2. पारदर्शिता- जीपीएस से लैस डिवाइस डेटा संग्रह बिंदुओं के लिए सटीक अक्षांश एवं देशांतर निर्देशांक प्रदान करते हैं।

    • इससे यह जानकारी सुनिश्चित हो जाती है कि डेटा विशिष्ट भौगोलिक स्थानों से संबंधित है और यह भी पता चलता है कि डेटा को कहां पर एकत्र किया गया था, इसके बारे में अस्पष्टता या हेरफेर के लिए कोई स्थान शेष बचता ही नहीं है।

जीसीईएस वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन की मुख्य विशेषताएं:

1. विस्तृत जानकारी- पोर्टल एवं ऐप गांव-गांव के आधार पर जीसीईएस योजना तथा भूखंड विवरण सहित उपज अनुमान का एक विस्तृत संग्रह उपलब्ध कराते हैं, विशेषकर जहां पर फसल कटाई के लिए प्रायोगिक परीक्षण किए जाते हैं, कटाई के तुरंत बाद फसल का भार और फिर फसल का सूखा वजन देखा जाता है।

2. भूमि-संदर्भ- भूमि-संदर्भ इस मोबाइल एप्लिकेशन की प्रमुख विशेषताओं में से एक है, जो प्राथमिक उपयोगकर्ता को प्रायोगिक भूखंड की सीमा खींचने और इसके माध्यम से भूमि के टुकड़े के साथ-साथ फसलों की तस्वीरें अपलोड करने में सक्षम बनाता है। यह सुविधा डेटा की पारदर्शिता एवं सटीकता को भी सुनिश्चित करेगी।

2.भारत को केमिस्ट्रीह ऑफ सीमेंट पर 17वीं अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस की मेजबानी की बोली प्राप्त् हुई:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

प्रारंभिक परीक्षा: केमिस्‍ट्री ऑफ सीमेंट पर प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस (आईसीसीसी)।

मुख्य परीक्षा: भारत में सीमेंट उद्योग विभिन्न औद्योगिक अपशिष्टों का उपयोग करके देश में चक्रीय अर्थव्यवस्था ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टिप्पणी कीजिए।

प्रसंग:

  • भारत ने 2027 में नई दिल्ली में केमिस्‍ट्री ऑफ सीमेंट पर प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस (आईसीसीसी) की मेजबानी की बोली प्राप्‍त की हैं।

उद्देश्य:

  • केमिस्‍ट्री ऑफ सीमेंट पर अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी तरह का सबसे बड़ा और सबसे प्रतिष्ठित आयोजन है जो सीमेंट और कंक्रीट के क्षेत्र में अनुसंधान की प्रगति की समीक्षा करता है।
  • 1918 से कांग्रेस आमतौर पर चार से छह साल के अंतराल पर आयोजित की जाती है, जो अकादमिक जगत और सीमेंट उद्योग के बीच एक मजबूत और सौहार्दपूर्ण संबंध प्रदान करती है।
  • 9वीं कांग्रेस का आयोजन 1992 में एनसीसीबीएम द्वारा नई दिल्ली में किया गया था और वर्तमान 16वीं आईसीसीसी का आयोजन 18-22 सितंबर 2023 तक थाईलैंड के बैंकॉक में किया जा रहा है।

विवरण:

  • भारत के अग्रणी अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थान, नेशनल काउंसिल फॉर सीमेंट एंड बिल्डिंग मैटेरियल्स (एनसीसीबीएम) ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर थाईलैंड के बैंकॉक में चल रहे 16वें आईसीसीसी के दौरान सम्मेलन की संचालन समिति के सदस्यों के समक्ष भारत की बोली को सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया।
  • भारत के अलावा, अन्य बोलीदाताओं में स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल थे।
  • इस निर्णय की घोषणा 20 सितंबर 2023 को बैंकॉक, थाईलैंड में 16वें आईसीसीसी के दौरान की गई थी।
  • भारत में इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम की मेजबानी हमें दुनिया भर के सीमेंट क्षेत्र के अग्रणी नेताओं, विशेषज्ञों और अन्‍वेषकों को एक साथ लाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
    • यह आयोजन न केवल हमारे अनुसंधान और शैक्षणिक संगठन की क्षमताओं का एक प्रमाण है, बल्कि हमारे जीवन्‍त शहर नई दिल्ली को वैश्विक सीमेंट और कंक्रीट उद्योग के समक्ष प्रदर्शित करने का एक अवसर भी है।
    • एक मेजबान शहर के रूप में नई दिल्ली, भारत मंडपम और यशोभूमि जैसी विश्व स्तरीय सम्मेलन सुविधाओं, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और असाधारण आतिथ्य के साथ 2027 में 17वें आईसीसीसी के सभी उपस्थित लोगों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करने के लिए तैयार होगी।
  • डीपीआईआईटी, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत नेशनल काउंसिल फॉर सीमेंट एंड बिल्डिंग मैटेरियल्स (एनसीसीबीएम) एक शीर्ष अनुसंधान और विकास संगठन है।
    • एनसीसीबीएम सीमेंट, संबद्ध निर्माण-सामग्री और निर्माण उद्योगों के लिए अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास एवं हस्तांतरण, शिक्षा और औद्योगिक सेवाओं के लिए समर्पित है।
    • एनसीसीबीएम के पास समान परिमाण के द्विवार्षिक एनसीबी अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार/सम्मेलन कार्यान्वित करने का बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड है, जो दुनिया भर के सभी प्रतिभागियों को सहज और स्‍मरणीय अनुभव प्रदान करने वाला कार्यक्रम सुनिश्चित करता है।

पृष्ठ्भूमि:

  • भारत आज पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले पांच वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है और भारत में 600 मिलियन टन की स्थापित सीमेंट क्षमता के साथ दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उद्योग है।
    • भारत में सीमेंट उद्योग विभिन्न औद्योगिक अपशिष्टों का उपयोग करके देश में चक्रीय अर्थव्यवस्था ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और दुनिया में सबसे अधिक ऊर्जा कुशल व सबसे कम सीओ2 उत्‍सर्जन वाले क्षेत्रों में से एक है।
    • भारत के भीतर तेजी से बढ़ता बुनियादी ढांचा विकास, संसाधन और विशेषज्ञता इसे विचारशील नेताओं, शिक्षाविदों, सीमेंट एवं कंक्रीट पेशेवरों और उत्साही लोगों को विचारों का आदान-प्रदान करने तथा प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ लाने के लिए एक आदर्श माहौल प्रदान करता है।
    • डीकार्बोनाइजेशन, सतत विकास, परिचालन में चक्रीय अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत, कम कार्बन उत्‍सर्जन वाला सीमेंट आदि जैसे स्थानीय और वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए भारतीय सीमेंट उद्योग का अनुभव और रूपरेखा की महत्‍वपूर्ण भूमिका है।
    • यह बड़े स्‍तर पर वैश्विक समाज के लाभ के लिए वैश्विक नेताओं और तकनीकी विशेषज्ञों के सामने विचार-विमर्श और प्रदर्शन का एक आदर्श मॉडल प्रस्‍तुत करता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. केंद्र ने व्यापारियों को साप्ताहिक चीनी स्टॉक का खुलासा करना अनिवार्य किया:

  • भारत सरकार ने देश में चीनी बाजार में जमाखोरी से निपटने और बेईमान सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने के लिए एक सक्रिय उपाय के रूप में, सरकार ने प्रत्येक खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर अनिवार्य रूप से चीनी की स्टॉक स्थिति का खुलासा करने के आदेश जारी किए हैं।
  • इन संस्थाओं के लिए यह अनिवार्य साप्ताहिक स्टॉक प्रकटीकरण संतुलित और उचित चीनी बाजार बनाए रखने के भारत सरकार के प्रयासों में एक और सक्रिय कदम है।
    • जमाखोरी और सट्टेबाजी रोककर भारत सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी उपभोक्ताओं के लिए चीनी सस्ती दरों पर उपलब्ध हो।
    • यह सक्रिय उपाय नियामक अधिकारियों को स्टॉक स्तरों की सूक्ष्मता से निगरानी करने और किसी भी संभावित बाजार धोखाधड़ी के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।
  • पूरी तरह से डिजिटल यह पहल कमोडिटी जमाखोरों को किसी भी सट्टा लेनदेन से रोकने के साथ चीनी बाजार को सुचारू बनाने में मदद करेगी।
    • इसके अतिरिक्त, यह पहल चीनी स्टॉक पर वास्तविक-समय डेटा भी प्रदान करेगी और उपभोक्ताओं और उद्योग पर चीनी की बढ़ती कीमतों की अफवाहों के प्रभाव को कम करने के लिए, आवश्यकता पड़ने पर सरकार को नीतिगत निर्णय लेने में मदद करेगी।
  • इसके अतिरिक्त, सरकार प्रासंगिक कानूनों और मासिक घरेलू कोटा मानदंडों का पालन करने के लिए चीनी मिलों और व्यापारियों से भी सहयोग की उम्मीद कर रही है।
  • इसका उल्लंघन करने वाली मिलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
  • अगस्त 2023 के अंत में 83 एलएमटी और अक्टूबर 2023 में पेराई शुरू होने की उम्मीद के साथ, भारत के पास घरेलू खपत के लिए पर्याप्त स्टॉक है और त्योहारों के लिए कोई कमी नहीं है।
  • वास्तव में, सरकार ने 13 एलएमटी की घरेलू बिक्री कोटा की पहली किश्त भी जारी कर दी है, जिसे चीनी मिलें तत्काल प्रभाव से बेचना आरंभ कर सकती हैं।
  • बाजार की स्थितियों को देखते हुए शीघ्र ही और कोटा जारी किया जाएगा।

2. ‘पल्यूरशन रिस्पांन्सो टेबल-टॉप’ अभ्यास:

  • साझा चुनौतियों, विशेष रूप से समुद्री प्रदूष से निपटने के बारे में समुद्री विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) प्रदूषण-नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रहरी’ ने 20 सितंबर, 2023 को अपनी चार दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन बैंकॉक, थाईलैंड में ख्लोंग टोई बंदरगाह पर एक व्यापक ‘पल्यूशन रिस्पान्स टेबल-टॉप’ अभ्यास का प्रदर्शन किया।
  • इस अभ्यास में भारतीय तटरक्षक के सहयोग से थाईलैंड की समुद्रीय प्रदूषण प्रतिक्रिया की आकस्मिक योजना तैयार करके उसका परीक्षण भी किया गया।
  • इससे वास्तविक जीवन के तेल प्रदूषण परिदृश्यों के दौरान बाधा रहित सहयोग सुनिश्चित करते हुए, सेवाओं के बीच ज्ञान को साझा करने और एक संवादमूलक माहौल को बढ़ावा मिला।
  • भारत-आसियान पहल के अंतर्गत ‘समुद्र प्रहरी’ की यह बैंकॉक यात्रा समुद्री क्षेत्र में भारतीय तटरक्षक और थाई एमईसीसी के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के बारे में प्रधानमंत्री के सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) विजन और भारत की जी-20 अध्‍यक्षता की विषय ‘वसुधैव कुटुंबकम-एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के अनुरूप भारत को एक भरोसेमंद समुद्री भागीदार के रूप में उजागर करने में बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।
  • विदेश में तैनाती की भारत-आसियान पहल की घोषणा रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा नवंबर 2022 में कंबोडिया में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान की गई थी।

3. पीएम-किसान योजना के लिए AI चैटबॉट लॉन्च:

  • केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लिए AI (एआई) चैटबॉट (पीएम किसान मित्र) लॉन्च किया।
    • एआई चैटबॉट का लॉन्च पीएम-किसान योजना की दक्षता और पहुंच बढ़ाने और किसानों को उनके प्रश्नों का त्वरित, स्पष्ट और सटीक उत्तर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • कृषि क्षेत्र को तकनीक के साथ जोड़ने के लिए उठाया गया यह बड़ा कदम किसानों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाला है।
  • यह केंद्र सरकार की प्रमुख फ्लैगशिप योजना के साथ एकीकृत पहला AI (एआई) चैटबॉट है। AI (एआई) चैटबॉट माध्यम से देश भर के किसानों को निर्बाध सहायता और समर्थन प्रदान की जाएगी।
  • योजना की जानकारी तक पहुंचने और शिकायतों को हल करने में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को पहचानते हुए, कृषि और किसान कल्याण विभाग ने पीएम किसान हेतु एआई चैटबॉट पेश करने के लिए एक प्रगतिशील कदम उठाया।
  • इस चैटबॉट को ईकेस्टेप(EKstep) फाउंडेशन और भाषिनी(Bhashini) के सहयोग से विकसित और बेहतर बनाया जा रहा है।
  • एआई चैटबॉट लाभार्थियों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो उन्हें योजना से संबंधित उनके प्रश्नों का समय पर और सटीक उत्तर प्रदान करता है।
  • पीएम-किसान शिकायत प्रबंधन प्रणाली में एआई चैटबॉट की शुरुआत का उद्देश्य किसानों को उपयोगकर्ता-अनुकूल और सुलभ प्लेटफॉर्म के साथ सशक्त बनाना है।
  • विकास के अपने पहले चरण में, एआई चैटबॉट किसानों को उनके आवेदन की स्थिति, भुगतान विवरण, अपात्रता की स्थिति और अन्य योजना-संबंधित अपडेट की जानकारी प्राप्त करने में सहायता करेगा।
  • पीएम किसान मोबाइल ऐप के माध्यम से सुलभ एआई चैटबॉट को भाषिनी के साथ एकीकृत किया गया है, जो पीएम किसान लाभार्थियों की भाषाई और क्षेत्रीय विविधता को पूरा करते हुए बहुभाषी समर्थन प्रदान करता है।
    • उन्नत प्रौद्योगिकी के इस एकीकरण से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि किसानों को सूचित निर्णय लेने में भी सशक्त बनाया जाएगा।
    • वर्तमान में चैटबॉट अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, उड़िया और तमिल में उपलब्ध है। कुछ ही समय में यह देश की सभी 22 भाषाओं में उपलब्ध होगा।

पृष्ठ्भूमि:

  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) भारत में भूमि-धारक किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं की सहायता करने के लिए फरवरी 2019 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
    • यह योजना प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) मोड के माध्यम से पात्र किसान परिवारों को तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये का वार्षिक वित्तीय लाभ प्रदान करती है।
    • इसकी स्थापना के बाद से अब तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को 2.61 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं, यह विश्व स्तर पर सबसे बड़ी डीबीटी योजनाओं में से एक है।
  • पीएम-किसान योजना ने देश भर में खेती योग्य भूमि वाले भूमिधारक किसान परिवारों को आय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • योजना के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण ने महिला लाभार्थियों सहित लाखों किसानों को समय पर वित्तीय सहायता सुनिश्चित की है, जो उनके सामाजिक-आर्थिक कल्याण में योगदान दे रही है।
    • कोविड महामारी के दौरान, लाभार्थियों को 1.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक हस्तांतरित किए गए, जिससे किसानों और उनके परिवारों को कठिन समय में बड़ी राहत मिली।
  • भारत सरकार ने फेस ऑथेंटिकेशन-आधारित ई-केवाईसी की सुविधा वाला एक मोबाइल ऐप भी विकसित किया है।
    • यह ऐप पहला मोबाइल ऐप है जो सरकार की किसी भी लाभ योजना में फेस ऑथेंटिकेशन-आधारित ई-केवाईसी सुविधा का उपयोग करता है।
    • यह ऐप आधुनिक प्रौद्योगिकी का अद्भुत उदाहरण है, जिसके माध्यम से अब किसान घर बैठे देश के दूर-दराज के इलाकों में भी बिना किसी ओटीपी या फिंगरप्रिंट के सिर्फ अपना चेहरा स्कैन करके अपना ई-केवाईसी पूरा कर सकते हैं।
    • इतना ही नहीं, बल्कि वे अपने पड़ोस के 100 अन्य किसानों को भी उनके दरवाजे पर ई-केवाईसी पूरा करने में सहायता कर सकते हैं।
    • इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए किसानों की ई-केवाईसी पूरी करने की सुविधा भी बढ़ा दी है, जिससे प्रत्येक अधिकारी को 500 किसानों के लिए ई-केवाईसी करने की अनुमति मिल गई है।

4. सरकार ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कारों की एक श्रेणी “राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार” की स्थापना की:

  • भारत सरकार ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कारों की एक श्रेणी “राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार” की स्थापना की है।
  • राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार (आरवीपी) का उद्देश्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार के विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और अन्वेषकों द्वारा व्यक्तिगत रूप से या टीमों में किए गए उल्लेखनीय और प्ररेणादायी योगदान को मान्यता देना है।
  • राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक होगा।
  • सरकारी, निजी क्षेत्र के संगठनों में काम करने वाले वैज्ञानिक/प्रौद्योगिकीविद्/अन्वेषकों या किसी भी संगठन से इतर काम करने वाला कोई भी व्यक्ति, जिसने विज्ञान, प्रौद्योगिकी या प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार के किसी भी क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान या नवाचार या अविष्कार के संदर्भ में विशिष्ट योगदान दिया हो, वे पुरस्कार प्राप्त करने के पात्र होंगे।
  • विदेश में रहकर भारतीय समुदायों या समाज को लाभ पहुंचाने में असाधारण योगदान देने वाले भारतीय मूल के लोग भी पुरस्कार के पात्र होंगे।

यह पुरस्कार निम्नलिखित चार श्रेणियों में दिए जाएंगे:

  • विज्ञान रत्न (वीआर) पुरस्कार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में की गई जीवन भर की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देगा।
  • विज्ञान श्री (वीएस) पुरस्कार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट योगदान को मान्यता देगा।
  • विज्ञान युवा-शांति स्वरूप भटनागर (वीवाई-एसएसबी) पुरस्कार 45 वर्ष की आयु तक के युवा वैज्ञानिकों को मान्यता देगा और प्रोत्साहित करेगा जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है।
  • विज्ञान टीम (वीटी) पुरस्कार तीन या अधिक वैज्ञानिकों/शोधकर्ताओं/अन्वेषकों की एक टीम को दिया जाएगा, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में एक टीम के रूप में काम करके असाधारण योगदान दिया हो।
  • सरकारी या निजी संगठनों में विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीविद् और अन्वेषक जिन्होंने विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान, प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार या खोज में योगदान दिया हो या महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव वाले नवीन प्रौद्योगिकियों/उत्पादों का विकास किया हो, वे पुरस्कार प्राप्त करने के पात्र होंगे।
  • बड़े स्तर पर भारतीय समुदायों या समाज को लाभ पहुंचाने के लिए असाधारण योगदान देने वाले भारतीय मूल के वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीविद् और अन्वेषक भी पात्र होंगे।
  • राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 13 क्षेत्रों अर्थात् भौतिकी, रसायन विज्ञान, जैविक विज्ञान, गणित और कंप्यूटर विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग साइंस, कृषि विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी और अन्य में प्रदान किया जाएगा। लैंगिक समानता सहित प्रत्येक कार्य-क्षेत्र से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों के लिए प्राप्त सभी नामांकन राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार समिति (आरवीपीसी) के समक्ष रखे जाएंगे, जिसकी अध्यक्षता भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) करेंगे और इसमें विज्ञान विभागों के सचिव, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अकादमियों के सदस्य और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों के कुछ प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् शामिल होंगे।
  • पुरस्कारों की इस श्रेणी के लिए नामांकन हर साल 14 जनवरी को आमंत्रित किए जाएंगे। 28 फरवरी (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस) तक नामांकन खुले रहेंगे। इन पुरस्कारों की घोषणा हर साल 11 मई (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस) को की जाएगी। सभी श्रेणियों के पुरस्कारों के लिए पुरस्कार समारोह 23 अगस्त (राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस) को आयोजित किया जाएगा। सभी पुरस्कारों में एक सनद और एक पदक होगा।
  • ये नए राष्ट्रीय पुरस्कार भारत सरकार द्वारा शीर्ष स्तर पर वैज्ञानिक समुदाय की उपलब्धियों को मान्यता देने में एक परिवर्तनकारी कदम हैं।
  • चयन की पूर्ण प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ, वैज्ञानिक अन्वेषकों और प्रौद्योगिकीविदों के सभी वर्गों द्वारा किए गए कार्यों को अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों के बराबर दर्जा प्रदान करते हुए सम्मानित किया जाएगा।

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