विषयसूची:
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1. हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (आईओएनएस) – 2023
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव, समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार
प्रारंभिक परीक्षा: हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (आईओएनएस) संबंधित तथ्य
मुख्य परीक्षा: समुद्री सुरक्षा और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत में इस संगोष्ठी की भूमिका, तटीय देशों के बीच समुद्री सहयोग
प्रसंग:
- हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (आईओएनएस) में नौसेना प्रमुखों के सम्मेलन (सीओसी) का 8वां संस्करण रॉयल थाई नेवी द्वारा 19 से 22 दिसंबर 2023 तक थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित किया गया।
विवरण:
- इस कार्यक्रम में 27 सदस्य देशों और पर्यवेक्षक देशों के नौसेना प्रमुखों एवं वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- भारतीय नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार द्वारा तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ इस कार्यक्रम में भारत का नेतृत्व किया गया।
- मेजबान थाईलैंड ने प्रमुखों के सम्मेलन के दौरान हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी के अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया और इस दौरान अगले दो वर्षों के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया।
- सबसे पहले, भारत द्वारा तैयार किए गए ध्वज को आईओएनएस ध्वज के रूप में चुना गया।
- भारत ने आगामी वर्षों के लिए समुद्री सुरक्षा और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत पर हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी कार्य समूहों के सह-अध्यक्ष के रूप में पदभार भी संभाला।
- इस सम्मेलन में कोरिया गणराज्य की नौसेना का नवीनतम ‘पर्यवेक्षक’ के रूप में स्वागत किया गया, जिससे हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी की सामूहिक शक्ति बढ़कर 34 (25 सदस्य और 09 पर्यवेक्षक) हो गई है।
- दोनों पक्षों ने ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक जुड़ाव के आधार पर भारतीय नौसेना-रॉयल थाई नेवी के द्विपक्षीय नामकरण सहित दोनों देशों के बीच रक्षा गतिविधियों को आगे बढ़ाने के प्रति वचनबद्धता व्यक्त की।
- इसके अलावा, भारतीय नौसेना स्टाफ के प्रमुख ने ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, फ्रांस, ईरान, इटली, मलेशिया, मॉलदीव, रूस, सऊदी अरब और स्पेन के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों के साथ भी बातचीत की और द्विपक्षीय समुद्री मुद्दों पर चर्चा की।
- हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी की कल्पना भारतीय नौसेना द्वारा 2008 में एक ऐसे मंच के रूप में की गई थी, जो क्षेत्रीय रूप से प्रासंगिक समुद्री मुद्दों पर चर्चा के लिए एक खुला और समावेशी मंच प्रदान करे।
- इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को और बढ़ाना है, जिससे आगे की तरफ बढ़ते हुए आपस में आम समझ उत्पन्न होगी।
- हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी का उद्घाटन संस्करण फरवरी 2008 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसमें भारतीय नौसेना ने दो साल (2008 – 2010) के लिए अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी। भारत में वर्ष 2025 के अंत में आयोजित होने वाली नौसेना प्रमुखों की 9वीं संगोष्ठी के दौरान भारत को आईओएनएस (2025-2027) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने का भी कार्यक्रम है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज ने सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार का आयोजन किया, सेमिनार का विषय “भारत और वैश्विक दक्षिण: चुनौतियां एवं अवसर” था
- सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (कैप्स) ने नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में 20वां सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार आयोजित किया।
- इस सेमिनार का विषय “भारत और वैश्विक दक्षिण: चुनौतियाँ एवं अवसर” था।
- इस कार्यक्रम में ग्लोबल दक्षिण के देशों के मुद्दों को उठाने में भारत की सक्रिय भूमिका पर जोर दिया गया।
- वायु शक्ति की प्रासंगिकता और प्रगति के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने, रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने और वैश्विक दक्षिण की सामूहिक उन्नति में योगदान देने के लिए भारतीय वायुसेना की आवश्यकता पर अपनी बात रखी गई।
- साझेदार देशों के साथ नियमित प्रशिक्षण गतिविधियों के दौरान भारतीय वायुसेना की उपस्थिति में वृद्धि के परिणामस्वरूप संचालन एवं रखरखाव में सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा किया गया है। भारतीय सैन्य सलाहकार टीमों द्वारा निभाई गई भूमिका और भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के माध्यम से पेश किए गए पाठ्यक्रमों का भी उल्लेख किया गया, जिसने नागरिक और रक्षा दोनों क्षेत्रों में 200,000 से अधिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करके सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया।
- पिछले नौ वर्षों में, भारतीय वायुसेना ने वैश्विक दक्षिण के देशों से 5000 से अधिक विदेशी प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया है।
- एलसीए, एलसीएच, आकाश मिसाइल प्रणाली और रडार जैसे स्वदेशी एयरोस्पेस प्लेटफॉर्म वैश्विक दक्षिण की वायु सेनाओं के लिए प्रतिस्पर्धी एवं विश्वसनीय विकल्प प्रदान करते हैं, जिससे भारत के आर्थिक और तकनीकी दबदबे को बढ़ावा मिलता है।
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