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22 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषय सूची:

  1. डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से महिला केंद्रित सतत विकास:
  2. केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) परिसर के विमानन सुरक्षा नियंत्रण केंद्र (ASCC) का उद्घाटन:
  3. भारत ने नेशनल टेली मेडिसिन प्रोग्राम ऑफ इंडिया के अहम पड़ाव को पार किया: अक्टूबर 2022 में अपनी शुरूआत के बाद से टेली-मानस पर दो लाख से अधिक कॉल्स मिलीं
  4. आपदा प्रबंधन योजना के लिए नियमावली जारी की गई:
  5. ‘स्वच्छता क्रोनिकल: परिवर्तनकारी कथाएं भारत से ‘ का लोकार्पण:

1. डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से महिला केंद्रित सतत विकास

सामान्य अध्ययन 1:

समाज

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन।

मुख्य परीक्षा: महिला सशक्तिकरण में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका का परीक्षण कीजिए।

प्रसंग:

  • आज़ादी का अमृत महोत्सव और WTO 20 जनभागीदारी कार्यक्रम के तत्वावधान में, 20 जुलाई 2023 को गुजरात के आणंद में, “डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से महिला केंद्रित सतत विकास” विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

विवरण:

  • परषोत्तम रूपाला ने वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका और महत्व पर जोर दिया। उन्होंने मूल्यवर्धित उत्पाद विनिर्माण में उनके योगदान का उल्लेख किया और रेखांकित किया कि वर्तमान में 18 डेयरी सहकारी समितियां महिलाओं द्वारा प्रचालित की जाती हैं।
  • एएचडी की सचिव अलका उपाध्याय ने डेयरी क्षेत्र में 70 प्रतिशत महिला कार्यबल के साथ, श्वेत क्रांति में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया।
    • उन्होंने नई ए-हेल्प (पशुधन उत्पादन के स्वास्थ्य और विस्तार के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट) पहल का भी उल्लेख किया, जिसमें प्राथमिक सेवाएं प्रदान करते हुए स्थानीय पशु चिकित्सा सेवाओं और पशुधन मालिकों के बीच अंतर को पाटने के लिए समुदाय-आधारित महिला कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया।
    • उन्होंने वन हेल्थ अवधारणा और रोगों की रोकथाम के महत्व को भी रेखांकित किया।
  • WTO 20 का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और डेयरी क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनकी भागीदारी को सुदृढ बनाना है।
  • भारत सरकार की योजनाओं ने देश भर में महिलाओं के लिए सक्षम वातावरण और इकोसिस्टम का निर्माण किया।
  • ‘जनभागीदारी – डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से – महिला केंद्रित सतत विकास’ कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों से महिला डेयरी किसानों को सम्मानित किया गया।
  • इन किसानों ने WTO 20 के पांच प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों: महिला उद्यमिता, जमीनी स्तर पर महिला नेतृत्व, जेंडर डिजिटल विभाजन को पाटना, शिक्षा और कौशल विकास और जलवायु कार्रवाई में अपनी उल्लेखनीय सफलता की कहानियाँ साझा कीं।
  • आईडीएफ की महानिदेशक कैरोलिन एमोंड ने “वैश्विक डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को स्वीकार्यता और सुदृढीकरण” शीर्षक पर एक प्रस्तुति दी। उनकी प्रस्तुति में सतत विकास लक्ष्य 5, कृषि खाद्य प्रणालियों में महिलाओं की स्थिति और महिलाओं को सशक्त बनाने में डेयरी की भूमिका रेखांकित की गई।

महिला 20 (WTO 20):

  • यह आधिकारिक G-20 सहभागिता समूह है, जिसका सृजन 2015 में तुर्की की G-20 की अध्यक्षता के तहत जेंडर समानता पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से किया गया था।
  • WTO 20 का प्राथमिक उद्देश्य महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के अधिकारों की पक्षधरता और समाज में उनकी आवाज़ उठाना है।
  • इसकी स्थापना इस विचार पर की गई थी कि किसी भी प्रकार का सराहनीय परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए घरेलू पहल को अंतर्राष्ट्रीय रणनीति में शामिल करने की आवश्यकता है क्योंकि लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति बहुत धीमी और सतही रही है।
  • इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि G-20 नेताओं की घोषणा में लैंगिक समानता और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का समर्थन करने वाली प्रतिबद्धताएं और उपाय शामिल हों।

2. केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) परिसर के विमानन सुरक्षा नियंत्रण केंद्र (ASCC) का उद्घाटन

सामान्य अध्ययन 3:

सुरक्षा

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।।

प्रारंभिक परीक्षा: केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) परिसर के विमानन सुरक्षा नियंत्रण केंद्र (ASCC) से संबंधित तथ्य।

प्रसंग:

  • केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में महिपालपुर स्थित केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) परिसर के विमानन सुरक्षा नियंत्रण केंद्र (ASCC) का उद्घाटन किया।

विवरण:

  • विमानन क्षेत्र सर्वाधिक गतिशील, सार्वजनिक रूप से दृश्यमान और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एक अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र है।
  • विमानन क्षेत्र की जिम्मेदारी ग्रहण करने के बाद से ही CISF ने प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था स्थापित की है।
  • CISF ने पिछले कुछ वर्षों में निरंतर सक्रिय ऑपरेशनल ऑरिएनटेशन द्वारा विमानन सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है।
  • परिचालन क्षमता में गुणात्मक विकास के लिए परिचालन अभ्यास, नई तकनीकी खोजों और मानव संसाधनों के विकास के साथ निरंतर गतिशील अनुकूलन की आवश्यकता होती है।
  • वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए, एयरपोर्ट सेक्टर ने नई दिल्ली के महिपालपुर परिसर में एक विमानन सुरक्षा नियंत्रण केंद्र और विमानन सुरक्षा प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला की स्थापना की है।
  • CISF का एयरपोर्ट सेक्टर मुख्यालय, केंद्रीय नियंत्रण कक्ष की कार्यप्रणाली को पारंपरिक घटना आधारित सूचना संग्रह केंद्र से परिवर्तित कर उपयोगी विश्लेषणात्मक जानकारी इकट्ठी करने और वास्तविक समय में ही कार्रवाई करने की ओर अग्रसर है जिससे हवाई अड्डों की सुरक्षा के संचालन में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

आज से शुरू किए गए विमानन सुरक्षा नियंत्रण केंद्र (ASCC) में निम्नलिखित चार घटक हैं:-

  1. संचार एवं नियंत्रण केंद्र:
    • हवाईअड्डों पर बम की धमकी वाली कॉल, VVIP मूवमेंट, और अन्य प्रमुख घटनाओं और प्री-एमबार्केशन सिक्योरिटी चेक में लगने वाले समय आदि की 24x7x365 रिअल टाइम निगरानी।
    • सभी हवाईअड्डा इकाइयों, बल मुख्यालय/एपीएस मुख्यालय/सेक्टर/जोनल मुख्यालय और बाहरी एजेंसियों व स्टेकहॉलर्डस के साथ संचार, समन्वय और सहयोग के लिए दोतरफा संचार (Two way communication)।
  2. घटना प्रबंधन केंद्र: हवाई अड्डों से संबंधित तकनीकी उपकरण, जनशक्ति, आकस्मिक योजना, भौगोलिक सूचना प्रणाली और फ़्लोर प्लान व सैंड मॉडल संबंधित प्रासंगिक जानकारी प्राप्त होगी जो किसी भी आकस्मिक स्थिति में त्वरित निर्णय लेने में मदद करेगी।
  3. विमानन अनुसंधान केंद्र: इसमें शामिल हैं:
    • अनुसंधान एवं विश्लेषण:
    • नवीनतम तकनीकों का अध्ययन एवं विश्लेषण करना
    • उपकरणों की थ्रूपुट और दक्षता का अध्ययन करना
    • विभिन्न हवाई अड्डों में स्थापित बेहतरीन अभ्यास का अध्ययन करना
    • डेटा एवं रुझान विश्लेषण:
    • हवाई अड्डों पर होने वाली घटनाओं का विश्लेषण
    • प्रस्थान द्वारों और SHA पर भीड़ का विश्लेषण
    • सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट:
    • डेटाबेस को अपडेट एवं सुरक्षित रखना
    • सॉफ्टवेयर डेवलेप और परीक्षण करना
    • CISF कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करना
  4. डेटा सेंटर: यह तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। इसमें निम्नलिखित विशेषताएं शामिल हैं:-
    • 300 टेरा बाईट स्टोरेज कैपेसिटी
    • एप्लिकेशन होस्टिंग और डेटाबेस के लिए सर्वर
    • MTNL से 50 MBPS लीज लाइन
    • VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के माध्यम से हवाई अड्डों की डेटा सुरक्षा
    • हवाई अड्डों, जोन, सेक्टरों और मुख्यालयों के लिए 110 इंटरकॉम टेलीफोन कनेक्शन की क्षमता वाला IP-PBX

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत ने नेशनल टेली मेडिसिन प्रोग्राम ऑफ इंडिया के अहम पड़ाव को पार किया: अक्टूबर 2022 में अपनी शुरूआत के बाद से टेली-मानस पर दो लाख से अधिक कॉल्स मिलीं।
    • नेशनल टेली मेडीसिन हेल्थ प्रोग्राम (टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग अक्रॉस स्टेट्सः टेली-मानस – ‘जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ का डिजिटल प्रारूप) की शुरूआत सरकार ने अक्टूबर 2022 में की थी, ताकि देश में मानसिक स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता को मजबूत किया जा सके।
    • अब यह पहल एक अहम पड़ाव पर पहुंच चुकी है। टोल-फ्री सेवा को इस कार्यक्रम की शुरूआत के बाद से अब तक देश के विभिन्न हिस्सों से दो लाख से अधिक कॉल्स मिली हैं। इससे पता चलता है कि इसके काम में निरंतर प्रगति हो रही है।
    • तीन माह के मामूली से अंतराल में कॉल्स करने की संख्या में बेहद बढ़ोतरी दर्ज की गई।
    • इस दौरान कॉल्स की संख्या एक लाख (अप्रैल 2023 में) से बढ़कर दो लाख जा पहुंची।
    • 31 राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों में टेली-मानस के 42 से अधिक प्रकोष्ठ कार्यरत हैं। प्रकोष्ठ प्रति दिन 20 भाषाओं में 1,300 से अधिक फोन करने वालों को सेवाएं दे रहे हैं।
    • उल्लेखनीय है कि 1900 से अधिक काउंसलरों को प्रशिक्षित किया गया है, जो प्रथम पंक्ति की सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। सबसे आम शिकायतों में अवसाद, अनिद्रा, दबाव और तनाव शामिल हैं।
    • काउंसलरों ने लगभग सात हजार लोगों को दोबारा फोन करके उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली है। ये वे लोग थे, जिन्हें सेवाएँ देने में काउंसलरों को सफलता मिली थी।
    • जिन फोन करने वाले लोगों को विशेष देखभाल की जरूरत थी, उन्हें डीएमएचपी और अन्य निकटवर्ती स्वास्थ सुविधा केंद्रों के साथ सफलतापूर्वक जोड़ा गया।
    • परीक्षाओं के दौरान परीक्षा संबंधी तनाव से जुड़ी कॉल्स में तेजी देखी गई है। काउंसलरों ने इन फोन करने वालों की मदद की। उन्हें मददगार परामर्श दिया और यह भी बताया कि कैसे खुद अपनी सहायता की जा सकती है। इस तरह उन सभी फोन करने वालों की सहायता करने में वे सफल हुए।
    • विभिन्न शिक्षण संस्थानों में ज्यादा से ज्यादा छात्रों/किशोरों तक पहुंच बनाने की कोशिशें की जा रही हैं।
    • विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों, जैसे प्रिंट मीडिया, रेडियो और सोशल मीडिया के जरिए टेली-मानस सेवाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। टेली-मानस कॉलर्स को बुनियादी सलाह और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ देता रहेगा।
    • यह काम मौजूदा महत्त्वपूर्ण सेवाओं और संसाधनों के साथ जोड़कर किया जायेगा।
    • आने वाले दिनों में ई-संजीवनी के साथ भी सभी सेवाओं को जोड़ दिया जायेगा।
    • उल्लेखनीय है कि टेली-मानस की पहुंच नौ महीनों में दो लाख लोगों तक हो गई है।
    • टेली-मानस ने देशभर में एक समग्र डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली बनाने और जहां तक उसकी पहुंच नहीं है, वहां तक अपनी पहुंच बनाने का लक्ष्य लेकर अपना सफर शुरू किया है।

    टेली-मानस पहल के बारे में:

    • इस पहल की घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने केंद्रीय बजट 2022-23 में की थी।
    • घोषणा करते वक्त देश में मानसिक स्वास्थ्य संकट को ध्यान में रखा गया था।
    • यह लोगों को सक्षम बनाने की एक अनोखी पहल है, ताकि वे अपने मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधी मुद्दों पर सहायता प्राप्त कर सकें।
    • इस दौरान फोन करने वालों की पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाती है। इसलिये आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को जिस हेय दृष्टि से देखा जाता है, पहचान गुप्त होने के कारण उससे बचाव हो जाता है।
    • नेशनल टेली मेडीसिन हेल्थ प्रोग्राम ऑफ इंडिया क्षमता निर्माण पहलों के जरिये देश में मानसिक स्वास्थ्य कार्यबल तैयार करने पर ध्यान दे रहा है। साथ ही वह यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ हर घर और हर व्यक्ति तक निशुल्क पहुंचें।
    • इसके तहत समाज के सबसे ज्यादा संवेदनशील और बिना पहुंच वाले लोगों तक पहुंच बनानी है। ये ऐसे लोग हैं, जिन तक अगर पहुंच नहीं बनाई गई, तो उनकी देखभाल नहीं की जा सकेगी। टेली-मानस छह महीनों में एक लाख के अहम पड़ाव तक पहुंच गई है, और इस तरह वह देशभर में एक बेहतरीन डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के लक्ष्य के नए मोड़ पर आ गई है।
  2. आपदा प्रबंधन योजना के लिए नियमावली जारी की गई:
    • केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ग्रामीण वॉश (WASH) पार्टनर्स फोरम के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन के अवसर पर आपदा प्रबंधन योजना (DMP) के लिए नियमावली जारी की।
    • राष्ट्रीय, राज्य, जिला और ग्राम स्तर पर हितधारकों को शामिल करते हुए जल, स्वच्छता और स्वच्छता सम्पत्तियों (WASH) तथा सेवाओं की सुरक्षा, निर्बाध आपूर्ति और न्यूनतम नुकसान सुनिश्चित करने के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा नियमावली विकसित की गई है।
    • WASH (वाश) योजना विभाग द्वारा कार्यान्वित दो प्रमुख कार्यक्रमों जल जीवन मिशन (JJM) और स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (SBM-G) के अनुरूप है।
    • आपदा योजना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा जारी सलाह के आधार पर विकसित की गई है जो आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 37 के तहत प्रत्येक मंत्रालय/विभाग को भविष्य में उत्पन्न होने वाली किसी भी आपात स्थिति से निपटने और तैयार रहने के लिए अपनी स्वयं की आपदा योजना विकसित करने में सक्षम बनाती है।
    • योजना का उद्देश्य सहमत मानकों के अनुसार आपदाओं के लिए तत्काल वाश प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है।
    • आपदा की संवेदनशीलता को कम करने के लिए वाश लचीलापन बढ़ाना, वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत वातावरण, निधि और समन्वय तंत्र स्थापित करना और एक ऐसी योजना विकसित करना जो आपदा की तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति, पुनर्निर्माण और शमन को पूरा करती है।
    • विभाग द्वारा विकसित दस्तावेज़ विभिन्न प्रकार की आपदाओं के तहत वाश परिसंपत्तियों और सेवाओं की भेद्यता, वाश के बुनियादी ढांचे और सेवाओं पर आपदा के प्रभाव, आपदा प्रबंधन चक्र और सभी चरणों में आपदा-लचीले वाश के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए गतिविधियों, विभिन्न स्तरों पर आपदा तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति, पुनर्निर्माण, शमन के लिए संस्थागत तंत्र, आपदा के दौरान और उसके बाद वाश सेवा वितरण के लिए न्यूनतम मानकों और वाश संपत्तियों और सेवाओं में आपदा-लचीलापन के एकीकरण को वित्तपोषित करने के लिए वित्तीय तंत्र पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • इस आपदा प्रबंधन योजना में लिंग पर आधारित सुभेद्यताएँ, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, बुजुर्ग, बच्चे और दिव्यांग लोगों से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
    • आपदा से रिकवरी के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए नियमावली सामुदायिक तैयारी, प्रौद्योगिकी उपयोग और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को संबोधित करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
    • दस्तावेज़ जोखिम में कमी के लिए 10-सूत्री एजेंडे के अनुसार मुद्दों को संबोधित करने के अलावा योजना के चार चरणों – तैयारी, प्रतिक्रिया, रिकवरी और पुनर्निर्माण और शमन पर केंद्रित है।

    आपदा की स्थिति में तीन तरह के आकलन की जरूरत होती है:

    1. आपदा से पहले: सबसे आवश्यक तैयारी गतिविधियों का मार्गदर्शन करने के लिए जोखिम-संवेदनशीलता-क्षमता के मानचित्रण की जरूरत होती है।
    2. प्रतिक्रिया के दौरान: त्वरित आवश्यकता आकलन (RNA) जिसे एक दिन में पूरा किया जा सकता है और प्रभावित आबादी की तत्काल जरूरतों को इंगित किया जा सकता है।
    3. रिकवरी और पुनर्निर्माण के दौरान: विस्तृत आपदा के बाद की ज़रूरतों का आकलन (PDNA) जो समुदाय की दीर्घकालिक जरूरतों पर प्रकाश डालता है और प्रशासन को क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे को “बेहतर तरीके से वापस बनाने” और भविष्य की आपदाओं से बचने के लिए सेवा वितरण तंत्र को अद्यतन करने में मदद करता है।
    • ऐसी परिकल्पना की गई है कि नियमावली आपदा जोखिम को कम करने, आपदा तैयारियों की योजना बनाने और आपदा रिकवरी के लिए त्वरित और कुशल प्रयास करने के लिए राज्यों और जिलों को स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
  3. ‘स्वच्छता क्रोनिकल: परिवर्तनकारी कथाएं भारत से ‘ का लोकार्पण:
    • ग्रामीण वॉश भागीदार मंच (RWPF) के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में 75 ODF प्लस सर्वोत्तम प्रथाओं का सार-संग्रह जारी किया गया।
    • ‘स्वच्छता क्रोनिकल: परिवर्तनकारी कथाएं भारत से’ शीर्षक वाला यह संग्रह, SBM-G चरण-II के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए नवप्रवर्तनों, रूकावटों को दूर करने और जागरूकता को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों, शुरू किए गए विशेष अभियानों और विभिन्न ODF प्लस गतिविधियों में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अन्य प्रयासों को प्रदर्शित करता है।
    • “यह संग्रह ODF प्लस प्राप्त करने की दिशा में काम करने वाले राज्यों और अन्य हितधारकों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है”। “यह देश भर में लागू की गई सर्वोत्तम प्रथाओं को दर्शाता है और दूसरों को इन सफलताओं को दोहराने के लिए प्रेरणा देता है।”
    • यह संग्रह स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की IEC टीम द्वारा विकसित किया गया है और इसमें SBM-G चरण-II के प्रत्येक विषयगत स्तंभों की कहानियां शामिल हैं। कहानियों का समूचा चुनाव निम्नलिखित प्रमुख मानदंडों पर आधारित है :

नवप्रवर्तन: यह खंड उन नवीन दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालता है, जिनका उपयोग ODF प्लस प्राप्त करने के लिए किया गया है।

  • उदाहरण के लिए, ओडिशा राज्य में ब्लॉक स्तर पर सामुदायिक भागीदारी और नेतृत्व से खोर्धा जिले के भिंगरपुर ग्राम पंचायत में जितिकर सुआनलो गांव के लिए ODF प्लस मॉडल गांव का दर्जा कैसे सुनिश्चित हुआ था या कैसे ODF प्लस संपत्तियों (ठोस और तरल अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए) के लाइव मॉडल प्रदर्शित करने से उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले को ODF प्लस का दर्जा हासिल करने में मदद मिली।

रूकावटों पर काबू पाना: इस खंड में उन चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है, जिनका ODF प्लस हासिल करने में सामना करना पड़ा है और इन चुनौतियों पर कैसे काबू पाया गया है।

  • उदाहरण के लिए, तमिलनाडु राज्य ने नम्मा ऊरु सुपरू अभियान के हिस्से के रूप में नवीन सामूहिक सफाई पहल के माध्यम से मदुरै की उपनगरीय पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में निहित महत्वपूर्ण चुनौती को पार किया।

जागरूकता बढ़ाना: इस खंड में उन उपायों पर प्रकाश डाला गया है जो स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उठाए गए हैं।

  • उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चे वॉश वाणी नामक पत्रिका के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक वॉश व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए अपनी सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं।

विशेष अभियान: इस खंड में उन विशेष अभियानों पर विचार-विमर्श निहित है, जो ODF प्लस हासिल करने के लिए शुरू किए गए हैं।

  • उदाहरण के लिए, स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर (स्वच्छ तट, सुरक्षित सागर) अभियान के हिस्से के रूप में गुजरात राज्य ने अपने समुद्र तटों को नियमित आधार पर साफ करने और फलस्वरूप पर्यावरण की रक्षा करने के उपाय शुरू किए।

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