विषय सूची:
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1. 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री की भागीदारी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: ब्रिक्स के बारे में
मुख्य परीक्षा: ब्रिक्स सम्मेलन के निष्कर्ष
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री नें 23 अगस्त 2023 को जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में आयोजित 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
विवरण:
- नेताओं ने वैश्विक आर्थिक सुधार, अफ्रीका और ग्लोबल साउथ के साथ साझेदारी सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की और ब्रिक्स एजेंडे पर अब तक हुई प्रगति की समीक्षा भी की।
- प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान, एक मजबूत ब्रिक्स का आह्वान किया जो इस प्रकार है:
- B- ब्रेकिंग बैरियर्स(बाधाओं को तोड़ना)
- R- रिवाइटलाइजिंग इकोनॉमीज(अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करना)
- I- इंस्पायरिंग इनोवेशन(प्रेरक इनोवेशन)
- C- क्रिएटिंग अपॉर्चुनिटी(अवसर उत्पन्न करना)
- S-शेपिंग द फ्यूचर(भविष्य को आकार देना)
- इस दौरान प्रधानमंत्री ने निम्नलिखित पहलुओं पर भी प्रकाश डाला:
- UNSC सुधारों के लिए निश्चित समय सीमा तय करने का आह्वान किया
- बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों में सुधार का आह्वान किया
- डब्ल्यूटीओ में सुधार का आह्वान किया
- ब्रिक्स से विस्तार पर आम सहमति बनाने का आह्वान किया
- ब्रिक्स से ध्रुवीकरण नहीं बल्कि एकता का वैश्विक संदेश भेजने का आग्रह किया
- ब्रिक्स स्पेस एक्सप्लोरेशन कंसोर्टियम के निर्माण का प्रस्ताव पेश किया
- ब्रिक्स भागीदारों को इंडियन डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर – भारतीय स्टैक की पेशकश की गई
- ब्रिक्स देशों के बीच स्किल मैपिंग, कौशल और गतिशीलता को बढ़ावा देने का उपक्रम प्रस्तावित
- इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस के तहत चीतों के संरक्षण के लिए ब्रिक्स देशों के संयुक्त प्रयासों का प्रस्ताव
- ब्रिक्स देशों के बीच पारंपरिक चिकित्सा का भंडार स्थापित करने का प्रस्ताव
- ब्रिक्स साझेदारों से जी 20 में एयू की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने का आह्वान किया
2. केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने नई दिल्ली में स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा जारी की
सामान्य अध्ययन: 2
शिक्षा:
विषय:स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
मुख्य परीक्षा: स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा
प्रसंग:
- केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री ने स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (NCF-SE) जारी की।
विवरण:
- यह रूपरेखा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण और परिवर्तनकारी कदम है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा निरीक्षण समिति तथा राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण-प्रशिक्षण सामग्री समिति की पहली संयुक्त कार्यशाला को संबोधित किया। स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (NCF-SE) का विकास 21वीं सदी की आवश्यकताओं और भारतीय ज्ञान प्रणाली के लोकाचार के साथ शिक्षा को संरेखित करने के दृष्टिकोण से निर्देशित था।
- प्रोफेसर के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में, स्कूली शिक्षा के 5+3+3+4 प्रारूप पर बल देते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने के लिए एक संचालन समिति का गठन किया गया था। यह रूपरेखा प्रारंभिक स्तर से लेकर माध्यमिक स्तर तक की संपूर्ण शैक्षिक प्रणाली को संबोधित करती है। यह रूपरेखा बहु-विषयक शिक्षा, मूल्यों का पोषण, रचनात्मक शिक्षा शास्त्र को प्रोत्साहन देने और विद्यार्थियों को व्यावहारिक समस्या-समाधान के लिए तैयार करने का परिचय देती है।
- स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (NCF-SE) की व्यापक प्रकृति यह सुनिश्चित करती है कि इसमें स्कूली शिक्षा के सभी चरण शामिल हों। यह सीखने के स्पष्ट मानक और दक्षताएँ निर्धारित करता है, जिससे शिक्षकों को आलोचनात्मक विचार, रचनात्मकता और वास्तविक समझ को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। यह ढांचा शिक्षकों को सशक्त बनाता है, आकर्षक शिक्षा शास्त्र को प्रोत्साहित करता है और स्कूल संस्कृति और मूल्यों के महत्व पर बल देता है।
- कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और कल्याण, पर्यावरण शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा को स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (NCF-SE) के अंतर्गत पुनर्जीवित किया गया है। बहुभाषावाद, गणित में वैचारिक समझ और वैज्ञानिक अन्वेषण की क्षमताओं पर भी नए सिरे से ध्यान दिया गया है। पाठ्यक्रम का अंतःविषय दृष्टिकोण विद्यार्थियों को व्यक्तियों, समाज और पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF-SE) राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) द्वारा प्रस्तावित स्कूली शिक्षा के 5+3+3+4 प्रारूप के लिए पाठ्यक्रम की रूपरेखा है। इसने इस चार-चरणीय स्कूल स्वरूप का प्रतिउत्तर देने के लिए स्कूल शिक्षा हेतु एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (NCFSE) तैयार करने की भी सिफारिश की। सभी चार चरणों- मूलभूत चरण, प्रारंभिक चरण, मध्य चरण और माध्यमिक चरण – के लिए संपूर्ण पाठ्यक्रम रूपरेखा जारी की गई। इससे सम्बंधित कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- स्कूली शिक्षा के सभी 4 चरणों को शामिल करने वाली व्यापक पाठ्यक्रम रूपरेखा। स्कूल शिक्षा के लिए एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (NCF-SE) स्कूली शिक्षा के सभी चार चरणों को व्यापक रूप से शामिल करता है। NCF-SE ने सीखने के मानकों और प्रशिक्षण के मानकों को प्राप्त करने के लिए सामग्री, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन के चयन के सिद्धांतों को स्पष्ट किया है।
- देश में शिक्षा के व्यवहार में वास्तविक सुधार लाना। NCF-SE को बुनियादी स्तर पर व्यवहार में वास्तविक बदलाव को सक्षम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। NCF-SE ने पाठ्यचर्या और सिलेबस डेवलपर्स सहित स्कूली शिक्षा में सभी हितधारकों से संवाद करने के लिए सचेत प्रयास किया है, ताकि यह व्यावहारिक परिस्थितियों में उपयोग योग्य हो।
- स्पष्ट, विशिष्ट और कठोर ड्रॉप-डाउन के साथ सीखने के मानक। यह सभी स्कूल विषयों के लिए विशिष्ट शिक्षण मानकों को स्पष्ट करता है जो स्कूल प्रणाली में सभी हितधारकों, विशेषकर शिक्षकों के कार्रवाई हेतु स्पष्ट दिशा देता है। सीखने के मानकों ने प्रत्येक स्कूल विषय के लिए प्रत्येक चरण के अंत में हासिल की जाने वाली विशिष्ट दक्षताओं को परिभाषित किया है। स्कूली शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों से लेकर प्रत्येक विषय के विशिष्ट पाठ्यक्रम संबंधी लक्ष्यों तक पाठ्यचर्या तर्क का एक स्पष्ट, विशिष्ट और कठोर प्रवाह होता है, जिसके परिणामस्वरूप उस विषय में एक विशिष्ट चरण के लिए पाठ्यक्रम संबंधी लक्ष्य और दक्षताएँ उत्पन्न होती हैं।
- ज्ञान, क्षमताओं और मूल्यों का विकास: पाठ्यक्रम वास्तविक समझ, आलोचनात्मक विचार और रचनात्मकता जैसी मौलिक क्षमताओं और संवैधानिक और मानवीय मूल्यों के साथ ज्ञान के विकास पर केंद्रित है।
- शिक्षकों और स्कूलों को सशक्त बनाना: NCF-SE को शिक्षकों और स्कूलों को उनकी रचनात्मक और बढ़ी हुई सहभागिता के पूर्ण विकास के लिए सक्षम और सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- आकर्षक और प्रभावी शिक्षाशास्त्र: यह खेल-आधारित, गतिविधि-आधारित, पूछताछ-आधारित, संवाद आधारित और आयु एवं संदर्भ के अनुरूप शिक्षाशास्त्र की संपूर्ण श्रृंखला को सक्षम बनाता है। इसमें पाठ्यपुस्तकों सहित प्रभावी, व्यापक रूप से उपलब्ध और अत्यधिक आकर्षक शिक्षण-प्रशिक्षण-सामग्री का भी उपयोग किया जाएगा।
- परीक्षा सहित मूल्यांकन में परिवर्तन: वास्तविक अधिगम को सक्षम करने और बोर्ड परीक्षाओं सहित तनाव को कम करने के लिए सभी स्तरों पर मूल्यांकन और परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा।
- विद्यालय संस्कृति का महत्व: स्कूल की संस्कृति और प्रथाओं को पाठ्यक्रम के एक अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में विकसित किया जाना है।
- भारत केंद्रित: पाठ्यक्रम भारत केंद्रित है और शिक्षा पर भारतीय ज्ञान और विचार की संपदा से प्रेरित है। प्राचीन से समकालीन समय तक भारतीयों द्वारा विभिन्न विषयों में ज्ञान के योगदान को सभी स्कूली विषयों के पाठ्यक्रम लक्ष्यों में एकीकृत किया गया है।
- बहुविषयक शिक्षा: एक एकीकृत और समग्र परिप्रेक्ष्य और सीखने की कला को विकसित करने के लिए सभी बच्चों को बहु-विषयक शिक्षा प्राप्त करना होगा।
- समानता और समावेशन: NCF-SE को सामग्री और शिक्षाशास्त्र से लेकर स्कूल संस्कृति और प्रथाओं तक इसके सभी पहलुओं में समानता और समावेश सुनिश्चित करने के सिद्धांतों द्वारा सूचित किया जाता है।
- कला, और शारीरिक शिक्षा तथा कल्याण पर नए सिरे से जोर: कला शिक्षा और शारीरिक शिक्षा तथा कल्याण के स्कूली विषयों के विशिष्ट शिक्षण मानकों को परिभाषित करके और स्कूल समय सारिणी में समय आवंटन की सिफारिश करके पाठ्यक्रम में नए सिरे से जोर दिया गया है। कला शिक्षा में दृश्य कला और प्रदर्शन कला दोनों शामिल हैं और इसमें कलाकृति बनाने, उसके बारे में सोचने और उसकी सराहना करने पर समान जोर दिया गया है। यह शारीरिक शिक्षा तथा खेल और योग जैसी प्रथाओं के माध्यम से मन-शरीर के कल्याण और पारंपरिक भारतीय खेलों और अन्य खेलों को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार करता है।
- पर्यावरण शिक्षा: वर्तमान दुनिया में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि और प्रदूषण की चुनौती तथा पर्यावरण जागरूकता और स्थिरता की गंभीरता का जवाब देते हुए, स्कूली शिक्षा के सभी चरणों में पर्यावरण शिक्षा पर जोर दिया जाता है, जिसका समापन माध्यमिक चरण में अध्ययन के एक अलग क्षेत्र में होता है।
- व्यावसायिक शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने व्यावसायिक शिक्षा को स्कूली शिक्षा का एक अभिन्न अंग बनाने के लिए मजबूत सिफारिशें की हैं और NCF-SE ने स्कूली शिक्षा के सभी चरणों के लिए व्यावसायिक शिक्षा के लिए विशिष्ट शिक्षण मानकों, सामग्री, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन को शामिल किया है। पाठ्यक्रम के तीन अलग-अलग रूपों में संलग्नता- जीवन रूपों (कृषि, पशुपालन) के साथ काम, सामग्री और मशीनों के साथ काम, और मानव सेवाओं में काम का प्रस्ताव करता है।
- बहुभाषावाद और भारतीय भाषाएँ: NCF-SE ने बहुभाषावाद और भारत की मूल भाषाओं को सीखने पर जोर दिया है। भारत की समृद्ध बहुभाषी विरासत को देखते हुए, यह अपेक्षा करता है कि सभी विद्यार्थी कम से कम तीन भाषाओं में पारंगत हों, जिनमें से कम से कम दो भारत की मूल भाषाएँ हों। यह अपेक्षा करता है कि विद्यार्थी इनमें से कम से कम एक भारतीय भाषा में भाषाई क्षमता का “साहित्यिक स्तर” हासिल करें।
- गणित में वैचारिक समझ और प्रक्रियात्मक प्रवाह: गणित और गणनात्मक सोच के स्कूल विषय में प्रक्रियात्मक प्रवाह के साथ-साथ वैचारिक समझ पर जोर दिया जाता है – जिसका लक्ष्य गणित की सुंदरता और सार्वभौमिकता की सराहना करना और विषय के डर को कम करना है। समस्या समाधान, गणितीय सोच, कोडिंग और संचार जैसे उच्च क्रम के पाठ्यचर्या संबंधी लक्ष्यों को उचित महत्व दिया जाता है।
- वैज्ञानिक जाँच की क्षमताएँ: विज्ञान शिक्षा जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी और पृथ्वी विज्ञान जैसे विषयों में विज्ञान के मौलिक सिद्धांतों, कानूनों और वैचारिक संरचनाओं का ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ वैज्ञानिक जांच के लिए क्षमताओं के विकास पर जोर देती है।
- विषयों के माध्यम से सामाजिक विज्ञान की अंतःविषय समझ: सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम विद्यार्थियों से अपेक्षा करता है कि वे व्यवस्थित रूप से मानव समाजों का अध्ययन करें और व्यक्तियों, समाज, प्राकृतिक पर्यावरण, सामाजिक संस्थानों और संगठनों के बीच संबंधों का पता लगाएं। इसका अध्ययन मध्य चरण में अंतःविषय तरीके से विषयों के माध्यम से किया जाना है और माध्यमिक चरण में अनुशासनात्मक गहराई विकसित करना है।
- माध्यमिक चरण में लचीलापन और विकल्प: विद्यार्थियों को अधिक लचीलापन और विकल्प प्रदान करने के लिए माध्यमिक चरण को नया रूप दिया गया है। शैक्षणिक और व्यावसायिक विषयों या विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और शारीरिक शिक्षा के बीच कोई कठोर अलगाव नहीं है। विद्यार्थी अपने स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए विषयों के विशिष्ट संयोजन को चुन सकते हैं।
- अध्ययन के अंतःविषय क्षेत्र: अध्ययन के अंतःविषय क्षेत्रों को माध्यमिक चरण में अध्ययन के एक अलग विषय के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस विषय में, विद्यार्थी नैतिकता और नैतिक चिंताओं सहित कई विषयों के ज्ञान का उपयोग करके समकालीन चुनौतियों के बारे में तर्क करने की क्षमता विकसित करते हैं। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे इन क्षमताओं का उपयोग पर्यावरणीय अवनयन की चिंताओं को समझने और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए करें जिसमें जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता हानि शामिल है।
NCF-SE को पांच भागों में व्यवस्थित किया गया है।
- भाग A स्कूली शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक वांछनीय मूल्यों और स्वभाव, क्षमताओं और कौशल और ज्ञान को स्पष्ट करता है। यह सामग्री चयन, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन के लिए सिद्धांतों और दृष्टिकोणों को भी निर्धारित करता है और स्कूली शिक्षा के चार चरणों के लिए औचित्य और डिजाइन सिद्धांत प्रस्तुत करता है।
- भाग B NCF-SE के कुछ महत्वपूर्ण क्रॉस-कटिंग विषयों पर केंद्रित है, जैसे, भारत में जड़ें जमाना, मूल्यों के लिए शिक्षा, पर्यावरण के बारे में सीखना और देखभाल करना, समावेशी शिक्षा, मार्गदर्शन और परामर्श, और शैक्षिक प्रौद्योगिकी का उपयोग।
- भाग C में प्रत्येक स्कूल विषय के लिए अलग-अलग अध्याय हैं। इनमें से प्रत्येक अध्याय में स्कूली शिक्षा के सभी प्रासंगिक चरणों के लिए परिभाषित शिक्षण मानक हैं, साथ ही उस विषय के लिए उपयुक्त सामग्री चयन, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन के लिए विशिष्ट दिशा निर्देश भी हैं। इस भाग में मूलभूत स्तर पर एक अध्याय और कक्षा 11 और 12 में डिजाइन और विषयों की श्रृंखला पर एक अध्याय भी है।
- भाग D स्कूल की संस्कृति और प्रक्रियाओं को संभालता है जो सकारात्मक अधिगम के माहौल को सक्षम बनाता है और वांछनीय मूल्यों और स्वभावों को विकसित करता है।
- अंतिम भाग, भाग E, स्कूली शिक्षा के समग्र पारितंत्र की आवश्यकताओं को रेखांकित करता है जो NCF-SE के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। इसमें शिक्षक क्षमताओं और सेवा शर्तों, भौतिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं और समुदाय और परिवार की भूमिका के पहलू शामिल हैं।
3. ई-कोर्ट परियोजना के तहत कम्प्यूटरीकरण और वाइड एरिया नेटवर्क संपर्क-सुविधा:
सामान्य अध्ययन:2
शासन:
विषय:शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय
प्रारंभिक परीक्षा: ई-कोर्ट परियोजना।
प्रसंग:
- ई-कोर्ट परियोजना के तहत वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) परियोजना का उद्देश्य ओएफसी, आरएफ, वीसैट जैसी विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके पूरे देश के सभी जिला और अधीनस्थ न्यायालय परिसरों को आपस में जोड़ना है।
विवरण:
- मार्च 2023 तक, कुल 2992 कार्यस्थलों में से 2976 कार्यस्थलों को 10 एमबीपीएस से 100 एमबीपीएस बैंडविड्थ स्पीड (99.5 प्रतिशत कार्यस्थलों में कार्य पूरे किये गये) के साथ चालू किया गया है। यह देश भर के न्यायालयों में डेटा कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने वाली ई-कोर्ट परियोजना का आधारस्तंभ है।
- कई न्यायालय जो दूर-दराज के इलाकों में स्थित हैं और जिन्हें तकनीकी रूप से व्यावहारिक कार्यस्थल नहीं माना जाता है। ई-कोर्ट परियोजना के तहत इन कार्यस्थलों को आरएफ, वीसैट, सबमरीन केबल जैसे वैकल्पिक साधनों का उपयोग करके जोड़ा जा रहा है।
- विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय के फलस्वरूप, विभाग टीएनएफ कार्यस्थलों की संख्या जो 2019 में 58 थी, को कम करके 2022 में 1 पर लाने में सक्षम रहा है। इससे सरकारी कोष को 95.45 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इन 11 कार्यस्थलों के लिए भी कार्य-आदेश जारी कर दिया गया है। कोविड-19 परिदृश्य में, इस WAN कनेक्टिविटी से बेहतर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं सक्षम हुई हैं तथा न्याय तक पहुंच में सुधार हुआ है।
4. नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय
प्रारंभिक परीक्षा: नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड
मुख्य परीक्षा: नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड का विवरण
नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड:
- नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) ई-कोर्ट परियोजना के अंतर्गत एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के रूप में बनाए गए 18,735 जिला और अधीनस्थ न्यायालयों और उच्च न्यायालयों के आदेशों, निर्णयों एवं मामलों के विवरण का एक डेटाबेस है।
विवरण:
- संबंधित जिला और तालुका न्यायालयों द्वारा लगभग रियल टाइम (वास्तविक समय) के आधार पर डेटा अपडेट किया जाता है। यह देश के सभी कम्प्यूटरीकृत जिला और अधीनस्थ न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाहियों/निर्णयों से संबंधित आंकड़े उपलब्ध कराता है। सभी उच्च न्यायालय भी वेब सेवाओं के माध्यम से नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) में शामिल हो गए हैं, जो वादी जनता को आसान पहुंच सुविधा प्रदान करते हैं।
- इलास्टिक सर्च तकनीक का उपयोग करते हुए ई-कोर्ट सेवा प्लेटफॉर्म के माध्यम से वर्तमान में वादी 23.58 करोड़ से अधिक मामलों और कम्प्यूटरीकृत अदालतों से संबंधित 22.56 करोड़ से अधिक आदेशों/निर्णयों के संबंध में मामले की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- NJDG पर सिविल और आपराधिक दोनों मामलों के लिए केस डेटा उपलब्ध है। इसमें मामले की अवधि के साथ-साथ राज्य और जिले के आधार पर विश्लेषण करने की क्षमता है। NJDG लंबित मामलों की पहचान, प्रबंधन और लंबित मामलों को कम करने के लिए एक निगरानी उपकरण के रूप में काम करता है। यह मामलों के निपटान में देरी को कम करने में नीतिगत निर्णय लेने के लिए समय पर इनपुट प्रदान करने में सहायता करता है और लंबित मामलों को कम करने में मदद करता है।
- यह अदालत के प्रदर्शन और प्रणालीगत बाधाओं की बेहतर निगरानी की सुविधा भी प्रदान करता है, और इस प्रकार, एक कुशल संसाधन प्रबंधन उपकरण के रूप में कार्य करता है। भूमि विवादों से संबंधित मामलों को ट्रैक करने के लिए, 26 राज्यों के भूमि रिकॉर्ड डेटा को NJDG के साथ जोड़ा गया है।
- विश्व बैंक ने 2018 के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड की प्रशंसा की कि इसने केस मैनेजमेंट रिपोर्ट उत्पन्न करना संभव बनाया, जिससे अनुबंध को लागू करना आसान हो गया। भारत सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और अभिगम्यता नीति (NDSAP) के अनुरूप विभागीय आईडी और एक्सेस कुंजी का उपयोग करके एनजेडीजी डेटा तक आसान पहुंच की अनुमति देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को ओपन एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) प्रदान किया गया है। यह संस्थागत वादियों को अपने मूल्यांकन और निगरानी उद्देश्यों के लिए NJDG डेटा तक पहुंचने की अनुमति देगा। भविष्य में गैर-संस्थागत वादियों के लिए भी इस सुविधा का विस्तार करने का प्रस्ताव है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- अस्त्र मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण
- हल्के लड़ाकू विमान (LCA) एलएसपी-7 तेजस ने गोवा के तट पर स्वदेशी बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- इस मिसाइल का परीक्षण लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक किया गया। परीक्षण से संबंधित सभी उद्देश्यों को पूरा किया गया और यह एक आदर्श और सटीक लॉन्च था।
- अस्त्र, एक अत्याधुनिक BVR हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जो अत्यधिक कलाबाजी वाले सुपरसोनिक हवाई लक्ष्यों को भेदने और नष्ट करने में सक्षम है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL), अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI) और अन्य प्रयोगशालाओं द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। DRDO का घरेलू तेजस लड़ाकू विमान से स्वदेशी अस्त्र बीवीआर परीक्षण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- इस प्रक्षेपण से तेजस की युद्धक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और आयातित हथियारों पर निर्भरता कम होगी।
- चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफल रही इसके साथ ही भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐसा प्रयास करने वाला पहला देश बन गया है।
- इस उपलब्धि की परिकल्पना भविष्य के लैंडिंग मिशनों और ग्रहों के अन्वेषण के लिए हासिल की जाने वाली अन्य तकनीकी प्रगति के अग्रदूत के रूप में की गई है।
- चंद्रयान-3 की स्वीकृत लागत, 250 करोड़ रु. (प्रक्षेपण वाहन की लागत को छोड़कर) थी। भारत के पिछले प्रयास चंद्रयान-2 ने भी मिशन के अधिकांश उद्देश्यों को पूरा करते हुए 98 प्रतिशत सफलता हासिल की, हालांकि लैंडर मॉड्यूल के अंतिम चरण के प्रदर्शन में कुछ अप्रत्याशित बदलावों के कारण चंद्रयान-2 के टचडाउन के समय वेग काफी अधिक हो गया। पिछले अनुभव के आधार पर इसरो ने चंद्रयान-3 में सभी प्रकार की आपात स्थितियों के लिए योजना बनाई, जिसकी बदौलत दक्षिणी ध्रुव पर सटीक लैंडिंग संभव हो सकी।
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