Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

23 दिसंबर 2023 : PIB विश्लेषण

23 December 2023: PIB Summary for UPSC

23 दिसंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. देश में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए कुशल कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए उठाए गए कदम :
  2. कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम; अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान घरेलू कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 8.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई :
  3. तापीय विद्युत संयंत्रों में जल की खपत कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं :
  4. सौभाग्य और आरडीएसएस योजना के अंतर्गत घरेलू विद्युतीकरण का कार्यान्वयन :

देश में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए कुशल कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए उठाए गए कदम

सामान्य अध्ययन: 3

नवीकरणीय ऊर्जा

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: नवीकरणीय ऊर्जा।

प्रसंग:

  • केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री ने बताया कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में भारत लगातार शीर्ष चार देशों में शामिल रहा है।

विवरण:

भारत सरकार द्वारा की गई कई कोशिशों से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार हुआ है और अक्षय ऊर्जा क्षमता का इष्टतम उपयोग हुआ है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. 30 जून 2025 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर और पवन ऊर्जा की अंतर-राज्यीय बिक्री के लिए अंतर-राज्य पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क में छूट और उसके बाद श्रेणीबद्ध आईएसटीएस शुल्क,
  2. वर्ष 2030 तक नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) के लिए प्रक्षेप पथ की घोषणा,
  3. सौर पार्कों और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास की योजना, प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना (पीएम-कुसुम), ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप कार्यक्रम, सीपीएसयू योजना चरण-II (सरकारी उत्पादक योजना), उच्च दक्षता सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम, नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास (आरई-आरटीडी) कार्यक्रम सहित नई योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरूआत। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण और हरित हाइड्रोजन उत्पादन पर प्रोत्साहन की योजनाएं।
  4. प्लग एंड प्ले आधार पर आरई डेवलपर्स को भूमि और ट्रांसमिशन प्रदान करने के लिए अल्ट्रा मेगा नवीकरणीय ऊर्जा पार्कों की स्थापना,
  5. नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए नई ट्रांसमिशन लाइनें बिछाना और नई सब-स्टेशन क्षमता का निर्माण करना,
  6. निवेश को आकर्षित करने और सुविधाजनक बनाने के लिए परियोजना विकास प्रकोष्ठ की स्थापना,
  7. ग्रिड से जुड़ी सौर पीवी और पवन परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए मानक बोली दिशानिर्देश,
  8. सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि आरई जनरेटर को वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) या अग्रिम भुगतान के बाद ही बिजली भेजी जाएगी।
  9. ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस नियम 2022 के माध्यम से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने की अधिसूचना,
  10. विलंब भुगतान अधिभार और संबंधित मामलों की अधिसूचना नियम 2022
  11. केन्द्रीय पूल के लिए समान नवीकरणीय ऊर्जा प्रशुल्क के प्रावधान के साथ विद्युत संशोधन नियम 2022 की अधिसूचना।
  12. भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात का केन्द्र बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरूआत।

इसके अलावा, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) अक्षय ऊर्जा की स्थापना, संचालन और रख-रखाव के लिए कुशल जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के लिए मानव संसाधन विकास कार्यक्रम के अल्पावधि प्रशिक्षण घटक और अध्येतावृत्ति घटक के अंतर्गत योग्य और कुशल जनशक्ति का विकास कर रहा है।

  1. सूर्यमित्र कौशल विकास कार्यक्रम (सौर पीवी तकनीशियन प्रशिक्षण) 2015 में एमएनआरई द्वारा कुशल जनशक्ति बनाकर सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना, संचालन और रख-रखाव में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को शुरू किया गया था इस कार्यक्रम के तहत नवंबर 2023 तक 55000 से अधिक सूर्यमित्रों को प्रशिक्षित किया गया है।
  2. जल-ऊर्जामित्र कौशल विकास कार्यक्रम लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना, संचालन, मरम्मत और रखरखाव पर केंद्रित प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  3. वायुमित्र कौशल विकास कार्यक्रम (वीएसडीपी) पवन ऊर्जा परियोजनाओं के रखरखाव के लिए कुशल और प्रशिक्षित जनशक्ति का सृजन करता है।
  4. वरुणमित्र कार्यक्रम सौर जल पंपों की स्थापना और रखरखाव के लिए सौर जल पंपिंग के क्षेत्र में प्रशिक्षित जनशक्ति विकसित करता है।
  5. अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए छात्रों को एम. टेक, एम.एससी और पीएचडी स्तरों पर राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा फैलोशिप प्रदान की जाती है।
  6. एमएनआरई ने सौर लालटेन, लैंप आदि के संयोजन, स्थापना, संचालन और रखरखाव पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की अर्ध-साक्षर महिलाओं के लिए छह महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी समर्थन किया था।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम; अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान घरेलू कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 8.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई :
    • लगभग 4.7 प्रतिशत की वार्षिक बिजली मांग में वृद्धि के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है।
    • विशेष रूप से, देश में अप्रैल से नवंबर 2023 तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बिजली उत्पादन में 7.71 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। अप्रैल-नवंबर 23 के दौरान कोयला आधारित बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.19 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसका कारण तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि, देश के उत्तरी क्षेत्र में मानसून में देरी और कोविड के बाद पूर्ण वाणिज्यिक गतिविधियों का फिर से शुरू होना रहा।
    • नवंबर 2023 तक घरेलू कोयला आधारित बिजली उत्पादन 779.1 बिलियन यूनिट (बीयू) तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में उत्पन्न 718.83 बिलियन यूनिट (बीयू) से 8.38 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
    • बिजली की बढ़ती मांग के फलस्वरूप सम्मिश्रण के लिए कोयले का आयात नवंबर, 2023 तक पिछले वर्ष की इसी अवधि में 27.21 मीट्रिक टन से 44.28 प्रतिशत कम होकर 15.16 (एमटी) हो गया है। यह कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता और समग्र कोयला आयात को कम करने के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • सरकार कोयला उत्पादन को और बढ़ाने के अपने प्रयासों में लगी हुई है, जिसका लक्ष्य उपलब्धता बढ़ाना और आयातित कोयले पर निर्भरता कम करना है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार सुरक्षित रह सके।
  2. तापीय विद्युत संयंत्रों में जल की खपत कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं :
    • केंद्रीय विद्युत व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिनांक 07.12.2015 की अधिसूचना, इसके बाद 28.06.2018 को संशोधित अधिसूचना के माध्यम से तापीय विद्युत संयंत्रों के लिए जल की खपत संबंधी मानदंडों को अधिसूचित किया है। इसके बाद 05.09.2022 को मंत्रालय की अधिसूचना के माध्यम से इसके मानदंडों के अनुपालन की समय-सीमा को संशोधित किया गया है।

    तापीय विद्युत संयंत्रों ने इन मानदंडों का अनुपालन करने के संबंध में जल की खपत को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए हैं:

    1. वातानुकूलित कंडेनसर (एसीसी) प्रौद्योगिकी को अपनाना- एनटीपीसी की दो परियोजनाओं यानी उत्तरी कर्णपुरा एसटीपीपी (3×660 मेगावाट) और पतरातू एसटीपीपी (3×800 मेगावाट) में एसीसी को कार्यान्वित किया जा रहा है। इसमें से उत्तरी कर्णपुरा की पहली इकाई 18 जनवरी, 2023 को शुरू हो गई।
    2. सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों (एसटीपी) के 50 किलोमीटर के दायरे में स्थित तापीय विद्युत संयंत्रों के लिए शोधित सीवेज के पानी का अनिवार्य उपयोग- भारत सरकार ने 28 जनवरी, 2016 को नई टैरिफ नीति अधिसूचित की। इसमें यह अनिवार्य किया गया कि नगर पालिका/स्थानीय निकायों/सदृश संगठन के एसटीपी के 50 किलोमीटर के दायरे में स्थित मौजूदा संयंत्रों सहित तापीय विद्युत संयंत्रों, एसटीपी की निकटता की दृष्टि से इन निकायों द्वारा उत्पन्न सीवेज शोधित जल का अनिवार्य रूप से उपयोग करेंगे। अब तक देश में 8 कोयला, लिग्नाइट और गैस आधारित तापीय विद्युत संयंत्र अपने यहां एसटीपी जल का उपयोग कर रहे हैं।
    3. ड्राई फ्लाई ऐश (राख) हैंडलिंग प्रणाली और हाई कंसंट्रेशन स्लरी डिस्पोजल प्रणाली (एचसीएसडी)- यह राख हैंडलिंग तकनीकें राख प्रबंधन के लिए जल की जरूरत को कम करती है, जिससे संयंत्रों में जल की खपत कम हो जाएगी।
    4. राख-जल पुन:संचरण प्रणाली (एडब्ल्यूआरएस) को कार्यान्वित किया जाता है, जहां राख के तालाब से जल को फिर से प्राप्त किया जाता है और प्रणाली में फिर से इसका उपयोग किया जाता है।
    5. शून्य जल बहाव प्रणाली- संयंत्र में उत्पन्न अपशिष्ट जल का उपयोग निम्न श्रेणी के अनुप्रयोगों जैसे राख प्रबंधन, कोयले की राख का निपटान और बागवानी आदि के लिए किया जाता है। इसके अलावा बाकी अपशिष्ट जल को उचित रूप से शोधित किया जाता है और संयंत्र की कुल खपत को कम करने के लिए उपभोग्य जल प्रणाली में वापस रीसाइकल किया जाता है।
  3. सौभाग्य और आरडीएसएस योजना के अंतर्गत घरेलू विद्युतीकरण का कार्यान्वयन :
    • केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि कि भारत सरकार ने विभिन्न ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यों के लिए दिसंबर, 2014 में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) की शुरुआत की थी, जिसमें कृषि और गैर-कृषि फीडरों का पृथक्करण, उप-ट्रांसमिशन और वितरण अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण एवं संवर्धन, वितरण ट्रांसफार्मरों/ फीडरों/ उपभोक्ताओं पर मीटरिंग और पूरे देश के गावों का विद्युतीकरण करना शामिल है। इस योजना के अंतर्गत कार्य पूरे हो चुके हैं और यह योजना बंद हो चुकी है।
    • राज्यों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, 28 अप्रैल, 2018 तक जनगणना में शामिल देश के सभी गैर-विद्युतीकृत गांवों का विद्युतीकरण कर दिया गया। इस योजना के दौरान कुल 18,374 गांवों का विद्युतीकरण किया गया।
    • इसके बाद, भारत सरकार ने अक्टूबर, 2017 में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना – सौभाग्य की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी इच्छुक गैर-विद्युतीकृत परिवारों और शहरी क्षेत्रों में सभी इच्छुक गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान करने के लिए सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण प्रदान करना है।
    • सौभाग्य योजना की शुरुआत के बाद से, सभी राज्यों ने जानकारी दी कि 31.03.2019 से पहले पहचाने गए सभी इच्छुक गैर-विद्युतीकृत घरों का 31.03.2021 तक 100% विद्युतीकरण कर दिया गया। राज्यों द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार, सौभाग्य की शुरुआत से लेकर 31.03.2021 तक 2.817 करोड़ घरों का विद्युतीकरण किया गया। इसके अलावा, डीडीयूजीजेवाई के अंतर्गत कुल 4.43 लाख अतिरिक्त घरों का विद्युतीकरण किया गया। इस प्रकार, 31.03.2022 तक, सौभाग्य के शुभारंभ के बाद से कुल 2.86 करोड़ घरों (जनजातीय परिवारों सहित) का विद्युतीकरण किया गया है। अब यह योजना बंद है।
    • नए घरों का निर्माण एक गतिशील और सतत प्रक्रिया है। केंद्र सरकार अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, किसी भी छूटे हुए घरों का विद्युतीकरण करने के लिए संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) की चल रही योजना के अंतर्गत राज्यों को समर्थन प्रदान कर रही है, जो 31.03.2019 (सौभाग्य के निष्पादन की अवधि) से पहले मौजूद थे, लेकिन डिस्कॉम द्वारा किसी तरह छूट गए थे। अब तक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश राज्यों में विद्युतीकरण करने के लिए लगभग 4.96 लाख छूटे हुए घरों के लिए अनुमति प्रदान की गई है।

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*