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23 नवंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. प्रधानमंत्री ने एक सोशल इम्पैक्ट फंड के निर्माण की घोषणा की:
  2. वाणिज्य मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ सहभागिता करेगा:
  3. भारी मशीनरी के घरेलू विनिर्माण पर उच्च स्तरीय समिति ने कोयला मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी:
  4. ‘संत मीराबाई का 525वां जन्मोत्सव:
  5. भारत और लिथुआनिया समुद्री संबंध:
  6. रक्षा प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान और विकास हेतु रक्षा स्टाफ मुख्यालय और सीएसआईआर ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

1. प्रधानमंत्री ने एक सोशल इम्पैक्ट फंड के निर्माण की घोषणा की

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: जी20,ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोजिटरी, सोशल इम्पैक्ट फंड।

मुख्य परीक्षा: सोशल इम्पैक्ट फंड के निर्माण के महत्व पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 22 नवंबर 2023 को जी20 नेताओं के वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के नेतृत्व वाली दो पहलों -ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोजिटरी और एक सोशल इम्पैक्ट फंड- की शुरुआत की घोषणा की हैं।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य ग्लोबल साउथ में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को आगे बढ़ाने हेतु सोशल इम्पैक्ट फंड के विकास को बढ़ावा देना है।

विवरण:

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) की अध्यक्षता में जी20 डिजिटल इकोनॉमी वर्किंग ग्रुप (डीईडब्ल्यूजी) ने वैश्विक डीपीआई के एजेंडे की प्रगति की अगुवाई की है।
    • डीईडब्ल्यूजी के बातचीत के गहन प्रयासों की परिणति डीपीआई पर पहली बार बहुपक्षीय सहमति के रूप में हुई है।
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों की बैठक (डीईएमएम) ने सर्वसम्मति से डीपीआई से संबंधित तीन प्रदेयों (डिलिवरेबल्स) का समर्थन किया।
    • इन प्रदेयों में शामिल हैं: डीपीआई के निर्माण से संबंधित एक रूपरेखा, निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में डीपीआई के विकास हेतु वित्त जुटाना और सूचनाओं एवं सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के आदान-प्रदान हेतु एक वैश्विक डीपीआई रिपोजिटरी (जीडीपीआईआर) का निर्माण।
    • इस ऐतिहासिक सहमति की पुष्टि जी20 नई दिल्ली नेताओं की घोषणा (एनडीएलडी) के एक हिस्से के रूप में भी की गई थी।
  • इन परिणामों की पूर्ति करने की दिशा में, एमईआईटीवाई ने जीडीपीआईआर विकसित किया है, जोकि एक व्यापक संसाधन केन्द्र है और जी20 सदस्यों व अतिथि देशों से आवश्यक सबक और विशेषज्ञता एकत्रित करता है।
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य डीपीआई के डिजाइन, निर्माण, तैनाती एवं प्रशासन के लिए आवश्यक विकल्पों तथा कार्यप्रणाली से संबंधित ज्ञान के अंतर को पाटना है।
    • जीडीपीआईआर उन देशों और संगठनों से जुड़ी जानकारियां मानकीकृत प्रारूप प्रदर्शित करता है जिन्होंने परिपक्वता पैमाने, स्रोत कोड (जहां उपलब्ध हो) और प्रशासन संबंधी ढांचे जैसे तत्वों को शामिल करते हुए बड़े पैमाने पर डीपीआई विकसित किए हैं।
    • वर्तमान में, जीडीपीआईआर में 16 देशों के 54 डीपीआई शामिल हैं ।
  • इसके अलावा, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक सोशल इम्पैक्ट फंड (एसआईएफ) के निर्माण की घोषणा भी की, जिसके लिए भारत ने 25 मिलियन अमेरिकी डालर की प्रारंभिक प्रतिबद्धता का वादा किया है।
    • एसआईएफ की परिकल्पना ग्लोबल साउथ में डीपीआई के त्वरित कार्यान्वयन हेतु सरकार के अगुवाई वाली बहु-हितधारक पहल के रूप में की गई है।
    • यह फंड डीपीआई प्रणाली विकसित करने में विभिन्न देशों को अपस्ट्रीम तकनीकी एवं गैर-तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
    • एसआईएफ इस फंड में योगदान करने और निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में डीपीआई के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में तेजी लाने में मदद करने हेतु अन्य सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और परोपकारी संस्थाओं सहित सभी प्रासंगिक हितधारकों के लिए एक मंच प्रदान करता है।

2. वाणिज्य मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ सहभागिता करेगा:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, आर्थिक संसाधन से लाभ,विकास तथा रोजगार से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: ई-कॉमर्स,विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी)।

मुख्य परीक्षा: वाणिज्य मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ इस तरह के पहले सहयोग पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सक्षम करने और देश से ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ सहयोग कर रहा है।

उद्देश्य:

  • इस पहल का उद्देश्य निर्यात केंद्र के रूप में जिलों का लाभ उठाना और देश से ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देना है।
  • विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ इस तरह के पहले सहयोग के रूप में डीजीएफटी ने अमेजन इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

विवरण:

  • इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण और सुदूर जिलों के स्थानीय उत्पादकों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जोड़ना है।
    • इसके अलावा इस सहभागिता का उद्देश्य निर्यातकों/एमएसएमई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्राहकों को अपने ‘भारत में निर्मित’ उत्पाद बेचने में सक्षम बनाना है।
  • इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य संभावित अंतरराष्ट्रीय खरीदारों तक पहुंच बनाने में स्थानीय निर्यातकों, निर्माताओं और एमएसएमई को सहायता देने के लिए ई-कॉमर्स मंचों का लाभ उठाना है।
  • यह साझेदारी विदेश व्यापार नीति- 2023 के अनुरूप है, जो भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए ई-कॉमर्स को प्रमुख क्षेत्र के रूप में चिह्नित करती है।
  • इस सहभागिता के तहत पूरे भारत में विभिन्न क्षमता निर्माण और आउटरीच गतिविधियों को शुरू करने के लिए डीजीएफटी-क्षेत्रीय प्राधिकरणों के सहयोग से विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियां जिलों की पहचान करेगी।
    • ये गतिविधियां ई-कॉमर्स निर्यात पर एमएसएमई को शिक्षित करने और उन्हें पूरे विश्व के ग्राहकों को बेचने में सक्षम बनाने पर केंद्रित होंगी।
    • इसके अलावा क्षमता निर्माण सत्र से एमएसएमई को इमेजिंग, अपने उत्पादों की डिजिटल कैटलॉगिंग, कर सलाहकार सहित अन्य के बारे में सीखने की सुविधा प्राप्त होगी।
    • इससे भारतीय उद्यमी अपने ई-कॉमर्स निर्यात व्यवसाय और वैश्विक ब्रांड को स्थापित कर सकते हैं।
    • अमेजन इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन के तहत ऐसे क्षमता निर्माण और हैंड होल्डिंग सत्रों के लिए 20 जिलों की पहचान की गई है।

3. भारी मशीनरी के घरेलू विनिर्माण पर उच्च स्तरीय समिति ने कोयला मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मुख्य परीक्षा: भारी मशीनरी के घरेलू विनिर्माण पर उच्च स्तरीय समिति की कोयला मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • भारी मशीनरी के घरेलू विनिर्माण पर उच्च स्तरीय समिति ने कोयला मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी।

उद्देश्य:

  • आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की मजबूत प्रतिबद्धता के साथ कोयला मंत्रालय कोयला खनन क्षेत्र में स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रहा है।
  • ये प्रयास “मेक इन इंडिया” अभियान को आगे बढ़ाते हुए आत्मनिर्भर भारत के मूल सिद्धांतों के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं।

विवरण:

  • इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, सीआईएल के निदेशक (तकनीकी) की अध्यक्षता में एक अंतःविषय उच्च-स्तरीय समिति का गठन हेवी अर्थ मूविंग मशीनरी (एचईएमएम) और हाई वॉल माइनर्स, मानक तथा कम क्षमता वाले खनिक एवं संबंधित सहायक उपकरण सहित भूमिगत खनन उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशें प्रदान करने के लिए किया गया था।
  • यह अनुमान लगाया गया है कि कोयला 2030 के बाद भी प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में बना रहेगा।
  • इस प्रकार, समिति को देश में अगले 10 वर्षों में खुली खदानों और भूमिगत खदानों दोनों के लिए उपकरणों की भारी आवश्यकता की उम्मीद थी और उसने अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की।
  • कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) वर्तमान में इलेक्ट्रिक रोप शॉवेल्स, हाइड्रोलिक शॉवेल्स, डंपर, क्रॉलर डोजर, ड्रिल, मोटर ग्रेडर और फ्रंट-एंड लोडर व्हील डोजर जैसे उच्च क्षमता वाले उपकरण का आयात करता है, जिनकी कीमत 3500 करोड़ रुपये है और जिससे सीमा शुल्क में 1000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होता है।
    • इन आयातों पर अंकुश लगाने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सीआईएल ने अगले छह वर्षों में आयात को धीरे-धीरे समाप्त करने की एक रणनीतिक योजना तैयार की है।
    • इसका उद्देश्य घरेलू स्तर पर निर्मित उपकरणों को प्रोत्साहित और विकसित करना है।
    • खास बात यह है कि उच्च क्षमता वाली मशीनें पहले से ही घरेलू निर्माताओं से खरीदी जा रही हैं।
  • समिति ने सीआईएल के मौजूदा उपकरण मानकीकरण प्रयास के अनुरूप, कैप्टिव/वाणिज्यिक खदान ऑपरेटरों एमडीओ/आउटसोर्सिंग ठेकेदारों और विभागीय उपकरणों के लिए घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु उपकरणों के मानकीकरण की सिफारिश की है।
    • इसने यह भी सिफारिश की है कि निविदा शर्तों में “मेक इन इंडिया” मिशन का समर्थन करने के लिए स्वदेशी उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
    • इसके अलावा, मेक इन इंडिया पहल के तहत पांच साल के लिए भारत में उपकरण डिजाइन करने, विकसित करने और बनाने के लिए निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना का भी सुझाव दिया गया है।
    • सीआईएल ने तैनात किए जाने वाले खनन उपकरणों का व्यापक मानकीकरण किया है।
    • इसका उद्देश्य उत्पादकता से समझौता किए बिना कोयला उत्पादन, परिवहन और निगरानी में घरेलू स्तर पर निर्मित उपकरणों का व्यापक उपयोग सुनिश्चित करना है।
    • “मेक इन इंडिया” पहल को आगे बढ़ाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने मानकीकरण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
    • यह पहल न केवल विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करती है बल्कि आत्म-निर्भर भारत और “मेक इन इंडिया” के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप भी है।
    • स्वदेशी उपकरण क्षमताओं को बढ़ावा देने से आयातित उपकरणों की ब्रेकडाउन अवधि में भी कमी आएगी, जो अक्सर स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण गैर-परिचालन में रहते हैं।
    • यह आवश्यक भागों और सामग्रियों पर शुल्क प्रतिबंधों के साथ इंजन, ट्रांसमिशन सिस्टम, डिफरेंशियल और मोटर्स जैसे प्रमुख समुच्चय का निर्माण करके हासिल किया जाएगा।
  • कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने पहले ही उच्च क्षमता वाले एचईएमएम और उन्नत टिकाऊ खनिकों की खरीद शुरू कर दी है, जो बढ़ी हुई दक्षता और सुरक्षा के लिए वास्तविक समय स्थिति ट्रैकिंग के साथ दूरस्थ पर्यवेक्षण में सक्षम हैं।
    • एचईएमएम के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास चल रहे हैं।
    • प्रौद्योगिकी और क्षमता के उन्नयन के साथ-साथ ओपनकास्ट (ओसी) और भूमिगत (यूजी) खनन दोनों के लिए खनन उपकरणों के उत्पादन के लिए घरेलू निर्माताओं की पहचान की गई है।
    • इसके अलावा, सीआईएल ने बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) लोड हॉल डंप (एलएचडी) इकाइयां भी शुरू की हैं, जो बेहतर वेंटिलेशन करती हैं और लागत में भी बचत करती हैं।
    • सीआईएल डिग्री-II खदानों में संभावित बीईवी एलएचडी के साथ उच्च रिकवरी, कम लागत और बढ़ी हुई सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इन प्रौद्योगिकियों का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
    • ये पहल भारत में कोयला खनन में नवाचार और स्थिरता के साथ बदलाव ला रही हैं।
  • इसके अलावा, विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त उपकरण निर्माताओं के साथ साझेदारी और सहयोगी उद्यमों को बढ़ावा देना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
    • मेक इन इंडिया पहल के तहत गैर-कार्यात्मक और कम उपयोग वाली सरकारी बुनियादी सुविधाओं का उपयोग करने के तरीके भी तलाशे जा रहे हैं।
    • यह पहल विनिर्माण शक्ति केन्‍द्र बनने की भारत की क्षमता का एक प्रमाण है।
    • एचईएमएम में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देते हुए कोयला मंत्रालय का लक्ष्य एक मजबूत इकोसिस्‍टम बनाना है जो नवाचार का समर्थन करे, कार्यबल को सशक्त बनाए और अर्थव्यवस्था को मजबूत करे।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. ‘संत मीराबाई का 525वां जन्मोत्सव:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 नवंबर 2023 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में संत मीराबाई की 525वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम ‘संत मीराबाई जन्मोत्सव’ में भाग लिया।
    • इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने संत मीरा बाई के सम्मान में एक स्मारक टिकट और सिक्का जारी किया।
  • यह अवसर संत मीराबाई की स्मृति में साल भर चलने वाले अनगिनत कार्यक्रमों की शुरुआत का प्रतीक है।
  • प्रधानमंत्री ने ब्रज भूमि और ब्रज के लोगों के बीच आने पर प्रसन्नता और आभार व्यक्त किया।
  • इस भूमि के दैवीय महत्व की व्‍यापक स्तुति की एवं भगवान श्री कृष्ण, राधा रानी, मीरा बाई और ब्रज के सभी संतों को नमन किया।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि संत मीराबाई की 525वीं जयंती केवल एक जयंती नहीं है बल्कि “भारत में प्रेम की संपूर्ण संस्कृति और परंपरा का उत्सव है।” नर और नारायण, जीव और शिव, भक्त और भगवान को एक मानने वाली सोच का उत्सव।”
  • गुजरात के साथ भगवान कृष्ण और मीराबाई के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनकी मथुरा यात्रा को और भी विशेष बनाता है।
  • प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि मीराबाई बलिदान और वीरता की भूमि, राजस्थान से आई थीं।
  • उन्होंने यह भी बताया कि 84 ‘कोस’ का ब्रज मंडल उत्तर प्रदेश और राजस्थान दोनों का हिस्सा है।
  • मीराबाई ने भारत की चेतना को भक्ति और अध्यात्म से पोषित किया।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि मीराबाई ने उस कठिन समय में यह दिखाया कि एक महिला की आंतरिक शक्ति पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करने में सक्षम है।
    • संत रविदास उनके गुरु थे।
    • संत मीराबाई एक महान समाज सुधारक भी थीं। उनके छंद आज भी हमें रास्ता दिखाते हैं। वह हमें रूढ़ियों से बंधे बिना अपने मूल्यों से जुड़े रहना सिखाती हैं।
  • भक्ति काल के संतों अर्थात् दक्षिण भारत के अलावर एवं नयनार संतों तथा आचार्य रामानुजाचार्य, उत्तर भारत के तुसलीदास, कबीरदास, रविदास तथा सूरदास, पंजाब के गुरु नानक देव, पूर्व में बंगाल के चैतन्य महाप्रभु, गुजरात के नरसिंह मेहता और पश्चिम में महाराष्ट्र के तुकाराम एवं नामदेव का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने त्याग का मार्ग अपनाया और भारत को भी गढ़ा।
    • प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही उनकी भाषाएं एवं संस्कृतियां एक-दूसरे से भिन्न थीं, लेकिन उनका संदेश एक ही था और उन्होंने अपनी भक्ति एवं ज्ञान से पूरे देश को एकजुट किया।
  • प्रधानमंत्री ने कहा, “मथुरा ‘भक्ति आंदोलन’ की विभिन्न धाराओं का संगम स्थल रहा है।”
    • उन्होंने मलूक दास, चैतन्य महाप्रभु, महाप्रभु वल्लभाचार्य, स्वामी हरि दास और स्वामी हित हरिवंश महाप्रभु का उदाहरण देते हुए कहा कि इन महापुरुषों ने राष्ट्र में एक नयी चेतना का संचार किया।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल के इस समय में, देश पहली बार गुलामी की मानसिकता से बाहर आया है।
    • उन्होंने कहा कि लाल किले की प्राचीर से पंच प्रणों का संकल्प लिया गया है।
  • श्री मोदी ने दोहराया कि पूरा क्षेत्र कान्हा की ‘लीलाओं’ से जुड़ा है।
    • उन्होंने मथुरा, वृंदावन, भरतपुर, करौली, आगरा, फिरोजाबाद, कासगंज, पलवल, बल्लभगढ़ जैसे क्षेत्रों का उदाहरण दिया, जो विभिन्न राज्यों में स्थित हैं।
    • उन्होंने बताया कि भारत सरकार विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस पूरे क्षेत्र को विकसित करने का प्रयास कर रही है।
  • “महाभारत इस बात का प्रमाण है कि, जहां भी भारत का पुनर्जन्म होता है, उसके पीछे निश्चित रूप से श्री कृष्ण का आशीर्वाद होता है।”

2. भारत-लिथुआनिया समुद्री संबंध:

  • भारत के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री और लिथुआनिया के विदेश मामलों के उप मंत्री के बीच हुई बैठक में द्विपक्षीय समुद्री संबंधों को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • दोनों मंत्रियों ने लिथुआनिया स्थित क्लेपेडा पत्तन के पूरे साल बर्फ मुक्त रहने के अनोखे लाभ पर चर्चा की।
    • दोनों मंत्रियों ने भारत और लिथुआनिया के बीच मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंधों की सराहना की।
    • आपसी सहयोग के इस अवसर को रेखांकित किया और पत्तन बुनियादी ढांचे के विकास में भारत की विशेषज्ञता व पूर्वी यूरोप में महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों के प्रवेश द्वार के रूप में लिथुआनिया की रणनीतिक भौगोलिक अवस्थिति पर विचार-विमर्श किया।
  • क्लेपेडा पत्तन 400 मीटर लंबे, 59 मीटर तक चौड़े और 13.8 मीटर के अधिकतम ड्राउट (ड्राफ्ट) वाले पोतों को जगह दे सकता है।
    • क्लेपेडा पत्तन कंटेनर ट्रांसशिपमेंट के लिए अग्रणी बाल्टिक बंदरगाह है। पूर्व के सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों से इसकी जमीनी दूरी सबसे कम है।
    • विभिन्न यूरोपीय पत्तनों के लिए मुख्य शिपिंग लाइनें क्लेपेडा से होकर ही गुजरती हैं। इस पत्तन का दो रेलवे स्टेशनों और एक राजमार्ग से संपर्क स्थापित किया गया है, जो क्लेपेडा को कौनास, विनियस और नजदीक के शहरों जैसे कि मिन्स्क, कीव और मॉस्को से जोड़ता है।
  • भारत अपनी समुद्री क्षमताओं को मजबूत करने, व्यापार दक्षता बढ़ाने और वैश्विक समुद्री उद्योग में एक प्रमुख देश के रूप में उभरने का प्रयास कर रहा है।
    • इसके तहत भारत, लिथुआनिया के लिए विभिन्न उपक्षेत्रों में निवेश के अनेक अवसर उत्पन्न कर रहा है।
    • इसके तहत पत्तन आधुनिकीकरण (पीपीपी), पत्तन संपर्क, तटीय नौपरिवहन, समुद्री प्रौद्योगिकी, विभिन्न सागरमाला परियोजनाएं और डीकार्बोनाइजेशन पहल शामिल हैं।
  • हालिया वर्षों हमारे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
  • साल 2022-23 में भारत और लिथुआनिया के बीच 472 मिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ था।

3. रक्षा प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान और विकास हेतु रक्षा स्टाफ मुख्यालय और सीएसआईआर ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

  • रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान और विकास पर एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के बीच 23 नवंबर, 2023 को नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • आईडीएस और सीएसआईआर के बीच हुए समझौता ज्ञापन का उद्देश्य रक्षा और उपक्रम से संबंधित प्रौद्योगिकियों की वैज्ञानिक समझ को बढ़ाने के लिए सीएसआईआर प्रयोगशालाएं, मुख्यालय आईडीएस और सशस्त्र बलों, अर्थात् भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के बीच सहयोगात्मक बातचीत शुरू करने के लिए एक छत्र ढांचा प्रदान करना है।
  • इससे दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों में संयुक्त अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • एकीकृत रक्षा स्‍टाफ (इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ) और सीएसआईआर दोनों ‘भारतीय सशस्त्र बलों के समर्थन में वैज्ञानिक सहयोग’ की सच्ची भावना के साथ पारस्परिक लाभ के लिए रक्षा प्रौद्योगिकियों में संयुक्त अनुसंधान और विकास में साझा रुचि रखते हैं।
  • यह साझेदारी ‘आत्मनिर्भर भारत’ का लक्ष्‍य हासिल करने के लिए सशस्त्र बलों के स्वदेशीकरण प्रयासों को भी गति देगी।

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