विषयसूची:
|
1. एम.एस.विश्वविद्यालय बड़ौदा में जैव रसायन के पहलुओं पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: जैव रसायन के पहलुओं संबंधित तथ्य
प्रसंग:
- गुजरात के वडोदरा स्थित महाराजा सयाजीराव बड़ौदा विश्वविद्यालय के जैव रसायन विभाग,विज्ञान संकाय ने जैव रसायन के पहलुओं पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
विवरण:
- छात्रों को अभिनव समाधान प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कार्बन उत्सर्जन को कम करने और प्लास्टिक का नवीन रुप से प्रयोग पर भी बल दिया गया।
- सम्मेलन में देश भर से प्रख्यात वैज्ञानिकों एवं प्रोफेसरों ने भाग लिया।
- उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न पूर्ण सत्रों का आयोजन किया गया। इसमें सुप्रसिद्ध स्ट्रक्चरल बॉयोलोजिस्ट और आईआईएसईआर पुणे के पूर्ण निदेशक प्रोफेसर जयंत बी. उडगांवकर ने भी एक सत्र में भागीदारी की।
- उडगांवकर की गिनती उन जाने माने अनुसंधानकर्ता में होती है जिन्होंने प्रोटीन फोल्डिंग का अध्ययन करने के लिए एच-डी एक्सचेंज एनएमआर तकनीक का प्रयोग किया है।
- उन्होंने “हाउ डज प्रीयॉन प्रोटीन मिसफोल्ड??” विषय पर व्याख्यान दिया।
- इसमें जानकारी दी गई कि सीएसआईआर-निस्पर,देश का सार्वजनिक रुप से वित्तपोषित संस्थान है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी की 16 विभिन्न विधाओ में 16 अनुसंधान पत्रिका प्रकाशित कर रहा है एवं यह किसी भी प्रकाशन शुल्क या पहुंच शुल्क के बिना कर रहा है।
- आईआईटी बाम्बे के प्रोफेसर नंदा किशोर सुप्रसिद्ध बॉयोफिजिस्ट और स्ट्रक्चरल बॉयोलोजिस्ट हैं,जो प्रोटीन थर्मोडायनमिक्स में योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने “मोलेक्यलैर फंगक्शनैलिटीज इन प्रिवेन्टिंग प्रोटीन फिब्रिलैशन- क्वान्टिटेटिव बॉयोफिजिकल अप्रोच” पर संबोधन दिया।
- कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों से संकाय सदस्यों एवं वैज्ञानिको को आमंत्रित किया गया था।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत की स्वच्छता के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि, स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत 75 प्रतिशत गांव अब ओडीएफ प्लस हुए
- 4.4 लाख से अधिक गांवों द्वारा स्वयं को ओडीएफ प्लस घोषित किया गया है, यह 2025 तक एसबीएम-जी के चरण II के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान में 5 करोड़ लोगों ने भाग लिया है और 2.05 करोड़ से अधिक लोगों ने श्रमदान किया है।
- 14 राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के सभी गांवों ने ओडीएफ प्लस और 4 राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के सभी गांवों ने ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा हासिल कर लिया है।
- सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, पुडुचेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा शामिल हैं।
- एसबीएम-जी चरण- II ने 2025 तक सभी गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
- अब तक 4,43,964 ओडीएफ प्लस गांवों में से 2,92,497 ओडीएफ प्लस की उपलब्धि के साथ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था वाले गांव बनने की दिशा में अग्रसर हैं।
- 55,549 गांव ओडीएफ प्लस राइजिंग की श्रेणी वाले गांव हैं, जिनमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों प्रकार की व्यवस्था है और 96,018 गांव ओडीएफ प्लस मॉडल गांव हैं।
- कुल मिलाकर, अब तक 2,31,080 गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है और 3,76,353 गांवों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है।
2. जाम्बिया के वरिष्ठ सिविल सेवकों के लिए सार्वजनिक नीति और शासन पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में पूरा हुआ
- अब तक जाम्बिया के 79 वरिष्ठ सिविल सेवकों ने राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र (एनसीजीजी) में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
- जाम्बिया के वरिष्ठ सिविल सेवकों के लिए सार्वजनिक नीति और शासन पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम नई दिल्ली में संपन्न हुआ।
- इस कार्यक्रम में जाम्बिया के 30 स्थायी सचिवों, उप स्थायी सचिवों और निदेशकों ने भाग लिया।
- जाम्बिया के सिविल सेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) और जाम्बिया लोक सेवा आयोग के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- यहाँ सम्मिलित किए गए विषयों में सरकार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्वास्थ्य देखभाल में डिजिटल शासन, सभी के लिए आवास, सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), सुशासन की परख, आई-स्टार्टअप राजस्थान: राजस्थान के एक केस की स्टडी, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और भारत-अफ्रीका संबंध शामिल रहे।
3. दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और कार्य संस्थान ने लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने के लिए चौथे लैंगिक संवाद कार्यक्रम का सह-आयोजन किया
- चौथा जैंडर संवाद कार्यक्रम का सह-आयोजन यहां दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) और कार्य संस्थान (आईडब्ल्यूडब्ल्यूजीई) द्वारा लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने के लिए किया गया।
- जैंडर संवाद, डीएवाई-एनआरएलएम और आईडब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूएजी के बीच एक अद्वितीय, संयुक्त प्रयास है, जो देश भर में डीएवाई-एनआरएलएम के लैगिंक हस्तक्षेपों पर जागरूकता पैदा करने के लिए एक साझा मंच स्थापित करता है, जिसमें राज्यों और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों की ओर ध्यान देने के लिए केंद्रित किया जाता है।
- इस वर्चुअल कार्यक्रम में 8000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें ग्रामीण विकास मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और राज्य सरकार के अधिकारी, चिकित्सक, जैंडर विशेषज्ञ, शिक्षाविद, नागरिक समाज के सक्रियगण और स्वयं सहायता समूहों के सदस्य शामिल थे।
- इस कार्यक्रम के अवसर पर झारखंड, केरल और ओडिशा सहित विभिन्न राज्यों के सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) को लिंग आधारित हिंसा को संबोधित करने के लिए अपनाई गई संस्थागत रणनीतियों के अपने अनुभव को साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
- प्रेरणा केंद्रों ने जेंडर फोरम के माध्यम से अन्य विभागों के साथ मजबूत संबंध स्थापित किए हैं और हिंसा के मामलों को संबोधित करने में सक्षम रहे हैं। नवंबर 2022 में शुरू किए गए लिंग अभियान ने भी लिंग आधारित हिंसा (जीबीवी) पर व्यापक जागरूकता पैदा की है और महिलाओं के संस्थानों के माध्यम से सार्वजनिक कार्रवाई की मांग की जा रही है।
- महिलाओं ने चुड़ैल शिकार, नशीली दवाओं के दुरुपयोग, यौन हिंसा आदि जैसे विषयों को संबोधित करने के अनुभव साझा किए।
- लिंग प्रशिक्षण, शिक्षण व सूचना, शिक्षा और संचार सामग्री के उपयोग के महत्व पर प्रकाश डाला गया, जिससे पितृसत्ता और सामाजिक मानदंडों में गहरी जड़ें जमा चुकी हिंसा को संबोधित करने के लिए जैंडर उत्तरदायी संस्थानों, विशेष रूप से दीदी अधिकार केंद्रों का निर्माण किया जा सके।
- राज्य में वार्ड सदस्यों और मुखिया के रूप में महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण पर भी बल दिया गया। महिला सशक्तिकरण को जारी रखने में इन संस्थानों की स्थिरता के महत्व पर बल दिया गया।
Comments