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24 अप्रैल 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. किरू जल विद्युत परियोजना:
  2. ‘अंतरिक्ष ग्रेड सौर सरणी निर्माण और परीक्षण सुविधा’ परियोजना:
  3. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कोयला और लिग्नाइट खदानों की परतों की वार्षिक ग्रेड घोषणा:
  4. छठा अंतर्राष्ट्रीय आपदा-रोधी अवसंरचना (आईसीडीआरआई) सम्मेलन:
  5. केएबीआईल ने सीएसआईआर-एनजीआरआई के साथ एक समझौता किया:

24 April 2024 Hindi PIB
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1. किरू जल विद्युत परियोजना:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: किरू जल विद्युत परियोजना।

प्रसंग:

  • विद्युत मंत्रालय के अधीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी और अग्रणी एनबीएफसी- आरईसी लिमिटेड ने चिनाब घाटी विद्युत परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (सीवीपीपीपीएल) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

उद्देश्य:

  • इसके तहत आरईसी, सीवीपीपीएल को सावधि ऋण (टर्म लोन) के रूप में 1,869.265 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
  • इस ऋण का उपयोग जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर ग्रीनफील्ड 4×156 मेगावाट किरू जल विद्युत परियोजना के विकास, निर्माण और परिचालन के लिए किया जाएगा।

विवरण:

  • 624 मेगावाट क्षमता की किरू जलविद्युत परियोजना एक रन-ऑफ-रिवर योजना है।
  • इसमें 135 मीटर ऊंचाई के बांध और 156 मेगावाट की 4 इकाइयों के साथ एक भूमिगत पावर हाउस के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

पृष्ठ्भूमि:

सीवीपीपीएल के बारे में:

  • सीवीपीपीपीएल, एनएचपीसी (51 फीसदी) और जेकेएसपीडीसी (49 फीसदी) के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।
    • यह भारत सरकार व जम्मू और कश्मीर सरकार की एक संयुक्त पहल है।
    • इसकी स्थापना साल 2011 में चिनाब नदी की विशाल जलविद्युत क्षमता का उपयोग करने के लिए किया गया।
    • सीवीपीपीएल को किरू जल विद्युत परियोजना (624 मेगावाट), पकल दुल जल विद्युत परियोजना (1000 मेगावाट), क्वार जल विद्युत परियोजना (540 मेगावाट) और किरथाई-II जल विद्युत परियोजना (930 मेगावाट) के निर्माण, स्वामित्व, संचालन और रख-रखाव (बीओओएम) के आधार पर काम सौंपा गया है।
    • इन परियोजनाओं की कुल स्थापित क्षमता 3094 मेगावाट की है।

आरईसी लिमिटेड के बारे में:

  • आरईसी विद्युत मंत्रालय के तहत ‘महारत्न’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का एक उद्यम है। यह आरबीआई के अधीन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) और अवसंरचना वित्तपोषण कंपनी (आईएफसी) के रूप में पंजीकृत है।
    • आरईसी उत्पादन, पारेषण (ट्रांसमिशन), वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और नई प्रौद्योगिकियों सहित संपूर्ण विद्युत-बुनियादी ढांचा क्षेत्र का वित्तपोषण कर रहा है।
    • नई प्रौद्योगिकियों में इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी भंडारण, पंप भंडारण परियोजनाएं, हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया परियोजनाएं शामिल हैं।
    • हाल ही में आरईसी ने गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी अपने कदम रखे हैं। इनमें सड़क और एक्सप्रेस-वे, मेट्रो रेल, हवाईअड्डा, आईटी संचार, सामाजिक और व्यावसायिक अवसंरचना (शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल), पत्तन और इस्पात व तेल शोधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इलेक्ट्रो-मैकेनिक (ईएंडएम) कार्य शामिल हैं।

2. ‘अंतरिक्ष ग्रेड सौर सरणी निर्माण और परीक्षण सुविधा’ नामक परियोजना:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी)।

मुख्य परीक्षा:‘अंतरिक्ष ग्रेड सौर सरणी निर्माण और परीक्षण सुविधा’ नामक परियोजना।

प्रसंग:

  • अंतरिक्ष क्षेत्र में स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपाय करते हुए और स्वदेशी क्षमताओं को आगे बढ़ाने के अपने मिशन के अनुरूप कदम उठाते हुए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने हैदराबाद स्थित मेसर्स ध्रुव स्पेस प्राइवेट लिमिटेड की ‘अंतरिक्ष ग्रेड सौर सरणी निर्माण और परीक्षण सुविधा’ नामक परियोजना के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है।

उद्देश्य:

  • टीडीबी की वित्तीय सहायता से ध्रुव स्पेस अंतरिक्ष ग्रेड सौर सरणी निर्माण और परीक्षण प्रक्रियाओं को विकसित करने और उनका व्यवसायीकरण करने के लिए एक महत्वाकांक्षी पहल कर रही है जो अंतरिक्ष यान संबंधी अनुप्रयोगों के लिए अनुकूल होंगी।
  • इस परियोजना का मुख्‍य उद्देश्य सौर पैनल के निर्माण में तकनीकी नवाचारों को आगे बढ़ाना है, ताकि ऑन-ऑर्बिट उपयोग की अहम जरूरतों को पूरा किया जा सके।

विवरण:

  • टीडीबी ने इस अंतरिक्ष स्टार्टअप के लिए वित्तीय सहायता मंजूर की है जो अंतरिक्ष उद्योग में तकनीकी प्रगति सुनिश्चित करने की परियोजना की विशिष्‍ट क्षमता में उसके ठोस विश्वास को दर्शाता है।
  • इस परियोजना में कई प्रमुख नवाचार शामिल हैं जिनमें सब्सट्रेट-साइड आईपी के लिए कार्बन फाइबर और रेजिन जैसी नई सामग्री को अपनाना शामिल है, ताकि प्रदर्शन बेहतर हो सके और टिकाऊपन सुनिश्चित हो सके।
  • इसमें अभिनव स्ट्रिंगिंग और बॉन्डिंग तकनीकों के माध्यम से सोलर सेल असेंबली (एससीए) में प्रक्रिया संबंधी नवाचारों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • ध्रुव स्पेस का लक्ष्य ट्रिपल-जंक्शन जीएए तकनीक का उपयोग करके उच्च दक्षता वाले सौर पैनल बनाना है जिसका लक्ष्य 30 प्रतिशत तक की दक्षता प्राप्त करना है।
  • इसके अलावा अंतरिक्ष-ग्रेड सौर सरणियों का अनुपालन और प्रमाणन सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष परीक्षण सुविधा विकसित की जाएगी।
  • इसके अलावा इस परियोजना में अंतरिक्ष-योग्य प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला शामिल है जिसमें सब्सट्रेट का निर्माण, सटीक सेल वेल्डिंग, सुरक्षित सेल बॉन्डिंग, विद्युत हार्नेस का एकीकरण और व्यापक परीक्षण एवं आकलन शामिल है।
  • यांत्रिक परीक्षणों में कंपन, झटका, और पूर्ण-पैनल आकलन शामिल होंगे, जबकि विद्युत संबंधी आकलन के लिए एक ‘विशाल क्षेत्र स्पंदित सूर्य सिम्युलेटर’ का उपयोग किया जाएगा ताकि गहन परीक्षण संभव हो सके।
  • पर्यावरणीय परीक्षण में थर्मो-वैक्यूम चैंबर जैसी स्थिति और ध्वनिक परीक्षण शामिल होंगे, और इसके साथ ही शून्य-गुरुत्वाकर्षण (जीरो जी) परिनियोजन सिमुलेशन भी शामिल होंगे ताकि अंतरिक्ष वाले माहौल में प्रदर्शन का आकलन किया जा सके।
  • यह परियोजना स्वदेश में नवाचार को बढ़ावा देने और स्‍वदेश में उत्पादन करने में भारत की क्षमताओं को मजबूत करने के टीडीबी मिशन के पूरी तरह अनुरूप है जिससे उन्नत और किफायती अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने की भारत की प्रतिबद्धता को काफी बल मिलेगा।
  • ‘ध्रुव स्पेस की महत्वपूर्ण उत्पाद पेशकशों में से एक अहम पेशकश मानवयुक्त और मानवरहित अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए अंतरिक्ष यान सौर सरणी का संपूर्ण डिजाइन, इंजीनियरिंग, असेंबली, एकीकरण और परीक्षण सुनिश्चित करना है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कोयला और लिग्नाइट खदानों की परतों की वार्षिक ग्रेड घोषणा:

  • ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है और कोयला भारत की ऊर्जा सुरक्षा और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा देश में वाणिज्यिक ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है।
  • यह विश्वसनीय और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करता है, जो औद्योगिक विकास को बनाए रखने, शहरीकरण को शक्ति देने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कोयला मंत्रालय का अधीनस्थ कार्यालय, कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) कोयले के नमूने के लिए प्रक्रिया और मानक निर्धारित करता है; कोयले की श्रेणी, ग्रेड की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए कोयला खदानों का निरीक्षण करता है तथा कोलियरी नियंत्रण नियम, 2004 (2021 में संशोधित) के तहत एक कोलियरी में खनन किए गए कोयले की परत के कोयले के ग्रेड की घोषणा व रख-रखाव के उद्देश्य से निर्देश जारी करता है।
  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र, राज्य सरकार तथा निजी क्षेत्र की कोयला और लिग्नाइट खदानों की परतों के गुणवत्ता-डेटा की उपलब्धता निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के लिए सर्वोपरि है।
  • कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ), जिसके क्षेत्रीय कार्यालय धनबाद, रांची, बिलासपुर, नागपुर, संबलपुर और कोठागुडेम में हैं, ने वर्ष 2024-25 के लिए राज्य की केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, राज्य सरकार तथा निजी क्षेत्र की कोयला और लिग्नाइट खदानों से कोयले के नमूने लेने और उसका विश्लेषण करने का कार्य किया।

2. छठा अंतर्राष्ट्रीय आपदा-रोधी अवसंरचना (आईसीडीआरआई) सम्मेलन:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से छठे अंतरराष्ट्रीय आपदा-रोधी अवसंरचना सम्मेलन को संबोधित किया।
  • प्रधानमंत्री ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा की सभी व्यक्तियों की भागीदारी आपदा मोचन इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्वपूर्ण मुद्दे पर वैश्विक चर्चा और निर्णयों को मजबूत करेगी।
  • 2019 में अपनी स्थापना के बाद से आपदा मोचन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए गठबंधन की प्रभावशाली प्रगति को दर्शाते हुए, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि यह अब 39 देशों और 7 संगठनों का एक वैश्विक गठबंधन है। यह भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत है।

प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों और उनके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण बातें कहीं-

  • उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव का मूल्यांकन अक्सर डॉलर में होता है, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव मानव समुदायों पर होता है। यह वक्तव्य प्राकृतिक आपदाओं के वास्तविक प्रभाव को समझने में मदद कर सकता है।
  • उन्होंने विभिन्न आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़, और तूफान के प्रभावों को उचित रूप से संवेदनशीलता के साथ चर्चा की। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को लेकर उत्तरदायित्व साझा करने का महत्व बताया। यह स्वयंसेवक योजनाओं और साझा संगठनों के बारे में लोगों को जागरूक कर सकता है।
  • उन्होंने विश्व समुदाय के लिए समर्थ और सुदृढ भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर किया। इससे विश्व स्तर पर भारत के गैर-राजनीतिक भूमिका को समझ सकते हैं।

3. केएबीआईल ने सीएसआईआर-एनजीआरआई के साथ एक समझौता किया:

  • खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (केएबीआईएल) ने महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों से जुड़ी परियोजनाओं और गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से भूभौतिकीय जांच के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- एनजीआरआई) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
  • यह सहयोग भूभौतिकी, भू-रासायनिक और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, डेटा विश्लेषण, व्याख्या और मॉडलिंग, वैज्ञानिक जानकारियों को साझा करने, तकनीकी सहयोग और सलाहकार सेवाओं पर केंद्रित होगा।
  • केएबीआईएल भारत सरकार के खान मंत्रालय के तहत आने वाले तीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नालको), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।

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