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25 नवंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. केरल के थुंबा से भारत के पहले साउंडिंग रॉकेट लॉन्च की हीरक जयंती
  2. शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने संथा कवि भीमा भोई और महिमा पंथ की विरासत पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया
  3. सरकार ने CGD क्षेत्र के CNG (परिवहन) और PNG (घरेलू) खंडों में सम्पीड़ित बायो-गैस के अनिवार्य मिश्रण की घोषणा की

केरल के थुंबा से भारत के पहले साउंडिंग रॉकेट लॉन्च की हीरक जयंती

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

मुख्य परीक्षा: आजादी के बाद से भारत की यात्रा में वैज्ञानिक परिवर्तन के लिए पिछले दस साल एक महत्वपूर्ण अवधि रही है। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।

प्रसंग:

  • केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट प्रक्षेपण केन्द्र (TERLS) में एक समारोह में पहले साउंडिंग रॉकेट प्रक्षेपण के 60 वें वर्ष के स्मरणोत्सव को संबोधित कर रहे थे।
  • केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि केरल के थुंबा से भारत के पहले साउंडिंग रॉकेट प्रक्षेपण की हीरक जयंती ऐसे समय में हो रही है जब 2023 में चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 मिशन की ऐतिहासिक जुड़वां उपलब्धियां देखी गईं।
  • उन्होंने कहा, वर्ष 2023 इतिहास में उस वर्ष के रूप में भी दर्ज किया जाएगा, जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अगस्त, जिस दिन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतरा था, को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में घोषित किया था।

विवरण:

  • इस अवसर पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पेस पॉड से एक समान साउंडिंग रॉकेट के रस्मी प्रक्षेपण को देखा, जहां प्रारंभिक प्रक्षेपण 21 नवंबर, 1963 को हुआ था। एक प्रतीकात्मक रूप में, श्री प्रमोद पी. काले द्वारा उलटी गिनती की घोषणा की जा रही थी, जिन्होंने 60 साल पहले प्रक्षेपण पर उलटी गिनती पढ़ी थी।
  • बाद में मीडिया को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 मिशन की सफलता भारत की स्वदेशी क्षमताओं को दोहराती है और उस सपने को सच करती है, जो इसरो के पहले अध्यक्ष और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई ने छह दशक पहले देखा था।
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह विक्रम साराभाई के सपने की पुष्टि भी है, जिनके पास संसाधनों की कमी हो सकती थी, लेकिन आत्मविश्वास की कमी नहीं थी, क्योंकि उन्हें खुद पर और भारत की अंतर्निहित क्षमता और अंतर्निहित कौशल पर भरोसा था।”
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत आम आदमी के लिए ‘जीवन जीने में आसानी’ लाने के उद्देश्य से स्वामित्व, पीएम गति शक्ति, रेलवे, राजमार्ग और स्मार्ट शहर, कृषि, जल मानचित्रण, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
  • उन्होंने कहा, “भारत ने पिछले 9 वर्षों में रणनीतिक और नागरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी स्वयं की क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली स्थापित की है। प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत की, जिससे भारतीय निजी खिलाड़ियों के लिए अंतरिक्ष आसानी से सुलभ हो गया और सभी हितधारकों को कवर करते हुए एक व्यापक भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 जारी की गई”।
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष सुधारों के लागू होने के बाद ही देश में स्टार्टअप में तेजी देखी गई और बहुत कम समय में 150 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप शुरू हो गए। पहला भारतीय निजी उप-कक्षीय प्रक्षेपण हाल ही में देखा गया था, जिसे अंतरिक्ष क्षेत्रीय सुधारों के माध्यम से सक्षम किया गया था।
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 4 से 5 वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष पहल की सफलता को बढ़ावा मिला है, जिसमें हालिया चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 मिशन भी शामिल हैं और प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ 2025 तक, चंद्र नमूना वापसी मिशन ‘भारतीय अंतरिक्ष केन्द्र’ 2035 तक और 2040 तक पहला भारतीय चंद्रमा पर कदम रख सके, इसका लक्ष्य रखने को कहा है।
  • यह कहते हुए कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों के बराबर आ गया है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नासा चंद्रमा पर उतरने वाला पहला देश हो सकता है, लेकिन यह भारत का चंद्रयान-1 था जिसने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज की और अब चंद्रयान-3 पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है।
  • “भले ही संयुक्त राज्य अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ ने हमसे बहुत पहले ही अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू कर दी थी और अमेरिका ने भी 1969 में चंद्रमा की सतह पर एक इंसान को उतारा था, फिर भी यह हमारा चंद्रयान ही था, जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी के सबूत को सिद्ध किया।” उन्होंने आगे कहा कि नासा ने इस साल प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त अंतरिक्ष मिशन की पेशकश की है।
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष मिशन मानव संसाधनों और कौशल पर आधारित लागत प्रभावी होने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
  • उन्होंने कहा, “रूसी चंद्रमा मिशन, जो असफल रहा था, उसकी लागत 16,000 करोड़ रुपये थी और हमारे (चंद्रयान -3) मिशन की लागत लगभग 600 करोड़ रुपये थी।”
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से भारत की यात्रा में वैज्ञानिक परिवर्तन के लिए पिछले दस साल एक महत्वपूर्ण अवधि रही है और जहां तक अंतरिक्ष और भू-अंतरिक्ष और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का प्रश्न है, पिछले पांच वर्षों में, यह और भी अधिक दिखाई दे रहा है।
  • “वर्ष 2013 तक, प्रति वर्ष औसतन लगभग 3 प्रक्षेपण के साथ, 40 प्रक्षेपण वाहन मिशन पूरे किए गए। पिछले दशक में प्रति वर्ष औसतन 6 प्रक्षेपणों पर 53 प्रक्षेपण यान मिशनों के साथ, यह दोगुना हो गया है।” उन्होंने कहा, ”इसरो ने 2013 तक 35 विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किए थे। पिछले 9-10 वर्षों में इसमें तेजी से वृद्धि देखी गई है, जिसके दौरान इसरो ने 380 से अधिक विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किए, 220 मिलियन यूरो से अधिक की कमाई की और अमेरिकी उपग्रहों को भी प्रक्षेपित करके 170 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की।”
  • अमृतकाल और प्रधानमंत्री के “इंडिया@2047” के विजन का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन अब तक अज्ञात रहे क्षेत्रों से आने वाला, जिसमें अंतरिक्ष क्षेत्र भी शामिल है। उन्होंने कहा कि उस दृष्टिकोण से देखा जाए तो अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देगी, जब स्वतंत्र भारत अपना 100वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा और दुनिया का अग्रणी राष्ट्र बनेगा।
  • उन्होंने कहा “अंतरिक्ष क्षेत्र के खुलने, अंतरिक्ष स्टार्टअप और औद्योगिक संयोजन के उद्भव के कारण, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में वर्तमान में लगभग 8 बिलियन डॉलर से बढ़कर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, जैसा कि विदेशी व्यापार विशेषज्ञों द्वारा अनुमान लगाया गया है, जो भारत की लंबी छलांग से आश्चर्यचकित हैं।”

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने संथा कवि भीमा भोई और महिमा पंथ की विरासत पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया:
    • केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने 25 दिसंबर ओडिशा के भुवनेश्वर में दो दिवसीय ‘संथा कवि भीमा भोई और महिमा पंथ की विरासत पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का उद्घाटन किया।
    • केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री प्रधान ने इस अवसर पर अपने संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे संथा बलराम दास के लक्ष्मी पुराण और संथा कबी भीमा भोई के दर्शन और कविताओं ने समाज में सबसे कमजोर लोगों की समस्याओं का समाधान किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों ने उड़िया समाज की सांस्कृतिक और साहित्यिक चेतना को फिर से जागृत करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी।
    • केंद्रीय शिक्षा मंत्री महोदय ने उल्लेख किया कि महिमा धर्म और इसका दर्शन सदैव उनके लिए जीवन में प्रेरणा का स्रोत रहेगा। श्री प्रधान ने कहा कि भीमा भोई का दर्शन अब पहले से कहीं और अधिक प्रासंगिक है और मानवता के कल्याण को स्वयं के कल्याण से ऊपर रखने के लिए समाज के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है।
    • भारत के ओडिशा के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में सम्मिलित महिमा पंथ, सादगी, समानता और निराकार ईश्वर के प्रति समर्पण पर ध्यान देने के साथ एक विशिष्ट धार्मिक आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता है।
    • महिमा पंथ के केंद्र में महिमा गोसेन और उनके शिष्य, भीमा भोई जैसे दो दिग्गज हैं, जो 19वीं शताब्दी के अंत में आए थे।
      • उन्होंने महिमा आंदोलन के माध्यम से अपने आध्यात्मिक नेतृत्व और सामाजिक क्रांति के साथ समकालीन ओडिया समाज में एक अमिट छाप छोड़ी, जो आज भी क्षेत्र के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने में गूंजता है।
      • भीमा भोई को आम तौर पर “संथा कवि” अर्थात “संत कवि” कहा जाता है। उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं और उड़िया भजन तथा चौतिसा (भक्ति गीत) के रूप में साहित्यिक योगदान के लिए पूर्वी भारत में वे हर जगह श्रद्धेय हैं।
      • प्रसिद्ध “स्तुति चनितामणि” गहन भक्ति, आध्यात्मिक और दार्शनिक अंतर्दृष्टि के साथ ओडिया भाषा में कई छंदों से युक्त बेहतरीन पुस्तक है।
    • संगोष्ठी का उद्देश्य महिमा गोसेन, संथा कवि भीमा भोई और बिस्वनाथ बाबा के जीवन और कार्यों तथा आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर महिमा पंथ के गहरे प्रभाव पर प्रकाश डालना है।
  2. सरकार ने CGD क्षेत्र के CNG (परिवहन) और PNG (घरेलू) खंडों में सम्पीड़ित बायो-गैस के अनिवार्य मिश्रण की घोषणा की:
    • पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि CBG सम्मिश्रण दायित्व (CBO) देश में सम्पीड़ित बायो-गैस (CBG) के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देगा।
    • CBG के उपयोग को बढ़ावा देने और उसे अपनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) ने कल CGD क्षेत्र के CNG (परिवहन) और PNG (घरेलू) खंडों में CBG के चरणबद्ध अनिवार्य मिश्रण की शुरुआत की घोषणा की।
    • CBO के मुख्य उद्देश्य CGD क्षेत्र में CBG की मांग को तेज करना, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के लिए आयात प्रतिस्थापन, विदेशी मुद्रा में बचत, सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करना आदि हैं।
    • CBO के प्रमुख परिणामों के बारे में बताते हुए श्री पुरी ने कहा कि यह लगभग 37,500 करोड़ रुपये के निवेश को प्रोत्साहित करेगा और 2028-29 तक 750 CBG परियोजनाओं की स्थापना की सुविधा भी प्रदान करेगा।
    • अन्य बातों के साथ-साथ यह निर्णय लिया गया कि:
    1. वित्त वर्ष 2024-2025 तक CBO स्वैच्छिक रहेगा और अनिवार्य सम्मिश्रण दायित्व वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू होगा।
    2. वित्त वर्ष 2025-26, 2026-27 और 2027-28 के लिए CBO को कुल CNG/PNG खपत का क्रमशः 1%, 3% और 4% रखा जाएगा। 2028-29 से CBO 5% होगा।
    3. केंद्रीय भंडार निकाय (CRB) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री से अनुमोदित परिचालन दिशा-निर्देशों के आधार पर सम्मिश्रण अधिदेश की निगरानी और कार्यान्वयन करेगा।
    • मक्का से इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों, विशेष रूप से कृषि विभाग और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) के साथ आने वाले वर्षों में इसे एक प्रमुख फीडस्टॉक बनाने पर भी चर्चा हुई।
    • चर्चा में यह बात भी हुई कि पिछले कुछ वर्षों में मक्के की खेती का क्षेत्रफल, प्रति हेक्टेयर उपज और उत्पादन में वृद्धि हुई है। कृषि विभाग और DFPD के परामर्श से इस मंत्रालय द्वारा उच्च स्टार्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने, एफ्लाटॉक्सिन को हटाकर मक्का DDGS (ड्राई डिस्टिलर्स ग्रेन सॉलिड्स) की गुणवत्ता में सुधार करने, उच्च स्टार्च के साथ नई बीज किस्मों के तेजी से पंजीकरण के लिए काम शुरू किया गया है। मक्के की खेती को और बढ़ावा देने के लिए बीज कंपनियों के साथ आसवकों (डिस्टिलर) के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया गया है।
    • कल देश में जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए एक और महत्वपूर्ण घोषणा की गई। सतत विमानन ईंधन (SAF/बायो-ATF) प्रारंभिक सांकेतिक सम्मिश्रण प्रतिशत लक्ष्य समिति द्वारा निर्धारित किए गए थे। MoCA, नीति आयोग, OMC आदि जैसे हितधारकों से प्राप्त टिप्पणियों, देश में आने वाले सतत विमानन ईंधन संयंत्रों की क्षमता और अनुमानित ATF बिक्री के आधार पर, ATF में SAF के निम्नलिखित प्रारंभिक सांकेतिक सम्मिश्रण प्रतिशत को मंजूरी दी गई है:
      • 2027 में 1% SAF सांकेतिक सम्मिश्रण लक्ष्य (प्रारंभ में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए)
      • 2028 में 2% SAF सम्मिश्रण लक्ष्य (प्रारंभ में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए)

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