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25 सितंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान-विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पीआरआईपी योजना:
  2. जीबीए के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में सहायता के लिए जैव ईंधन पर भारतीय मानक:
  3. अनुसूचित जाति और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना और अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (पीएमएस-एससी):

1. फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान-विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पीआरआईपी योजना:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: पीआरआईपी योजना।

मुख्य परीक्षा: भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर पीआरआईपी योजना के महत्व का आकलन कीजिए।

प्रसंग:

  • डॉ. मनसुख मांडविया भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान-विकास और नवाचार पर राष्ट्रीय नीति और फार्मा मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए योजना (पीआरआईपी) लॉन्च करेंगे।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य भारत की दवा और फार्मास्युटिकल निर्यात प्रवृत्ति, भारत की श्रेणीवार निर्यात हिस्सेदारी, प्रस्तावना, नीति की आवश्यकता, इसके उद्देश्य, उद्देश्यों के प्रमुख क्षेत्रों और निगरानी तथा मूल्यांकन तंत्र को उजागर करना है।

विवरण:

  • भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर राष्ट्रीय नीति संभावित रूप से अगले दशक में इस क्षेत्र को 120-130 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने में मदद कर सकती है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान लगभग 100 आधार अंकों तक बढ़ जाएगा।
    • नीति का उद्देश्य पारंपरिक दवाओं और फाइटोफार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों सहित फार्मास्यूटिकल्स में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना है।
    • इस नीति में तीन प्रमख क्षेत्रों पर स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता को स्वीकार किया गया है।
    • इसके लिए नियामक ढांचे को सुदृढ बनाने, नवाचार में निवेश को प्रोत्साहित करने और नवाचार के लिए एक सुविधाजनक पारिस्थितिकी तंत्र के गठन पर बल दिया गया है।
  • इस कार्यक्रम का आयोजन फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने किया है।
  • इस आयोजन में नीति निर्माता, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विशेषज्ञ, शिक्षा जगत, विचार-मंच, उद्योग और मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अन्य गणमान्य व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी रहेगी।

2. जीबीए के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में सहायता के लिए जैव ईंधन पर भारतीय मानक:

सामान्य अध्ययन: 2,3

शासन,पर्यावरण:

विषय: शासन व्यवस्था एवं पारदर्शिता; संरक्षण पर्यावरण प्रदुषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस),वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए),जी20।

मुख्य परीक्षा: जीबीए के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में सहायता के लिए जैव ईंधन पर भारतीय मानकों पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), जोकि भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है, प्रासंगिक मानकों के विकास के माध्यम से देश की हरित पहल को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के माध्यम से, बीआईएस ने घोषणा की कि भारतीय मानक वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) के उद्देश्यों को महत्वपूर्ण रूप से पूरक करेंगे, जो हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री द्वारा घोषित बहुपक्षीय मंच है।

विवरण:

  • जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री द्वारा वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) की घोषणा स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में किये जा रहे वैश्विक प्रयासों में एक ऐतिहासिक कदम है।
  • विज्ञप्ति में उन प्रमुख मानकों पर भी प्रकाश डाला गया जो निर्माताओं, व्यापारियों और जैव ईंधन या संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत अन्य संस्थाओं सहित हितधारकों की सहायता करेंगे।

इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम और जीबीए के उद्देश्यों का समर्थन करते हुए विज्ञप्ति में कहा गया है कि बीआईएस ने जैव ईंधन पर निम्नलिखित नौ भारतीय मानक विकसित किए हैं:

  • आईएस 15464: 2022 मोटर गैसोलीन में सम्मिश्रण घटक के रूप में उपयोग के लिए निर्जल इथेनॉल – विशिष्टता
  • आईएस 15607: 2022 बायोडीजल बी-100 – फैटी एसिड मिथाइल एस्टर फेम – विशिष्टता
  • आईएस 16087: 2016 बायोगैस (बायोमेथेन) – विशिष्टता (पहला संशोधन)
  • आईएस 16531: 2022 बायोडीजल डीजल ईंधन ब्लेंड बी8 से बी20 विशिष्टता
  • आईएस 16629: 2017 ED95 ऑटोमोटिव ईंधन में उपयोग के लिए हाइड्रस इथेनॉल – विशिष्टता
  • आईएस 16634: 2017 ई85 ईंधन (निर्जल इथेनॉल और गैसोलीन का मिश्रण) – विशिष्टता
  • आईएस 17021: 2018 ई 20 ईंधन – निर्जल इथेनॉल और गैसोलीन का मिश्रण – स्पार्क प्रज्वलित इंजन चालित वाहनों के लिए ईंधन के रूप में – विशिष्टता
  • आईएस 17081: 2019 विमानन टरबाइन ईंधन (केरोसिन प्रकार, जेट ए – 1) जिसमें संश्लेषित हाइड्रोकार्बन शामिल हैं – विशिष्टता
  • आईएस 17821: 2022 पॉजिटिव इग्निशन इंजन चालित वाहनों में उपयोग के लिए ईंधन के रूप में इथेनॉल – विशिष्टता
  • विज्ञप्ति के माध्यम से यह भी सूचित किया गया है कि इसके अतिरिक्त, 2जी फीडस्टॉक से प्राप्त पैराफिनिक (हरित) डीजल पर मानक का विकास भी प्रगति पर है।
  • बीआईएस का मानना ​​है कि इन मानकों की मदद से जैव ईंधन उत्पादन की क्षमता में वृद्धि हासिल की जा सकती है और इससे बहुआयामी लाभ मिलेगा।
    • विज्ञप्ति के अनुसार यह भी कहा गया कि ‘यह न केवल 2070 तक शुद्ध शून्य और नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से 50% ऊर्जा के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, वेस्ट टू वेल्थ, किसानों की आय में वृद्धि करना जैसे कई अन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने में भी योगदान देगा।
  • विशेष रूप से, नई दिल्ली में भारत की अध्यक्षता में 18वें G20 शिखर सम्मेलन के दौरान, G20 नेताओं ने ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस (GBA) लॉन्च किया – जो जैव ईंधन को अपनाने की सुविधा के लिए 30 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का एक मंच है।
    • जीबीए स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य की दिशा में भारत के नेतृत्व वाली एक पहल है।
    • इसका उद्देश्य राष्ट्रीय नीति के निर्माण, बाज़ार के विकास, तकनीकी योग्यता के विकास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों और अभ्यास संहिता को अपनाने और कार्यान्वयन के माध्यम से टिकाऊ जैव ईंधन के विश्वव्यापी विकास और तैनाती को प्राप्त करना है।
  • कथित तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और भारत – जैव ईंधन के प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता हैं।
    • ये तीनों देश संयुक्त रूप से वैश्विक स्तर पर इथेनॉल के 85% उत्पादन और 81% खपत में भागीदारी रखते हैं।
    • 2022 में वैश्विक इथेनॉल बाजार का मूल्य 99 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और सन् 2032 तक इसका 5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है, जिससे भारतीय उद्योगों के लिए एक बड़ा अवसर पैदा होगा और इसके भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में किसानों की आय, रोजगार सृजन और समग्र विकास में योगदान मिलेगा।
  • एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में भारत में परिवहन क्षेत्र के लिए ईंधन की लगभग 98% आवश्यकता जीवाश्म ईंधन से और शेष 2% जैव ईंधन से पूरी होती है।
    • वर्ष 2020-2021 में भारत के पेट्रोलियम आयात से सरकारी खजाने को लगभग 55 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
    • अभी हाल ही में, रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि की है और बढ़ी हुई कीमतों के साथ तेल और गैस के आयात ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर और बोझ पड़ा है।
    • गैसोलीन के साथ 20% तक इथेनॉल के मिश्रण से लगभग 4 बिलियन डॉलर की बचत होगी।
  • अत:, भारतीय तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) 1जी और 2जी इथेनॉल के उत्पादन के लिए नई डिस्टिलरीज का प्रावधान करने की दिशा में काम कर रही हैं और भारतीय वाहन निर्माता इथेनॉल मिश्रित ईंधन के अनुरूप इंजन विकसित कर रहे हैं।
    • सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गुड़ और अनाज आधारित डिस्टिलरीज के लिए ब्याज में छूट योजना भी शुरू की है।
    • यह भी अनुमान है कि फ्लेक्स ईंधन वाहन, जो 85% तक इथेनॉल मिश्रित गैसोलीन का उपयोग करने में सक्षम हैं, और पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील में इसका परिचालन हो रहा हैं, जल्द ही यह भारत में प्रवेश करने वाले हैं।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.अनुसूचित जाति और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना और अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (पीएमएस-एससी):

  • पीएमएस-एससी योजना के बारे में: अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (पीएमएस-एससी) भारत में पढ़ाई के लिए एससी छात्रों के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिनके माता-पिता/अभिभावक की आय 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
    • इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति के छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और सबसे गरीब परिवारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति के छात्रों के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में उल्लेखनीय वृद्धि करना है।
    • सरकार का प्रयास है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 तक उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति का जीईआर 23.0 प्रतिशत से बढ़ाकर राष्ट्रीय औसत तक लाया जाए।
  • अनुसूचित जाति और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के बारे में: अनुसूचित जाति और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
    • इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति के बच्चों और वैसे बच्चों के लिए प्री-मैट्रिक स्तर पर साक्षरता और निर्बाध शिक्षा को बढ़ावा देना है, जिनके माता-पिता/अभिभावक साफ-सफाई और जोखिम भरे काम में लगे हैं।

इस योजना के दो घटक हैं, जो इस प्रकार हैं:

  • घटक 1: अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति
    • छात्रों का कक्षा नौवीं और दसवीं में पूर्णकालिक आधार पर अध्ययनरत रहना जरूरी है।
    • छात्रों का अनुसूचित जाति से संबंधित होना जरूरी है।
    • छात्रों के माता-पिता/अभिभावक की आय 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • घटक 2: साफ-सफाई और जोखिम भरे काम में लगे माता-पिता/अभिभावकों के बच्चों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति
    • छात्रों को कक्षा एक से नौ तक पूर्णकालिक आधार पर अध्ययन करना चाहिए।
    • छात्रवृत्ति उन माता-पिता/अभिभावकों के बच्चों को मिलेगी, जो अपनी जाति/धर्म के बावजूद निम्नलिखित श्रेणियों में से एक से संबंधित हैं;
    • ए. वह व्यक्ति जो मैनुअल स्कैवेंजर्स अधिनियम 2013 की धारा 2(आई) (जी) के तहत परिभाषित मैनुअल स्कैवेंजर्स हैं।
    • बी. चर्म शोधक/चमड़ा उतारने का काम करने वाला
    • सी. कूड़ा बीनने वाला और
    • डी. मैनुअल स्कैवेंजर्स अधिनियम 2013 की धारा 2(आई)(डी) में परिभाषित साफ-सफाई के जोखिम भरे काम में लगे व्यक्ति।
  • 3. योजना के इस घटक के तहत कोई पारिवारिक आय सीमा नहीं है।
    • योजनाओं में हालिया बदलाव: ‘एससी और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना’ और ‘पीएमएस-एससी’ को संशोधित किया गया है।
    • इन योजनाओं के कार्यान्वयन को और मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
      • अनुसूचित जाति और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत फंडिंग पैटर्न: यह योजना केंद्र और राज्य के बीच 60:40 (पूर्वोत्तर राज्यों, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मामले में 90:10 और विधानसभा रहित केंद्र शासित प्रदेश के मामले में 100:0) के निश्चित साझा पैटर्न पर आधारित है।
      • पीएमएस-एससी के अंतर्गत फंडिंग पैटर्न: वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान फंडिंग पैटर्न को प्रतिबद्ध दायित्व की अवधारणा से संशोधित करके केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के निश्चित साझाकरण पैटर्न (पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 90:10) कर दिया गया है।
    • अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने, संस्थानों द्वारा एक ही मामले में दोबारा (डुप्लीसिटी) और गलत दावों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन लेनदेन के माध्यम से शुरू से अंत तक ऑनलाइन प्रोसेसिंग और पात्रता का सत्यापन किया जाता है;
    • केंद्रीय हिस्सा (रखरखाव भत्ता और गैर-वापसी योग्य शुल्क) केवल प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे छात्रों के बैंक खाते में जारी किया जा रहा है।
    • यह हस्तांतरण आधार आधारित भुगतान प्रणाली के माध्यम से केवल यह सुनिश्चित करने के बाद किया जाता है कि संबंधित राज्य सरकार ने अपना हिस्सा जारी कर दिया है;
    • योजनाएं केंद्र और राज्य के बीच 60:40 के निश्चित साझाकरण पैटर्न पर आधारित हैं (पूर्वोत्तर राज्यों, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मामले में 90:10 और विधानसभा रहित केंद्रशासित प्रदेश के मामले में 100:0);
    • सबसे गरीब परिवारों के कवरेज पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

उपलब्धिया:

  • एससी तथा अन्य और पीएमएस-एससी के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के संबंध में, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान प्रेस विज्ञप्ति के लिए इनपुट के रूप में निम्नलिखित सामग्री प्रदान की जा सकती है:
    • वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अनुसूचित जाति और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत, केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 141.01 करोड़ रुपये 6.25 लाख लाभार्थियों को उनके आधार युक्त बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से जारी किए गए हैं।
    • वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत, केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 1516.84 करोड़ रुपये 12.70 लाख लाभार्थियों को उनके आधार युक्त बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से जारी कर दिए गए हैं।

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