विषयसूची:
|
1. रक्षा मंत्री ने स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल को नौसेना में शामिल किया:
सामान्य अध्ययन: 3
सुरक्षा,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन। विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: आईएनएस इंफाल,ब्रह्मोस मिसाइल।
मुख्य परीक्षा: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनके प्रबंधन में भारतीयों की उपलब्धियां।
प्रसंग:
- आईएनएस इंफाल, एक प्रोजेक्ट 15बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक, को 26 दिसंबर, 2023 को नौसेना डॉकयार्ड, मुंबई में आयोजित एक समारोह में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
उद्देश्य:
- रक्षा मंत्री ने आईएनएस इम्फाल को रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ का एक चमकदार उदाहरण और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारतीय नौसेना, एमडीएल और अन्य सभी हितधारकों की प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब बताया।
- आईएनएस इंफाल भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति का प्रतीक है और यह इसे और मजबूत करेगा। यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में ‘जलमेव यस्य, बलमेव तस्य’ (जो समुद्र को नियंत्रित करता है, वह सर्वशक्तिमान है) के हमारे सिद्धांत को मजबूत करेगा।
विवरण:
- यह आयोजन चार स्वदेशी ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसकों में से तीसरे को औपचारिक रूप से शामिल किए जाने को चिन्हित करता है।
- इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई द्वारा निर्मित किया गया है।
- इस जहाज की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर है और यह 7,400 टन का विस्थापन करता है।
- आईएनएस इम्फाल, भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक है। यह संयुक्त गैस और गैस विन्यास में चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है, और यह 30 नॉट्स से भी अधिक की गति करने में सक्षम है।
- रक्षा मंत्री ने आईएनएस इम्फाल को राष्ट्र की विभिन्न शक्तियों के समूह के रूप में परिभाषित किया है।
- ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने इस जहाज पर ब्रह्मोस मिसाइल स्थापित की है। टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के हैं।
- रैपिड गन माउंट भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) द्वारा स्थापित किया गया है, और मध्यम दूरी की मिसाइलें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा स्थापित की गई हैं। इसके अलावा, कई स्टार्ट-अप और एमएसएमई इसके निर्माण में शामिल हैं।
- श्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण पर समान जोर देने के सरकार के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि पहले की सरकारें केवल देश को भूमि आधारित खतरों से बचाने पर ध्यान केंद्रित करती थीं।
- उत्तर में हिमालय और पश्चिम में पाकिस्तान के शत्रुतापूर्ण व्यवहार के कारण, भारत का अधिकांश माल व्यापार समुद्र के माध्यम से होता है, जो इसे ‘व्यापार’ के दृष्टिकोण से एक द्वीप देश बनाता है।
- नौसेना की क्षमताओं को लगातार विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि भारत के राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने के लिए वैश्विक व्यापार बहुत महत्वपूर्ण है।
- रक्षा मंत्री ने अरब सागर में व्यापारिक जहाज (एमवी) केम प्लूटो पर हाल ही में हुए संदिग्ध ड्रोन हमले और लाल सागर में ‘एमवी साईं बाबा’ पर हुए हमले का भी उल्लेख किया।
- भारत की बढ़ती आर्थिक और सामरिक शक्ति ने कुछ ताकतों में ईर्ष्या और नफरत भर दी है। इन हमलों के अपराधियों को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- भारत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में एक नेट सुरक्षा प्रदाता की भूमिका निभाता है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस क्षेत्र में समुद्री व्यापार नई ऊंचाइयों को छुए। इसके लिए हम अपने मित्र देशों के साथ मिलकर समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखेंगे। हमें अपनी नौसेना की क्षमता और ताकत पर पूरा भरोसा है।
- नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने, अपने संबोधन में कहा कि आईएनएस इम्फाल को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के विजन को प्राप्त करने की दिशा में भारतीय नौसेना की दृढ़ प्रतिबद्धता का एक शानदार प्रतीक होने का गौरव प्राप्त है।
- इसे सरकार के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ विजन के प्रमाण की संज्ञा दी।
- जहाज न केवल समुद्र से उत्पन्न होने वाले भौतिक खतरों से निपटेगा, बल्कि यह एक एकीकृत देश की शक्ति को भी प्रदर्शन करेगा।
- आईएनएस इंफाल राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाली विभिन्न योजनाओं को रोक देगा तथा यह दुश्मन पर आग उगलेगा और विपरीत परिस्थितियों में अदम्य संकल्प का प्रदर्शन करेगा।
- नौसेना स्टाफ के प्रमुख ने विश्वास जताया कि चौथा प्रोजेक्ट 15बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक ‘सूरत’ 2024 में कमीशन किया जाएगा।
- आईएनएस इंफाल के शामिल किए जाने से पहले, एक ही श्रेणी के दो विध्वंसक आईएनएस विशाखापत्तनम और आईएनएस मोर्मुगाओ को नौसेना में क्रमशः 2021 और 2022 में शामिल किया गया था।
- व्यापारिक जहाजों पर समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों का मुकाबला करने के लिए, भारतीय नौसेना ने प्रोजेक्ट 15बी और 15ए श्रेणी के चार विध्वंसक तैनात किए हैं।
- इन खतरों का मुकाबला करने के लिए, पी8I विमान, डोर्नियर्स, सी गार्डियन, हेलीकॉप्टर और तटरक्षक जहाज सभी को संयुक्त रूप से तैनात किया गया है।
- आईएनएस इंफाल को, उत्तर-पूर्व के एक शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला युद्धपोत होने का, अनूठा गौरव प्राप्त है, जो राष्ट्र और भारतीय नौसेना के लिए उत्तर-पूर्व क्षेत्र और मणिपुर के महत्व और योगदान को रेखांकित करता है।
- इस जहाज की आधार बिल्ली 19 मई, 2017 को रखी गई थी और जहाज का 20 अप्रैल, 2019 को जलावतरण किया गया था।
- जहाज 28 अप्रैल, 2023 को अपनी पहली समुद्री सैर के लिए रवाना हुआ और 20 अक्टूबर 2023 को इसकी डिलीवरी के साथ, इसका बंदरगाह और समुद्र में व्यापक परीक्षण किया गया, जो छह महीने से कम की रिकॉर्ड समय सीमा को चिह्नित करता है।
- आईएनएस इम्फाल के निर्माण और परीक्षण में लगा समय किसी भी स्वदेशी विध्वंसक के लिए सबसे कम समय है।
- जहाज ने अपने कमीशन होने से पहले विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसने इसे ‘हथियार-तैयार’ बना दिया।
- यह जहाज राष्ट्र की समुद्री रक्षा और राष्ट्र के हितों की सुरक्षा में नौसेना की गतिशीलता, परविर्तनशीलता और पहुंच को बढ़ाएगा।
- आईएनएस इंफाल ने स्टील्थ विशेषताओं को बढ़ाया है, जिसके परिणामस्वरूप रडार क्रॉस सेक्शन कम हो गया है, जो हल के कुशल आकार, पूर्ण बीम सुपरस्ट्रक्चर डिजाइन, प्लेटेड मस्तूल और खुले डेक पर रडार पारदर्शी सामग्री के उपयोग के माध्यम से हासिल किया गया है।
- यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, पनडुब्बी रोधी युद्ध (एएसडब्ल्यू) रॉकेट लॉन्चर और टॉरपीडो लॉन्चर, एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टर, रडार, सोनार तथा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली सहित उन्नत एवं जटिल अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है।
- यह जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध की स्थितियों में लड़ने के लिए सुसज्जित है।
- इस जहाज की एक अनूठी विशेषता इसके लगभग 75 प्रतिशत के उच्च स्तर का स्वदेशीकरण है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ की कोशिशें को उजागर करता है।
- स्वदेशी उपकरणों/प्रणालियों में कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर, एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम, फोल्डेबल हैंगर डोर्स, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन हथियार प्रणाली और बो-माउंटेड सोनार शामिल हैं।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की स्थापना का 150वां वर्ष:
- केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आईएमडी के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उसका लोगो जारी किया और कहा कि भारत मौसम पूर्वानुमान और जलवायु अध्ययन में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
- पृथ्वी विज्ञान विभाग के पास पहले से ही एक अल्पकालिक योजना है और अब विभाग भारत आत्मनिर्भर @2047 बनाने के लिए अमृतकाल की योजना तैयार कर रहा है।
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के अनुसार, भारत ने 2030 के लिए निर्धारित अपने दो लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिए हैं।
- श्री रिजिजू ने स्थानीय मौसम के सटीक पूर्वानुमान के लिए अधिक डॉपलर राडार की भारत की जरूरतों को पूरा करने में निजी क्षेत्र से अधिक भागीदारी का आह्वान किया।
- जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग वैश्विक चिंताएं हैं। इस बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि सभी व्यक्तियों को एक साथ आना होगा, क्योंकि प्रदूषण और बादल फटने तथा भारी बारिश जैसी मौसम की तात्कालिक चरम घटनाएं पृथ्वी पर व्यापक जलवायु परिवर्तन का परिणाम हैं।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की स्थापना 1875 में भारत सरकार के शुरुआती वैज्ञानिक विभागों में से एक के रूप में की गई थी।
- राष्ट्र के प्रति अपनी सेवा के 150वें वर्ष का जश्न मना रहा आईएमडी एक नए युग की शुरुआत कर रहा है।
- आईएमडी इस उपलब्धि को 15 जनवरी, 2024 से 15 जनवरी, 2025 के दौरान साल भर चलने वाले समारोहों के साथ मनाएगा।
आईएमडी का लोगो 1875 से इस विभाग की उल्लेखनीय यात्रा का प्रतीक है:
चित्र स्रोत: PIB
- यह आईएमडी द्वारा राष्ट्र के प्रति 150 वर्षों की समर्पित सेवा का प्रतीक है।
- यह साल भर के मौसम के लिए तैयार और जलवायु-स्मार्ट राष्ट्र के लिए मौसम और जलवायु सहायता प्रदान करने में विभाग की निरंतर प्रगति को इंगित करता है।
- यह “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना में विश्व कल्याण में आईएमडी की भूमिका पर बल देता है।
- यह लोगो निर्भर भारत से आत्मनिर्भर भारत में परिवर्तित होने का प्रमाण है।
- यह प्राचीन युग से आधुनिक युग तक भारतीय मौसम विज्ञान की निरंतरता को दर्शाता है, इसके लोगो में “आदित्यात् जायते वृष्टिः” अंकित है।
- राष्ट्रीय तिरंगे थीम के साथ लोगो की समानता आईएमडी की सेवाओं की राष्ट्रीय दृष्टि और मिशन के साथ अनुरूपता सुनिश्चित करती है।
2. अंटार्कटिका महाद्वीप में खोजे गए आयनोस्फेरिक रहस्यों से उपग्रह-आधारित नेविगेशन में मदद मिल सकती है:
- अंटार्कटिका की ठंडी अंधेरी सर्दियां और तेज धूप वाली गर्मी आयनमंडल में एक रहस्य छुपाए हुई थी, जिसे वैज्ञानिकों ने हाल ही में खोज निकाला है।
- गर्मियों में 24 घंटे सूरज की रोशनी और सर्दियों में पूर्ण अंधेरे की परवाह किए बिना आयनोस्फेरिक का घनत्व दिन-रात अलग-अलग होता है।
- अंटार्कटिका के भारती स्टेशन पर एक दशक तक चले आयनोस्फेरिक अवलोकनों में, गर्मियों और सर्दियों के बाद विषुव महीनों में अधिकतम कुल इलेक्ट्रॉन गणना (टीईसी) के साथ पर्याप्त मौसमी भिन्नता पाई गई।
- इस प्रकार के दीर्घकालिक अध्ययन उपग्रह-आधारित नेविगेशन एवं संचार प्रणालियों पर आयनमंडल के प्रभावों को समझने और उन्हें कम करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
- आयनमंडल पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल का एक हिस्सा है, जो आंशिक रूप से आयनित है जो 100 से 1000 किमी तक फैला हुआ है।
- ध्रुवीय क्षेत्रों में आयनमंडल बहुत ज्यादा गतिशील है और अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं और मैग्नेटोस्फीयर-आयनोस्फीयर प्रणालियों में संबंधित प्रक्रियाओं के लिए एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में काम करता है क्योंकि इस क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं लंबवत होती हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त निकाय भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (आईआईजी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने 2010 और 2022 के बीच भारतीय अंटार्कटिका स्टेशन भारती में दीर्घकालिक मौसमी आयनोस्फेरिक अवलोकनों की जांच की है, जिसमें सूर्य के 11 वर्ष के चक्र की गतिविधियों का अवलोकन भी शामिल है।
- अवलोकन में यह पाया गया कि यद्यपि भारती स्टेशन पर सर्दियों के महीनों (ध्रुवीय रातों) में पूरे दिन सूरज की रोशनी नहीं मिलती थी लेकिन फिर भी दोपहर में चरम आयनोस्फेरिक घनत्व का एक दैनिक पैटर्न देखा गया।
- गर्मियों में 24 घंटे सूरज की रोशनी और सर्दियों में पूर्ण अंधेरे की परवाह किए बिना दिन-रात आयनोस्फेरिक घनत्व में भिन्नता देखी गई।
- वैज्ञानिकों ने चरम आयनीकरण के लिए अणु अवक्षेपण और उच्च अक्षांशों से संवहनीय प्लाज्मा के परिवहन को जिम्मेदार ठहराया।
- इसके अलावा, गर्मी के महीनों में जहां ध्रुवीय दिनों में 24 घंटे सूरज की रोशनी रहती है, अधिकतम आयनोस्फेरिक घनत्व भारती क्षेत्र में ध्रुवीय रातों की तुलना में लगभग दोगुना था।
- यह अध्ययन जर्नल ऑफ पोलर साइंस में प्रकाशित हुआ है।
- इस प्रकार के दीर्घकालिक अध्ययन हमें उपग्रह-आधारित नेविगेशन एवं संचार प्रणालियों पर आयनमंडल के प्रभावों को समझने और उन्हें कम करने में मदद करेंगे।
Comments