विषयसूची:
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1. बुनियादी पशुपालन आंकड़े 2023 जारी:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: पशु पालन सम्बन्धी अर्थशास्त्र।
प्रारंभिक परीक्षा: बुनियादी पशुपालन आंकड़े 2023 सम्बन्धी तथ्य।
मुख्य परीक्षा: बुनियादी पशुपालन आंकड़े 2023 पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने 26 नवंबर 2023 को गुवाहाटी में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पशु एकीकृत नमूना सर्वेक्षण (मार्च 2022-फरवरी 2023) पर आधारित बुनियादी पशुपालन आंकड़े 2023 (दूध, अंडा, मांस और ऊन उत्पादन 2022-23) जारी किए।
विवरण:
बुनियादी पशुपालन आंकड़ों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- दुग्ध, अंडा, मांस एवं ऊन उत्पादन 2022-23:
- देश में दुग्ध, अंडा, मांस और ऊन के उत्पादन का अनुमान वार्षिक एकीकृत नमूना सर्वेक्षण (आईएसएस) के परिणामों के आधार पर लगाया जाता है, जो देश भर में तीन मौसमों यानी गर्मी (मार्च-जून), बरसात (जुलाई-अक्टूबर) और सर्दी (नवंबर-फरवरी) में आयोजित किया जाता है।
- वर्ष 2022-23 के लिए दूध, अंडा, मांस और ऊन के उत्पादन का अनुमान सामने लाया गया है और इस सर्वेक्षण के परिणामों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है:
- दुग्ध उत्पादन:
- वर्ष 2022-23 के दौरान देश में कुल दुग्ध उत्पादन 230.58 मिलियन टन अनुमानित है, जिसमें पिछले 5 वर्षों में 22.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वर्ष 2018-19 में 187.75 मिलियन टन थी।
- इसके अलावा, वर्ष 2021-22 के अनुमान से वर्ष 2022-23 के दौरान उत्पादन 3.83 प्रतिशत बढ़ गया है।
- पूर्व में, वर्ष 2018-19 में वार्षिक वृद्धि दर 6.47 प्रतिशत; वर्ष 2019-20 में 5.69 प्रतिशत; वर्ष 2020-21 में 5.81 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में 5.77 प्रतिशत थी।
- वर्ष 2022-23 के दौरान सबसे अधिक दुग्ध उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश था, जिसकी कुल दुग्ध उत्पादन में हिस्सेदारी 15.72 प्रतिशत थी।
- इसके बाद राजस्थान (14.44 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (8.73 प्रतिशत), गुजरात (7.49 प्रतिशत) और आंध्र प्रदेश ( 6.70 प्रतिशत) का स्थान था।
- वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) के संदर्भ में, पिछले वर्ष की तुलना में सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि दर कर्नाटक (8.76 प्रतिशत) में दर्ज किया गया, इसके बाद पश्चिम बंगाल (8.65 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (6.99 प्रतिशत) का स्थान रहा।
- अंडा उत्पादन:
- देश में कुल अंडा उत्पादन 138.38 बिलियन होने का अनुमान है।
- वर्ष 2018-19 के दौरान 103.80 बिलियन अंडों के उत्पादन के अनुमान की तुलना में वर्ष 2022-23 के दौरान पिछले 5 वर्षों में 33.31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- इसके अलावा, वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2022-23 के दौरान उत्पादन में 6.77 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है।
- पूर्व में वर्ष 2018-19 में वार्षिक वृद्धि दर 9.02 प्रतिशत; वर्ष 2019-20 में 10.19 प्रतिशत; वर्ष 2020-21 में 6.70 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में 6.19 प्रतिशत थी।
- देश के कुल अंडा उत्पादन में प्रमुख योगदान आंध्र प्रदेश का रहा है, जिसकी हिस्सेदारी कुल अंडा उत्पादन में 20.13 प्रतिशत है, इसके बाद तमिलनाडु (15.58 प्रतिशत), तेलंगाना (12.77 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (9.94 प्रतिशत) और कर्नाटक (6.51 प्रतिशत) का स्थान है।
- वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) के संदर्भ में, सबसे अधिक वृद्धि दर पश्चिम बंगाल में (20.10 प्रतिशत) दर्ज की गई और उसके बाद सिक्किम (18.93 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (12.80 प्रतिशत) का स्थान रहा।
- मांस उत्पादन:
- वर्ष 2022-23 के दौरान देश में कुल मांस उत्पादन 9.77 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिसमें वर्ष 2018-19 में 8.11 मिलियन टन के अनुमान की तुलना में पिछले 5 वर्षों में 20.39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2022-23 में 5.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- इससे पहले वर्ष 2018-19 में वार्षिक वृद्धि दर 5.99 प्रतिशत; वर्ष 2019-20 में 5.98 प्रतिशत; वर्ष 2020-21 में 2.30 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में 5.62 प्रतिशत थी।
- कुल मांस उत्पादन में प्रमुख योगदान 12.20 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश का है और इसके बाद पश्चिम बंगाल (11.93 प्रतिशत), महाराष्ट्र (11.50 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (11.20 प्रतिशत) और तेलंगाना (11.06 प्रतिशत) का स्थान है।
- वार्षिक वृद्धि दर के संदर्भ में, उच्चतम वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) सिक्किम में (63.08 प्रतिशत) दर्ज की गई है, इसके बाद मेघालय (38.34 प्रतिशत) और गोवा (22.98 प्रतिशत) का स्थान है।
- ऊन उत्पादन:
- वर्ष 2022-23 के दौरान देश में कुल ऊन उत्पादन 33.61 मिलियन किलोग्राम अनुमानित है, जिसमें वर्ष 2018-19 के दौरान 40.42 मिलियन किलोग्राम के अनुमान की तुलना में पिछले 5 वर्षों में 16.84 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।
- हालाँकि, वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 में उत्पादन 2.12 प्रतिशत बढ़ गया है।
- इससे पूर्व में वर्ष 2018-19 में वार्षिक वृद्धि दर -2.51 प्रतिशत; वर्ष 2019-20 में -9.05 प्रतिशत, वर्ष 2020-21 में -0.46 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में -10.87 प्रतिशत थी।
- कुल ऊन उत्पादन में 47.98 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ राजस्थान का प्रमुख योगदान है, इसके बाद जम्मू-कश्मीर (22.55 प्रतिशत), गुजरात (6.01 प्रतिशत), महाराष्ट्र (4.73 प्रतिशत) और हिमाचल प्रदेश (4.27 प्रतिशत) का स्थान है।
- वार्षिक वृद्धि दर के संदर्भ में, सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि दर अरुणाचल प्रदेश (35.75 प्रतिशत) में दर्ज किया गया है, इसके बाद राजस्थान (6.06 प्रतिशत) और झारखंड (2.36 प्रतिशत) का स्थान है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान:
- जीवन बचाने की अपनी अटूट प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए, सरकार उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में चल रहे बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से लगी हुई है, जहां 41 श्रमिक फंसे हुए हैं।
- सुरंग का 2 किमी का हिस्सा बचाव प्रयासों का केंद्र बिंदु है जिसमें श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कंक्रीट का काम पूरा हो चुका है।
- श्रमिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियां प्रत्येक निर्दिष्ट विशिष्ट कार्य पर अथक प्रयास कर रही हैं।
- बचाव अभियान पर सलाह देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ घटनास्थल पर मौजूद हैं।
एनएचआईडीसीएल लाइफलाइन प्रयास:
- दूसरी लाइफ लाइन (150 मिमी व्यास) सर्विस का उपयोग करके नियमित अंतराल पर सुरंग के अंदर ताजा पका हुआ भोजन और ताजे फल डाले जा रहे हैं।
- इस लाइफ लाइन में नियमित अंतराल में संतरा, सेब, केला आदि फलों के साथ-साथ औषधियों एवं लवणों की भी पर्याप्त आपूर्ति की जाती रही है।
- भविष्य के स्टॉक के लिए अतिरिक्त सूखा भोजन भी पहुंचाया जा रहा है।
- एसडीआरएफ द्वारा विकसित वायर कनेक्टिविटी युक्त संशोधित संचार प्रणाली का उपयोग संचार हेतु नियमित रूप से किया जा रहा है। अंदर मौजूद लोगों ने बताया है कि वे सुरक्षित हैं।
हादसे की पृष्ठभूमि:
- 12 नवंबर 2023 को सिल्कयारा से बारकोट तक निर्माणाधीन सुरंग में सिल्कयारा की ओर 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई।
- फंसे हुए 41 मजदूरों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल संसाधन जुटाए गए।
- प्रारंभ में मलबे में से 900 मिमी पाइप गुजारने में सुरक्षा चिंताओं के चलते कई अन्य बचाव विकल्पों को भी चुना गया । फंसा हुए क्षेत्र, जिसकी ऊंचाई 8.5 मीटर और लंबाई 2 किलोमीटर है, सुरंग का निर्मित हिस्सा है जहां बिजली और पानी की आपूर्ति से फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षा प्राप्त हुई है।
- पांच एजेंसियों- ओएनजीसी, एसजेवीएनएल, आरवीएनएल, एनएचआईडीसीएल और टीएचडीसीएल को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो परिचालन दक्षता के लिए सामयिक कार्य समायोजन के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
2. लद्दाख में शीघ्र ही दक्षिण पूर्व एशिया का पहला नाइट स्काई अभयारण्य होगा:
- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि लद्दाख में शीघ्र ही दक्षिण पूर्व एशिया का पहला नाइट स्काई अभयारण्य होगा।
- अभयारण्य की स्थापना भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के सहयोग से की जा रही है, जो भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से संबद्ध है।
- केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की स्थापना की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी ‘लद्दाख प्राईड’ का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे।
- इस प्रदर्शनी का आयोजन मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीईसी) ताशी ग्यालसन की पहल पर लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह द्वारा किया जाता है।
- डार्क स्काई रिजर्व पूर्वी लद्दाख के हानले गांव मे चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के एक हिस्से के रूप में स्थित होगा।
- यह भारत में खगोल-पर्यटन को बढ़ावा देगा और ऑप्टिकल, इन्फ्रा-रेड और गामा-रे दूरबीनों के लिए दुनिया के सबसे शीर्षस्थ स्थानों में से एक होगा।
- 1,073 वर्ग किलोमीटर में फैला, नाइट स्काई रिजर्व चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य में स्थित है और भारतीय खगोलीय वेधशाला के निकट, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान का दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा ऑप्टिकल टेलीस्कोप, 4500 मीटर की ऊंचाई पर हानले में स्थित है।
- ऐसे समय में जब देश चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 सौर मिशन की सफलता का उत्सव मना रहा है, यह डार्क स्काई रिज़र्व दुनिया में अपनी तरह के केवल 15 या 16 में से एक होने के कारण, खगोलज्ञों को आकर्षित करेगा।
- डार्क स्पेस रिजर्व का शुभांरभ करने के लिए केन्द्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रशासन, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- प्रदर्शनी में लद्दाख के जीआई-टैग किए गए खजाने-सीबकथॉर्न, रकत्से कारपोप्रिकॉट्स, लद्दाख की लकड़ी की नक्काशी और पश्मीना ऊन को प्रदर्शित किया गया है।
- केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ‘लेह बेरी’ को प्रोत्साहन दे रहा है, जो ठंडे रेगिस्तान का एक विशेष खाद्य उत्पाद है।
- मई 2018 में प्रधानमंत्री मोदी की लद्दाख यात्रा का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सीबकथॉर्न की व्यापक खेती की प्रभावशाली सलाह दी है, जो “लेह बेरी” का स्रोत है।
- 15,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर तीन औषधीय पौधों की व्यावसायिक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
- इसमें “संजीवनी बूटी” शामिल है, जिसे स्थानीय रूप से “सोला” के नाम से जाना जाता है, जिसमें प्रचुर जीवन रक्षक और चिकित्सीय गुण हैं।
- परमाणु ऊर्जा विभाग फलों और सब्जियों के संरक्षण/शेल्फ जीवन विस्तार के लिए गामा विकिरण प्रौद्योगिकी के लिए केंद्र शासित प्रदेश में सुविधाएं स्थापित करेगा। लद्दाख से खुबानी अब दुबई में निर्यात की जा रही है।
- लद्दाख के लिए “कार्बन न्यूट्रल” कार्य योजना के लिए 50 करोड़ रुपये के विशेष विकास पैकेज के साथ, पहली बार कोई केंद्र सरकार क्षेत्र के लिए विभिन्न परियोजनाओं के वित्तपोषण में इतनी उदार रही है।
- “यह अपनी तरह का पहला रोडमैप है जो विशेष रूप से लद्दाख प्रदेश को समर्पित है।
- यह न केवल एक महत्वपूर्ण शासन सुधार है बल्कि दूरस्थ और अलग क्षेत्रों में रहने वाले महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए नौकरी हेतु एक बड़ा सामाजिक सुधार है।
- पिछले साल से सर्दियों के मौसम में पर्यटक आकर्षण के रूप में बर्फ की मूर्तिकला को बड़े पैमाने पर लद्दाख में पेश किया गया है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
- लद्दाख “भारत का सबसे युवा केंद्र शासित प्रदेश है, लेकिन यह भारत की सबसे पुरानी सभ्यता भी है।
- पहली बार 31 अक्टूबर 2019 को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का गठन किया गया था।
3. गुजरात में 9वां राष्ट्रीय स्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास (एनएटीपीओएलआरईएक्स-IX) आयोजित:
- भारतीय तटरक्षक बल द्वारा 25 नवंबर 2023 को वाडिनार, गुजरात में 9वां राष्ट्रीय स्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास (एनएटीपीओएलआरईएक्स-IX) आयोजित किया गया था।
- राष्ट्रीय स्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास (एनएटीपीओएलआरईएक्स-IX) ने राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिकता योजना (एनओएसडीसीपी) के प्रावधानों का उपयोग करके समुद्री तेल रिसाव के प्रत्युत्तर में विभिन्न संसाधन एजेंसियों के बीच तैयारियों और समन्वय के स्तर का परीक्षण करने के अपने उद्देश्य को पूरा किया।
- भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया के लिए सतह के साथ-साथ वायु प्लेटफार्म को तैनात किया जिसमें प्रदूषण प्रतिक्रिया जहाज (पीआरवी), अपतटीय गश्ती जहाज (ओपीवी), स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके-III और डोर्नियर विमान शामिल हैं।
- प्रमुख बंदरगाहों जैसे हितधारकों ने समुद्री प्रदूषण से निपटने में समन्वित प्रयासों को प्रदर्शित करने के लिए अपनी समुद्री संपत्तियां भी तैनात की।
- भारतीय तटरक्षक बल ने 07 मार्च 1986 को भारत के समुद्री क्षेत्रों में समुद्री पर्यावरण की रक्षा के लिए जिम्मेदारियाँ संभाली, जब ये जिम्मेदारियाँ जहाजरानी मंत्रालय से स्थानांतरित कर दी गईं।
- तत्पश्चात, तटरक्षक बल ने समुद्र में तेल रिसाव आपदा से निपटने के लिए एनओएसडीसीपी स्थापित किया, जिसे वर्ष 1993 में सचिवों की समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- एनओएसडीसीपी तैयार करने के अलावा, तटरक्षक बल ने मुंबई, चेन्नई, पोर्ट ब्लेयर और वाडिनार में चार प्रदूषण प्रतिक्रिया केंद्र स्थापित किए हैं।
- भारतीय जल में तेल रिसाव आपदाओं के लिए तेल रिसाव प्रतिक्रिया हेतु एक मजबूत राष्ट्रीय प्रणाली भारत के लिए महत्वपूर्ण तैयारी है।
- वास्तव में, भारत की 75 फीसदी ऊर्जा जरूरतें तेल से पूरी होती हैं जिसे समुद्री मार्ग से हमारे देश में आयात किया जाता है।
- जहाजों द्वारा तेल परिवहन निहित जोखिमों से भरा होता है और जहाज मालिकों के साथ-साथ बंदरगाह के अंदर तेल प्राप्त करने वाली सुविधाओं दोनों द्वारा सुरक्षात्मक उपाय किए जाने की आवश्यकता होती है।
- यद्यापि, समुद्री दुर्घटनाओं और समुद्र के अप्रत्याशित खतरों के द्वारा तेल प्रदूषण का खतरा सर्वव्यापी है।
- भारतीय तटरक्षक बल भारतीय जल में तेल रिसाव से निपटने के लिए केंद्रीय समन्वय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
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