विषयसूची:
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1. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन ,इन अति संवेदन शील वर्गों की रक्षा एवं बहतरी के लिए गठित तंत्र,विधि।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना।
मुख्य परीक्षा: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लाभों एवं महिलाओं पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का 27 अक्टूबर, 2023 यशवंतराव चव्हाण केंद्र, मुंबई, महाराष्ट्र में आयोजन किया जाएगा।
उद्देश्य:
- इस कार्यक्रम की विशेषता ‘पीएमएमवीवाई पर उपयोगकर्ता मैनुअल’ का विमोचन, ‘न्यू पोर्टल एंड मोबाइल ऐप’, का लॉन्च और देश के लाभार्थियों के लिए ‘प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी)’ तथा पीएमएमवीवाई में दूसरी लड़की के लिए पहली बार लाभ जारी करना है।
विवरण:
- इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के महत्वपूर्ण पहलुओं और उपलब्धियों, इसकी यात्रा और पीएमएमवीवाई पोर्टल और मोबाइल ऐप की विशेषताओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
- प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत ‘ के विजन को बढ़ावा देने के अनुरूप एक नया पीएमएमवीवाई पोर्टल (पीएमएमवीवाईसॉफ्ट एमआईएस) विकसित किया गया है।
- इस पोर्टल में पात्र लाभार्थियों के उचित सत्यापन के लिए यूआईडीएआई द्वारा ‘ऑनलाइन और फेस प्रमाणीकरण तकनीक’ जैसी नई सुविधाएं शामिल की गई हैं।
- इसके अलावा इसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सुचारू धन हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थी बैंक खातों की एनपीसीआई सत्यापन भी शामिल है।
- इस पोर्टल के माध्यम से सीधे पंजीकरण किए गए लाभार्थियों और आंगनवाड़ी/आशा कार्यकर्ताओं के लिए पेपरलैस ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली की शुरूआत की गई है।
- देश की आबादी में महिलाओं और बच्चों का सामूहिक रूप से 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।
- इनके सतत और न्यायसंगत राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए इनका सशक्तिकरण, सुरक्षा और समग्र विकास सुनिश्चित करना आवश्यक है।
पिछले नौ वर्षों के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने इन मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए समर्पित रहा है:-
- महिलाओं को अपने मानवाधिकारों का उपयोग करने और अपनी पूरी क्षमता हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए मुख्यधारा जैंडर पर ध्यान देते हुए जागरूकता पैदा करना और संस्थागत तथा विधायी सुविधा प्रदान करने पर जोर देते हुए व्यापक नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण को आगे बढ़ाना।
- एकीकृत नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों के विकास, देखभाल और सुरक्षा को सुनिश्चित करना, जिससे शिक्षा, पोषण और संस्थागत और विधायी सुविधा प्रदान करके उनके विकास और पूर्ण क्षमता को बढ़ावा मिले।
- पीएमएमवीवाई 2.0 का एक उल्लेखनीय पहलू लड़कियों के जन्म पर प्रोत्साहन देकर लड़कियों के बारे में सकारात्मक सामाजिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता है।
- सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाओं के लिए यह योजना दो किश्तों में दिए जाने वाला 5,000/- रुपये का मातृत्व लाभ प्रदान करती है।
- योजना के इस लाभ का विस्तार अब दूसरे बच्चे के लिए भी कर दिया गया है, बशर्ते कि दूसरा बच्चा लड़की हो।
- इस संशोधित ढांचे में, माताएं दूसरी लड़की के जन्म के बाद एक ही किस्त में ₹ 6,000 की प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने की पात्र हैं ।
- इससे कन्या भ्रूण हत्या को हतोत्साहित करके और श्रम बल की भागीदारी को बढ़ाकर जन्म के समय लिंग अनुपात में सुधार करने में भी योगदान मिलेगा।
- इसके अलावा यह योजना समय पर टीकाकरण, प्रसव पंजीकरण और संस्थागत जन्म के लिए पंजीकरण को भी प्रोत्साहित करती है।
- इस योजना की शुरूआत से 3.11 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को कुल 14,103 करोड़ रूपये से अधिक की राशि का वितरण करके वित्तीय सहायता प्रदान दी गई है।
- पीएमएमवीवाई पोर्टल और मोबाइल ऐप प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सहज धन हस्तांतरण सुनिश्चित करने वाले नागरिक-अनुकूल अनुभव को प्राथमिकता देते हुए तकनीकी उत्कृष्टता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
पृष्ठ्भूमि:
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) की 1 जनवरी, 2017 को शुरूआत की गई थी।
- इसे पीएमएमवीवाई 2.0 के रूप में 1 अप्रैल, 2022 को मिशन शक्ति के एक घटक के रूप में संशोधित और शामिल किया गया था।
- इसका उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान हुई महिलाओं की मजदूरी की हानि के आंशिक मुआवजे के लिए नकद प्रोत्साहन प्रदान करना है, ताकि महिलाएं बच्चे के जन्म से पहले और बाद में पर्याप्त आराम कर सकें।
- इसके अलावा इसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं (पीडब्ल्यू एंड एलएम) के स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार में सुधार लाना भी है।
2. क्षेत्रीय संपर्क सेवा-उड़ान ने 6 सफल वर्ष पूर्ण किए:
सामान्य अध्ययन: 3
बुनियादी ढांचा:
विषय:बुनियादी ढांचा: उड्ड्यन।
प्रारंभिक परीक्षा: क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) – उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक)।
मुख्य परीक्षा: क्षेत्रीय संपर्क योजना-उड़ान नागरिक विमानन उद्योग के विकास में योगदान दे रहा है। समलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
प्रसंग:
- क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) – उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक), भारत में, विशेष रूप से दूरदराज और कम सेवा वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और संपर्क में सुधार के लिए एक सरकार समर्थित पहल के छह सफल वर्ष पूरे हो गए हैं।
उद्देश्य:
- यह भारत की राष्ट्रीय नागरिक विमानन नीति (एनसीएपी) 2016 का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसे नागरिक विमानन मंत्रालय (एमओसीए) द्वारा 21 अक्टूबर 2016 को 10 साल के दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया था।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 27 अप्रैल, 2017 को शिमला को दिल्ली से जोड़ने वाली पहली क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) – उड़ान का उद्घाटन किया गया था।
- यह योजना देश के कम सेवा वाले क्षेत्रों में गैर-सेवा वाले हवाई मार्गों को बेहतर बनाने और आम नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने पर केंद्रित है।
विवरण:
- अब तक, क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) – उड़ान ने 130 लाख से अधिक यात्रियों के आवागमन को सुविधाजनक बनाया है, जो हवाई यात्रा की पहुंच बढ़ाने में अपनी सफलता को प्रदर्शित करती है।
उड़ान योजना के विभिन्न संस्करण पिछले 6 वर्षों की अवधि में, इस प्रकार शुरू किए गए:
- उड़ान 1.0: 5 एयरलाइंस कंपनियों को 70 हवाई अड्डों (36 नव निर्मित परिचालन हवाई अड्डों सहित) के लिए 128 उड़ान मार्गों को प्रदान किया गया।
- उड़ान 2.0: 73 कम सेवा प्रदान करने वाले और बिना सेवा प्रदान करने वाले हवाईअड्डों की घोषणा की गई और पहली बार हेलीपैड भी जोड़े गए।
- उड़ान 3.0: पर्यटन मंत्रालय के समन्वय से पर्यटन मार्गों को शामिल किया गया। वॉटर एयरोड्रोम को जोड़ने के लिए सीप्लेन के अलावा, उत्तर-पूर्व क्षेत्र के कई मार्ग इस योजना के दायरे में शामिल किए गए।
- उड़ान 4.0: उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों, पहाड़ी राज्यों और द्वीपों को प्रोत्साहन दिया गया। हेलीकाप्टरों और समुद्री विमानों का संचालन शामिल किया गया।
- उड़ान संस्करण 5 – 5.0, 5.1 और 5.2: बोली के चार सफल दौरों के बाद, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हितधारकों की प्रतिक्रिया के आधार पर कई सुधारों के साथ क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)-उड़ान का 5वां संस्करण शुरू किया।
- उड़ान 5.0 जहां श्रेणी-2 (20 से 80 सीटें) और श्रेणी-3 (80 से अधिक सीटें) विमानों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इसी तरह, 600 किलोमीटर की सीमा हटा दी गई है और उड़ान के आरंभ और गंतव्य के बीच की दूरी पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
- इसके बाद जल्द ही उड़ान 5.1 संस्करण आया, क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) -उड़ान का यह दौर विशेष रूप से हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों के लिए परिचालन के दायरे को बढ़ाकर, वीजीएफ़ को बढ़ाकर और एयरफ़ेयर कैप को कम करके हेलीकॉप्टर मार्गों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- वर्तमान में, देश के दूरदराज और क्षेत्रीय क्षेत्रों में हवाई संपर्क को और बढ़ाने, अंतिम बिन्दु तक हवाई संपर्क प्रदान करने और छोटे विमानों (20 से कम सीटों) के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र को गति प्रदान करने के लिए उड़ान 5.2 के लिए बोली चल रही है।
- यह योजना छोटे विमान ऑपरेटरों को अधिक आसान परिचालन प्रदान करेगी।
विमानन उद्योग में वृद्धि को बढ़ावा देना:
- क्षेत्रीय संपर्क योजना-उड़ान नागरिक विमानन उद्योग के विकास में योगदान दे रहा है क्योंकि पिछले 6 वर्षों में चार नई और सफल एयरलाइंस सामने आई हैं।
- इस योजना ने एयरलाइन ऑपरेटरों को एक स्थायी व्यवसाय मॉडल शुरू करने और विकसित करने में मदद की है।
- इसके अतिरिक्त, यह छोटी क्षेत्रीय एयरलाइनों फ्लाईबिग, स्टार एयर और इंडियावन एयर को अपने व्यवसाय को बढ़ाने के अवसर प्रदान कर रहा है और उनका सफल संचालन इस तथ्य का प्रमाण है कि यह योजना एयरलाइन व्यवसाय के लाभ के लिए एक अनुकूल इकोसिस्टम का निर्माण कर रही है।
सभी आकार के नये विमानों की मांग:
- योजना के वृद्धिशील विस्तार ने नए विमानों की बढ़ती मांग को जन्म दिया है, साथ ही तैनात विमानों के स्पेक्ट्रम का विस्तार किया है।
- इस विस्तार में विमानों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है और इसमें हेलीकॉप्टर, समुद्री विमान, 3-सीट प्रोपेलर विमान और जेट विमान शामिल हैं।
- वर्तमान में, एयरबस 320/321, बोइंग 737, एटीआर 42 और 72, डीएचसी क्यू400 और ट्विन ओटर, एम्ब्रेयर 145 सहित एक विविध बेड़ा और 175, और टेक्नैम पी2006टी, क्षेत्रीय संपर्क योजना के मार्गों पर सक्रिय रूप से सेवा दे रहा है।
- विमान की बढ़ी हुई मांग भारतीय वाहकों के आदेशों से प्रमाणित होती है, जो अगले 10-15 वर्षों में डिलीवरी के लिए 1,000 से अधिक विमान हैं, जो भारत के मौजूदा बेड़े में एक महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें वर्तमान में विभिन्न एयरलाइनों द्वारा संचालित लगभग 700 विमान शामिल हैं।
पर्यटन को बढ़ावा देना:
- क्षेत्रीय संपर्क योजना-उड़ान पूरी तरह से टियर-2 और टियर-3 शहरों में अंतिम बिन्दु तक संपर्क प्रदान करने के लिए समर्पित नहीं है; यह बढ़ते पर्यटन क्षेत्र में भी एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में खड़ा है।
- उड़ान 3.0 ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई गंतव्यों को जोड़ने वाले पर्यटन मार्गों की शुरुआत की, जबकि उड़ान 5.1 पर्यटन, आतिथ्य और स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर सेवाओं के विस्तार के लिए समर्पित है।
- इस पहल ने खजुराहो, देवघर, अमृतसर और किशनगढ़ (अजमेर) जैसे स्थलों को सफलतापूर्वक जोड़ा है, जिनकी धार्मिक पर्यटन में काफी प्रासंगिकता है।
- पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के पर्यटन उद्योग में पासीघाट, जीरो, होलोंगी और तेजू हवाई अड्डों की शुरूआत के कारण काफी वृद्धि का अनुभव हो रहा है, जिससे अधिक पहुंच को बढ़ावा मिल रहा है।
हवाई संपर्क को प्रोत्साहन देना:
- मुंद्रा (गुजरात) से लेकर अरुणाचल प्रदेश के तेजू से लेकर कर्नाटक के हुबली तक, क्षेत्रीय संपर्क योजना -उड़ान देश भर के 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जोड़ रहा है।
- उड़ान योजना के अंतर्गत कुल 75 हवाई अड्डों का संचालन किया गया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में आठ हवाई अड्डे चालू हो गए हैं।
- उड़ान के अंतर्गत संचालित कई हवाई अड्डे जैसे कि दरभंगा, हुबली, कन्नूर, मैसूर आदि, इन हवाई अड्डों से संचालित होने वाली कई गैर-क्षेत्रीय संपर्क योजना वाणिज्यिक उड़ानों के साथ टिकाऊ हो गए हैं।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. रेफरेंस फ्यूल्स का लॉन्च:
- भारत में पहली बार इंडियन ऑयल द्वारा उत्पादित ‘रेफरेंस गैसोलीन और डीजल ईंधन’ का लॉन्च किया गया हैं।
- इंडियन ऑयल के पारादीप और पानीपत रिफाइनरियों द्वारा उत्पादित रेफरेंस फ्यूल्स उत्पादित किया गया है।
- रेफरेंस फ्यूल्स का यह लांच पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा किया गया।
- यह कदम स्वदेशी तकनीकी क्षमता पर मुहर लगाता है जो भारत सरकार के मेक इन इंडिया मिशन को गति देता है।
- यह आत्मनिर्भर भारत के विजन को बढ़ावा देने की एक और पहल है।
- यह पहली बार है कि भारत रेफरेंस गैसोलीन और डीजल ईंधन के उत्पादन में प्रवेश कर रहा है।
- यह उपलब्धि न केवल आयात पर भारत की निर्भरता को कम करती है बल्कि भारत के ऊर्जा उद्योग को विशिष्ट दक्षताओं से सुसज्जित चुनिंदा वैश्विक कंपनियों तक पहुंचाती है।
- लॉन्च के इस अवसर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा अपनाई गई चार-कोणीय ऊर्जा सुरक्षा कार्यनीति की चर्चा की।
- 2047 तक भारत को ‘ऊर्जा-आत्मनिर्भर’ राष्ट्र में रूपांतरित करने के विजन द्वारा निर्देशित रणनीति में (i) ऊर्जा आपूर्ति का विविधीकरण (ii) भारत की उत्खनन और उत्पादन उपस्थिति में वृद्धि (iii) वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत और गैस आधारित अर्थव्यवस्था के माध्यम से ऊर्जा रूपांतरण को पूरा करना और (iv) हरित हाइड्रोजन एवं ईवी शामिल हैं।
- श्री पुरी ने स्वच्छ ऊर्जा, विशेष रूप से जैव-ईंधन अनुभाग, बीएस-VI ईंधन में रूपांतरण और ईवी चार्जिंग स्टेशनों की शुरूआत, सीबीजी, सतत विमानन ईंधन, इथेनॉल मिश्रण और हाइड्रोजन ईंधन की दिशा में मंत्रालय के प्रयासों का भी उल्लेख किया।
- पारादीप रिफाइनरी को भारत की सबसे आधुनिक और जटिल रिफाइनरी, जो 100 प्रतिशत उच्च सल्फर कच्चे तेल को संसाधित कर सकती है, के रूप में संदर्भित करते हुए उन्होंने कहा कि इस रिफाइनरी ने एक बड़ी उपलब्धि अर्जित की जब उसने हाल ही में साउथ ऑयल जेट्टी पर अपना 1000वां पोत हैंडल किया।
- श्री हरदीप सिंह पुरी ने उत्सर्जन को कम करने के लिए ईंधन मिश्रण के त्वरित कार्यान्वयन, 2025 से 2030 तक 20 प्रतिशत ब्लेंडिंग प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को आगे बढ़ाने, 5,000 से अधिक पेट्रोल खुदरा दुकानों पर ई 20 मिश्रित ईंधन की बिक्री आदि कदमों का उल्लेख किया।
- हाल ही में दिल्ली में ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों की शुरुआत का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों के प्रति हमारे समर्पण की पुष्टि करता है।
- कच्चे तेल की कीमतों में संतुलन बनाए रखते हुए विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा दिए जाने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, हम वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक प्रतिष्ठित देश के रूप में अपनी क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग कर रहे हैं।
संदर्भ ईंधन के बारे में:
- इंडियन ऑयल ने भारत में पहली बार रेफरेंस गैसोलीन और डीजल ईंधन का उत्पादन सफलतापूर्वक आरंभ किया है।
- इन ईंधनों का उपयोग ऑटोमोबाइल विनिर्माताओं और आईसीएटी (इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी) तथा एआरएआई (ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया) जैसी जांच एजेंसियों द्वारा वाहन के अंशांकन और परीक्षण के लिए किया जाता है।
- इस उत्पाद का स्वदेशी विकास “आत्मनिर्भर भारत” के विजन के अनुरूप है।
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए ये उत्पाद प्रमाणन के तीन चरणों अर्थात रिफाइनरी लैब, आईओसीएल आर एंड डी सेंटर और एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात एक तृतीय पक्ष प्रयोगशाला से गुजरे थे।
- भारत इस विशिष्ट ईंधन की मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। स्वदेशी रूप से विकसित ये उत्पाद वाहन निर्माताओं के लिए बेहतर कीमत और न्यूनतम समय सीमा पर आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देंगे।
- रेफरेंस गैसोलीन फ्यूल पारादीप की इस प्रमुख रिफाइनरी से ई0, ई5, ई10, ई20, ई85, ई100 में उपलब्ध होगा। रेफरेंस डीजल ईंधन पानीपत रिफाइनरी से बी7 ग्रेड में उपलब्ध होगा।
- रेफरेंस ईंधन (गैसोलीन और डीजल) प्रीमियम हाई-वैल्यू वाले उत्पाद हैं, जिनका उपयोग ऑटो ओईएम और ऑटोमोटिव क्षेत्र में परीक्षण और प्रमाणन से जुड़े संगठनों द्वारा वाहनों के अंशांकन और परीक्षण के लिए किया जाता है।
- रेफरेंस/संदर्भ ईंधन की विनिर्देश आवश्यकताएँ वाणिज्यिक गैसोलीन और डीजल की तुलना में अधिक सख्त हैं। भारत में रेफरेंस फ्यूल की मांग फिलहाल दूसरे देशों से आयात करके पूरी की जाती है।
- इंडियन ऑयल द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित उत्पाद ऑटोमोटिव उद्योग मानक (एआईएस) विनिर्देशों को पूरा करता है, आयात का विकल्प देता है और कम लीड टाइम के साथ बेहतर कीमत पर उपलब्ध है।
- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने अपनी पारादीप रिफाइनरी में रेफरेंस गैसोलीन ईंधन (ई-5, ई-10 और ई-20) और अपनी पानीपत रिफाइनरी में रेफरेंस डीजल ईंधन (बी-7) के उत्पादन के लिए सुविधा केंद्र स्थापित की हैं।
2. प्रधानमंत्री ने गोवा में 37वें राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन किया:
- प्रधानमंत्री ने 26 अक्टूबर 2023 को मडगांव, गोवा के पंडित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 37वें राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन किया।
- खेलों का आयोजन 26 अक्टूबर से 9 नवंबर तक होगा और इसमें देशभर से 10,000 से ज्यादा एथलीट हिस्सा लेंगे। ये खिलाड़ी 28 स्थानों पर 43 खेलों में प्रतिस्पर्धा करेंगे।
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बताया कि इस साल का खेल बजट नौ साल पहले के खेल बजट से तीन गुना ज्यादा है।
- खेलो इंडिया और टॉप्स जैसी पहलों वाले नए पारिस्थितिकी तंत्र में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से प्रतिभाशाली एथलीटों को ढूंढा जा रहा है।
- टॉप्स में शीर्ष एथलीटों को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण मिलता है और खेलो इंडिया में 3000 एथलीट प्रशिक्षण ले रहे हैं।
- खिलाड़ियों को 6 लाख रुपये हर साल छात्रवृत्ति मिल रही है। खेलो इंडिया के तहत ढूंढे गए करीब 125 खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में हिस्सा लिया और 36 मेडल जीते।
- ‘खेलो इंडिया के जरिए प्रतिभाओं की खोज करना, उनका पोषण और उन्हें टॉप्स द्वारा ओलंपिक पोडियम तक पहुंचाने के लिए प्रशिक्षण देना इसके रोडमैप में शामिल है।’
- गोवा को समारोहों की भूमि बताते हुए प्रधानमंत्री ने गोवा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और शिखर सम्मेलनों के केंद्र के रूप में राज्य के बढ़ते कद का उल्लेख किया।
- 2016 के ब्रिक्स सम्मेलन और कई जी20 सम्मेलनों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि जी20 द्वारा ‘सतत पर्यटन के लिए गोवा रोडमैप’ को अपनाया गया।
- देश में खेल में लगातार मिल रहे सरकारी सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एथलीटों के प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है।
- शीर्ष प्रदर्शन करने वालों की पहचान करने तथा खेलों की लोकप्रियता को और बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट आयोजित करने के महत्व को पहचानते हुए देश में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन किया जाता है।
- राष्ट्रीय खेल गोवा में पहली बार आयोजित हो रहे हैं। ये खेल 26 अक्टूबर से 9 नवंबर तक होंगे। देश भर के 10,000 से अधिक एथलीट 28 स्थानों पर 43 से अधिक खेलों में प्रतिस्पर्धा करेंगे।
3. ड्रोन निर्माण और परीक्षण से संबंधित लेखों पर स्पष्टीकरण:
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय को एक हालिया समाचार लेख मिला है जिसमे स्पस्टीकरण आवश्यक हैं,जिसमें बताया गया है कि केंद्र सरकार ने ड्रोन के निर्माण और परीक्षण के लिए मानकों और दिशानिर्देशों पर मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है।
- भारत में, ड्रोन के लिए नियम ड्रोन नियम 2021 और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित उसके बाद के संशोधन हैं जो 25 अगस्त 2023 से प्रभावी हैं।
- ये नियम उन सभी व्यक्तियों पर लागू होते हैं जो भारत में ड्रोन रखते हैं, पट्टे पर देते हैं, संचालित करते हैं, स्थानांतरित करते हैं या रखरखाव करते हैं और भारत में पंजीकृत और वर्तमान में देश के हवाई क्षेत्र में संचालित होने वाले सभी ड्रोन पर लागू होते हैं। वे इसके अंतर्गत आते हैं।
- इन नियमों के अंतर्गत, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 26 जनवरी, 2022 को आधिकारिक राजपत्र में मानव रहित विमान प्रणालियों के लिए प्रमाणन योजना को पहले ही अधिसूचित कर दिया है।
- सभी निर्माताओं को, जब तक कि उन्हें इससे विशेष छूट प्राप्त ना हो, इस योजना के तहत निर्दिष्ट मानकों के अनुरूप होना और एक प्रकार का प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है।
- अब तक, 32 यूएएस मॉडलों को योजना के तहत टाइप सर्टिफिकेशन प्राप्त हो चुका है और कई अन्य पाइपलाइन में हैं। मौजूदा मानक और प्रमाणन दिशानिर्देश वैध और लागू रहेंगे, कोई नए विनिर्माण और परीक्षण नियम नहीं हैं।
- इसके अतिरिक्त, समाचार लेख में यह भी कहा गया है कि भारत में निम्न गुणवत्ता वाले ड्रोन आयात किए जा रहे हैं।
- उल्लेखनीय है कि विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 09 फरवरी, 2022 के माध्यम से पहले ही सीबीयू, एसकेडी या सीकेडी रूपों में ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा चुका है।
- इसलिए, भारत में किसी भी ड्रोन के आयात और कानूनी तौर पर इस्तेमाल का कोई सवाल ही नहीं है।
4. चाणक्य रक्षा संवाद:
- ‘चाणक्य रक्षा संवाद 2023’ कार्यक्रम का आयोजन भारतीय सेना द्वारा सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (सीएलएडब्ल्यूएस) के साथ साझेदारी में किया जा रहा है।
- चाणक्य रक्षा संवाद के पहले संस्करण का आयोजन 3 और 4 नवंबर 2023 को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में किया जाएगा।
- यह भारतीय सेना द्वारा आयोजित किया जाने वाला अपनी तरह का पहला सम्मेलन है।
- यह संवाद कार्यक्रम दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत में सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का व्यापक विश्लेषण करेगा।
- वार्ता के दौरान इस क्षेत्र के देशों के बीच एक तैयार, उभरते और प्रासंगिक हितधारक के रूप में भारत की स्थिति को सशक्त करने के उद्देश्य से क्षेत्र में सहयोगात्मक सुरक्षा उपायों के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- एक शक्तिशाली मंच के रूप में परिकल्पित यह संवाद कार्यक्रम दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बहुमुखी सुरक्षा चुनौतियों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने तथा इस क्षेत्र के भीतर सामूहिक सुरक्षा के लिए एक रोडमैप को परिभाषित करने का लक्ष्य रखता है।
- प्रौद्योगिकी भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का नया रणनीतिक क्षेत्र है और आत्मनिर्भरता एक प्रमुख अनिवार्यता के रूप में सामने आ रही है।
- आने वाले वर्षों में चाणक्य रक्षा संवाद को भारतीय सेना द्वारा संचालित एक नियमित कार्यक्रम बनाने की योजना बनाई गई है।
- यह संवाद निम्नलिखित विषयों पर छह सत्रों में आयोजित किया जाएगा:
- पड़ोस प्रथम – दक्षिण एशिया पूर्वानुमान।
- हिंद-प्रशांत – निर्णायक सीमा।
- सुरक्षा के उद्देश्य से सहयोगात्मक साझेदारी।
- उभरती हुई प्रौद्योगिकियां रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र को कैसे प्रभावित करती हैं।
- सहयोगात्मक क्षमता निर्माण के लिए भारतीय रक्षा उद्योग की सहयोगी के रूप में भूमिका।
- व्यापक निवारण: भारतीय माध्यम।
- चाणक्य रक्षा संवाद 2023 में भारत और विदेश के प्रख्यात वक्ताओं का जमावड़ा होगा।
- भारतीय सेना इस अग्रणी पहल के साथ एक ऐसी यात्रा पर निकल पड़ी है, जहां रक्षा, रणनीति व सहयोगात्मक साझेदारी दक्षिण एशिया तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र के जीवंत परिदृश्य में एक सुरक्षित, स्थिर एवं समृद्ध भविष्य बनाने के लिए एकजुट हो रही है।
5. गिनी की खाड़ी: यूरोपीय संघ और भारत ने पहला संयुक्त नौसेना अभ्यास किया
- भारत और यूरोपीय संघ के जहाजों ने क्षेत्र के समर्थन में नौसैनिक समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के प्रयास में गिनी की खाड़ी में संयुक्त गतिविधियों का संचालन किया।
- 24 अक्टूबर 23 को यूरोपीय संघ (ईयू) और भारत ने गिनी की खाड़ी में अपना पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया।
- यह अभ्यास 5 अक्टूबर 23 को ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ-भारत समुद्री सुरक्षा वार्ता की तीसरी बैठक के बाद हुआ।
- अभ्यास के दौरान, भारतीय नौसेना का आईएनएस सुमेधा, एक अपतटीय गश्ती पोत, गिनी की खाड़ी में यूरोपीय संघ के तीन सदस्य देशों के जहाजों के साथ शामिल हुआः जिसमे इतालवी नौसेना का जहाज आईटीएस फोस्करी, फ्रांसीसी नौसेना का जहाज एफएस वेंटोस और स्पेनिश नौसेना का जहाज टोरनैडो शामिल थे।
- चार जहाजों ने घाना के तट से दूर अंतर्राष्ट्रीय जल में सामरिक युद्धाभ्यास की एक श्रृंखला का अभ्यास किया, जिसमें एक बोर्डिंग अभ्यास, फ्रांसीसी जहाज वेंटोस और भारतीय नौसेना के जहाज सुमेधा पर सवार हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके एक उड़ान अभ्यास और जहाजों के बीच कर्मियों का स्थानांतरण शामिल था।
- इस अभ्यास के बाद घाना के अकरा में एक ज्ञान साझाकरण सत्र आयोजित किया गया, जो परिचालन संबंधी जानकारी में सुधार के लिए समुद्र में संयुक्त अनुभव पर आधारित था।
- इस सत्र ने घाना के अधिकारियों और घाना में भारतीय, यूरोपीय संघ और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के मिशनों के प्रतिनिधियों के बीच संबंधों को गहरा करने में भी मदद की।
- इन गतिविधियों ने गिनी की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में तटीय राज्यों और याओंडे वास्तुकला का समर्थन करने के लिए भारत और यूरोपीय संघ की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
- उन्होंने समुद्री सुरक्षा पर यूरोपीय संघ-भारत सहयोग की व्यापकता और गतिशीलता को प्रतिबिंबित किया, और समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) को बनाए रखने के लिए आम दृढ़ संकल्प का संकेत दिया।
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